गरीब पति ने अमीर पत्नी से मदद मांगने गया तो पत्नी ने धक्के मार कर भगाया.. फिर जो हुआ..

“शक, अहंकार और प्रेम – दिल्ली के रवि, सीमा और दिया की सच्ची कहानी”
दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में रवि और सीमा का छोटा सा घर था। घर छोटा था, लेकिन उसमें प्रेम की कोई कमी नहीं थी। रवि एक साधारण इंजीनियर था, जिसकी मासिक तनख्वाह सिर्फ ₹45,000 थी, मगर उसका दिल बहुत बड़ा था। सीमा दिल्ली के नामी व्यापारी परिवार की इकलौती बेटी थी, जिसके पास दौलत की कोई कमी नहीं थी। कॉलेज में रवि की सादगी और सच्चे प्रेम ने सीमा को मोहित कर लिया और दोनों की शादी धूमधाम से हो गई।
शादी के बाद रवि-सीमा का जीवन खुशियों से भरा था। पांच साल बाद उनकी जिंदगी में एक नन्हा फरिश्ता आया – दिया। सीमा ने अपनी बेटी का नाम दिया रखा, क्योंकि वह उनके जीवन में उजाला लेकर आई थी। दिया के आने के बाद उनका घर और भी खुशहाल हो गया। रवि हर सुबह दिया के लिए नाश्ता बनाता, उसे स्कूल छोड़ता, शाम को ऑफिस से आकर पार्क में खेलता। सीमा भी एक बड़ी कंपनी में मैनेजर थी, लेकिन घर आकर वह सिर्फ पत्नी और मां बन जाती थी।
नई बॉस, नया शक
सब कुछ ठीक था, जब तक रवि के ऑफिस में नई बॉस प्रिया नहीं आई। वह खूबसूरत और चतुर थी। रवि अच्छा कर्मचारी था, इसलिए प्रिया उसे अक्सर काम के लिए बुलाती। धीरे-धीरे रवि को देर तक ऑफिस में रुकना पड़ता, कई बार रात 10-11 बजे घर आता। सीमा को यह अच्छा नहीं लगता था। उसने पूछा, “रवि, तुम इतनी देर क्यों आते हो?”
रवि ने सफाई दी, “ऑफिस में बहुत काम है, नई बॉस ने कई प्रोजेक्ट दिए हैं।”
लेकिन सीमा के मन में शक के बीज अंकुरित होने लगे। उसकी सहेलियां भी उसे भड़कातीं – “देख सीमा, आजकल किसी पर भरोसा मत कर। रवि अमीर नहीं है, कहीं तेरी दौलत के लिए…” सीमा ने बचाव किया, लेकिन मन के एक कोने में शक की चिंगारी जल चुकी थी।
शक का बढ़ना और रिश्तों में दरार
एक दिन सीमा का फोन रवि के पास रह गया। रात को जब फोन बजा, दूसरी तरफ महिला की आवाज थी – “हेलो रवि, कल की मीटिंग के बारे में बात करनी थी।” सीमा ने पूछा, “कौन हैं आप?”
“मैं प्रिया हूं, रवि की बॉस।”
सीमा परेशान हो गई। रवि से पूछा, तो वह थक कर बोला, “जरूरी प्रोजेक्ट है, शायद देर हो जाए।”
सीमा का गुस्सा भड़क उठा – “तो अब तुम दूसरी औरतों के घर भी जाने लगे हो?”
