कॉलेज में साथ पढ़ने वाला || करोड़पति लड़का 2 साल बाद ऑटो चलाता मिला आखिर क्यों

पूरी कहानी: आकांक्षा और आदित्य की सच्ची मोहब्बत

आकांक्षा दिल्ली की एक अमीर लड़की थी, जो अपने पिता के बिजनेस में उनका हाथ बंटाया करती थी। रोज सुबह अपनी गाड़ी में बैठकर ऑफिस जाती, लेकिन उसकी जिंदगी में खुशी नाम की कोई चीज नहीं थी। वह अक्सर उदास रहती थी, और उसके पिता उसकी उदासी देखकर परेशान रहते थे।

एक दिन जब आकांक्षा ऑफिस जा रही थी, एक चौराहे पर अचानक एक ऑटो उनकी गाड़ी के सामने आ गया। ड्राइवर ने ब्रेक लगाया। आकांक्षा ने ऑटो वाले को देखा तो वह चौंक गई। वह ऑटो वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका कॉलेज का दोस्त आदित्य था।

आकांक्षा ने ड्राइवर से कहा, “इस ऑटो का पीछा करो।” ड्राइवर हैरान था, लेकिन आकांक्षा की जिद के आगे उसे मानना पड़ा। ऑटो करोल बाग की एक चॉल में जाकर रुका। आदित्य वहां अपने कमरे में चला गया। आकांक्षा ने ड्राइवर को बाहर इंतजार करने को कहा और खुद उस कमरे तक पहुंच गई।

कमरे में आदित्य अपनी मां को दवाई दे रहा था। आकांक्षा को देखकर वह चौंक गया।
“आकांक्षा, तुम यहां?”
आकांक्षा की आंखों में आंसू थे, “आदित्य, तुम यहां ऐसे क्यों? तुम तो कॉलेज के सबसे अमीर लड़के थे!”

आदित्य ने उसे शांत किया, पानी दिया और दोनों बैठ गए। आदित्य की मां ने पूछा, “बेटा, यह कौन है?”
आदित्य बोला, “मां, यही आकांक्षा है, जिसके बारे में मैं बताता था।”

मां मुस्कुरा दी, “बहुत खूबसूरत है, जितना तू बताता था उससे भी ज्यादा।”
आकांक्षा परेशान थी, “आदित्य, तुम्हारे पास जितना भी पैसा था, वो कहां गया? तुम यहां क्यों रह रहे हो?”

आदित्य ने बताया, “जब मैं कॉलेज में था, पापा का बड़ा बिजनेस था। लेकिन सेकंड ईयर में पापा की मौत हो गई। उनके पार्टनर ने धोखा दिया, सारा बिजनेस छीन लिया और कर्ज में डूब गए। बंगला बेचकर कर्ज चुकाया, मां की तबीयत खराब हो गई। पढ़ाई छूट गई, अब ऑटो चलाकर मां का पेट भरता हूं।”

आकांक्षा के सारे सवालों के जवाब मिल गए, लेकिन एक सवाल बचा था, “तुमने अपनी मां को मेरे बारे में क्यों बताया?”

आदित्य मुस्कुराया, “सान्या ने मुझे बताया था कि तुम मुझसे प्यार करती हो। मैं भी तुमसे प्यार करता था, लेकिन चाहता था कि तुम खुद हिम्मत करके इजहार करो। जब करने वाली थी, तभी मेरी जिंदगी बदल गई। गरीबी में आ गया, सोचा तुम अमीर हो, मैं गरीब, समाज क्या कहेगा।”

आकांक्षा की आंखों में आंसू थे, उसने आदित्य को गले लगा लिया, “मुझे फर्क नहीं पड़ता कि तुम गरीब हो या अमीर। मैं तुमसे प्यार करती हूं। अब हम दोनों शादी करेंगे।”

आदित्य ने मना किया, लेकिन आकांक्षा जिद्दी थी। घर जाकर पिता से सब कुछ बता दिया। पिता बहुत खुश हुए, बोले, “मैं ही फैसला करूंगा, मेरी बेटी की खुशी सबसे ऊपर।” भाई ने विरोध किया, “ऑटो वाले से शादी?”
पिता ने बेटे को डांटा, “तेरी नहीं, मेरी चलेगी।”

अगले दिन पिता आदित्य की मां से मिलने पहुंचे। मां ने हाथ जोड़कर कहा, “मुझे कोई आपत्ति नहीं, बस समाज का डर है।”
पिता बोले, “चिंता मत करो, मैं आदित्य का छोटा बिजनेस शुरू करवा दूंगा।”

बातें तय हुईं, आदित्य को बिजनेस मिला, शादी धूमधाम से हुई। किसी को पता नहीं चला कि आदित्य कभी ऑटो चलाता था। पिता ने दोनों को घर भी दिला दिया।

कुछ समय बाद आदित्य की मां के नाम एक लिफाफा आया। उसमें वसीयत थी—आदित्य की मां के पिता (आदित्य के नाना) की मौत हो गई थी, सारी प्रॉपर्टी मां के नाम आ गई। मां ने आदित्य को पूरी कहानी बताई—लव मैरिज के कारण नाना ने उन्हें घर से निकाल दिया था। अब सब कुछ लौट आया।

आदित्य और आकांक्षा की जिंदगी बदल गई। उनका बेटा बिजनेस संभालने लगा, मां का देहांत हो गया, लेकिन दोनों खुश थे।

सीख:
प्यार अमीरी-गरीबी नहीं देखता। हालात बदल सकते हैं, लेकिन सच्चे दिल कभी नहीं बदलते।
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