जज को अरेस्ट करने पहुँचा गार्ड… लेकिन पेपर पढ़ते ही उसकी सांस अटक गई! |

“अदालत का सच: पेनड्राइव की जंग”

भाग 1: अदालत में तूफान

वेलसिटी नगर की कोर्ट नंबर चार हमेशा अपनी शांति और अनुशासन के लिए जानी जाती थी। मंगलवार की सुबह, जज आर्यन मल्होत्रा केस नंबर 218 की सुनवाई के लिए पहुंचे। 43 वर्षीय आर्यन मल्होत्रा शहर के सबसे ईमानदार और सख्त जजों में गिने जाते थे। आज उनकी आंखों में हल्की थकान थी, लेकिन चेहरे पर वही स्थिरता थी।

कोर्ट रूम में सब कुछ सामान्य था—वकील फाइलें समेट रहे थे, स्टाफ चाय के कप रख रहा था। तभी जज ने केस शुरू करने के लिए हथौड़ा उठाया। उसी पल सिक्योरिटी गार्ड निखिल साहू, जो पिछले आठ साल से अदालत की सुरक्षा में था, आगे बढ़ा। उसकी आंखों में डर था, हाथ कांप रहे थे। उसने जेब से एक फोल्डेड कागज निकाला और कांपती आवाज में बोला,
“सर, मुझे अफसोस है, लेकिन आपको गिरफ्तार करना पड़ेगा।”

पूरा कोर्ट रूम सन्नाटे में डूब गया। जज ने पूछा, “किस आधार पर?”
निखिल ने बताया कि उसे ऊपर से आदेश मिला है, और उसकी पत्नी रिया का ऑपरेशन आज है। धमकी दी गई थी कि अगर आदेश नहीं माना तो उसकी पत्नी की जान खतरे में पड़ जाएगी।

जज ने मेज पर उंगलियां टपटपाईं और कहा, “जो भी कर रहा है, वह छिपकर खेल रहा है। लेकिन जो कागज मुझे मिला है, उसमें जो लिखा है वह मेरे बारे में नहीं, किसी और के बारे में है। यह सिर्फ मेरी गिरफ्तारी का मामला नहीं, बहुत बड़ा जाल है।”

भाग 2: असली सबूत

अचानक अदालत के बाहर हंगामा हुआ। पुलिस दोड़ रही थी। तभी एक महिला अंदर आई, लड़खड़ाते कदमों से बोली,
“जज साहब को मत ले जाइए, गलती आपकी नहीं है। असली सबूत मेरे पास हैं।”

वह निखिल की पत्नी रिया थी। उसने अपने पर्स से एक पेनड्राइव निकाली और कहा, “इसमें वह है जो शायद आपको पूरी तरह बदल देगा और किसी बहुत बड़े चेहरे को बेनकाब भी कर देगा।”

जज ने पेनड्राइव लेने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि दरवाजे के बाहर जोरदार धमाका हुआ। पुलिस दौड़ी, लोग उठ खड़े हुए। उसी वक्त एक आदमी काले कपड़ों में, चेहरा मास्क से ढका हुआ, अदालत में घुस आया। उसकी आंखों में डर था।
उसने चिल्लाया, “जज साहब, मत लेना वह पेनड्राइव! आपको अंदाजा नहीं है उसमें क्या है, अगर आपने देखा तो कोई नहीं बचेगा।”

उसने अपना नाम करण बताया—स्टेट रिकॉर्ड्स डिपार्टमेंट में काम करता था। उसने कहा, पिछले तीन महीनों से गायब हूं, क्योंकि मैंने फाइलों में कुछ देखा था जो किसी को नहीं देखना चाहिए था। हर केस में एक अदृश्य व्यक्ति था, जिसका नाम कहीं नहीं था, लेकिन हर फैसले से उसे फायदा मिल रहा था।

भाग 3: खतरे की घंटी

रिया ने बताया, उसे अनजान नंबर से कॉल आया था—अगर पेनड्राइव नहीं उठाई तो निखिल को मार दिया जाएगा, अगर उठा ली तो जज आर्यन के खिलाफ कार्रवाई होगी। सबको डराकर सच्चाई छुपाने की कोशिश हो रही थी।

तभी कोर्ट रूम के माइक सिस्टम से भारी आवाज आई,
“जज आर्यन, पेनड्राइव वापस कर दो। जो सच तुम खोज रहे हो, वह तुम्हें ही खत्म कर देगा।”

