कनाडा से गोरियों के साथ फोटो खिचवाकर पत्नी को भेजता था युवक, फिर पत्नी ने उठाया ऐसा कदम की सबके होश

एक मजाक, एक बिछड़न: जस्सी, किरणदीप और रंजीत की अधूरी दास्तान”
भाग 1: सपनों की उड़ान
पंजाब के हरे-भरे खेतों में पला-बढ़ा जस्सी अपनी पत्नी किरणदीप के साथ एक सादा और खुशहाल जीवन जी रहा था। लेकिन धीरे-धीरे उसके दिल में कनाडा जाने का सपना घर करने लगा। हर दिन सोशल मीडिया पर कनाडा में बसे दोस्तों की चमकती तस्वीरें, उनकी आलीशान जिंदगी और फॉरेन की रंगीनियों ने जस्सी को बेचैन कर दिया।
अब उसे खेतों की हरियाली नहीं, बल्कि कनाडा की बर्फीली सड़कों में अपना भविष्य दिखने लगा। वह सोचने लगा कि अगर वह कनाडा चला गया तो कुछ ही सालों में बहुत पैसा कमा लेगा, एक बड़ा सा घर बनाएगा और अपनी किरणदीप को रानी की तरह रखेगा।
एक रात जब किरणदीप उसके कंधे पर सिर रखकर सो रही थी, जस्सी ने हिम्मत करके कहा,
“किरण, मैं सोच रहा हूं कि मैं भी कनाडा चला जाऊं।”
यह सुनकर किरणदीप की आंखों में डर और अविश्वास का भाव था।
“क्या कनाडा त मेनु छोड़ के चले जाओगे?”
जस्सी ने उसका हाथ थामकर समझाया,
“पगली, तुझे छोड़कर कहां जाऊंगा? बस दो-चार साल की ही तो बात है। मैं वहां जाकर बहुत पैसे कमाऊंगा, फिर हम अपनी जिंदगी बदल देंगे। तुझे कभी कोई काम नहीं करने दूंगा।”
लेकिन किरणदीप के लिए पैसों से ज्यादा जस्सी का साथ कीमती था।
“नहीं जस्सी, मुझे नहीं चाहिए बड़े घर और महंगी गाड़ियां। मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए। हम यहां कितने खुश हैं। जो भी है, जैसा भी है, अपना तो है। प्लीज मुझे छोड़कर मत जाओ।”
वह रोने लगी। उस रात जस्सी चुप हो गया, लेकिन उसके दिल और दिमाग में कनाडा जाने का भूत नहीं उतरा।
भाग 2: विदाई और इंतजार
कई महीनों तक जस्सी के दोस्त उसे कनाडा जाने के लिए ललचाते रहे। आखिरकार एक दिन उसके दोस्तों ने उसके लिए वर्क वीजा भेज दिया। अब जस्सी के सामने मौका था, जिसे वह किसी भी कीमत पर गंवाना नहीं चाहता था।
उस रात जस्सी ने किरणदीप से आखिरी बार बात की, हाथ जोड़ दिए, पैर पकड़ लिए।
“किरण, बस एक बार मेरी जिंदगी के लिए मुझे जाने दे। मैं यह सब हमारे भविष्य के लिए ही कर रहा हूं। वादा करता हूं, तुझे कभी नहीं भूलूंगा, रोज फोन करूंगा।”
किरणदीप अपने पति की जिद और उसकी आंखों में तैरते सपनों के आगे हार गई। उसने रोते हुए भारी मन से उसे जाने की इजाजत दे दी।
जिस दिन जस्सी जा रहा था, घर में अजीब सा मातम था। किरणदीप ने सुबह से कुछ नहीं खाया था, बस चुपचाप रोए जा रही थी।
एयरपोर्ट पर विदाई के वक्त दोनों की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
जस्सी सात समुंदर पार जा रहा था, किरणदीप एक दर्दनाक इंतजार की दहलीज पर अकेली रह गई थी।
भाग 3: दूरी, दोस्त और गलतफहमी
कनाडा पहुंचने के बाद शुरुआती कुछ हफ्ते किरणदीप के लिए बहुत मुश्किल भरे थे। हर चीज में उसे जस्सी की याद आती। जस्सी भी अपने वादे के मुताबिक रोज वीडियो कॉल करता, अपनी नई जिंदगी, काम और दोस्तों के बारे में बताता।
