सुबह का समय था।
इमारत के सामने लोग अपनी गाड़ियों से उतर रहे थे। उनके सूट, टाई और चमकते जूते उनकी शख्सियत को बयां कर रहे थे। हर चेहरे पर जल्दबाजी और कामयाबी की भूख साफ़ झलक रही थी। उसी भीड़ में एक नौजवान खामोश कदमों से चलते हुए इमारत के केंद्रीय दरवाजे पर पहुँचा। उसके कंधे पर पुराना सा बैग था, कपड़ों पर हल्की सी शिकन और जूते इतने घिसे हुए जैसे बरसों से सफर करते चले आ रहे हों। उसका नाम था आर्यन ।
किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया, क्योंकि उनकी नजरों में वह एक मामूली मजदूर लग रहा था। लेकिन हकीकत यह थी कि आर्यन आम नहीं था। वह उसी कंपनी का असली वारिस और आने वाला मालिक था। बाहर के देश से पढ़ाई पूरी करके लौटा था, बड़े संस्थान में इंटर्नशिप भी की थी। मगर अपनी असलियत छुपा ली थी। उसने फैसला किया कि अगर उसे नेतृत्व संभालना है तो सबसे पहले यह जानना होगा कि उसकी टीम वाकई कैसी है। कौन ईमानदार है, कौन चापलूस और कौन अपनी कुर्सी के नशे में इंसानियत भूल चुका है।
इसीलिए उसने सफाई कर्मचारी का भेष अपनाया। हाथ में झाड़ू पकड़ा, कमर झुकाई और इमारत के अंदर कदम रखा।
दरवाजे के भीतर दाखिल होते ही उसे तेज़ कदमों की आहट सुनाई दी। एक महिला हाई हील पहने उसकी तरफ बढ़ रही थी। उसका नाम था **संजना**। कंपनी की असिस्टेंट मैनेजर, सख्त मिजाज और अपने मातहतों पर रौब जमाने में मशहूर। उसकी निगाहें आर्यन पर पड़ते ही तेज़ हो गईं। उसने ऊपर से नीचे तक उसे घूरा और सख्त लहजे में बोली,
“यहाँ क्यों खड़े हो? फौरन सफाई करो। यह जगह तुम्हारे खड़े होने की नहीं है।”
आर्यन ने सर झुका लिया। लम्हा भर के लिए दिल में चुभन सी उठी, मगर चेहरे पर सुकून रखा। खामोशी से झाड़ू उठाया और कोने की तरफ बढ़ गया। उसके लिए यह जिल्लत बर्दाश्त करना आसान नहीं था, लेकिन वह जानता था कि असली मकसद कुछ और है। यह खेल नहीं, बल्कि एक बड़ा इम्तिहान है जिसमें कामयाब होना ज़रूरी है।
संजना ने जाते-जाते तंज में कहा,
“यहाँ सफाई करने वाले पुराने खाकरूब की तरह सुस्ती मत दिखाना, वरना ज्यादा दिन नहीं चल सकोगे।”
उसके अल्फाज़ सुनकर इर्द-गिर्द के कुछ कर्मचारी मुस्कुराए, किसी ने हँसी छुपाई और कोई अपनी फाइलों में मुँह छुपाकर निकल गया। किसी ने सोचा भी नहीं कि जिसे वे मामूली सफाई कर्मचारी समझ रहे हैं, वही कल उनकी किस्मत का फैसला करने वाला है।

आर्यन ने झाड़ू जमीन पर फेरा। दिल में अहद किया कि वह सब कुछ देखेगा, सहेगा और फिर वक्त आने पर सच सबके सामने लाएगा।
पैंट्री का माहौल हमेशा की तरह शोर-गुल से भरा हुआ था। कुछ कर्मचारी बातें कर रहे थे, कुछ कॉफी के मग हाथ में लिए गपशप कर रहे थे। आर्यन खामोशी से झाड़ू लिए एक कोने में सफाई में मशगूल था। उसकी निगाहें जमीन पर थीं लेकिन कान हर बात सुन रहे थे।
अचानक एक महिला ने जोर से ठहाका लगाया और इशारा करते हुए बोली,
“अरे देखो, नया सफाई कर्मचारी बिल्कुल देहाती लग रहा है। शायद पहली बार किसी बड़ी इमारत में आया है।”
उसके साथ बैठी दूसरी लड़की ने फौरन कहा,
