करोड़पति ने नीलामी में लड़की को बचाने के लिए खरीदा, कुछ घंटों बाद ऐसा राज बताया कि उसकी रूह कांप गई!

लॉकेट का रहस्य: नीलामी में खरीदी गई लड़की और खोई बहन की तलाश”

भाग 1: एक अमीर आदमी और नीलामी की रात

अरुण वर्मा एक सफल लेकिन बेहद अकेला व्यक्ति था। उसकी जिंदगी में सब कुछ था, सिवाय सुकून और अपनेपन के। एक रात, वह ऐसी जगह पहुंचा जहां इंसानों की नीलामी हो रही थी। चारों तरफ रसूखदार लोग, नकाबपोश चेहरे, लालच की झलक और डरावनी खामोशी। अरुण का दिल घबराया, लेकिन उसे वहां खींच लाने वाली कोई अनदेखी डोर थी।

अचानक मंच पर एक दुबली-पतली, डरी-सहमी लड़की को लाया गया। उसके गले में एक सुनहरा लॉकेट था। अरुण की नजर उसी पर टिक गई। वह लॉकेट हूबहू उसकी बहन प्रिया के लॉकेट जैसा था, जो 15 साल पहले रहस्यमय तरीके से गायब हो गई थी। अरुण का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

नीलामी शुरू हुई। बोली बढ़ती गई—10 लाख, 15 लाख, 20 लाख… अरुण ने बिना सोचे 50 लाख की बोली लगा दी। सब हैरान रह गए। आखिरकार, लड़की अरुण की हो गई।

भाग 2: मीरा और लॉकेट का रहस्य

रात को अरुण अपनी कार में बैठा, पीछे मीरा नाम की वह लड़की चुपचाप बैठी थी। अरुण ने उसके डर को महसूस किया और कहा, “तुम अब सुरक्षित हो।” मीरा ने धीमे से कहा, “मैं एक औरत को जानती हूं, जो यह लॉकेट पहनती थी। उसने मुझसे कहा था, जब भी मौका मिले, भाग जाना। उसका नाम प्रिया था।”

अरुण का दिल कांप उठा। क्या प्रिया जिंदा है? मीरा के पास उसका लॉकेट कैसे आया? उसने पूरी रात सो नहीं पाया। सुबह होते ही उसने अपने दोस्त और डिटेक्टिव करण सिंह को बुलाया। करण ने लॉकेट की जांच की। उसमें छुपा एक कागज मिला—”मुझे बचाओ, मैं अभी भी यहां हूं।”

भाग 3: डायरी और पुराने राज

मीरा ने हवेली के पुराने हिस्से में एक जर्जर डायरी खोजी। वह प्रिया की थी। डायरी में लिखा था—”अगर मेरे साथ कुछ होता है तो यह उसी की वजह से होगा। अरुण को यह पता होना चाहिए।”

अरुण ने डायरी अपनी मां सुधा को दिखाई। सुधा ने चेतावनी दी—”हर सच अच्छा नहीं होता। कुछ बातें जितनी दबी रहें, उतना अच्छा है।” लेकिन अरुण सच जानने के लिए तैयार था।

भाग 4: सच्चाई की तलाश

करण ने जांच शुरू की। पता चला, प्रिया दो महीने पहले हरिद्वार के एक शरण स्थल में थी। वहां की महिलाओं ने बताया, वह किसी को बचाने आई थी और वेरोनिका नाम की एक औरत से खतरा था। प्रिया ने मीरा को बचाने की जिम्मेदारी दी थी।

अरुण और करण हरिद्वार पहुंचे। वहां की महिला ने बताया, प्रिया ने कहा था—”मीरा ही आखिरी कड़ी है। अगर अरुण मुझे ढूंढ रहा है, तो सावधान रहे। वे उसे रोकने के लिए कुछ भी करेंगे।”

अरुण समझ गया, मीरा खतरे में है। वह तुरंत दिल्ली लौट आया।

भाग 5: खतरे की घड़ी

हवेली पहुंचकर अरुण ने मीरा को आवाज दी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। तभी ऊपर से मीरा की चीख सुनाई दी। अरुण और करण दौड़ते हुए सीढ़ियों पर पहुंचे। कमरे में वेरोनिका खड़ी थी, उसकी आंखों में पागलपन था। मीरा जमीन पर बैठी थी, लेकिन अब उसके चेहरे पर डर नहीं, हिम्मत थी।

अरुण ने वेरोनिका को चेतावनी दी, “अगर तुमने उसे छूने की कोशिश की, तो मैं तुम्हें मिटा दूंगा।” वेरोनिका पागलपन से मुस्कुराई, लेकिन मीरा अब चुप नहीं थी। उसने अपने डर पर जीत पा ली थी।

भाग 6: नई शुरुआत

मीरा को बचाकर अरुण ने महसूस किया कि उसकी बहन प्रिया की तलाश की डोर मीरा से जुड़ी थी। वेरोनिका का राज, प्रिया का बलिदान, और मीरा की हिम्मत—इन सबने अरुण की दुनिया बदल दी। लॉकेट के रहस्य ने उसे अपने अतीत से जोड़ दिया, और अब वह जानता था कि सच्ची बहादुरी डर से लड़ना है, सच्ची मोहब्बत किसी को बचाना है।

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