सीधे-साधे लड़के की || होने वाली पत्नी बोली एक रात तुम्हारे साथ बितानी है || और फिर

यह पूरी घटना एक ग्रामीण परिवेश और आधुनिक सोच के टकराव को दर्शाती है। कहानी स्मिता और रोहन के इर्द-गिर्द घूमती है—जहाँ एक ओर रोहन परंपरागत संस्कारों में विश्वास रखता है, वहीं स्मिता आधुनिक जीवनशैली और खुले विचारों से प्रभावित है।

शादी से ठीक पाँच दिन पहले स्मिता अपने होने वाले पति रोहन को होटल में बुलाती है। वहाँ जाकर वह रोहन से शादी से पहले ही शारीरिक संबंध बनाने की जिद करती है। रोहन शुरुआत में इस बात का कड़ा विरोध करता है और कहता है कि यह सब केवल शादी के बाद होना चाहिए। लेकिन स्मिता अपनी शंका को दूर करने के लिए अड़ जाती है और कहती है कि अगर रोहन उसकी बात नहीं मानेगा, तो वह शादी ही नहीं करेगी।

रोहन, जिसे स्मिता पहले से पसंद था, मजबूरी में उसकी बात मान लेता है। दोनों होटल में रात बिताते हैं। अगले दिन स्मिता को लगता है कि अब सब कुछ ठीक है और शादी धूमधाम से होगी। लेकिन रोहन का नज़रिया बदल चुका था। वह साफ कह देता है कि स्मिता उसकी परीक्षा में असफल हो गई है और वह अब उससे शादी नहीं कर सकता।

स्मिता इस घटना से टूट जाती है, लेकिन उसकी परेशानियाँ यहीं खत्म नहीं होतीं। एक महीने बाद उसे पता चलता है कि वह गर्भवती है। माँ-बाप को जब सच्चाई का पता चलता है, तो वे मध्यस्थ (बिचोलिया) के जरिए रोहन के परिवार से बात करने की कोशिश करते हैं। लेकिन रोहन साफ कह देता है कि वह स्मिता से शादी नहीं करेगा। हाँ, वह बच्चे की ज़िम्मेदारी उठाएगा, लेकिन स्मिता को पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं करेगा।

यह कहानी कई अहम सवाल खड़े करती है—

आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन कहाँ होना चाहिए?

शादी से पहले विश्वास और धैर्य की जगह संदेह और शंका क्यों बढ़ रही है?

क्या रिश्तों को सिर्फ़ एक “परीक्षा” के तौर पर देखना सही है?

स्मिता का चरित्र यहाँ इस रूप में सामने आता है कि उसने आधुनिक सोच को परंपरा से ऊपर रख दिया, लेकिन उसका यह कदम उसके जीवन पर भारी पड़ गया। वहीं रोहन ने भी स्मिता को माफ़ नहीं किया, क्योंकि उसके लिए पत्नी का अर्थ सिर्फ़ “आधुनिकता” नहीं बल्कि विश्वास और संस्कार थे।

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