“हाँ बिल्कुल। लगता है लिफ्ट का बटन दबाना भी नहीं आता होगा।”
दोनों के साथ बैठे एक और कर्मचारी ने और तौहीन करते हुए कहा,
“कल को यह कहीं हमारे साथ कैंटीन में बैठकर खाना ना मांगने लगे।”
इन सबकी हँसी एक साथ गूँजी। माहौल में तिरस्कार और अहंकार की बू फैल गई। लेकिन आर्यन ने सर ना उठाया। उसके होठों पर हल्की सी खामोश मुस्कान थी। दिल ही दिल में वह इन सबके चेहरे याद करता रहा। वह जानता था कि ऐसे ही लम्हें असली इम्तिहान होते हैं जहाँ इंसान के किरदार का पता चलता है।
कुछ देर बाद सब अपने कहकों और कॉफी के कप खत्म करके पैंट्री से निकल गए। आर्यन अब भी सफाई में मशगूल था। उसके अंदर कहीं गुस्से की हल्की चिंगारी जरूर सुलग रही थी, मगर उसने अपने दिल को ठंडा किया। वह जानता था कि अगर जज़्बात में आ गया तो पूरा मंसूबा जाया हो जाएगा। उसे सब्र और हिकमत के साथ आगे बढ़ना था।
शाम ढलने लगी। दफ्तर के बाहर रोशनियों के बीच एक चमकती हुई कीमती गाड़ी आकर रुकी। आर्यन ने देखा कि संजना फोन कान पर लगाए गाड़ी में बैठ रही है। उसके चेहरे पर गुरूर और अंदाज में अहंकार साफ़ नजर आ रहा था। सिक्योरिटी गार्ड ने दरवाजा खोला और वह मुस्कुरा कर अंदर बैठ गई।
फोन पर उसके अल्फाज़ आर्यन के कानों तक पहुंचे,
“हाँ हनी, आज रात मुझे फाइव स्टार रेस्टोरेंट ले जाना। मैं कोई सस्ता कैफे बर्दाश्त नहीं कर सकती।”
आर्यन ने लम्हा भर के लिए उस मंज़र को गौर से देखा, फिर आहिस्ता से अपनी निगाहें झुका ली। उसके दिल में एक ही ख्याल आया,
“यह गुरूर ज्यादा दिन नहीं चलने वाला। ताकत और हैसियत इंसान को हमेशा नहीं बचा सकती। एक दिन सच्चाई सबके सामने आएगी।”
वह खामोश कदमों से इमारत से बाहर निकला। शाम की ठंडी हवा ने उसके थके जिस्म को छुआ, मगर उसकी आँखों में एक अज़्म की चमक थी। यह शुरुआत थी एक तवील खेल की जिसमें हर झूठ, हर अहंकार और हर नाइंसाफी बेनकाब होनी थी।
**दफ्तर में दिन बीतते गए।**
आर्यन ने हर कोने में होने वाली हरकतों को करीब से देखना शुरू कर दिया। एक दिन दोपहर के वक्त कंपनी की कोऑपरेटिव सोसाइटी के कमरे से खबर आई कि वहाँ से कुछ रकम गायब हो गई है। खबर सुनते ही दफ्तर में हलचल मच गई। सब लोग बातें करने लगे, कोई कह रहा था कि शायद कागजात में गलती हुई है, तो कोई कह रहा था कि यह यकीनन किसी अंदरूनी कर्मचारी का काम है।
अभी शोर जारी था कि संजना तेज़ कदमों के साथ हॉल में दाखिल हुई। उसके हाथ में कागजात थे और चेहरे पर गुस्से की लाली। उसने सबके सामने जोर से कहा,
“मुझे सब मालूम है कि पैसे किसने चुराए हैं। यह हरकत किसी और की नहीं बल्कि फिरोज की है।”
फिरोज जो उस वक्त पानी का गैलन उठाए कमरे में आया था, हैरत से संजना की तरफ देखने लगा।
“मैडम, मैंने कुछ नहीं किया। मैं तो सिर्फ पानी रखने आया था। पैसों को हाथ भी नहीं लगाया।”
मगर संजना ने एक ना सुनी। उसने सबके सामने फिरोज को सख्त अल्फाज़ में लताड़ा।
“बस करो, तुम जैसे लोग ही कंपनी की बदनामी का सबब बनते हैं। तुम्हें तो यहाँ से निकाल देना चाहिए।”
