असली अमीरी सोच में होती है

एक दिन शहर के सबसे बड़े पाँच सितारा होटल में एक बुजुर्ग आदमी साधारण कपड़े पहने हुए पहुँचे। उनके हाथ में एक पुराना झोला था। गार्ड ने उन्हें रोकते हुए कहा, “बाबा, यहाँ क्या काम है आपका?” बुजुर्ग ने मुस्कुराकर कहा, “बेटा, मेरी यहाँ बुकिंग है।” गार्ड और रिसेप्शनिस्ट सोनाली दोनों ने उनका मजाक उड़ाया और वेटिंग एरिया में बैठने को कहा।

लॉबी में बैठे मेहमान और स्टाफ भी ताने मारने लगे, कोई बोला, “मुफ्त का खाना खाने आया है,” कोई बोला, “यहाँ का पानी भी नहीं खरीद सकता।” लेकिन बुजुर्ग चुपचाप बैठे रहे। उन्होंने मैनेजर से मिलने की इच्छा जताई, पर मैनेजर सौरभ मल्होत्रा ने भी उन्हें नजरअंदाज कर दिया।

केवल बेल बॉय राहुल ने बुजुर्ग का सम्मान किया और उनकी मदद करने की कोशिश की। जब बुजुर्ग ने मैनेजर को अपनी बुकिंग और होटल से जुड़ी कुछ डिटेल्स देने की कोशिश की, तो मैनेजर ने कागजों को बिना देखे ही टेबल पर पटक दिया और कहा, “यह होटल आपके बस की बात नहीं है।”

बुजुर्ग निराश होकर बाहर चले गए। लेकिन राहुल ने उनके दिए कागजों को कंप्यूटर पर चेक किया और पाया कि वो बुजुर्ग, अमिताभ सेन, होटल के 65% शेयर होल्डर और संस्थापक सदस्य हैं। उसने यह खबर मैनेजर को बताई, लेकिन मैनेजर ने फिर भी उसकी बात नहीं मानी।

अगले दिन, अमिताभ सेन एक अधिकारी के साथ होटल आए। अधिकारी ने सबके सामने डॉक्यूमेंट रखे और बताया कि होटल के असली मालिक अमिताभ सेन हैं। अमिताभ ने घोषणा की कि सौरभ अब मैनेजर नहीं रहेगा, उसकी जगह राहुल वर्मा को यह पद मिलेगा।

अमिताभ ने सोनाली को चेतावनी दी कि किसी को कपड़ों से मत आंकना, हर इंसान की इज्जत बराबर है। उन्होंने सबको समझाया, “असली अमीरी पैसे में नहीं, सोच में होती है।”

उस दिन के बाद होटल का माहौल बदल गया। अब हर गेस्ट का सम्मान होता था। लोग कहते, “अमिताभ सेन ने सिर्फ होटल नहीं, इंसानियत की नींव रख दी।”