रवि ने समझाने की कोशिश की, “सीमा, यह काम की बात है।”
लेकिन दोनों के बीच झगड़ा बढ़ गया। दिया डर कर रोने लगी। अगले कुछ हफ्तों में स्थिति और बिगड़ती गई। सीमा को लगने लगा कि रवि उससे दूर हो रहा है। सहेलियों ने आग में घी डाला – “तेरी इज्जत का सवाल है, रवि तुझे धोखा दे रहा है।”
तलाक का फैसला
सीमा ने अपने पिता से तलाक लेने की बात की। पिता ने वकील से बात की और कहा, “तलाक के बाद तुझे रवि से एक भी पैसा नहीं लेना है।”
सीमा ने कहा, “पैसे नहीं लूंगी, बल्कि उसे मानसिक प्रताड़ना का हरजाना दूंगी।”
रवि के सामने तलाक के कागजात रखे गए। वह हैरान रह गया। सीमा ने आरोप लगाया – “तुम्हारा प्रिया के साथ अफेयर है।”
रवि ने बहुत समझाया, “सीमा, तुम गलत समझ रही हो। मैं तुमसे सच्चा प्रेम करता हूं।”
लेकिन सीमा नहीं मानी।
तलाक हो गया। दिया हफ्ते में एक बार रवि के पास रह सकती थी। रवि अकेला पड़ गया। घर गिरवी रखना पड़ा, किराए के छोटे फ्लैट में रहने लगा।
हर हफ्ते जब दिया आती, रवि की जान में जान आती। वह अपनी सारी तकलीफें भूल जाता, सिर्फ बेटी के लिए जीता।
दिया ने पूछा, “पापा, आप उदास क्यों रहते हैं?”
रवि ने कहा, “कुछ नहीं बेटा, पापा बस थका हुआ है।”
दूसरी तरफ सीमा अपने करियर में आगे बढ़ रही थी। प्रमोशन मिला, वाइस प्रेसिडेंट बन गई, तनख्वाह ₹5 लाख महीना। बड़ा बंगला, दिया के लिए अच्छे स्कूल, कपड़े, खिलौने। लेकिन उसके मन में खालीपन था। रात को अकेले रवि की यादें आतीं – “नहीं, मैंने सही किया। रवि धोखेबाज था।”
सीमा की एक गुप्त आदत थी – वह रोज ऑफिस से घर जाते समय रवि के पुराने घर के सामने से गुजरती, देखती कि रवि दिया के साथ कितना प्यार करता है। उसे सुकून भी मिलता, दर्द भी।
दिया की बीमारी और रवि का बलिदान
एक गुरुवार की शाम रवि दिया को लेने सीमा के घर गया। दिया खुश हो गई।
रवि ने दिया के लिए खीर बनाई। रात को दिया को पेट दर्द और तेज बुखार हो गया।
रवि ने सीमा को फोन किया, लेकिन उसका नंबर ब्लॉक था।
रवि दिया को अस्पताल ले गया। डॉक्टर ने बताया – अपेंडिक्स की सर्जरी करनी पड़ेगी, कम से कम ₹1 लाख खर्च आएगा।
रवि के पास सिर्फ ₹15,000 थे। उसने सब जगह मदद मांगी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।
आखिर उसने अपना घर बेच दिया – सिर्फ ₹6,500 में।
पैसे मिलते ही अस्पताल भागा, सर्जरी सफल रही, दिया ठीक हो गई।
सीमा को सच्चाई का एहसास
रात को सीमा रवि के घर के सामने से निकली, लेकिन वहां अंधेरा था।
नेमप्लेट पर नया नाम – राजेश कुमार।
सीमा ने दरवाजा खटखटाया, पता चला – “रवि जी ने घर बेच दिया, बेटी के इलाज के लिए।”
सीमा को जैसे किसी ने छाती पर हथौड़ा मार दिया।
वह अस्पताल पहुंची, पता चला – दिया का ऑपरेशन हुआ, वह ठीक है।
सीमा को एहसास हुआ कि रवि सच कह रहा था। उसने पूरी रात रोते हुए बिताई।
पुनर्मिलन और नई शुरुआत
सीमा ने रवि को ढूंढना शुरू किया, लेकिन वह कहीं नहीं मिला।
रवि ने सोचा – अब इस शहर को छोड़ देगा।
दिया को सीमा के पास छोड़ने से पहले वह उससे मिलना चाहता था।