इर्दगिर्द खड़े कर्मचारी खामोश थे। कोई एक भी हिम्मत ना कर सका कि फिरोज के हक में कुछ कह सके। सब जानते थे कि संजना के ताल्लुकात बड़े अफसरों से हैं और उससे उलझना अपने करियर को दांव पर लगाने के बराबर है। एचआर को फौरन सूचना दी गई और उन्होंने फिरोज़ को सख्त वार्निंग जारी कर दी। फिरोज़ का चेहरा जर्द पड़ गया। वह चुपचाप सर झुकाए कमरे से निकल गया।
आर्यन दूर खड़ा यह सब मंज़र देख रहा था। उसका दिल टूट गया। वह जानता था कि फिरोज बेकसूर है, मगर सबने बस अपनी आँखें फेर लीं।
रात को जब दफ्तर खाली हो गया तो आर्यन खामोशी से सिक्योरिटी रूम में गया। उसने कंप्यूटर पर जाकर कमरे के कैमरे की रिकॉर्डिंग खोली।
स्क्रीन पर साफ़ दिखा कि फिरोज कमरे में आया, गैलन रखा और फौरन वापस निकल गया। उसने पैसों के डिब्बे को छुआ तक नहीं।
यह देखकर आर्यन ने सुकून की साँस ली। मगर साथ ही दिल में गुस्से की आग भड़क उठी। उसने फौरन वीडियो कॉपी करके अपने पास महफूज़ कर ली।
उसने खुद से कहा,
“वक्त बदलने वाला है। यह ज़ुल्म ज्यादा देर नहीं चल सकता।”
वह रात आर्यन के लिए फैसला कुन थी। उसने तय कर लिया कि अब वह सिर्फ देखने वाला नहीं रहेगा बल्कि जल्द ही इस निजाम को हिला देगा।
**संजना का रवैया और भी सख्त हो गया था।**
अब वह आर्यन को भी बार-बार निशाना बनाने लगी। कभी उस पर चिल्लाती कि उसने मग ठीक से साफ नहीं किया, कभी दूसरों के सामने उसे बेइज्जत करती कि उसका काम सुस्त और निकम्मा है। बाकी कर्मचारी या तो चुपचाप तमाशा देखते या हँसकर माहौल में और तिरस्कार का रंग भर देते।
आर्यन ने यह सब बर्दाश्त किया। लेकिन उसके अंदर एक मंसूबा परवान चढ़ने लगा। वह जानता था कि अगर खामोश रहा तो ना सिर्फ फिरोज बल्कि हर कमजोर कर्मचारी यूँ ही दबाया जाता रहेगा। लिहाजा उसने फैसला किया कि अब वक्त है कि हकीकत को सबके सामने लाया जाए।
रात गए जब दफ्तर खाली हो जाता तो आर्यन पुराने कंप्यूटर रूम में जाता। वहाँ पुराने रिकॉर्ड रखे जाते थे और कम ही कोई आता था। वहाँ मौजूद एक कंप्यूटर कंपनी के केंद्रीय नेटवर्क से जुड़ा हुआ था। आर्यन ने अपनी तालीम और तजुर्बे की बुनियाद पर सिस्टम में रसाई हासिल कर ली। उसने फाइलों को खंगालना शुरू किया।
एक के बाद एक रिपोर्ट सामने आती गई। उसने देखा कि कई जाली रिपोर्टें तैयार की गई हैं, जिनमें गैर जरूरी खर्चे दिखाए गए थे।
हैरत की बात यह थी कि सब के सब बोनस और अतिरिक्त लाभ संजना के नाम पर जा रहे थे। वह एक मामूली असिस्टेंट मैनेजर होने के बावजूद इतने फायदे हासिल कर रही थी जिनका कोई औचित्य नहीं था।
आर्यन ने उन तमाम रिपोर्टों को इकट्ठा करके एक खुफिया फाइल बना ली। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। अब उसे बस एक मौका चाहिए था कि यह सब कुछ सबके सामने लाए।
**अगली सुबह दफ्तर का माहौल रोज़ की तरह था।**
अचानक 9:00 बजे के करीब सबके कंप्यूटर पर एक ही वक्त में एक खुफिया ईमेल दिखाई दी। उस ईमेल में संजना के जाली बोनस और रिपोर्टों की तफसील थी। साथ ही कुछ कागजात भी संलग्न थे, जिन पर संजना का नाम साफ़ दर्ज था।
पूरे दफ्तर में खलबली मच गई। कर्मचारी एक दूसरे से बातें करने लगे,
“क्या यह सच है?”
