बारिश की रात का हीरो – राजीव की इंसानियत
शहर की सड़कों पर शाम होते ही काले बादल छा गए थे। तेज बारिश हो रही थी, हर कोई जल्दी-जल्दी अपने घर पहुंचने की कोशिश कर रहा था। उसी भीड़ में एक सरकारी बस धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी, जिसे चला रहा था राजीव – एक जिम्मेदार और ईमानदार ड्राइवर।
राजीव की उम्र लगभग 40 साल थी। वह बरसों से इसी रूट पर बस चला रहा था और यात्रियों की जल्दी और गुस्से को अच्छी तरह समझता था। आज भी बारिश की वजह से सभी लोग जल्दी पहुंचना चाहते थे, बस में शोर था – “ड्राइवर तेज चलाओ, कितना लेट कर रहे हो!”
राजीव शांत था, लेकिन उसकी नजर सड़क किनारे पड़ी एक बूढ़ी औरत पर गई, जो बारिश में भीगकर गिर पड़ी थी। वह लगभग 70-75 साल की थी, उसके चेहरे पर दर्द साफ दिख रहा था। राजीव ने बिना सोचे-समझे बस रोक दी। यात्रियों ने शोर मचाया, लेकिन राजीव की नजर सिर्फ उस औरत पर थी।
राजीव दौड़कर उस औरत को उठाकर बस में ले आया। कुछ लोग तंज कसने लगे, वीडियो बनाने लगे, लेकिन राजीव ने सबकी परवाह किए बिना कहा, “अगर किसी को जल्दी है तो दूसरी गाड़ी पकड़ लो, इंसानियत के आगे टाइम कभी बड़ा नहीं होता।” राजीव ने बस को सीधे अस्पताल की ओर मोड़ दिया।
अस्पताल में डॉक्टरों ने कहा, “अगर यह महिला एक घंटा और सड़क पर पड़ी रहती तो शायद बचाना मुश्किल होता। आपने इनकी जान बचाई है।” राजीव को संतोष था कि उसने सही किया, लेकिन उसे अंदाजा नहीं था कि यही कदम उसकी नौकरी पर संकट बन जाएगा।

अगले दिन राजीव डिपो पहुंचा, तो माहौल बदला हुआ था। मैनेजर शेखावत ने उसे बुलाया और गुस्से में टर्मिनेशन लेटर थमा दिया – “कंपनी को ऐसे भावुक ड्राइवरों की जरूरत नहीं!” राजीव ने कहा, “आपने नौकरी छीनी है, लेकिन मेरे जमीर की नींद नहीं।” घर लौटते समय उसके बच्चे खुश थे, पत्नी ने भी उसका साथ दिया – “तुमने इंसानियत निभाई है, नौकरी तो फिर मिल जाएगी।”
लेकिन अगले दिन डिपो में बड़ा हंगामा हुआ। कई लग्जरी कारें आईं, सुरक्षाकर्मी उतरे, और उसी महिला को व्हीलचेयर पर लाया गया, जिसे कल सबने भिखारिन समझा था। उसके साथ बड़े अफसर और डॉक्टर थे। कंपनी के मालिक रमेश अग्रवाल खुद आए और सबके सामने बोले, “यह मेरी मां हैं, और राजीव ने कल इनकी जान बचाई। वह हमारा सच्चा हीरो है।”
पूरा डिपो तालियों से गूंज उठा। शेखावत शर्मिंदा होकर माफी मांगने लगा, लेकिन रमेश ने सख्त आवाज में कहा, “यह गलती नहीं, इंसानियत के खिलाफ गुनाह था। आज से तुम इस पद पर नहीं रहोगे।”
राजीव की इंसानियत ने उसे हीरो बना दिया। उसकी ईमानदारी और साहस ने साबित कर दिया कि सही काम करने का फल जरूर मिलता है, चाहे लोग पहले ताने दें या मजाक उड़ाएं।
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