किरणदीप को थोड़ी हिम्मत मिलती – बस कुछ ही सालों की बात है, फिर उसका जस्सी हमेशा के लिए उसके पास आ जाएगा।
पर धीरे-धीरे चीजें बदलने लगीं। जस्सी अब कनाडा की रंगीन दुनिया में रमने लगा था।
उसके दोस्त उसे पार्टियों में ले जाते, शराब पीना सिखाते, और वहां की आज़ाद जिंदगी के फायदे गिनाते।
जस्सी का मन इन सब चीजों में नहीं लगता था, उसका दिल आज भी अपनी किरण के लिए ही धड़कता था।
पर दोस्तों के जोर देने पर वह भी उनके साथ पार्टियों में जाने लगा।
इन्हीं पार्टियों में उसकी मुलाकात कई कनाडाई लड़कियों से हुई। वे सब फ्रेंडली थीं, बातें करतीं, भारत के बारे में पूछतीं, उसके साथ तस्वीरें खिंचवातीं।
एक दिन जस्सी के दोस्त हरमन ने उसे सलाह दी,
“ओए जस्सी, तू किरण को बहुत याद करता है, एक काम कर, उसे थोड़ा जला। जब औरत को थोड़ी सी जलन महसूस होती है तो प्यार और बढ़ जाता है।”
जस्सी को यह बात अजीब लगी,
“नहीं यार, वह पहले ही अकेली है, मैं उसे और परेशान नहीं करना चाहता।”
हरमन हंसा, “अरे बुद्धू, यह परेशान करना नहीं है, प्यार जताने का तरीका है। देख, इन गोरी मेमो के साथ एक-दो फोटो भेज, वो देखेगी तू कितनी लड़कियों के बीच रहता है, पर फिर भी सिर्फ उसी से प्यार करता है।”
जस्सी अपने दोस्त की बातों में आ गया।
उसने अपनी कनाडाई सहकर्मी एमिली के साथ एक तस्वीर किरणदीप को भेज दी।
और लिखा, “देख, इतने दी जिंदगी, पर मेनु तेरी बहुत याद आंधी है।”
भारत में रात के अंधेरे में जब किरणदीप के फोन पर यह तस्वीर आई तो उसका दिल जैसे किसी ने मुट्ठी में भींच लिया।
उसका जस्सी किसी और औरत के साथ हंस रहा है।
उसने रोते हुए जस्सी से पूछा, “कौन है यह लड़की?”
जस्सी हंसा, “अरे पगली, यह तो बस एक दोस्त है। मैं तो बस तुझे चिढ़ा रहा था, तुझे जलाने की कोशिश कर रहा था। देख, लाखों लड़कियों के बीच हूं, पर मेरा दिल तो सिर्फ अपनी किरण के लिए धड़कता है।”
किरणदीप उस वक्त तो शांत हो गई, पर उसके दिल में शक का बीज बोया जा चुका था।
अब जस्सी अक्सर ऐसी तस्वीरें भेजने लगा – कभी पार्टी की, कभी बीच की।
हर तस्वीर के बाद सफाई देता कि यह सब मजाक है।
असल में जस्सी सच्चा था, वह बस नासमझी में यह खेल खेल रहा था।
पर उसे अंदाजा नहीं था कि हजारों मील दूर बैठी उसकी पत्नी के दिल पर इन तस्वीरों का क्या असर हो रहा है।
भाग 4: अकेलापन, सहारा और नया रिश्ता
किरणदीप का हंसना-बोलना बंद हो गया था। वह हर वक्त गुमसुम और परेशान रहने लगी थी। जस्सी का फोन अब उसे सुकून नहीं, बल्कि बेचैनी देने लगा था।
उसे लगता था कि जस्सी झूठ बोल रहा है, धोखा दे रहा है।
उसकी तन्हाई और दर्द का एकमात्र गवाह था – रंजीत।
रंजीत रोज खेतों का हिसाब देने घर आता था। जब भी किरणदीप को उदास देखता, उसका दिल दुखता।
“की होया भाभी जी? तुसी आजकल बहुत परेशान रहेंदे हो।”
एक दिन किरणदीप अपने आंसुओं को रोक नहीं पाई। उसने जस्सी की भेजी हुई सारी तस्वीरें रंजीत को दिखा दी।
“देख रंजीत, तेरा वीर वहां क्या कर रहा है? वह गोरी मेमो के साथ ऐश कर रहा है और मुझे यहां अकेला मरने के लिए छोड़ गया है।”