“यह तो बड़ी गड़बड़ है।”
“यह सब कैसे मुमकिन है?”
संजना का चेहरा एकदम जर्द पड़ गया। उसने फौरन ईमेल बंद करने की कोशिश की मगर अब देर हो चुकी थी। उसके गुरूर में पहली दरार पड़ चुकी थी।
**अब संजना को शक हुआ कि उसके खिलाफ कोई साजिश हो रही है।**
उसने अपनी करीबी दोस्त रीमा को बुलाया, जो कंपनी में क्लर्क थी।
“रीमा, मुझे लगता है कि इसके पीछे नया सफाई कर्मचारी आर्यन है। वह मुझे शुरू से शक़ी लगता है। तुम्हें उस पर नजर रखनी होगी।”
रीमा चौंक गई,
“एक सफाई कर्मचारी इतना बड़ा खेल खेल सकता है?”
संजना ने तंजिया मुस्कान के साथ कहा,
“यकीन करो, कभी-कभी सबसे कमजोर नजर आने वाले लोग ही सबसे ज्यादा खतरनाक साबित होते हैं।”
अगले दिन रीमा ने आर्यन के करीब जाने की कोशिश की। उसने फिरोज से दोस्ती का दिखावा किया और वक़्त के दौरान पैंट्री में आर्यन के पास आ बैठी।
वह नरम लहजे में बोली,
“अरे भाई, तुम तो बहुत मेहनत करते हो। इतनी मशक्कत से गुज़ारा हो जाता है?”
आर्यन फौरन समझ गया कि यह सब संजना के कहने पर हो रहा है। लेकिन उसने अपने चेहरे पर मासूमियत कायम रखी और मुस्कुरा कर जवाब दिया,
“मैं तो यतीम हूं। बचपन से मजदूरी करके पेट पाला है। बड़ी इमारत में काम करना भी मेरे लिए ख्वाब जैसा है।”
रीमा ने यही बात जाकर संजना को बताई,
“वह तो बस एक गरीब मजदूर है। मुझे नहीं लगता वह इतनी बड़ी चाल चल सकता है।”
संजना ने सुकून की सांस ली, मगर दिल के किसी कोने में शक की चिंगारी अभी बाकी थी।
दूसरी तरफ आर्यन ने सुकून से झाड़ू लगाते हुए दिल में कहा,
“यह लोग समझते हैं कि मैं मामूली हूं। मगर असली खेल तो अभी शुरू हुआ है।”
उसने फैसला किया कि अब वह अगला कदम ज्यादा एहतियात से उठाएगा। उसकी रणनीति यही थी कि संजना और उसके साथी कभी भी असल साजिश का सुराग ना पा सकें। उसे पता था कि अगर वह अपनी असलियत जाहिर कर दे तो सारा मंसूबा खाक में मिल जाएगा।
**उस रात आर्यन ने अपने कमरे में बैठकर नोटबुक खोली और वह सब चेहरे लिखने लगा जिन्होंने उसे जलील किया था।**
उसने खुद से वादा किया कि हर एक को वक्त आने पर आईना दिखाएगा।
**कुछ दिन बाद कंपनी के एक बड़े क्लाइंट ने अचानक अनुबंध रद्द करने का ऐलान कर दिया।**
यह खबर बिजली की तरह फैली। क्लाइंट ने बाकायदा एक खत भेजा जिसमें साफ लिखा था कि प्रोजेक्ट की फाइलों में जाली बिलिंग और अतिरिक्त खर्चे दर्ज हैं। साथ ही कुछ दस्तावेज भी संलग्न थे जिन पर संजना के दस्तख्त थे।
दफ्तर में खलबली मच गई। मैनेजर एक दूसरे पर इल्जाम लगाने लगे, मगर सबकी निगाहें आखिरकार संजना पर टिक गईं। एचआर ने फौरन एक हंगामी मीटिंग बुलाई।
कॉन्फ्रेंस रूम में माहौल सख्त तनाव का था। संजना कुर्सी पर बैठी पसीना पोंछ रही थी।
एचआर मैनेजर ने सर्द लहजे में कहा,
“संजना जी, यह सब आपके दस्तख्त से मंजूर हुआ है। वजाहत दीजिए।”
संजना बौखला गई,
“यह सब झूठ है। शायद सिस्टम में कोई गलती हो गई हो। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया।”