लाइट्स चली गईं, कोर्ट रूम अंधेरे में डूब गया। अचानक चीख, अफरातफरी, रिया जमीन पर गिर गई, पेनड्राइव दूर जा गिरी। करण गायब था, सिर्फ उसका आईडी कार्ड मिला। जज ने पेनड्राइव उठाई, जेब में रखी, बोले,
“यह कोई सामान्य मामला नहीं है। दुश्मन हमारे बीच भी हो सकता है।”

बाहर से पुलिस की आवाजें आईं, “गन शॉट हुआ है, कोई भाग रहा है।”
जज बोले, “निखिल, रिया, मेरे साथ चलो। इस कोर्ट में अब कोई सुरक्षित नहीं है।”

भाग 4: पेनड्राइव का सच

तीनों पुराने प्रशासनिक बिल्डिंग की तरफ बढ़े। जज ने पुराना लैपटॉप निकाला, इंटरनेट डिस्कनेक्टेड था। जैसे ही पेनड्राइव डाली, स्क्रीन पर फाइल खुली—प्रोजेक्ट शैडो कॉन्फिडेंशियल

फाइल में दर्जनों केस नंबर, दो लिस्टें—लिस्ट ए: असली दोषी, लिस्ट बी: छुपे नाम। लिस्ट बी में बार-बार एक नाम—संजय राठी। हर केस में उसे फायदा मिलता था, हर विभाग में उसका आदमी था।
फाइल के आखिरी सेक्शन में लिखा था:
टारगेट: जज आर्यन मल्होत्रा। कारण: वह नेटवर्क के करीब है।

करण को गायब किया गया क्योंकि उसने फाइलें देख ली थीं।

भाग 5: आमना-सामना

अचानक बिल्डिंग में आवाजें आईं। वही मास्क वाला आदमी सामने आ गया, उसके पीछे तीन लोग।
“जज आर्यन, पेनड्राइव दे दीजिए।”
जज बोले, “अगर मैं दे दूं तो करण को छोड़ दोगे?”
मास्क वाला हंसा, “करण पहले ही खत्म हो चुका है।”

ऊपर से आवाज आई, निखिल ने मौका देखकर रिया को पीछे धकेला, मास्क वाले पर झपट पड़ा, गन छिटक गई, गोली चली लेकिन निशाना चूक गया। अफरातफरी में जज रिया का हाथ पकड़कर दौड़ने लगे। निखिल अकेला तीन लोगों से भिड़ रहा था।

दूसरे गलियारे में, सामने एक आदमी खड़ा था—चेहरा साफ, बिना मास्क के—संजय राठी
“आखिर मिल ही लिए जज साहब। यह खेल मेरे नियमों पर चलता है। रिकॉर्ड्स, पुलिस, फैसले सब मेरे हाथ में हैं।”
जज बोले, “तुम्हारी गलती यही है, तुम्हें लगता है कि सच कभी तुम्हारे खिलाफ खड़ा नहीं होगा।”

जज ने पेनड्राइव दीवार की दरार में छुपा दी। संजय चीखा, “कहां है वो?”
जज बोले, “जहां सच को कभी खत्म नहीं किया जा सकता।”

भाग 6: अंत की लड़ाई

पीछे से गोली चली, मास्क वाले के कंधे पर लगी। निखिल लहूलुहान पहुंचा, “रिया भागो!”
संजय ने गन उठाई, “तुम जिंदा कैसे?”
निखिल बोला, “मेरी हिम्मत तुम्हारी गंदी सोच से ज्यादा मजबूत है।”

जज ने रिया को धक्का दिया, “भागो!”
रिया बाहर दौड़ी, पुलिस को सब बता दिया।
पुलिस ने बिल्डिंग घेर ली, संजय हथकड़ी में था, जज दीवार से टिके थे, निखिल जमीन पर गिरा था लेकिन सांस चल रही थी।
कमिश्नर बोले, “सर हमें सब मिल गया—नकली रिकॉर्ड, फर्जी आईडी, धमकी वाले कॉल्स के ऑडियो।”
जज बोले, “पेनड्राइव सबसे बड़ा सबूत है।”
रिया ने कहा, “मैंने उसे सुरक्षित रख लिया है।”

भाग 7: जीत का उजाला

कमिश्नर ने कहा, “आपने आज शहर का सबसे बड़ा गंदा जाल तोड़ा है सर।”
जज मुस्कुराए, “नहीं, यह हमने सब ने मिलकर किया है।”

सीख

कभी-कभी अदालत की शांति में छुपा होता है सबसे बड़ा तूफान।
सच्चाई के लिए लड़ना आसान नहीं, लेकिन जब इंसानियत, हिम्मत और टीम साथ हो तो कोई भी जाल, कोई भी झूठ टिक नहीं सकता।

समाप्त