कहानी: ईमानदार कलेक्टर और गरीब की उम्मीद

झारखंड के चित्रपुर जिले में डर और भ्रष्टाचार का माहौल था। पुलिस की वर्दी, जो कभी इज्जत की निशानी थी, अब लोगों के लिए डर का कारण बन चुकी थी। गरीबों की आवाज दबा दी जाती थी, और जुल्म आम बात थी।

इन्हीं हालात में दिल्ली से एक नया डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, विक्रांत सिन्हा, जिले में आया। ईमानदार, शांत और सच्चाई के लिए लड़ने वाला अफसर। उनके साथ उनकी पत्नी प्रेरणा भी थी, जो समझदार और दृढ़ थी।

एक दिन विक्रांत ने देखा कि एक पुलिस वाला सड़क किनारे एक गरीब रेड़ी वाले को धक्का दे रहा है। विक्रांत ने पुलिस वाले से कहा, “अगर गलती है तो कानून से कार्रवाई करो, इंसानियत मत छोड़ो।” पुलिस वाला भड़क गया और विक्रांत को थाने ले गया, बिना उनकी पहचान जाने।

थाने में विक्रांत ने देखा कि एक बूढ़ा आदमी दीवार से सटा बैठा था, चादर ओढ़े, आंखों में आंसू। विक्रांत उसके पास गए और पूछा, “बाबा, आप क्यों रो रहे हैं?”
बूढ़ा बोला, “बेटा, गरीब लोग इस दुनिया में रोने के लिए ही आते हैं। मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि मैंने अपनी बेटी की इज्जत बेचने से मना कर दिया।”

विक्रांत ने पूरी बात सुनी। बाबा की बेटी नीलोफर स्कूल में पढ़ाती थी। डीएसपी यशपाल राणा ने उसे परेशान किया, जब उसने मना किया तो उसके पिता पर चोरी का झूठा इल्जाम लगा दिया गया।

विक्रांत ने बाबा को भरोसा दिलाया, “सच्चाई ज्यादा दिन छुप नहीं सकती, मैं वादा करता हूं, इस जुल्म का अंत होगा।”

उधर प्रेरणा ने एसपी विजय कुमार को सब बता दिया। रात में एसपी खुद थाने पहुंचे और विक्रांत की पहचान पता चलने पर सब हैरान रह गए। विक्रांत ने तुरंत आदेश दिया—
“राजेश पांडे और उसके साथियों को सस्पेंड करो। बाबा के केस की फाइल कल तक मेरे ऑफिस में चाहिए।”

अगले दिन विक्रांत ने डीएसपी राणा को ऑफिस बुलाया। विक्रांत ने सबूतों के साथ पूछा, “गरीबों पर जुल्म क्यों किया?”
राणा ने घमंड में कहा, “सर, मुझे फंसाया जा रहा है।”
विक्रांत बोले, “अब कानून तय करेगा सच क्या है।”
उन्होंने राणा को सस्पेंड करने का आदेश दिया।

जिले में यह खबर फैल गई। जनता में उम्मीद जगी, लेकिन ताकतवर लोग बेचैन हो गए। एमएलए राजेंद्र सिंह ने विक्रांत को हटाने के लिए सरकार पर दबाव डाला। लेकिन केंद्र सरकार ने आदेश दिया कि विक्रांत का ट्रांसफर बिना उनकी इजाजत के नहीं हो सकता।

फिर विक्रांत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर सब कुछ जनता के सामने रखा—कैसे गरीबों पर झूठे केस डाले गए, कैसे भ्रष्ट अधिकारी और नेता मिले हुए थे।
उन्होंने कहा, “कानून सबके लिए बराबर है। जिले का हर नागरिक मेरी जिम्मेदारी है, चाहे मुझे इसकी कितनी भी कीमत चुकानी पड़े।”

यह वीडियो वायरल हो गया। जनता सड़कों पर उतर आई—”हम विक्रांत सिन्हा के साथ हैं। डीसी साहब जिंदाबाद!”

इस तरह चित्रपुर जिले में बदलाव की शुरुआत हुई। गरीबों को इंसाफ मिलने लगा, और लोगों में उम्मीद जाग गई।