जब पत्नी ने भरी पार्टी में पति को कहा — गाँव वाला है… तब पति ने…देहाती पति

प्यार, इज्जत और पछतावे की दास्तान
भरी पार्टी थी। रिया अपने दोस्तों के साथ ठहाके लगा रही थी। तभी उसने अपने पति रवि का परिचय कराया, “मीट माय हस्बैंड रवि। गांव से आए हैं, थोड़ा शाय हैं।” किसी ने मजाक में कहा, “रिया, तुम्हें तो कोई स्मार्ट बिजनेसमैन सूट करता।” रिया भी हंस पड़ी, “हां, यह तो अब भी वही गांव वाले रवि हैं। बस पासपोर्ट नया बन गया है।” सब हंसे, सिवाय रवि के। उसकी आंखें झुकी थीं, मुस्कान जबरन थी। दिल के अंदर कुछ टूटता सा महसूस हुआ।
दरअसल, रवि और रिया दोनों एक ही गांव के थे। रवि साधारण परिवार से था, संस्कारों से भरा, पढ़ा-लिखा और सच्चा दिल वाला। उसके माता-पिता ईमानदार और सीधे-साधे इंसान थे। गांव में सब लोग रवि की इज्जत करते थे। वहीं रिया अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी, बचपन से ही अपने नाना-नानी के यहां विदेश में पली-बढ़ी थी। उसकी पूरी पढ़ाई भी वहीं हुई थी। वह साल में बस कुछ दिन के लिए ही गांव आती थी। उसे गांव की मिट्टी, सादगी और छोटे-छोटे रिश्ते ज्यादा समझ नहीं आते थे।
एक दिन रिया के पिताजी को ख्याल आया कि रवि एक अच्छा लड़का है, पढ़ा लिखा भी है, घर-परिवार अच्छा है। तो क्यों ना रिया की शादी उसी से कर दी जाए? कम से कम बेटी पास ही रहेगी, ससुराल और मायका दोनों एक ही गांव में रहेंगे। घर वालों ने रिया की राय पूछे बिना शादी पक्की कर दी। उधर रिया विदेश में थी। पिता का फोन आया, “बेटा जल्दी गांव आ जाओ, एक जरूरी बात करनी है।” रिया को अंदाजा भी नहीं था कि यह जरूरी बात उसके पूरे जीवन का फैसला बनने वाली है। उसने सोचा कि गांव जाकर धीरे-धीरे सबको अपनी पसंद के बारे में बताएगी, लेकिन जब तक वह पहुंची, सब कुछ तय हो चुका था।
गांव आने के बाद शादी से ठीक पहले रिया किसी तरह रवि से एक बार एकांत में मिलती है। उसने बिना समय गवाए साफ शब्दों में रवि से कहा, “तुम सबके सामने शादी करने से मना कर दो।” रवि ने शांति से जवाब दिया, “मैं मना नहीं कर सकता हूं। हमारे और तुम्हारे दोनों के परिवार वाले इस रिश्ते से बेहद खुश हैं और मैं उनकी खुशी को उनसे छीनना नहीं चाहता हूं।” रवि के इस जवाब से रिया उससे काफी चिढ़ जाती है। पर अब और कोई रास्ता ना देखकर वो चुपचाप शादी के लिए हां कर देती है।
शादी का दिन आया, मंडप सज चुका था, सब लोग कह रहे थे, “देखो कितनी अच्छी जोड़ी है, जैसे साक्षात भगवान ने मिलाया हो।” रिया के मन में तूफान था पर वह कुछ बोल ना सकी। रवि ने भी बस एक नजर देखा, ना कोई मुस्कान, ना कोई शिकायत। बस शांत आंखें जैसे कह रही हों, शायद यही किस्मत है। दोनों की शादी पूरे गांव की दुआओं के बीच हो जाती है। मां-बाप के चेहरे पर खुशी थी, लेकिन रिया के दिल में सवाल था, “क्या मैंने सही किया या बस सबकी खुशी में अपनी जिंदगी दे दी?”
