बीवी के इलाज के लिए भीख मांग रहा था, डॉक्टर निकली उसकी बिछड़ी हुई बहन, फिर  जो हुआ | Emotional story

यह कहानी उत्तराखंड के ऋषिकेश की है। एक बड़े प्राइवेट अस्पताल के गेट पर सुबह-सुबह भीड़भाड़ थी। उसी भीड़ में एक फटी चादर पर अर्जुन बैठा था, उसके सामने कटोरे में कुछ सिक्के पड़े थे। पास ही उसका बेटा आर्यन लेटा था, जिसकी सांसें तेज-तेज चल रही थीं और चेहरा पीला पड़ चुका था। अर्जुन हर आने-जाने वाले से हाथ जोड़कर कहता, “मेरे बच्चे का इलाज करवा दो, भगवान तुम्हारा भला करेगा।”
कुछ लोग दया से कुछ पैसे दे देते, कुछ ताना मारते, “काम क्यों नहीं करते?” मगर अर्जुन की मजबूरी उन तानों से कहीं बड़ी थी। उसके पास इलाज के पैसे नहीं थे और बेटा मौत से जूझ रहा था।

तभी अस्पताल में एक काली चमचमाती कार आई। उसमें से उतरी एक महिला डॉक्टर – सफेद कोट, गले में स्टेथोस्कोप, चेहरे पर आत्मविश्वास। वो अस्पताल की सीनियर डॉक्टर थी।
गेट की ओर बढ़ते हुए उसकी नजर अर्जुन और उसके बेटे पर पड़ी। एक पल के लिए उसकी चाल धीमी हो गई। बच्चे का चेहरा पीला, सांसें कमजोर, अर्जुन के बिखरे बाल और आंसुओं से भरी आंखें। डॉक्टर का चेहरा बदल गया, उसकी आंखें ठिठक गईं।
वो चेहरा अजनबी नहीं था, बल्कि वही इंसान था जिसके साथ उसने कभी सात फेरे लिए थे।
अर्जुन ने सिर उठाया, सामने खड़ी थी नंदिनी – उसकी तलाकशुदा पत्नी।
नंदिनी का चेहरा सख्त हो गया, लेकिन आंखों में तूफान था। अर्जुन से नजरें मिल