रंजीत को बहुत गुस्सा आया, पर भाभी जी को हिम्मत दी,
“भाभी जी, तुसी हिम्मत ना हारो, मैं तोड़े नाल हां।”
उस दिन के बाद से रंजीत किरणदीप का सहारा बन गया।
अब सिर्फ खेतों का हिसाब देने नहीं आता था, बल्कि उसके साथ बैठकर घंटों बातें करता, दुख सुनता, हिम्मत देता।
किरणदीप को भी रंजीत के साथ अपने दिल की बात कहकर सुकून मिलने लगा।
धीरे-धीरे यह अपनापन एक गहरे लगाव में बदल गया।
किरणदीप को रंजीत की आंखों में अपने लिए सम्मान और परवाह दिखती, और रंजीत को किरणदीप की मासूमियत पर अपनी जान लुटा देने का मन करता।
एक शाम तेज बारिश हो रही थी, किरणदीप घर में अकेली रो रही थी।
रंजीत उसके लिए गरमा गरम चाय बनाकर लाया।
उस शाम उनकी खामोशी ने वह सब कह दिया जो जुबान कभी नहीं कह पाती।
एक टूटा हुआ दिल दूसरे टूटे हुए दिल का सहारा बन गया।
अब वे दोनों एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे।
उनका छिप-छिप कर मिलना रोज का सिलसिला बन गया।
भाग 5: वापसी, सच्चाई और बिछड़न
कनाडा में बैठा जस्सी इस बात से पूरी तरह अनजान था कि उसका एक छोटा सा मजाक उसकी दुनिया को तबाह कर चुका था।
वह तो अब भी पैसे जमा करने में लगा था, किरणदीप के लिए तोहफे खरीद रहा था, यह सोचकर कि जब वह एक साल बाद गांव वापस जाएगा तो अपनी किरण को बड़ा सा सरप्राइज़ देगा।
एक साल का लंबा इंतजार आखिरकार खत्म हुआ।
जस्सी ने छुट्टी ली और भारत आने की तैयारी करने लगा।
बहुत सारे तोहफे, कपड़े, गहने खरीदकर बहुत खुश था।
उसे लग रहा था कि जब किरणदीप उसे देखेगी तो सारी नाराजगी दूर हो जाएगी।
जब जस्सी गांव लौटा तो किरणदीप ने घर को फूलों से सजाया था, पसंदीदा पकवान बनाए थे, नई साड़ी पहनकर उसका इंतजार कर रही थी।
जस्सी उसे देखकर दौड़कर गले लग गया।
पर किरणदीप के आलिंगन में वह गर्मजोशी नहीं थी – एक अजीब सी दूरी, एक अपराध बोध था जिसे जस्सी समझ नहीं पाया।
अब किरणदीप और रंजीत का मिलना बंद हो गया।
रंजीत अब घर के अंदर नहीं आता, बाहर से ही किसी नौकर के हाथ हिसाब भिजवा देता।
दोनों चोरी-छिपे फोन पर ही बात करते।
उनकी बातों में अब प्यार से ज्यादा एक-दूसरे से दूर रहने की तड़प थी।
जस्सी को किरणदीप के व्यवहार में बदलाव महसूस हो रहा था, पर वह सोचता था कि अकेले रहने की वजह से थोड़ी बदल गई है।
वह सोचता था कि उसके प्यार से सब पहले जैसा हो जाएगा।
पर उसे नहीं पता था कि उसकी पीठ पीछे एक ऐसी कहानी लिखी जा चुकी है जो उसकी जिंदगी को बर्बाद कर देगी।
भाग 6: फैसला, भागना और टूटन
एक रात जब जस्सी गहरी नींद में था, किरणदीप और रंजीत ने फोन पर बहुत बड़ा फैसला ले लिया –
“अब हम ऐसे घुट-घुट कर नहीं जी सकते। घर से भाग जाते हैं, अपनी नई दुनिया बसाते हैं।”
किरणदीप ने डरते हुए कहा,
“पिंड वाले सानू जण नहीं देंगे।”
रंजीत ने हिम्मत दी,
“शहर चले जाएंगे, कोई भी काम कर लूंगा, तेनु अपने नाल रखांगा।”
अगली रात भागने का प्लान बना।
किरणदीप ने जरूरी कपड़े, गहने एक बैग में रखे, कांपते हाथों से एक चिट्ठी लिखी, जस्सी के तकिए के नीचे रख दी।