मगर सामने पड़े कागजात उसके झूठ को चीख-चीख कर बेनकाब कर रहे थे।
उसी लम्हे आर्यन कमरे में दाखिल हुआ। मगर अब वह महज सफाई कर्मचारी नहीं था। उसने एक नया नाम अपना रखा था — रियाज हफिया। ऑडिट टीम के सहायक के तौर पर वहीं मौजूद था। सब हैरान रह गए कि यह सफाई कर्मचारी अचानक ऑडिट टीम में कैसे शामिल हो गया।
आर्यन ने खामोशी से एक फाइल मेज पर रखी,
“यह देख लीजिए। यह वो सबूत हैं जिनमें रिश्वत के ट्रांसफर्स और जाली दस्तख्त सब कुछ साफ है।”
कमरे में सन्नाटा छा गया। सब ने कागजात पर निगाहें दौड़ाई। वहाँ साफ दिखाया गया था कि संजना ने कई प्रोजेक्ट्स में गैरकानूनी कमीशन वसूल किए और रकम अपने निजी अकाउंट में ट्रांसफर करवाई।
संजना के हाथ कांपने लगे। उसने रोने के अंदाज में कहा,
“यह सब मेरे खिलाफ साजिश है। कोई अंदर से मेरा दुश्मन है।”
मगर उसकी आवाज कमजोर थी। अब किसी को उसके अल्फाज़ पर यकीन ना आया।
एचआर मैनेजर ने कुर्सी से झुककर कहा,
“हम आगे और जांच करेंगे, लेकिन शुरुआती सबूत आपके खिलाफ हैं। फिलहाल आपकी तमाम लाभ और बोनस रोक दिए जाते हैं।”
संजना की आँखों में डर उतर आया जो कल तक सबको नीचा दिखाती थी, आज खुद सबके सामने बेनकाब हो रही थी।
आर्यन ने दिल ही दिल में सोचा,
“यह तो सिर्फ आगाज है। असली खेल अभी बाकी है।”
**कुछ दिन बाद कंपनी के तमाम कर्मचारियों को एक हंगामी संदेश भेजा गया।**
सबको बड़े हॉल में जमा होने का आदेश दिया गया था। माहौल में अजीब सा डर और उत्सुकता थी। लोग सोच रहे थे कि शायद यह सब संजना के केस से संबंधित है।
हॉल में एक लंबा स्टेज तैयार था। स्टेज पर सीनियर डायरेक्टर खड़े हुए। उनके चेहरे पर गंभीरता झलक रही थी।
उन्होंने माइक के करीब जाकर कहा,
“दोस्तों, इस कंपनी को सालों पहले एक ख्वाब की तरह बनाया गया था। मगर ख्वाब सिर्फ मेहनत और ईमानदारी से हकीकत बनते हैं। कुछ वक्त पहले कंपनी के असली वारिस ने एक फैसला किया कि वह आप सबका असली किरदार देखना चाहता है। उसने अपनी पहचान छुपाई, सफाई कर्मचारी का रूप धारा और रोज़ाना आप सबके बीच रहा।”
यह सुनते ही हॉल में खलबली मच गई। सबकी निगाहें एक दूसरे पर जमी थीं।
फिर पर्दा हटा और एक नौजवान सूट पहने स्टेज पर आया। वही आर्यन था जिसे सबने अब तक सफाई कर्मचारी समझा था।
हॉल में सन्नाटा छा गया। कुछ कर्मचारियों के मुँह खुले के खुले रह गए। कई एक शर्मिंदगी से निगाहें झुका बैठे।
संजना का चेहरा तो एकदम जर्द हो गया। उसके हाथ कांपने लगे।
आर्यन ने माइक थामा। उसकी आवाज शांत थी, मगर अल्फाज़ दिल में तीर की तरह उतर रहे थे,
“मेरा नाम आर्यन है। मैं इस कंपनी का वारिस हूं। मैंने सफाई कर्मचारी का रूप इसलिए अपनाया ताकि देख सकूं कि आप में से कौन इंसानियत की इज्जत करता है और कौन ताकत के नशे में अंधा है।”
उसने सबके सामने एक फाइल खोली जिसमें संजना की बदमाशियों के सबूत थे।
“संजना, तुमने अपने ओहदे को ढाल बनाकर कमजोरों को दबाया, झूठ बोले और कंपनी को नुकसान पहुंचाया। आज के बाद तुम इस दफ्तर का हिस्सा नहीं हो। तुम्हें इसी लम्हे बरतरफ किया जाता है।”
