गरीबी कारण पत्नी ने किया पति से तलाक , 7 साल बाद पत्नी बनी करोड़ो रुपए की कंपनी के मालिक…

“अहंकार की दीवारें, प्यार की रोशनी”

प्रस्तावना

यह कहानी है सीमा वर्मा की, एक ऐसी औरत जिसकी आवाज़ से लोग कांप जाते थे, और कमलेश मेहरा की, जो कभी उसका सब कुछ था और आज एक मामूली चपरासी बनकर उसकी कंपनी में आया। दोनों की ज़िंदगी में तलाक, दर्द, अहंकार और अंत में सच्चे प्यार की जीत हुई। आइए पढ़ते हैं उनकी पूरी कहानी—

भाग 1: सीमा वर्मा – ताकत और तन्हाई

शहर की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी की मालकिन थी सीमा वर्मा। उसकी आवाज़ कड़क थी, फैसले पत्थर की लकीर। हर कोई उसका कहना मानता, कोई इंकार नहीं करता।
लेकिन उसकी इस सफलता के पीछे एक गहरी खामोशी थी, जो उसे अंदर ही अंदर खलती थी।
सीमा ने अपने जीवन में सब कुछ पाया था, लेकिन दिल की तन्हाई दूर नहीं कर पाई थी।

भाग 2: अतीत की दस्तक

एक दिन सुबह 7 बजे से ही सीमा ने मीटिंग्स शुरू कर दी। सहायक रिपोर्ट दे रहा था, तभी HR हेड आया और बोला – “मैम, नए कर्मचारियों की सूची आ गई है।”
सीमा ने फाइल ली, उसमें एक नाम देखकर उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा – कमलेश मेहरा
यह वही आदमी था जिससे सीमा ने 7 साल पहले तलाक लिया था। वही, जिसने कभी उसे हंसी दी थी, वही जिसने उसे दर्द में डुबो दिया था।

भाग 3: कॉलेज के दिनों से तलाक तक

7 साल पहले सीमा और कमलेश एक छोटे से गांव के कॉलेज में मिले थे। सीमा होशियार और महत्वाकांक्षी थी।
कमलेश एक सीधा-साधा, शायरी में खोया रहने वाला लड़का था।
दोस्ती हुई, फिर प्यार।
सपने देखे – छोटा घर, नई जिंदगी।
शादी के बाद सीमा ने करियर को गंभीरता से लिया, स्टार्टअप शुरू किया।
कमलेश बेरोजगार था, उसकी शायरी की किताबें नहीं बिक रही थीं।
सीमा दिन-रात कंपनी के लिए मेहनत करती रही, कमलेश शिकायतें करने लगा।
बातों की जगह खामोशी आ गई।
एक दिन झगड़ा हुआ –
कमलेश बोला, “तुम अब वह सीमा नहीं रही, जो मुझसे शादी करना चाहती थी।”
सीमा बोली, “तुम वह आदमी नहीं रहे, जो मेरे साथ चलना चाहता था।”
वही उनका आखिरी झगड़ा था।
उस दिन दोनों ने एक-दूसरे को खो दिया।

भाग 4: पुनर्मिलन – चपरासी की नौकरी

अब 7 साल बाद कमलेश उसकी कंपनी में चपरासी बनकर आया था।
सीमा ने खुद को संभाला, HR से पूछा – “यह बोचमैन कौन है? कहाँ से आया?”
HR बोला – “पहले अखबार में काम करता था, निकाल दिया गया। किसी भी काम से परहेज नहीं है।”
सीमा ने कहा, “ठीक है, रख लो।”

अगले दिन सीमा ने कमलेश को देखा –
पहले से काफी बदल गया था।
दोनों कुछ पल एक-दूसरे को देखते रहे।
कमलेश ने झुककर कहा, “नमस्ते मैडम।”
सीमा ने सिर हिलाया और आगे बढ़ गई।
पर उसके हर कदम के पीछे अतीत के कदमों की आवाज़ थी।

