कहानी: चाय वाले से मालिक तक
सुबह का समय था। दिल्ली की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी “स्काईलाइन ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड” के ऑफिस के गेट पर एक साधारण सा आदमी खड़ा था। उसके हाथ में चाय की ट्रे थी, कपों से उठती भाप हवा में घुल रही थी। उसके माथे पर पसीना था और आँखों में मासूमियत। हर कोई उसे देखकर यही सोचता कि वह बस एक चाय वाला है। लेकिन किसी को क्या पता था कि उसकी असलियत क्या है।
आदित्य धीरे-धीरे ऑफिस की ओर बढ़ा। रिसेप्शन पर बैठे सिक्योरिटी गार्ड ने उसे देखा और चिढ़कर बोला, “ओ चाय वाले, यहाँ क्या कर रहा है? बाहर ठेला लगाना। यह कोई दुकान है क्या?”
आदित्य मुस्कुराकर बोला, “भाई साहब, बस कर्मचारियों को सुबह-सुबह चाय पिला दूं, दिन अच्छा जाएगा उनका।”
गार्ड हँसते हुए बोला, “जा अंदर दे दे, पर जल्दी निकल जाना।”
किसी को अंदाजा नहीं था कि जिसे चाय वाला कहकर टोक रहे हैं, वही इस कंपनी का अगला मालिक बनने वाला है। आदित्य ऑफिस के अंदर पहुँचा तो कुछ कर्मचारी हँसने लगे। किसी ने फुसफुसाकर कहा, “देखो नया चाय वाला आ गया।” दूसरा बोला, “बेचारा रास्ता भटक गया।”
इसी बीच लिफ्ट से रिया माथुर निकली, कंपनी की असिस्टेंट मैनेजर। उसके हाथ में महंगा फोन, बालों में पिन की चमक और चेहरे पर घमंड। रिया ने आदित्य को ऊपर से नीचे तक देखा और बोली, “क्या हाल बना रखा है! फटे कपड़े, गंदी ट्रे…यह कोई चाय खाना नहीं है, समझे? निकलो यहाँ से।”
आदित्य ने हल्की मुस्कान दी और बोला, “मैडम, मैंने सोचा आप सबके लिए चाय ले आऊं, सुबह-सुबह पी लीजिए, मन खुश हो जाएगा।”
रिया ने एक कप उठाया, एक घूंट लिया और तुरंत कप फेंक दिया, “ये क्या घटिया चाय है! शर्म आनी चाहिए तुम्हें।”
गर्म चाय का छींटा आदित्य के गाल पर पड़ा, लेकिन वह शांत रहा।

तभी अर्जुन मेहता, कंपनी का सीनियर एग्जीक्यूटिव, आगे बढ़ा। उसने गुस्से में कहा, “बस करो आप सब। इंसान गरीब है तो इसका मतलब यह नहीं कि उसकी इज्जत मिट्टी में मिला दो।”
रिया हँसी, “ओ तो अब तुम इसके वकील बन गए हो।”
इतना कहकर रिया ने एक थप्पड़ जड़ दिया आदित्य को। पूरा ऑफिस हँसी से गूंज उठा। लेकिन आदित्य बस धीरे से बोला, “सॉरी मैडम। मेरी गलती थी। मैं चला जाता हूँ।”
वो ट्रे उठाकर बाहर चला गया।
अगले दिन ऑफिस में हलचल थी। सबको HR से मेल आया – “आज सुबह 11 बजे कंपनी के नए मालिक आने वाले हैं। सभी कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य है।”
सब उत्साहित थे। रिया ने शीशे में अपना चेहरा देखा, लिपस्टिक ठीक की और बोली, “अब दिखाना है असली स्टार कौन है।”
11 बजे कॉन्फ्रेंस हॉल का दरवाजा खुला। अंदर वही आदमी आया, जिसे कल सबने चाय वाला कहा था। आज वह काले सूट में, चमकते जूतों के साथ, मंच पर खड़ा था। HR हेड बोले, “मिलिए हमारे नए मालिक, मिस्टर आदित्य शर्मा से।”
पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा, लेकिन कुछ के चेहरे पीले पड़ गए। रिया के आँखों में डर था।
आदित्य बोले, “कल मैं यहाँ था, एक आम आदमी बनकर। मैं देखना चाहता था कि मेरे कर्मचारी सिर्फ बॉस से डरते हैं या इंसानियत को भी पहचानते हैं।”
उन्होंने रिया से पूछा, “रिया माथुर, तुम्हें याद है कल क्या हुआ था?”
