रणविजय और सिया की कहानी: असली जीत

शाम के 7 बजे थे। शहर के सबसे बड़े होटल रॉयल पैलेस में रणविजय कपूर की शादी का जश्न चल रहा था। चारों तरफ रोशनी, फूलों की सजावट, महंगे कपड़ों में सजे लोग और हर कोई इस भव्य शादी में शामिल होने के लिए उत्साहित था। रणविजय, वही करोड़पति बिजनेसमैन, गर्व से सबका स्वागत कर रहा था। लेकिन उसकी मुस्कान के पीछे एक छुपा हुआ इरादा था—उसने जानबूझकर अपनी पुरानी पत्नी सिया को भी बुलाया था, ताकि सबको दिखा सके कि उसने उसे छोड़कर सही किया।

शाम बढ़ती गई। तभी होटल के गेट पर एक चमचमाती ब्लैक रोल्स रॉयस आकर रुकी। उसमें से उतरी सिया—सुनहरी साड़ी में, चेहरे पर आत्मविश्वास और आंखों में चमक। उसके साथ थे तीन बच्चे—दो बेटियां और एक बेटा। भीड़ का शोर पल भर में थम गया। सब फुसफुसाने लगे, “ये तो रणविजय की एक्स वाइफ है!” रणविजय की आंखें फटी रह गईं। उसने सोचा था सिया टूटी-फूटी हालत में आएगी, लेकिन सिया तो बिल्कुल अलग, मजबूत और खूबसूरत दिख रही थी।

रणविजय के मन में पुरानी यादें ताजा हो गईं—कैसे उसने सिया को नीचा दिखाया, ताने मारे, और एक दिन तलाक देकर छोड़ दिया। उसने कहा था, “तुम मेरे स्टेटस के लायक नहीं हो, तुमसे मुझे सिर्फ शर्म ही मिल सकती है।” सिया ने तलाक के कागजों पर साइन करते हुए सिर्फ इतना कहा था, “एक दिन यही दुनिया तुम्हें मेरे बच्चों के नाम से पहचानेगी।”

"करोड़पति ने तलाक़शुदा पत्नी को शादी में बेइज़्ज़त करने बुलाया- पर जब वो पहुँची तो....

तलाक के बाद सिया मायके लौट गई। मां ने उसे हिम्मत दी। वक्त बीता, और कुछ महीनों बाद भगवान ने सिया को सबसे बड़ा तोहफा दिया—वह मां बनने वाली थी। उसने तीन बच्चों को जन्म दिया और अकेले पाला। दिन-रात मेहनत की, कभी ट्यूशन पढ़ाकर, कभी छोटे-मोटे काम करके। बच्चों की खुशियों के लिए उसने अपनी जरूरतें भुला दीं।

उधर रणविजय ने दूसरी शादी कर ली, लेकिन वह रिश्ता भी सिर्फ दिखावे का था। रिया अक्सर कहती, “तुम्हें रिश्तों की कोई अहमियत नहीं है।” रणविजय को धीरे-धीरे एहसास होने लगा कि उसने सिया को छोड़कर गलती की थी।

सिया ने अपने बच्चों के लिए घर से ही छोटा कारोबार शुरू किया—हाथ से बने कपड़े और क्राफ्ट आइटम्स ऑनलाइन बेचना। बच्चों ने भी मदद की। धीरे-धीरे उसका काम बढ़ता गया, उसका नाम मार्केट में फैल गया। एक दिन एक नामी डिजाइनर ने उसका काम देखा और टाई-अप का ऑफर दिया। अब सिया सिर्फ एक छोटी उद्यमी नहीं, बल्कि एक उभरती हुई बिजनेस वुमन बन गई थी। मीडिया ने उसकी कहानी उठाई—”एक सिंगल मदर ने बनाई करोड़ों की कंपनी।”

कुछ साल बाद रणविजय की तीसरी शादी तय हुई। इस बार शादी का कार्ड सिया के नाम भी आया। सिया ने बच्चों का हाथ थामा, सुनहरी साड़ी पहनी और रोल्स रॉयस में रणविजय की शादी में पहुंची। उसकी मौजूदगी ने पूरे हॉल का माहौल बदल दिया। जिस औरत को रणविजय ने कभी अपमानित किया था, वही आज उसकी सबसे बड़ी हार बनकर खड़ी थी।

रणविजय ने पूछा, “तुम यहां क्यों आई हो?”
सिया ने उसकी आंखों में सीधे देखा और कहा, “मैं आई हूं तुम्हें यह दिखाने कि जिसे तुमने कभी टूटने दिया, वही आज खड़ी है। जिसे तुमने मां बनने लायक नहीं समझा, वही आज तीन बच्चों की मां है। यही असली जीत है।”

हॉल में सन्नाटा छा गया। लोग बोले, “देखो, असली दौलत दिल, इरादों और रिश्तों में होती है।” रणविजय की आंखों में पछतावे के आंसू थे, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। सिया ने बच्चों का हाथ पकड़ते हुए कहा, “चलो बच्चों, हमें अपनी खुशियों की ओर बढ़ना है।”

सिया ने पीछे मुड़कर रणविजय को देखा, उसकी आंखों में कोई नफरत नहीं थी, सिर्फ सच्चाई का आईना था। रणविजय करोड़पति था, लेकिन अंदर से पूरी तरह टूट चुका था। सिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “जो लोग तुम्हें बोझ समझते हैं, वही एक दिन तुम्हारी ताकत बनते हैं। असली शक्ति और सम्मान संघर्ष, धैर्य और सच्चाई में छिपा होता है।”