“IPS मैडम को साधारण लड़की समझकर बीच सड़क में दरोगा ने बाल पड़कर घसीटा” सच्चाई जानकर पूरा थाना सदमें.

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आईपीएस मैडम आरुषि वर्मा: एक साधारण साड़ी में, भ्रष्ट इंस्पेक्टर का पर्दाफाश

प्रकाश नगर की सुबह सुनहरी थी। सड़कें हल्की धूप से चमक रही थीं। एक साधारण गहरे नीले रंग की सूती साड़ी में, टैक्सी में बैठी महिला को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वह जिले की सबसे सख्त और काबिल आईपीएस अधिकारी आरुषि वर्मा हैं। आज वह अपनी छोटी बहन की शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी लेकर अपने पैतृक घर जा रही थीं। टैक्सी ड्राइवर सुनील, रोज की परेशानियों में उलझा, उन्हें पहचान नहीं सका। उसके चेहरे पर चिंता थी।

रास्ते में सुनील ने आरुषि से कहा, “मैडम, आपके कहने पर अंदरूनी रास्ता ले रहा हूं, लेकिन यहां का इंस्पेक्टर दिनेश यादव बहुत बदनाम है। गरीब ड्राइवरों से जबरन पैसे वसूलता है, चालान काटता है। बस दुआ है, कोई वर्दी वाला न मिले।”
आरुषि ने यह सब ध्यान से सुना। उनके मन में सवाल उठे—क्या सच में पुलिस वाले गरीबों को लूटते हैं? क्या इंस्पेक्टर इतना निरंकुश हो गया है?

कुछ ही दूर आगे चेकिंग पॉइंट दिखा। इंस्पेक्टर दिनेश यादव अपने सिपाहियों के साथ वाहनों की जांच कर रहा था। उसके चेहरे पर अहंकार साफ झलक रहा था। जैसे ही सुनील की टैक्सी पहुंची, दिनेश ने डंडे से इशारा कर टैक्सी रुकवाई।
गुस्से में बोला, “नीचे उतर! इतनी तेज गाड़ी क्यों चला रहा है? जल्दी से 10,000 या कम से कम 5,000 दे, नहीं तो टैक्सी जब्त।”
सुनील डर गया, गिड़गिड़ाया, “साहब, मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा। मेरी कमाई नहीं हुई। इतने पैसे कहां से दूं?”
दिनेश ने सुनील के गाल पर थप्पड़ मारा, “पैसे नहीं तो सड़क पर क्यों निकला? चल, तुझे थाने में अक्ल ठिकाने लगाते हैं।”

आरुषि वर्मा का सब्र टूट गया। वह टैक्सी से उतरीं और आत्मविश्वास से बोली, “इंस्पेक्टर, आप गलत कर रहे हैं। ड्राइवर की कोई गलती नहीं, फिर चालान क्यों? थप्पड़ मारना कानून का उल्लंघन है।”
दिनेश यादव भड़क गया, “ओहो, तू मुझे कानून सिखाएगी? लगता है तुझे भी थाने की हवा खानी पड़ेगी। चल दोनों को जेल में मजा चखाते हैं।”

दो हवलदारों ने दोनों को कोतवाली ले गए। थाने पहुंचकर दिनेश ने रुआब दिखाया, “इन्हें यहीं बैठा दो, इनकी औकात दिखाना जरूरी है।”
सुनील डर से कांप रहा था, आंखों में आंसू थे। आरुषि शांत थीं, उनके चेहरे पर गंभीरता थी। वह मन ही मन योजना बना रही थीं कि इस भ्रष्ट इंस्पेक्टर को कैसे बेनकाब करें।