भाग 5: कमलेश का संघर्ष

दिन बीतते गए।
कमलेश अपने काम में लगा रहा, किसी से बात नहीं करता।
लंच में सबसे दूर जाकर सूखी रोटी खाता।
सीमा ने कई बार उसे कार्यालय के शीशे से देखा – पूरी तरह टूट चुका था।

एक दिन मीटिंग रूम में चाय गिर गई।
सब परेशान थे, विदेशी क्लाइंट्स आने वाले थे।
कमलेश आया, बिना बोले सब साफ कर दिया।
सीमा ने पहली बार उसकी आंखों में देखा – कोई शिकायत नहीं थी।

रात को सीमा ने पुराना एल्बम निकाला –
शादी की तस्वीरें, हँसी, प्यार।
कमलेश उसके गालों पर चाय के बुलबुले फूंक रहा था।
सीमा की आंखें नम हो गईं।

भाग 6: कंपनी में बड़ा हादसा

कंपनी के अकाउंट से किसी ने बिना अनुमति ट्रांजैक्शन किए।
सीमा ने ऑडिट टीम बुलाई।
CCTV फुटेज में छाया दिखी – चेहरा साफ किया गया, कमलेश का चेहरा था।
सभी हैरान – एक चौकीदार ऐसा कैसे कर सकता है?
HR बोला – “यह आदमी भरोसे के लायक नहीं था।”
सीमा का दिल टूट गया।
उसने कहा – “अभी कोई फैसला मत करो, मैं खुद जांच करूंगी।”

रात भर CCTV रिकॉर्डिंग देखती रही।
कमलेश के पीछे एक और छाया थी – कोई दूसरा आदमी फाइलें उठा रहा था।
सीमा समझ गई – असली दोषी कोई और है, कमलेश को फंसाया गया।

भाग 7: सच्चाई का उजागर होना

अगले दिन सीमा ने सबके सामने असिस्टेंट मैनेजर की चोरी का फुटेज दिखाया।
सिक्योरिटी ने उसे पकड़ लिया।
सीमा की दूरदर्शिता की तारीफ हुई।
कमलेश निर्दोष निकला।
सीमा की आंखों में कुछ टूटकर जुड़ गया था।

रात को सीमा ने कार्यालय की खिड़की खोली –
नीचे कमलेश खड़ा था, आंखों में शांति थी।
वह जानता था – सीमा ने उसे बचा लिया।

भाग 8: कंपनी में नया संकट

कंपनी का बड़ा प्रोजेक्ट लॉन्च होने वाला था।
नेटवर्क सिस्टम में बार-बार एरर, फाइलें गायब, रिपोर्ट्स बदल रही थीं।
सीमा को शक हुआ – क्या कमलेश?
फिर भी उसने सबूत ढूंढने का निश्चय किया।

कमलेश ने दो आदमी को फुसफुसाते देखा, फोन से उनकी फोटो ली।
उन्होंने उसे देख लिया, फोन छीनने की कोशिश की।
सीमा आई, फोन देखा –
उन दोनों की फोटो थी।
सीमा ने समझा – यही लोग गड़बड़ कर रहे थे।

जांच में पता चला – वे माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के जासूस थे, डाटा चोरी करने आए थे।
कमलेश ने फिर कंपनी को बचा लिया।

भाग 9: रिश्तों की नई शुरुआत

सीमा ने उस रात कमलेश से कहा –
“तुमने फिर मेरी दुनिया बचाई।”
कमलेश बोला, “पहले भी कोशिश की थी, पर तब तुमने मुझसे दुनिया छीन ली थी।”
सीमा बोली, “गलती हम दोनों से हुई थी। मैं जीतना चाहती थी, तुम समझना। हम दोनों एक-दूसरे को खो बैठे।”

