गुजरात के ऑटो वाले मनोहर और बुजुर्ग मदन लाल की कहानी

गुजरात के एक छोटे शहर की गलियों में मनोहर नाम का एक ऑटो चालक अपने परिवार के लिए दिन-रात मेहनत करता था। उसके परिवार में पत्नी कामिनी और दो बच्चे – शीतल और मुकेश थे। घर में गरीबी जरूर थी, लेकिन प्यार और खुशियों की कमी नहीं थी। शीतल का सपना था डॉक्टर बनना, और मुकेश हमेशा शरारतें करता रहता था।

एक दिन मनोहर अपने ऑटो में टिफिन लेकर शहर के एक कोने में गया। वहां एक पेड़ की छांव में एक बुजुर्ग बैठे थे, जिनके कपड़े फटे हुए थे और चेहरा थका हुआ था। मनोहर ने देखा कि वह भूखी नजरों से उसे देख रहे हैं। उसका दिल पसीज गया और उसने अपने टिफिन का आधा खाना उस बुजुर्ग को दे दिया। बुजुर्ग ने चुपचाप खाना खाया, लेकिन उनकी आंखों में एक अजीब चमक थी।

मनोहर ने उनसे पूछा, “बाबा, आप कौन हैं?”
बुजुर्ग ने धीरे से कहा, “मैं मुंबई का रहने वाला हूं, लेकिन मुझे कुछ याद नहीं।”
मनोहर को लगा शायद उनका दिमाग कमजोर है, लेकिन फिर भी उसने रोज उन्हें खाना देना शुरू कर दिया।

अब रोज दोपहर को मनोहर अपने टिफिन में थोड़ा ज्यादा खाना रखता और उस बुजुर्ग को खिलाता। मनोहर अपने दिल की बातें भी बाबा से शेयर करता – कैसे उसके परिवार में पैसों की कमी है, बेटी डॉक्टर बनना चाहती है, लेकिन अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ सकती। बाबा चुपचाप सुनते रहते।

यह सिलसिला पंद्रह दिन तक चला।
पंद्रहवें दिन बाबा ने पहली बार खुद मनोहर से बात शुरू की।
“बेटा मनोहर, तू कैसा है?”
मनोहर चौंक गया कि बाबा ने उसका नाम कैसे जान लिया।
बाबा ने कहा, “आज मैं तुझे सच बताना चाहता हूं। मेरा नाम मदन लाल है। मैं पास के एक गांव का रहने वाला हूं। वहां मेरा बड़ा घर और जमीन है।”

मनोहर को यकीन नहीं हुआ। उसने पूछा, “बाबा, आप मजाक तो नहीं कर रहे?”
मदन लाल बोले, “अगर यकीन नहीं तो मेरे गांव चल, सब दिखाऊंगा।”

मनोहर ने तय किया कि अगले दिन सुबह बाबा को उनके गांव ले जाएगा।
शाम को वह बाबा को अपने घर ले गया। पत्नी कामिनी पहले नाराज हुई, लेकिन मनोहर की बात मान गई। बाबा ने खाना खाया, नहाए और रात वहीं रुके।

अगली सुबह मनोहर ने बाबा को ऑटो में बिठाया और उनके गांव पहुंचा। गांव में लोग मदन लाल को देखकर हैरान रह गए। बाबा ने मनोहर को एक बड़ी हवेली दिखायी। हवेली देखकर मनोहर की आंखें फटी रह गईं।

मदन लाल ने हवेली में घुसते ही अपने भाइयों से कहा, “तुमने मेरी हवेली पर कब्जा कर लिया, मेरे साथ गलत किया।”
फिर उन्होंने मनोहर को अपनी पूरी कहानी बताई –
तीन साल पहले बेटी के भाग जाने के बाद, भाइयों ने ताने मारना शुरू कर दिया। मदन लाल डिप्रेशन में चले गए और घर छोड़ दिया। वे भटकते रहे, लेकिन मनोहर ने उन्हें खाना दिया, बात की, जिससे उन्हें जीने की वजह मिली।

मनोहर की आंखें नम हो गईं।
मदन लाल ने कहा, “बेटा, अब तू अपने परिवार को लेकर यहां आ जा। मेरी हवेली और जमीन संभाल। मैं तुझे अपने बेटे की तरह रखूंगा।”

मनोहर पहले हिचकिचाया, लेकिन आखिरकार मान गया।
अगले दिन वह पत्नी और बच्चों को लेकर हवेली में शिफ्ट हो गया।
कामिनी अब हवेली में खाना बनाती, बच्चे खेलते, और मदन लाल दादाजी की तरह प्यार लुटाते।

इस तरह एक ऑटो वाले की नेकदिली ने ना सिर्फ एक बुजुर्ग की जिंदगी बदली, बल्कि अपने परिवार का भविष्य भी बदल दिया।