कुछ देर बाद आरुषि ने सुनील से कहा, “चिंता मत करो, मैं आईपीएस अधिकारी हूं। मैं देखना चाहती थी कि यह इंस्पेक्टर किस हद तक गिर सकता है। अब मैं इसे इसकी असली औकात दिखाऊंगी।”
सुनील को विश्वास नहीं हुआ, “क्या आप सच में आईपीएस मैडम हैं? जब मेरे साथ जुल्म हो रहा था, आपने कुछ क्यों नहीं कहा?”
आरुषि ने मुस्कराकर कहा, “मैं सब देख रही थी, ताकि इसे रंगे हाथों पकड़ा जा सके। अब धैर्य रखो, सब ठीक होगा।”

थोड़ी देर बाद दिनेश ने सुनील को अपने कमरे में बुलाया। सिगरेट पीते हुए बोला, “अगर टैक्सी बचाना है तो 5,000 देने होंगे, वरना सीज हो जाएगी।”
सुनील ने गिड़गिड़ाकर अपनी बचत में से 2,000 निकालकर दिए। दिनेश ने पैसे लेकर कहा, “जा बाहर बैठ।”
अब उसने आरुषि को बुलाया, “नाम क्या है?”
आरुषि ने आत्मविश्वास से कहा, “नाम से आपको क्या लेना देना? आप बताइए, कहना क्या चाहते हैं?”
दिनेश ने धमकी दी, “ज्यादा अकड़ मत दिखाओ, दो डंडे पड़ेंगे तो सारी अकड़ निकल जाएगी। जल्दी से 2,000 निकालो, वरना जेल।”
आरुषि ने दृढ़ता से जवाब दिया, “मैं आपको एक भी रुपया नहीं दूंगी। मैंने कोई गलती नहीं की है। आप कानून का पालन कर रहे हैं या कानून तोड़ रहे हैं? क्या यही सब करने के लिए आपने वर्दी पहनी है?”

दिनेश यादव आगबबूला हो गया, “इस औरत को लॉकअप में बंद कर दो। इसकी सारी अकड़ जेल में निकलेगी।”
हवलदार ने आरुषि को लॉकअप में डाल दिया। किसी को अंदाजा नहीं था कि दिनेश ने जिले की सबसे बड़ी अधिकारी को जेल में डालकर अपने विनाश की नींव रख दी है।

कुछ देर बाद कोतवाली के बाहर एक सरकारी गाड़ी आकर रुकी। इंस्पेक्टर विक्रम सिंह, जो केस की निगरानी कर रहे थे, गुस्से में अंदर आए। उन्होंने हवलदार से पूछा, “आप लोगों ने किस महिला को लॉकअप में डाला है?”
दिनेश यादव ने अकड़ दिखाते हुए कहा, “चलिए, दिखाता हूं।”
लॉकअप के अंदर आरुषि वर्मा को देखकर विक्रम सिंह चीख उठे, “तुमने यह क्या किया है दिनेश? यह हमारे जिले की आईपीएस मैडम हैं!”
दिनेश के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने कांपते हाथों से लॉकअप खुलवाया।

आरुषि वर्मा ने विक्रम सिंह को पूरी घटना विस्तार से बताई। विक्रम सिंह ने तुरंत डीएम आलोक गुप्ता को कॉल किया, “सर, आईपीएस मैडम ने आपको तुरंत थाने बुलाया है। मामला गंभीर है।”
कुछ ही देर में डीएम आलोक गुप्ता पहुंचे। उन्होंने पूरा मामला सुना और दिनेश यादव की करतूत देखी।
डीएम ने कहा, “इंस्पेक्टर, आपने जो किया है वह कानून का सबसे बड़ा उल्लंघन है। गरीबों को लूटना, उन पर अत्याचार करना—यह अपराध है। अब आपका बचना नामुमकिन है।”

आरुषि वर्मा ने कहा, “इस इंस्पेक्टर ने न जाने कितने लोगों को लूटा होगा। मैंने जानबूझकर चुप्पी साधी ताकि इसे रंगे हाथों पकड़ा जा सके। हम इसे पूरे शहर के सामने बेनकाब करेंगे।”
उन्होंने डीएम से अनुरोध किया, “कल सुबह प्रेस मीटिंग बुलाएं। मैं खुद गवाही दूंगी और टैक्सी ड्राइवर सुनील भी मौजूद रहेगा।”

