किसान ने बाढ़ में फंसे डॉक्टर की जान बचाई, कुछ माह के बाद किसान अपने बेटे को लेकर हॉस्पिटल गया तो
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सेवा, त्याग और इंसानियत की मिसाल: गुरु वचन सिंह की कहानी
पंजाब की धरती अपनी उपजाऊ मिट्टी, मेहनती किसानों और गहरी सांस्कृतिक विरासत के लिए जानी जाती है। यहां की मिट्टी में सिर्फ गेहूं-धान ही नहीं बल्कि इंसानियत की खुशबू भी बसी होती है। ऐसी ही एक कहानी है गुरु वचन सिंह की, जो पंजाब के छोटे से गांव हरबंसपुरा में रहते थे। उनकी जिंदगी सेवा और इंसानियत के लिए समर्पित थी।
गुरु वचन सिंह लगभग 40 वर्ष के थे। उनकी पहचान उनकी ऊंची पगड़ी, चौड़े कंधे और खेतों की मिट्टी में रचे-बसे हाथों से थी। वह एक सच्चे जाट किसान थे, जिनके लिए उनकी जमीन उनकी मां थी और उनकी पगड़ी उनकी इज्जत। उनकी पत्नी कुछ साल पहले लंबी बीमारी के बाद चल बसी थी। गुरु वचन का एक ही सहारा था उनका 10 वर्षीय बेटा जसप्रीत, जिसे प्यार से जस्सा कहा जाता था। जस्सा अपने बाबा की परछाई था, उसकी आंखों में वही चमक थी जो गुरु वचन की आंखों में थी।
गुरु वचन सिंह अपनी जमीन पर दिन-रात मेहनत करते थे। उनके पास 15 एकड़ जमीन थी, जिस पर वह गेहूं और धान की फसल उगाते थे। गांव में किसी भी मुसीबत में वह सबसे आगे खड़े रहते थे। चाहे बेटी की शादी हो, किसी की जान बचानी हो या गांव में कोई भी समस्या, गुरु वचन हमेशा मदद के लिए तत्पर रहते थे। उनके लिए सेवा केवल एक शब्द नहीं, बल्कि जीने का तरीका था।
बाढ़ का कहर और गुरु वचन का साहस
उस साल मानसून ने पंजाब की धरती पर कहर बरपा दिया था। सतलुज नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया था। लगातार तीन दिनों की बारिश ने नदी का पानी इतना बढ़ा दिया था कि वह आसपास के गांवों में घुसने लगा। हरबंसपुरा भी बाढ़ की चपेट में आ गया। घर डूब रहे थे, मवेशी बह रहे थे, और लोग अपनी जान बचाने के लिए चीख रहे थे।
ऐसे संकट के समय गुरु वचन सिंह एक फरिश्ता बनकर सामने आए। उन्होंने अपने पुराने ट्रैक्टर को नाव की तरह इस्तेमाल किया। अपनी जान की परवाह किए बिना पानी के तेज बहाव में ट्रैक्टर चलाकर गांव वालों को, उनके बच्चों को और मवेशियों को सुरक्षित ऊंची जगहों पर पहुंचाया। उन्होंने अपने घर का सारा अनाज और जमा पूंजी गांव वालों के लिए खोल दिया।
बाढ़ के तीसरे दिन शाम को, जब पानी का स्तर खतरनाक हो चुका था, गुरु वचन ने गांव के बाहर मुख्य सड़क की तरफ से किसी के चिल्लाने की आवाज सुनी। देखा कि एक महंगी कार पानी के बहाव में फंसी हुई थी और तेजी से नदी की ओर बह रही थी। कार के अंदर एक व्यक्ति मदद के लिए हाथ-पैर मार रहा था। गुरु वचन ने बिना देर किए अपनी मोटी रस्सी को कमर में लपेटा और ट्रैक्टर को पानी में उतार दिया।

बहाव तेज था, ट्रैक्टर डगमगा रहा था, लेकिन गुरु वचन ने हिम्मत नहीं हारी। वह कार के पास पहुंचे और शीशा तोड़कर अंदर फंसे अधेड़ उम्र के व्यक्ति को बाहर निकाला। वह शहरी बाबू था, महंगे कपड़े पहने और घबराया हुआ। सिर पर चोट लगी थी, वह लगभग बेहोश था। गुरु वचन ने उसे अपनी पीठ पर लादा और ट्रैक्टर तक पहुंचा। कई घंटों की मशक्कत के बाद वह उसे गांव के स्कूल की ऊंची इमारत पर बने राहत शिविर में लेकर पहुंचे।
गांव की महिलाएं उस व्यक्ति की देखभाल करने लगीं। गुरु वचन ने उसे सूखा गुड़-चना खिलाया। धीरे-धीरे वह होश में आया। उसका नाम डॉ. आशीष गौरव था, चंडीगढ़ के एक बड़े और महंगे प्राइवेट हॉस्पिटल का मालिक और प्रसिद्ध कार्डियक सर्जन। वह पास के गांव में मेडिकल कैंप लगाने जा रहा था, जब बाढ़ ने उसे घेर लिया।
डॉक्टर गौरव ने गुरु वचन का हाथ पकड़ते हुए कहा, “भाई साहब, आपने मेरी जान बचाई है, मैं आपका एहसान कभी नहीं भूलूंगा।”
