कौन था वो गांव का 70 साल का बुजुर्ग, जिसने Bank को Hack होने से बचाया
नारायण प्रसाद जी: एक साधारण व्यक्ति की असाधारण कहानी
दिन के लगभग 12:00 बज रहे थे। शहर अपनी पूरी रफ्तार से भाग रहा था। लेकिन भारत बैंक ऑफ इंडिया के इस ब्रांच में सब कुछ थमा हुआ था। यह ब्रांच इस शहर की सबसे बड़ी और बिजी ब्रांच थी। लेकिन पिछले 1 घंटे से यहां के सभी कंप्यूटर ठप पड़े हुए थे। कोई भी कंप्यूटर स्टार्ट होने का नाम नहीं ले रहा था। अगर कोई कंप्यूटर स्टार्ट हो भी जाता तो स्क्रीन पर एक अजीब सी भाषा में कुछ लिखा आता और कंप्यूटर तुरंत ऑफ हो जाता।
कोई भी एक्सपर्ट इस अजीबोगरीब समस्या को पकड़ नहीं पा रहा था। किसी को यह सर्वर की समस्या लग रही थी तो कोई इसे “ऊपर से कुछ प्रॉब्लम” बोलकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा था। चारों तरफ अफरातफरी मची हुई थी। कस्टमर्स लगातार शिकायत कर रहे थे कि उनके अकाउंट से पैसे कट रहे हैं।
किसी के अकाउंट से ₹10,000 कट गए थे तो किसी के ₹50,000। शिकायत करने वाले कस्टमर्स की बढ़ती संख्या को देखकर बैंक का मेन गेट बंद कर दिया गया। लेकिन गेट के बाहर शिकायत लेकर आने वाले कस्टमर्स की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी। कैशियर से लेकर मैनेजर तक सभी लोग समाधान के नाम पर सिर्फ झूठी सांत्वनाएं दे रहे थे।
लेकिन सभी स्टाफ यह अच्छी तरह से जानते थे कि यह ना तो सर्वर की समस्या थी और ना ही कोई छोटी-मोटी तकनीकी गड़बड़ी। बल्कि यह कुछ ऐसा था जो वह भी अपनी जिंदगी में पहली बार देख रहे थे।
मैनेजर का संघर्ष
मैनेजर अपने केबिन में किसी बड़े अधिकारी से बात कर रहा था। उसका चेहरा पसीने से भरा हुआ था। वह चेहरे पर नकली मुस्कान चिपकाए केबिन से बाहर आया और बनावटी आत्मविश्वास के साथ बोला, “घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यह बस एक छोटी सी तकनीकी समस्या है जो बहुत जल्द ठीक कर ली जाएगी। हम आपको होने वाली असुविधा के लिए माफी चाहते हैं और साथ ही धैर्य बनाए रखने के लिए आपका धन्यवाद करते हैं।”
इतना कहकर वह उतनी ही तेजी से गायब हो गया जितनी तेजी से अचानक वह आया था।
बैंक के दिल्ली स्थित हेड ऑफिस से साइबर एक्सपर्ट्स की एक टीम निकली। 1 घंटे से ज्यादा बीत चुका था। लेकिन टीम को यहां पहुंचने में अभी भी 2 घंटे का समय और लगने वाला था।
नारायण प्रसाद जी का आगमन
इस अफरातफरी भरे माहौल के बीच ब्रांच में 70 साल के एक बुजुर्ग नारायण प्रसाद जी भी मौजूद थे। सिंपल पैंट-शर्ट और लेदर की एक पुरानी चप्पल पहने। उनके बाल बिखरे हुए थे। वो भीड़ के बीच थोड़ी सी जगह बनाकर अपना कंधा दीवार से टिकाए खड़े थे।
उनके हाथ में एक पुराना लैपटॉप था। अपनी आंखें लैपटॉप में गड़ाए वो पिछले आधे घंटे से बिना रुके लगातार कुछ कोड टाइप करने में लगे हुए थे। अचानक वो अपने लैपटॉप में कुछ अजीब सा देख चौंक गए। उनके माथे पर पसीना आ गया था। उनकी घबराहट उनके चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी।
वो बिना देरी अपना लैपटॉप हाथ में पकड़े तेजी से भागते हुए सर्वर रूम में पहुंच गए।
सर्वर रूम की अफरातफरी
सर्वर रूम में चारों तरफ अफरातफरी और तनाव का माहौल था। वहां मैनेजर और कंप्लायंस ऑफिसर से लेकर नेटवर्क इंजीनियर और कस्टमर सर्विस एग्जीक्यूटिव तक पूरा स्टाफ मौजूद था।
इंजीनियर सर्वर में लॉग इन कर हेड ऑफिस में बैठे टेक्निकल हेड से कुछ डिस्कस कर रहा था। इससे पहले कि नारायण प्रसाद जी कुछ बोलते, मैनेजर का मोबाइल बज उठा। यह दिल्ली हेड ऑफिस से टेक्निकल हेड का फोन था।