कमलेश बोला, “अब क्या फर्क पड़ता है? तुम ऊपर पहुंच गई, मैं नीचे आ गया। सब खत्म हो चुका है।”
सीमा बोली, “कुछ भी खत्म नहीं हुआ है। मैं अब भी चाहती हूं कि तुम्हें समझ सकूं।”

कई हफ्ते बीते, दोनों के बीच एक अजीब सा रिश्ता बन गया था।
बॉस और कर्मचारी वाला नहीं, दो आत्माओं के बीच का।
सीमा देर रात तक काम करती तो कमलेश उसकी टेबल पर चाय रख जाता।
कमलेश सफाई करते-करते खिड़की से बाहर देखता – वही पुराना वक्त याद आता।

भाग 10: इवेंट और दिल की बातें

कंपनी में इवेंट हुआ –
हर कर्मचारी से अपनी कहानी बताने को कहा गया।
कमलेश बोला –
“कभी मेरे पास सब कुछ था, प्यार भी, सम्मान भी।
पर मैं खुद को बड़ा साबित करने के चक्कर में सब कुछ खो बैठा।
अब समझ आया – रिश्ते कमजोर नहीं होते, अहंकार उन्हें तोड़ देता है।
सफलता क्या है? किसी के चेहरे की मुस्कान देख पाना।”

पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।
सीमा बोली –
“गलती क्या होती है? किसी सच्चे इंसान को देर से पहचानना।”

इवेंट के बाद सीमा वहीं बैठी रही।
कमलेश ने पूछा, “तुम रो रही हो?”
सीमा बोली, “नहीं, आंखों में धूल चली गई है।”
कमलेश बोला, “धूल तो दिल में गई है।”
सीमा मुस्कुराई, “तुम अब भी वैसे ही बात करते हो जैसे पहले।”

भाग 11: प्यार की वापसी

रात बहुत देर तक दोनों कंपनी की शीर्ष मंजिल पर खड़े रहे।
सीमा बोली, “याद है जब पहली बार मैंने कहा था कि हम साथ मिलकर कुछ बड़ा करेंगे?”
कमलेश बोला, “हां, याद है। पर वह सूरज डूब गया था।”
सीमा बोली, “तो चलो उसे फिर उगाते हैं।”
कमलेश ने उसकी तरफ देखा – यकीन नहीं हो रहा था कि यह वही सीमा है।

कमलेश बोला, “लोग क्या कहेंगे?”
सीमा बोली, “लोग हमेशा कुछ कहेंगे, पर जिंदगी हमें जीनी है।”

बिजली कड़की, बारिश शुरू हो गई।
दोनों भीगते रहे, एक-दूसरे को गले लगाया।
सीमा बोली, “इस बार अगर मैं तुम्हें गले लगाऊं तो फिर कभी मत छोड़ना।”
कमलेश बोला, “इस बार अगर तू छोड़ भी दे, तो मैं नहीं जाऊंगा।”

भाग 12: नई शुरुआत

सीमा ने धीरे-धीरे कमलेश को कंपनी में ऊंची पोस्ट दिलाई।
अंत में दोनों एक हो गए, फिर दोबारा शादी कर ली।
अपना पुराना राज किसी के सामने नहीं आने दिया।

अब दोनों ने मिलकर विदेश में अपना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया।
बहुत पैसा, बहुत खुशियां – पर सबसे बड़ी जीत थी उनका रिश्ता, जिसने अहंकार की दीवारें तोड़कर प्यार की रोशनी फैला दी।

समाप्ति और संदेश

सीमा और कमलेश की कहानी हमें सिखाती है—

रिश्ते अहंकार से नहीं, समझ और अपनापन से चलते हैं।
सफलता का असली मतलब है किसी के चेहरे की मुस्कान।
गलती है सच्चे इंसान को देर से पहचानना।
प्यार अगर सच्चा हो, तो हर तूफान पार कर सकता है।

अगर आपको यह कहानी पसंद आई तो कमेंट करें, शेयर करें और अपने दिल की बात जरूर लिखें।

जय हिंद!