बैंगन की वजह से महिला के साथ हुआ बहुत बड़ा हादसा/डॉक्टर के भी होश उड़ गए/

बेलघाट का सच – एक परिवार, एक महिला और एक खौफनाक अंत
आज आपके सामने एक ऐसी सच्ची घटना लेकर आया हूँ जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के बेलघाट गांव में घटी थी। यह कहानी है सूरज कुमार, उसकी पत्नी सुदेश देवी और उनकी मां रोशनी देवी की। यह घटना न सिर्फ एक परिवार की बर्बादी का उदाहरण है, बल्कि समाज के कई कड़वे सच भी उजागर करती है।
शुरुआत – एक आम परिवार की असामान्य जिंदगी
बेलघाट गांव के सूरज कुमार रोज सुबह 20 किमी दूर गत्ता फैक्ट्री में मजदूरी करने जाता था। महीने में 12-13 हजार रुपये कमा लेता था। घर में पत्नी सुदेश देवी और मां रोशनी देवी थी। सुदेश घर संभालती थी, रोशनी देवी उम्रदराज थीं। शादी को 7 साल हो चुके थे, लेकिन औलाद नहीं थी। इसी वजह से घर में अक्सर झगड़े होते। कभी पैसों को लेकर, कभी बच्चे को लेकर। सास बहू को बांझ कहती, बहू सास को जवाब देती – “कमी आपके बेटे में है, वो मुझे वक्त नहीं देता, इच्छाएं पूरी नहीं करता, बच्चे कैसे होंगे?”
सूरज चुपचाप सब सुनता, नजरें झुका लेता। उसकी मां भी जानती थी कि बेटा कमजोर है, लेकिन घर की इज्जत के लिए चुप रहती। रोजमर्रा की परेशानियों के बीच सूरज अपनी मेहनत करता, लेकिन घर में शांति नहीं थी।
सुदेश की आदतें और बैंगन का राज
रोज सुबह सब्जी वाला आता। सुदेश हर दिन 2 किलो आलू और सिर्फ एक बैंगन खरीदती। सास को यह अजीब लगता – “हर दिन एक ही बैंगन क्यों?” सूरज फैक्ट्री चला जाता, घर में सास-बहू अकेली रह जातीं। सुदेश बाथरूम में बैंगन लेकर जाती, दरवाजा बंद कर लेती। 20-25 मिनट बाद बाहर आती। सास को शक हुआ, समझ गई कि बहू के मन में कुछ और है।
रोशनी देवी ने चेताया – “एक दिन ये बैंगन ही तुम्हारी जान ले लेंगे, ये आदत छोड़ दो।” लेकिन सुदेश ने बातों को अनसुना कर दिया। पति इच्छाएं पूरी नहीं करता, सास ताने मारती है, सुदेश अब गैर मर्द का सहारा लेने के बारे में सोचने लगी।
मनीष की एंट्री – सब्जी वाले से संबंध
10 सितंबर 2025, सूरज फैक्ट्री गया, सास पड़ोस गई, सुदेश अकेली थी। सामने सब्जी की दुकान पर गांव का लड़का मनीष बैठता था – हैंडसम, जवान। सुदेश अब सब्जी खरीदने के बहाने मनीष की दुकान पर जाती, बातें करती। मनीष भी उस पर फिदा था। दोनों की बातचीत बढ़ने लगी।
20 सितंबर को सुदेश ने मनीष से कहा – “मुझे 2 किलो आलू और एक अच्छा बैंगन दे दो।” मनीष ने पूछ ही लिया – “हर रोज एक बैंगन क्यों?” सुदेश ने हंसते हुए कहा – “पति थककर सो जाता है, मुझे वक्त नहीं देता।” मनीष बोला – “अब तुम्हें बैंगन की जरूरत नहीं पड़ेगी।” सुदेश ने मुस्कुराते हुए कहा – “आज घर पर कोई नहीं है, 10 मिनट बाद आ जाना।”
मनीष दुकान बंद करके आया, सुदेश ने दरवाजा खोला, कमरे में ले गई। दोनों ने अपनी रजामंदी से गलत संबंध बनाए। मनीष ने 2000 रुपये दिए, सुदेश खुश हो गई। अब जब भी मौका मिलता, मनीष को बुलाती, पैसे लेती, फ्री में सब्जी भी मिलती।
दोस्तों की पार्टी – कड़वा सच उजागर
