राजमहल रेस्टोरेंट का मालिक – आर्यन शर्मा की कहानी

शहर के सबसे मशहूर और आलीशान राजमहल रेस्टोरेंट का मालिकाना हक आर्यन शर्मा के पास था। लेकिन एक दिन उसी रेस्टोरेंट में, सैकड़ों लोगों के सामने, उसे अपनी प्रेमिका के नए प्रेमी के जूते घुटनों पर बैठकर साफ करने पड़े। आखिर क्यों एक करोड़पति ने ऐसी अपमानजनक जिंदगी चुनी थी? इसका जवाब छिपा था विश्वास और विश्वासघात के जटिल खेल में।

कुछ महीने पहले, आर्यन ने अपनी करोड़ों की पहचान छुपाकर एक साधारण वेटर की नौकरी शुरू की थी। उसके पिता, अर्जुन शर्मा, ने ईमानदारी और मेहनत से राजमहल को शहर का सर्वश्रेष्ठ रेस्टोरेंट बना दिया था। पिता की अचानक मृत्यु के बाद, सारा जिम्मा आर्यन के कंधों पर आ गया। लेकिन जल्द ही उसे महसूस हुआ कि रेस्टोरेंट में कोई गहरा षड्यंत्र चल रहा है। कर्मचारियों की फुसफुसाहट और खातों में गड़बड़ी देखकर उसने अपनी असली पहचान छुपाई और एक वेटर बनकर काम करने लगा।

यह बात किसी को नहीं पता थी, न रिश्तेदारों को, न दोस्तों को, यहां तक कि उसकी प्रेमिका रिया को भी नहीं। आर्यन ने रिया के सामने खुद को एक साधारण नौकरीपेशा बताया था, ताकि देख सके कि रिया उससे प्यार करती है या उसके धन से। शुरू में सब ठीक था, लेकिन समय के साथ रिया का असली रूप सामने आ गया। रिया बहुत महत्वाकांक्षी और विलासी थी। उसे आर्यन की मामूली नौकरी शर्मिंदगी लगती थी। वह अक्सर ताने मारती कि उसकी सहेलियां महंगी कारों में घूमती हैं और वह लोकल बस में जाती है।

आर्यन चुपचाप सब सहता रहा, सोचता था कि एक दिन जब वह अपनी असली पहचान बताएगा, तब रिया बहुत खुश होगी। लेकिन रेस्टोरेंट में मैनेजर मोहन सिंह का व्यवहार और भी अपमानजनक था। एक दिन गलती से पानी गिर जाने पर, मोहन सिंह ने सबके सामने आर्यन को कान पकड़कर उठक-बैठक करने को मजबूर किया। आर्यन ने सब सह लिया, पिता के सपनों को बचाने के लिए।

एक दिन रिया ने उसे अपनी सहेली के जन्मदिन पर चलने को कहा। आर्यन साधारण कपड़ों में गया, और वहां सबने उसका मजाक उड़ाया। रिया ने भी उसे अपना दूर का रिश्तेदार कहकर पहचानने से इनकार कर दिया। एक लड़के ने तो उसे वेटर कहकर अपमानित किया, और पेय का ग्लास उसकी शर्ट पर गिरा दिया। रिया ने मदद करने की बजाय डांट दिया।

सबसे बड़ा अपमान तब हुआ जब रिया अपने नए प्रेमी समीर के साथ रेस्टोरेंट आई। समीर ने जानबूझकर अपने महंगे जूते पर सॉस गिरा दी और आर्यन को घुटनों पर बैठकर जूते साफ करने को कहा। मोहन सिंह ने भी दबाव डाला। आर्यन ने कांपते हाथों से जूते साफ किए। रिया ने जाते-जाते तिरस्कार से कहा, “इसी गंदी हालत में तुझे सूट करता है, मेरे सामने कभी मत आना।”

उस रात के बाद आर्यन बदल गया। उसके अंदर प्रतिशोध की आग जल उठी। अपने विश्वसनीय शेफ करण चाचा की मदद से उसने मोहन सिंह की सारी भ्रष्टाचार के सबूत इकट्ठे किए। राजमहल की दसवीं वर्षगांठ के मौके पर, जब मोहन सिंह मंच पर अपनी सफलता का गुणगान कर रहे थे, आर्यन ने सबके सामने उनकी पोल खोल दी। वीडियो और दस्तावेज़ों के जरिए मोहन सिंह की सारी काली करतूतें उजागर हो गईं। पुलिस ने मोहन सिंह को गिरफ्तार कर लिया।

आर्यन ने सबके सामने अपनी असली पहचान बताई – “मेरा नाम आर्यन शर्मा, स्वर्गीय अर्जुन शर्मा का बेटा और राजमहल का मालिक।” यह सुनकर सब हैरान रह गए। अगले दिन आर्यन का नाम शहर में मशहूर हो गया। रिया को जब यह खबर मिली, वह पछतावे में डूब गई। कुछ दिनों बाद वह आर्यन के ऑफिस आई, माफी मांगने लगी। लेकिन आर्यन ने साफ कह दिया, “जिस दिन सब मुझे लेकर हंस रहे थे, तूने मेरा साथ नहीं दिया। तूने राजमहल के मालिक को प्यार किया, वेटर आर्यन को नहीं। मेरी जिंदगी में अब तेरा कोई स्थान नहीं।”

रिया टूटे दिल से चली गई। आर्यन ने उसकी ओर देखा भी नहीं। उसकी नजरें एक नई सुबह की ओर थीं, जहां अपमान की आग से तपकर एक मजबूत और नेक दिल लीडर तैयार हुआ था।