सुबह जस्सी की आंख खुली तो किरणदीप घर में नहीं थी।
काफी देर तक ढूंढा, फिर तकिए के नीचे चिट्ठी मिली –
“जस्सी, मुझे माफ कर देना। मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती। मैं रणजीत से प्यार करती हूं और उसी के साथ अपनी बाकी जिंदगी बिताना चाहती हूं। मुझे ढूंढने की कोशिश मत करना।”
जस्सी पर जैसे बिजली गिर गई।
वह पागलों की तरह चिल्लाने लगा, रंजीत के क्वार्टर की तरफ दौड़ा, पर वहां भी कोई नहीं था।
दोनों जा चुके थे।
जस्सी की दुनिया एक ही पल में उजड़ गई।
उसका प्यार, विश्वास सब खत्म हो गया।
गांव में यह खबर आग की तरह फैल गई।
लोग तरह-तरह की बातें करने लगे।
जस्सी के लिए अपमान और दर्द सहना मुश्किल हो गया।
आखिरकार उसने पुलिस की मदद ली।
करीब दो महीने की मशक्कत के बाद पुलिस ने किरणदीप और रंजीत को लुधियाना के एक किराए के मकान से ढूंढ निकाला।
गांव वापस लाए गए।
जस्सी दौड़कर किरणदीप के पास गया,
“किरण, यह तूने क्या किया? बस एक बार बता दे, मुझसे क्या गलती हुई थी?”
किरणदीप ने नजरें झुका रखी थी।
“गलती तुम्हारी थी जस्सी। तुमने मुझे उन लड़कियों की तस्वीरें भेजकर जो दर्द दिया, उस दर्द में मुझे सिर्फ रंजीत का सहारा मिला। अब मैं सिर्फ उसी से प्यार करती हूं।”
जस्सी के पैरों तले जमीन खिसक गई।
“तस्वीरें… वो तो बस मजाक था किरण। मैंने तो बस तुम्हें यह जताने के लिए…”
किरणदीप ने उसकी बात काट दी,
“तुम्हारा मजाक मेरी जिंदगी की सच्चाई बन गया जस्सी। अब कुछ भी पहले जैसा नहीं हो सकता।”
पुलिस, पंचायत, सबने किरणदीप को बहुत समझाया, पर वह टस से मस नहीं हुई।
अंत में पंचायत ने फैसला सुनाया – जस्सी और किरणदीप का तलाक हो गया, और किरणदीप ने रंजीत से शादी कर ली।
भाग 7: अधूरी जिंदगी, अधूरी मोहब्बत
जस्सी पूरी तरह टूट चुका था।
जिस पत्नी के लिए वह सात समंदर पार गया, जिसके भविष्य के लिए दिन-रात मेहनत की, वही उसे छोड़कर उसके ही नौकर के साथ चली गई।
और वजह – सिर्फ एक छोटा सा नादानी भरा मजाक।
गांव में रहना मुश्किल हो गया।
हर चेहरा ताना मारता लगता।
हर आवाज मजाक उड़ाती लगती।
दुखी होकर, टूटा दिल लेकर जस्सी वापस कनाडा चला गया।
इस बार उसकी आंखों में कोई सपना नहीं था – बस एक गहरा दर्द और कभी ना खत्म होने वाला पछतावा।
सीख और संदेश
दोस्तों, यह कहानी हमें एक बहुत कड़ा और गहरा सबक देती है –
रिश्ते भरोसे की नाजुक डोर से बंधे होते हैं।
मजाक और शरारतें रिश्तों में रंग भरती हैं, पर हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हमारा कोई भी मजाक अपने की भावनाओं को ठेस ना पहुंचाए।
जस्सी के एक छोटे से मजाक ने किरणदीप के दिल में शक का ऐसा बीज बो दिया, जिसने उनके प्यार के खूबसूरत पेड़ को ही उजाड़ दिया।
गलतफहमी और शक किसी भी रिश्ते को दीमक की तरह चाट जाते हैं।
आपको इस कहानी में सबसे बड़ी गलती किसकी लगी – जस्सी की, किरणदीप की या रंजीत की?
कमेंट्स में जरूर बताएं।
अपने रिश्तों की कदर करें, भरोसे को कभी टूटने ना दें।
धन्यवाद!
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