मैनेजर को स्पष्ट आदेश दे दिया गया था कि जब तक टेक्निकल टीम यहां नहीं पहुंच जाती, तब तक पूरी ब्रांच को आइसोलेट कर दिया जाए। यानी सारे कनेक्शंस हटा दिए जाए।
नारायण प्रसाद जी की चेतावनी
ब्रांच का नेटवर्क आइसोलेट किए लगभग 10 मिनट बीत चुके थे। अभी तक कोई नई शिकायत नहीं आई थी। मैनेजर ने अब जाकर थोड़ी राहत की सांस ली थी। उसने हेड ऑफिस में सूचना दे दी कि अब कोई नई शिकायत नहीं आ रही है।
अचानक नारायण प्रसाद जी तेज आवाज में बोले, “बेटा, यह समाधान ज्यादा देर काम नहीं करेगा। और जहां तक मैं जानता हूं, 10 मिनट बाद यह समस्या फिर शुरू हो जाएगी। हमारे पास समय बहुत कम है। अगर तुम टीम का इंतजार करोगे, तो कुछ नहीं बचेगा।”
पूरा स्टाफ नारायण प्रसाद जी को ऐसे देख रहा था जैसे उन्होंने कोई मजाक किया हो।
मैनेजर ने उन्हें एक नजर गुस्से से देखा। उनके बिखरे बाल और साधारण कपड़े देखकर वह कहीं से भी कोई कंप्यूटर एक्सपर्ट नहीं लग रहे थे।
मैनेजर चिल्लाते हुए बोला, “कौन है ये अंकल? इनको अंदर किसने आने दिया? अरे अंकल, आपको पता नहीं क्या कि यहां कितनी बड़ी समस्या हो गई है और आप हैं कि मजाक किए जा रहे हैं? गार्ड, बाहर निकालो इनको यहां से तुरंत।”
सच का सामना
गार्ड उनका हाथ पकड़कर उन्हें बाहर ले जाने लगा। नारायण प्रसाद जी एक बार फिर बोले, “बेटा, मैं बाहर चला जाऊंगा। लेकिन तुम प्लीज 2 मिनट के लिए मेरी बात सुन लो। नहीं तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा।”
मैनेजर गुस्से से उन्हें घूर रहा था। वो कुछ बोलता उससे पहले वहां मौजूद नेटवर्क इंजीनियर मैनेजर से बोला, “सर, मुझे लगता है इन्हें 2 मिनट सुन लेना चाहिए।”
मैनेजर गुस्से से बोला, “ओके, लेकिन सिर्फ 2 मिनट।”
समस्या का समाधान
नारायण प्रसाद जी ने बताया, “बेटा, जिसने भी हमारे सिस्टम में सेंध लगाई है, वह कोई छोटा-मोटा हैकर नहीं है। इसके पीछे कोई बहुत सोची-समझी साजिश है। वो अभी तक जिस रूट का इस्तेमाल कर रहे थे, वो इस बैंक का रूट था। हमने भले ही वह रूट बंद कर दिया हो, लेकिन जल्द ही वह अपना एक अलग रूट बना लेंगे। उन्हें ज्यादा समय नहीं लगेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं इस टेक्नोलॉजी पर रिसर्च कर रहा हूं। अगर मुझे सर्वर में लॉग इन करने दिया जाए, तो मैं इसे ठीक कर सकता हूं।”
मैनेजर को उनकी बातों पर यकीन नहीं हो रहा था। लेकिन जब दिल्ली हेड ऑफिस से टेक्निकल हेड का फोन आया और उन्होंने नारायण प्रसाद जी का नाम लिया, तो मैनेजर को समझ आ गया कि वह व्यक्ति वही हैं जिनके बारे में टेक्निकल हेड बात कर रहे थे।
बैंक का बचाव
नारायण प्रसाद जी को सर्वर में लॉग इन करने दिया गया। उन्होंने कुछ कोड टाइप किए और एंटर दबाया। कुछ ही मिनटों में बैंक का सिस्टम ठीक हो गया। जिन कस्टमर्स के पैसे कटे थे, उनके पैसे वापस आ गए।
पूरा स्टाफ खुशी से उछल पड़ा। मैनेजर ने नारायण प्रसाद जी से माफी मांगी और उनका धन्यवाद किया।
निष्कर्ष
नारायण प्रसाद जी की इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि किसी व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों या उम्र से नहीं होती। असली पहचान उसके ज्ञान, अनुभव और काबिलियत से होती है।
इस घटना के बाद बैंक ने नारायण प्रसाद जी को सम्मानित किया और उनकी रिसर्च को आगे बढ़ाने में मदद की। उनका नाम भारत के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।
ज्ञान और अनुभव ही असली ताकत है।
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