रवि दिया को लेकर सीमा के घर पहुंचा।
सीमा ने दरवाजा खोला, उसकी आंखें भर आईं।
रवि ने कठोर आवाज में कहा, “मैं दिया को तुम्हें सौंपने आया हूं, मैं जा रहा हूं।”
सीमा ने रोते हुए कहा, “रवि, मुझे सब पता चल गया है। तुमने दिया के लिए अपना घर बेच दिया, मैंने तुम्हारी मदद नहीं की।”
रवि ने कहा, “अब बहुत देर हो चुकी है।”
सीमा उसके पैरों पर गिर पड़ी, “मुझे माफ कर दो। मैंने तुम पर शक किया, तुम्हारी बात नहीं सुनी। मैं अंधी हो गई थी।”
रवि का दिल पिघलने लगा, लेकिन उसने कहा, “तुमने मुझे ऑफिस से बेइज्जत करके निकलवाया।”
सीमा ने कहा, “हां, मैंने बहुत गलत किया।”
दिया रोने लगी – “मम्मी-पापा अब मत लड़ो।”
सीमा ने रवि के सामने हाथ जोड़ लिए – “रवि, मैं तुमसे सच्चाई कहती हूं। हर रात तुम्हारे घर के सामने से गुजरती थी। तुम्हें दिया का ख्याल रखते देखती थी। जिस दिन घर बिक गया, मुझे एहसास हुआ कि मैंने कितनी बड़ी गलती की है।”
सीमा ने आगे कहा, “प्रिया सिर्फ तुम्हारी बॉस थी। मैंने सहेलियों की बातों में आकर तुम पर शक किया।”
रवि की आंखों में आंसू आ गए – “सीमा, मैंने कभी तुम्हारे पैसों की परवाह नहीं की। मैं सिर्फ तुमसे प्यार करता था।”
दिया ने दोनों को गले लगा लिया।
सीमा ने कहा, “रवि, मैं तुम्हें अपनी सारी दौलत दे देती हूं, बस मुझे माफ कर दो।”
रवि ने कहा, “मुझे तुम्हारे पैसे नहीं चाहिए, सिर्फ तुम चाहिए।”
सीमा ने खुशी के आंसुओं के साथ पूछा, “क्या तुम मुझे वापस अपना लोगे?”
रवि ने कहा, “मैंने तुम्हें कभी छोड़ा ही नहीं था।”
दोनों ने एक-दूसरे को कसकर गले लगा लिया।
नई शुरुआत
सीमा ने सारा पैसा रवि के नाम करना चाहा, लेकिन रवि ने मना कर दिया – “हम मिलकर नई शुरुआत करेंगे। तुम्हारा पैसा तुम्हारा, मेरी कमाई मेरी।”
एक हफ्ते बाद फिर से शादी की – कोर्ट मैरिज, सिर्फ दिया मौजूद थी।
रवि ने नया घर खरीदा, सीमा ने नौकरी छोड़कर छोटा सा बिजनेस शुरू किया।
दिया की खुशी का ठिकाना नहीं था – उसे अपने मम्मी-पापा वापस मिल गए थे।
सीख और समापन
कुछ महीनों बाद सीमा ने कहा, “रवि, हमने कितनी बड़ी गलती की थी।”
रवि ने जवाब दिया, “लेकिन इससे हमें एक बड़ी सीख मिली – रिश्तों में सबसे जरूरी चीज विश्वास है। पैसा, शक, अहंकार सब प्रेम के सामने छोटा है।”
सीमा ने कहा, “माफी मांगने में कोई शर्म नहीं है।”
दिया दौड़ कर आई – “मम्मी-पापा आप क्या बात कर रहे हो?”
रवि ने कहा, “हम यह बात कर रहे थे कि हम तुम्हें कितना प्यार करते हैं।”
आज रवि, सीमा और दिया एक खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने अपनी गलतियों से सीख ली है। रवि अब बेहतर जॉब में है, सीमा का बिजनेस भी अच्छा चल रहा है। लेकिन सबसे बड़ी बात – उनके बीच अब कोई शक नहीं है। वे जानते हैं, प्रेम में धैर्य, विश्वास और समझ जरूरी है। पैसा और अहंकार रिश्तों को बर्बाद कर देते हैं।
दिया अब 8 साल की हो गई है, बहुत समझदार है और अपने मम्मी-पापा को बहुत प्यार करती है।
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