एक गरीब बच्चे का साहस और करोड़पति की नई जिंदगी

यह कहानी दिल्ली के एक भीड़भाड़ वाले चौराहे से शुरू होती है, जहां चिलचिलाती दोपहर की धूप थी। वहीं, पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में 10 साल का अमन अपने फटे-पुराने कपड़ों और चमकती आंखों के साथ कूड़ा बीनकर पेट भरने की जुगत लगाता था। उसकी गरीबी उसके चेहरे पर साफ झलकती थी, पर उसकी हिम्मत और सूझबूझ भी उतनी ही मजबूत थी।

इसी दौरान, कुछ दूर कनॉट प्लेस के पास, दिल्ली के जाने-माने उद्योगपति आदित्य मल्होत्रा अपनी महंगी लग्जरी कार में ट्रैफिक में फंसे हुए थे। आदित्य बाहर से भले ही बहुत सफल थे, लेकिन अपने बेटे अरनव को एक दुर्घटना में खोने के बाद वो अंदर से बेहद अकेले और बुझ गए थे।

अचानक, चौराहे पर एक ब्रेक फेल ट्रक तेज़ी से आदित्य की कार की ओर बढ़ने लगा। भीड़ और शोरगुल में कोई ध्यान नहीं दे रहा था। अमन ने जब यह खतरा देखा, तो बिना डरे, बिना किसी की मदद और चिंता किए, सीधा आदित्य की कार की ओर दौड़ा। उसने पत्थर मारकर कार का शीशा तोड़ा और जोर-जोर से चिल्लाया, “साहब, पीछे ट्रक आ रहा है!”

आदित्य ने अचानक पीछे देखा, तो उनके होश उड़ गए। उनके ड्राइवर ने फौरन गाड़ी आगे बढ़ाई। अगले ही पल ट्रक वहां से गुजर गया जहाँ कुछ सेकेंड पहले उनकी कार थी। अगर अमन ने साहस नहीं दिखाया होता, तो शायद आदित्य की जान चली जाती।

आदित्य हांफते हुए कार से बाहर आए और उस गरीब बच्चे को देखा, जिसने उनकी जान बचाई थी। आभार से भरे आदित्य ने अमन से उसका नाम और घर पूछा। अमन ने सिर झुका कर कहा, “मेरा कोई घर नहीं है साहब।” आदित्य की आंखों में अपने बेटे अरनव की छवि चमक गई—महज उम्र में समानता ही नहीं, बल्कि वही मासूमियत, साहस और दया।

आदित्य ने उसी वक्त अमन से कहा, “आज से तुम्हारा घर मेरे साथ होगा।” वे अमन को अपने आलीशान बंगले ले गए। अमन के लिए यह किसी सपने जैसा था—नई वर्दी, अच्छा खाना, स्कूल और ढेर सारा प्यार। धीरे-धीरे अमन, आदित्य की जिंदगी का सबसे जरूरी हिस्सा बन गया। अमन की मुस्कान और खुशहाली ने आदित्य के भीतर की खाली जगह भर दी थी।

कुछ समय बाद, आदित्य ने अमन को बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए अपनी संपत्ति, व्यवसाय और नाम उसे सौंप दिया। “अब तुम्हें ही इसे संभालना होगा, बेटा,” आदित्य ने कहा। अमन बड़ा होकर न सिर्फ सफल व्यापारी बना, बल्कि अनगिनत अनाथ और गरीब बच्चों के जीवन में उजाला भी लाया।

आज भी दिल्ली का वही चौराहा गवाही देता है कि कैसे एक छोटे से गरीब बच्चे की हिम्मत और इंसानियत अमीर से अमीर आदमी की जिंदगी बदल सकती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि असली हीरो वही हैं, जो बिना मांगे किसी की जिंदगी बदल दें।