रिया काँपते हुए बोली, “सर, मुझसे गलती हो गई।”
आदित्य बोले, “अगर मैं सूट पहनकर आता तो तुम झुककर बात करती, लेकिन जब मैं फटे कपड़ों में आया तो तुमने मुझे इंसान समझने से इंकार कर दिया।”
फिर आदित्य ने अर्जुन की ओर देखा, “अर्जुन मेहता, जब सब लोग हँस रहे थे, तुमने अकेले खड़े होकर गलत के खिलाफ आवाज उठाई। यही असली बहादुरी है। आज से तुम्हें सीनियर मैनेजर के पद पर प्रमोट किया जाता है।”
रिया की बारी आई। आदित्य बोले, “रिया, तुम्हें अपनी पोस्ट से हटाया जा रहा है। अब तुम जूनियर एग्जीक्यूटिव के तौर पर काम करोगी।”
रिया की आँखों से आँसू बहने लगे। उसने सिर झुका लिया।
आदित्य बोले, “याद रखो, इंसान की असली कीमत उसके कपड़ों से नहीं, उसके कर्मों से होती है।”
पूरा ऑफिस खामोश था। सबके चेहरे पर पछतावा था।
कुछ समय बाद ऑफिस का माहौल बदल गया। रिया अब सबसे पहले ऑफिस आती, सबको नमस्ते करती, चाय वाले से बात करती, मदद करती। वह समझ चुकी थी कि असली ऊँचाई तब मिलती है जब आप किसी का सिर झुकने से पहले उसे संभाल लो।
एक दिन लंच ब्रेक में रिया ने अर्जुन से कहा, “अब मुझे समझ आ गया है कि इज्जत कभी पद से नहीं मिलती, बल्कि व्यवहार से मिलती है।”
अर्जुन मुस्कुराया, “गलती करना बुरा नहीं, बुरा तब है जब इंसान उसे सुधारने की कोशिश ना करे।”
आदित्य ने पूरी टीम को केबिन में बुलाया और कहा, “मैं चाहता हूँ कि हर हफ्ते एक दिन हम जरूरतमंद की मदद करें।”
रिया ने कहा, “सर, पहली जिम्मेदारी मैं लेना चाहती हूँ।”
कुछ महीने बाद स्काईलाइन ग्लोबल सिर्फ कंपनी नहीं, परिवार बन चुकी थी। जहाँ हर किसी की इज्जत होती, हर कोई एक दूसरे की मदद करता।
रिया अब पूरी तरह बदल चुकी थी। जिसे कभी लोग घमंडी रिया कहते थे, अब सब उसे प्यार से रिया दीदी बुलाते थे।
आदित्य ने कहा, “पैसा, पद, ताकत… सब बदल जाते हैं। पर इंसानियत कभी नहीं हारती।”
ऑफिस में ह्यूमैनिटी डे मनाया गया। रिया ने स्टेज पर कहा, “असली खूबसूरती कपड़ों में नहीं, दिल में होती है।”
अर्जुन ने रिया की ओर देखा और मुस्कुराया।
आदित्य बोले, “कभी किसी को उसके कपड़ों से मत आकना। हो सकता है जिसे तुम छोटा समझ रहे हो, वही कल तुम्हारी सबसे बड़ी सीख बन जाए।”
**सीख:**
यह कहानी सिर्फ एक कंपनी की नहीं, हम सबके दिलों की कहानी है। कभी-कभी हम किसी को उसके कपड़ों, रूप या पद से जज कर लेते हैं। लेकिन असली पहचान उसके कर्मों से होती है।
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अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो कमेंट में जरूर बताइए – क्या कभी आपने भी किसी को देखकर जल्दी में जज किया है?
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