गुरु वचन ने मुस्कुराते हुए कहा, “डॉक्टर साहब, हम पंजाबी हैं। मुसीबत में फंसे किसी की मदद करना हमारा धर्म है। हम इसका सौदा नहीं करते।”
डॉक्टर गौरव उस दिन गुरु वचन की सादगी और इंसानियत से दंग रह गए। अगले दिन जब बचाव दल गांव पहुंचा, तो डॉक्टर गौरव ने गुरु वचन को अपना विजिटिंग कार्ड दिया और कहा, “अगर कभी जरूरत पड़े, तो मुझे फोन करना। मैं आपके लिए हमेशा खड़ा रहूंगा।”
गुरु वचन ने कार्ड संभाल लिया, पर सोच रहे थे कि उन्हें डॉक्टर की मदद की शायद जरूरत न पड़े।
मुश्किलें और बेटे की बीमारी
बाढ़ चली गई, लेकिन तबाही के निशान गहरे थे। गुरु वचन ने फिर से जमीन को हराभरा करने की ठानी। कर्ज लेकर बीज खरीदे और मेहनत करने लगे। जस्सा उनकी दुनिया था। एक दिन जस्सा खेत में खेलते हुए अचानक गिर पड़ा। वह बेहोश था, सांसें धीमी चल रही थीं। गुरु वचन ने उसे तुरंत गांव के हकीम के पास ले जाया।
हकीम ने कहा, “यह मामला गंभीर है, इसे तुरंत बड़े अस्पताल ले जाना होगा।”
गुरु वचन ने जस्सा को सरकारी अस्पताल ले जाकर जांच करवाई। डॉक्टरों ने बताया कि जस्सा के दिल में जन्म से ही एक छेद है, जो बढ़ रहा है और फेफड़ों पर दबाव डाल रहा है। इलाज के लिए ओपन हार्ट सर्जरी जरूरी थी, जो गांव में संभव नहीं थी। उन्हें चंडीगढ़ या लुधियाना के बड़े हॉस्पिटल जाना होगा।
डॉक्टर ने कहा, “इसका खर्चा करीब 10-12 लाख होगा।”
गुरु वचन के पास इतने पैसे नहीं थे। वह पहले ही कर्ज में डूबे थे। उन्होंने जमीन गिरवी रखी, गाय बेच दी, रिश्तेदारों से उधार लिया, दिन-रात मेहनत कर पैसे जुटाए। जस्सा की जान उनके लिए सब कुछ थी।
अलीशान हॉस्पिटल में संघर्ष
चंडीगढ़ के गौरव हार्ट इंस्टिट्यूट पहुंचे तो गुरु वचन को आलीशान इमारत देखकर घबराहट हुई। वह अपने बेटे को लेकर अस्पताल में सहमे हुए थे। कई काउंटरों पर धक्के खाने के बाद जूनियर डॉक्टर ने कहा, “बच्चे को फौरन भर्ती करना होगा। ऑपरेशन कल है। पहले ₹5 लाख जमा करवा दो।”
गुरु वचन के पास इतने पैसे नहीं थे। क्लर्क ने बेरुखी से कहा, “यहां अमीरों का इलाज होता है, गरीबों का नहीं।”
गुरु वचन टूट गए। वे अपने बेटे को मरने नहीं देना चाहते थे। वे अस्पताल के गलियारे में बैठकर भगवान से मदद मांगने लगे। तभी उनकी नजर उस कार्ड पर पड़ी जो उन्होंने डॉक्टर गौरव से बाढ़ के दौरान लिया था।
डॉक्टर गौरव से मुलाकात और उम्मीद की किरण
गुरु वचन ने डॉक्टर गौरव के कैबिन के बाहर जाकर उनसे मिलने की कोशिश की। शुरुआत में सेक्रेटरी ने मना किया, लेकिन डॉक्टर गौरव खुद बाहर आए। गुरु वचन ने उन्हें अपनी कहानी बताई।
डॉक्टर गौरव ने गुरु वचन को पहचाना और कहा, “तुमने मेरी जान बचाई थी, अब मैं तुम्हारे बेटे की जान बचाऊंगा।”
उन्होंने तुरंत जस्सा का ऑपरेशन किया। यह जटिल और लंबा ऑपरेशन था, लगभग 8 घंटे चला। गुरु वचन ने गुरुद्वारे में बैठकर भगवान से प्रार्थना की। सुबह डॉक्टर गौरव मुस्कुराते हुए बाहर आए और कहा, “तुम्हारा बेटा खतरे से बाहर है।”
इंसानियत की जीत
डॉक्टर गौरव ने बिल फाड़ दिया और कहा, “यह एक सौदा है, एक जान के बदले एक जान।”
उन्होंने गुरु वचन की जमीन के कागज भी चुकाए और जमीन वापस दिलाई। इसके अलावा, उन्होंने हरबंसपुरा गांव में हर साल मुफ्त मेडिकल कैंप लगाने और बच्चों के इलाज की व्यवस्था करने का वादा किया।
गुरु वचन की निस्वार्थ सेवा ने न सिर्फ उनके बेटे की जान बचाई, बल्कि पूरे गांव के हजारों बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया।
कहानी का संदेश
यह कहानी हमें सिखाती है कि बिना स्वार्थ के की गई सेवा का फल जरूर मिलता है, भले ही वह हमारी अपेक्षा के अनुसार न हो। इंसानियत और कृतज्ञता से बढ़कर कोई दौलत नहीं। गुरु वचन सिंह और डॉक्टर गौरव की यह कहानी हमें उम्मीद, विश्वास और प्रेम की ताकत का एहसास कराती है।
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