यह खबर पूरे प्रकाश नगर में फैल गई। लोग खुश थे कि अब न्याय मिलेगा।
अगली सुबह प्रेस मीटिंग शुरू हुई। मीडिया की भारी भीड़ थी। जनता भ्रष्टाचार खत्म करो और आईपीएस आरुषि वर्मा जिंदाबाद के नारे लगा रही थी।
हॉल में डीएम आलोक गुप्ता, आईपीएस आरुषि वर्मा, इंस्पेक्टर विक्रम सिंह और सामने शर्म से सिर झुकाए दिनेश यादव बैठे थे।

डीएम ने कहा, “सबसे पहले आईपीएस मैडम अपनी गवाही पेश करेंगी।”
आरुषि वर्मा ने कहा, “जो कुछ भी हुआ वह सिर्फ मेरे साथ नहीं, बल्कि इस शहर के हर गरीब और मजबूर नागरिक के साथ हुआ। इंस्पेक्टर ने वर्दी का गलत इस्तेमाल किया। मैं साधारण कपड़ों में टैक्सी में बैठी थी। ड्राइवर ने चेतावनी दी कि इंस्पेक्टर पैसे वसूलता है। जब हम आगे बढ़े, मैंने अपनी आंखों से सब देखा। इंस्पेक्टर ने टैक्सी रोकी, बिना कारण चालान भरने की धमकी दी। ड्राइवर ने गिड़गिड़ाया, लेकिन उसने एक ना सुनी। बाद में मुझसे भी पैसे मांगे गए, विरोध करने पर मुझे लॉकअप में डाल दिया गया।”

पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।
फिर डीएम ने सुनील को बुलाया।
सुनील ने कहा, “मैं पिछले 12 साल से टैक्सी चला रहा हूं। हम गरीब लोग अपने परिवार का पेट पालते हैं। लेकिन इंस्पेक्टर दिनेश यादव जैसे लोग हमें जीने नहीं देते। जब भी सड़क पर निकलते हैं, ये रोकते हैं और जबरन पैसे मांगते हैं। अगर पैसे ना दें, टैक्सी सीज कर देते हैं। कल भी मेरे साथ यही हुआ। मजबूर होकर मुझे अपनी सारी बचत में से पैसे देने पड़े। वरना मेरा परिवार भूखा मर जाता।”

डीएम ने कहा, “आज की गवाही ने साफ कर दिया कि इंस्पेक्टर दिनेश यादव ने अपनी सीमा लांघी है। उसने गरीबों का शोषण किया, कानून का गलत इस्तेमाल किया। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने आदेश पत्र पढ़ा, “इंस्पेक्टर दिनेश यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। उन्हें आज ही हिरासत में लेकर जेल भेजा जाएगा।”

हॉल न्याय के नारों से गूंज उठा।
दिनेश यादव का चेहरा पीला पड़ गया, हाथ कांप रहे थे। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिसकर्मियों ने घेर लिया। उसे हथकड़ी लगाई गई और मीडिया के कैमरों के सामने बाहर ले जाया गया।
भीड़ चिल्ला रही थी, “भ्रष्टाचार का अंत हो, आरुषि मैडम जिंदाबाद!”

आरुषि वर्मा ने भीड़ की ओर देखा और कहा, “आज का फैसला सिर्फ दिनेश यादव की हार नहीं है, बल्कि यह सबूत है कि अगर हम सब मिलकर अन्याय के खिलाफ खड़े हो जाएं, तो कोई भी भ्रष्टाचार हम पर हावी नहीं हो सकता। वर्दी का मतलब सेवा और सुरक्षा है, ना कि डर और लूट।”

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