30 सितंबर, मनीष अपने दोस्त प्रवीण के साथ पार्टी करता है। शराब पीते हुए मनीष ने बताया – “सूरज की बीवी सुदेश से संबंध हैं।” प्रवीण ने कहा – “मुझे भी जाना है, पैसे दे दूंगा।” मनीष ने सुदेश को फोन किया, सुदेश ने पैसों के लिए बुला लिया। दोनों दोस्त घर पहुंचे, पैसे दिए, सुदेश ने अंदर ले जाकर दोनों के साथ संबंध बनाए। अब ये सिलसिला चल पड़ा – जब भी दोनों को मौका मिलता, पैसे देकर सुदेश के साथ वक्त बिताते।
कपड़ा वाला सुंदर सिंह – नया मोड़
25 अक्टूबर, सास पड़ोस गई, सुदेश अकेली थी। गली में कपड़ा बेचने वाला सुंदर सिंह आया, 8000 रुपये लेने। सुदेश ने कहा – “थोड़े कपड़े और चाहिए, अगले महीने सब चुका दूंगी।” सुंदर सिंह ने जिद की – “पहले पैसे दो।” सुदेश ने कहा – “अगर पैसे वसूलना है, तो आज मौका है।” सुंदर सिंह मान गया, सुदेश ने दरवाजा बंद किया, कमरे में ले गई, दोनों ने संबंध बनाए। सुंदर ने कपड़े दिए, सुदेश खुश हो गई। अब सुदेश को कपड़ा वाला भी पसंद आ गया – पैसे भी, कपड़े भी।
सास की उम्मीद और बैंगन का अंत
4 नवंबर, सुदेश ने सास को सब्जी खरीदने भेजा। सास खुश थी कि बहू सुधर गई है। सास ने आलू और बैंगन खरीदे, घर आई, बोला – “आज आलू-बैंगन की सब्जी बनानी है।” सुदेश खुश थी – सास पड़ोस गई, सुंदर सिंह को घर बुलाया। दोनों ने संबंध बनाए। लेकिन 10-15 मिनट बाद सास लौट आई। दरवाजा बंद था, सास ने आवाज दी, दस्तक दी। सुदेश डर गई, किसी तरह दरवाजा खोला। सास ने देखा – सुंदर सिंह आपत्तिजनक स्थिति में था। सास ने दोनों को गालियां दीं, सुंदर सिंह भाग गया। सास ने बेटे सूरज को कुछ नहीं बताया।
शाम को सूरज फैक्ट्री से लौटा। सास ने एकांत में बुलाकर सब बता दिया – “बहू गलत रास्ते पर है, दो लड़कों के साथ पकड़ा था, आज कपड़ा वाला भी…” सूरज को गुस्सा आया, मां की बात झूठ नहीं थी।
अंतिम रात – खौफनाक फैसला
रात 8 बजे, सूरज ने सुदेश को कमरे में बुलाया, दरवाजा बंद किया। बैंगन उठाए, सुदेश के हाथ-पैर रस्सी से बांधे, मुंह पर कपड़ा बांधा। फिर बैंगन उसके संवेदनशील हिस्सों में डालना शुरू कर दिया। 2 घंटे तक दरवाजा नहीं खुला। सास को शक हुआ, पड़ोसियों को बुलाया, दरवाजा तोड़ा। अंदर सुदेश मृत पड़ी थी, शरीर से खून बह रहा था। सूरज पास बैठा था।
पुलिस आई, सूरज को गिरफ्तार किया। पूछताछ में सूरज ने पूरी कहानी बता दी। पुलिस भी दंग रह गई। सूरज के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई।
कहानी का सवाल और समाज का संदेश
इस घटना ने पूरे गांव को हिला दिया। सवाल उठा – सूरज ने जो किया, सही था या गलत? क्या समाज में ऐसे मामले सिर्फ महिला की गलती से होते हैं, या परिवार, रिश्ते, इच्छाओं की अनदेखी भी जिम्मेदार है?
इस कहानी का अंत खौफनाक है, लेकिन यह समाज के लिए एक आईना है। रिश्तों में संवाद, समझदारी, और सम्मान जरूरी है। पैसों की लालच, इच्छाओं की अनदेखी, और गलत राह पर चलना – सबका अंजाम बुरा होता है।
समाप्ति
दोस्तों, यह सच्ची घटना है, जिसमें हर किरदार की गलतियां और मजबूरियां सामने आती हैं। आप क्या सोचते हैं – सूरज का फैसला सही था या गलत? सुदेश की आदतें, सास की चुप्पी, मनीष और सुंदर सिंह की भूमिका – किसका दोष ज्यादा है?
आपकी राय कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
अगर कहानी ने दिल छू लिया हो तो शेयर जरूर करें।
मिलते हैं किसी और सच्ची घटना के साथ।
तब तक के लिए – जय हिंद।
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