हॉल में एकदम शोर मच गया। तालियों की गूंज हर तरफ सुनाई दी।
फिरोज की आँखों में आँसू आ गए। जिन कर्मचारियों ने आर्यन को कल तक जलील किया था, आज सबके सामने झुक गए।
यह लम्हा सिर्फ आर्यन की जीत नहीं थी, बल्कि सच्चाई की फतह थी।
**संजना की बरतरफी के बाद दफ्तर का माहौल बदल गया।**
वह डर और रौब जो कभी हर कर्मचारी के दिल पर तारी रहता था, अब खत्म हो गया था। पहले जहाँ चापलूसी और राजनीति का दौर था, वहाँ अब खामोशी और एहतियात छा गई थी। हर कोई जानता था कि जिसे वह सफाई कर्मचारी समझते थे, वह असल में कंपनी का मालिक है।
आर्यन ने लेकिन फौरन अपनी कुर्सी संभालने की जल्दी नहीं की। वह जानता था कि बदलाव सिर्फ ऐलानों से नहीं आती बल्कि रवैये बदलने से आती है। उसने फैसला किया कि सबसे पहले वह उन कर्मचारियों के जख्म भरेगा जिन्हें बरसों तक दबाया गया था।
उसने एक नया प्रोग्राम शुरू किया — **अखलाकी तरबियत सेशन**।
इस सेशन में सब कर्मचारी चाहे वे मैनेजर हों या सफाई कर्मचारी, एक साथ बैठते। वहाँ ना कोई बड़ी कुर्सी थी ना छोटी। सब एक ही सतह पर बैठकर किस्से सुनाते, अनुभव बांटते और सीखते कि इंसानियत सबसे बड़ी पहचान है।
पहले ही सेशन में एक वीडियो दिखाया गया जिसमें संजना आर्यन पर पानी फेंकती है।
हॉल में सन्नाटा छा गया। सबके चेहरे शर्मिंदगी से झुक गए।
आर्यन ने नरम लहजे में कहा,
“यह वीडियो मेरे बारे में नहीं। यह तुम सबके रवैये का आईना है। जब हम अपने से कमजोर को कमतर समझने लगते हैं, तो दरअसल हम अपनी इंसानियत खो देते हैं।”
इसका असर हर एक पर गहरा हुआ। कई कर्मचारियों की आँखों से आँसू निकल आए। वे समझ गए कि इज्जत सिर्फ ओहदे से नहीं बल्कि किरदार से मिलती है।
इसी दौरान आर्यन ने फिरोज़ को अपने दफ्तर बुलाया।
फिरोज़ झिझकते हुए अंदर आया। पुराने कपड़ों में, चेहरे पर हैरानी और घबराहट।
आर्यन ने मुस्कुराकर कहा,
“भाई फिरोज, आज से आप इस कंपनी के लॉजिस्टिक कोऑर्डिनेटर हैं। यह ओहदा आपकी ईमानदारी और मेहनत की बदौलत है।”
फिरोज की आँखें नम हो गईं। उसने काँपती आवाज में कहा,
“मैं तो एक सफाई कर्मचारी था। मुझे यह इज्जत कैसे?”
आर्यन ने नरमी से जवाब दिया,
“ओहदा इंसान को बड़ा नहीं बनाता। इंसानियत बनाती है और आपने यह सबसे बेहतर साबित किया है।”
दूसरी तरफ संजना कंपनी से निकाल दी गई थी।
लेकिन आर्यन ने उसे भी जिंदगी का एक मौका दिया। एक दिन कैफे में उससे मिला और कहा,
“जिंदगी खत्म नहीं हुई। अगर बदलना चाहो तो यह कार्ड है। हमारे ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हो जाओ। वहाँ से नए सिरे से शुरुआत कर सकती हो।”
संजना की आँखों से आँसू बह निकले। पहली बार उसने गुरूर नहीं, बल्कि आज़ी का स्वाद चखा।
कंपनी अब वाकई एक परिवार बन चुकी थी। वहाँ हर कोई जान गया कि असली ताकत गुरूर में नहीं, बल्कि सच्चाई, सब्र और इंसाफ में है।
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