शादी के बाद जब दोनों अपने कमरे में होते हैं तो रिया बिना किसी हिचक के रवि से साफ-साफ कह देती है, “मैं बेड पर सोऊंगी और तुम नीचे फर्श पर, क्योंकि मैंने तुम्हें पहले ही बता दिया था कि मैं इस शादी से खुश नहीं हूं।” शादी के कुछ ही दिनों बाद रिया ने कहा, “रवि, मैं चाहती हूं कि तुम मेरे साथ विदेश चलो। वहीं मेरी नानी-नाना रहते हैं। मैं वहीं पली-बड़ी हूं। वहीं रहना मुझे ज्यादा अच्छा लगता है।” रवि ने बिना कोई सवाल किए कहा, “अगर तुम खुश हो तो मैं तैयार हूं।” और कुछ हफ्तों बाद दोनों विदेश चले गए।
नई जगह, नए लोग, नई जिंदगी। पर रवि के लिए वह दुनिया बिल्कुल अजनबी थी। वह सादगी से जीने वाला गांव का लड़का अब महंगे सूट, बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया में खोया हुआ था। रिया के दोस्तों ने रवि को देखकर हंसना शुरू कर दिया, कभी उसके कपड़ों पर, कभी उसके बोलने की आदत पर। रिया भी अक्सर हंसकर कह देती, “अरे छोड़ो ना यार, गांव से आया है। टाइम लगेगा। वैसे भी देसी स्टाइलें भी ट्रेंड में है।”
रवि सब कुछ चुपचाप सहता गया, ना कोई शिकायत, ना कोई गुस्सा। बस हर रात खिड़की के पास बैठकर अपने गांव की यादों में खो जाता। सोचता शायद यही प्यार है, जहां अपने को दूसरों के बीच मजाक बनते देख भी मुस्कुरा लेना पड़ता है। एक दिन रिया ने कहा, “रवि, तुम थोड़ा मॉडर्न बनो ना। तुम्हारे यह देसी तौर तरीके यहां काम नहीं आते।” रवि मुस्कुराया, “रिया, मैं कोशिश कर रहा हूं, पर मैं अपने गांव की मिट्टी से निकला हूं। मुझे उस खुशबू को भूलने में थोड़ा वक्त लगेगा।” रिया झल्ला गई, “बस यही तुम्हारे दिक्कत है रवि, तुम बदलना ही नहीं चाहते।” उसके शब्दों में तीखा पर था और रवि के दिल में चुब गई वह बातें। उस रात उसने तकिए के नीचे सिर रखकर बस इतना सोचा, “प्यार अगर समझ से शुरू होता तो शायद दर्द पर खत्म ना होता।”
धीरे-धीरे रिया का रवैया और बदलता गया। वह पार्टियों में जाने लगी, दोस्तों के साथ वक्त बिताने लगी। रवि बस दूर से देखता, मुस्कुराता और खुद को समझाता, “वो खुश है, यही काफी है।” पर उसे नहीं पता था कि एक दिन वही हंसी उसकी सबसे बड़ी चुप्पी बन जाएगी।
एक रात रिया के दोस्तों ने एक बड़ी पार्टी रखी थी। रिया ने जिद की, “रवि, आज तुम्हें भी चलना ही होगा। सब कह रहे हैं कि तुम हर बार घर में बैठे रहते हो।” रवि ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “अगर तुम्हें अच्छा लगे तो चलो, मैं भी साथ चल पड़ता हूं।” वह पार्टी में गया। लाइटें चमक रही थी, सब हंस रहे थे। लेकिन रवि का दिल जैसे किसी कोने में सिमट गया था। रिया ने अपने दोस्तों से रवि का परिचय कराया, “मीट माय हस्बैंड रवि। गांव से आए हैं, थोड़ा शाय हैं।” सबके चेहरे पर हल्की हंसी फैल गई। किसी ने मजाक में कहा, “रिया, यह तो बहुत सिंपल है। तुम्हें तो कोई स्मार्ट बिजनेसमैन सूट करता।” रिया भी हंस पड़ी, “हां, यह तो अब भी वही गांव वाले रवि हैं। बस पासपोर्ट नया बन गया है।” सब हंसे, सिवाय रवि के। उसकी आंखें झुकी, मुस्कान जबरन थी। दिल के अंदर कुछ टूटता हुआ महसूस हुआ।
वह पूरी पार्टी में एक कोने में बैठा रहा। रिया की हंसी गूंजती रही और उसकी आंखों में चुपचाप आंसू उतरते रहे। रात को घर लौटे तो रिया नशे में थी। रवि ने कहा, “रिया, आज जो हुआ वह ठीक नहीं था।” रिया झल्लाई, “ओ प्लीज रवि, इतना सीरियस क्यों हो जाते हो हर बात पर? सब मजाक था समझे? हंस लो थोड़ा, जिंदगी में खुश रहो।” रवि ने दर्द भरी नजर से देखा, “रिया, जब मजाक इज्जत से आगे बढ़ जाए तो वह हंसी नहीं, चुभन बन जाती है।” रवि खिड़की के पास जाकर बैठ गया। बारिश हो रही थी। वह चुपचाप बाहर देखता रहा और अपने भीतर कुछ ठहरता हुआ महसूस किया। धीरे से उसने खुद से कहा, “अब शायद मुझे लौट जाना चाहिए, जहां मेरी इज्जत भी थी और सुकून भी।”
अगली शाम उसने इंटरनेट खोला और 10 दिन बाद की फ्लाइट टिकट बुक कर ली। वापसी अपने देश की। उस शाम वह कमरे में बैठा था, थोड़ी देर सोचने के बाद बोला, “रिया, मैं वापस गांव जा रहा हूं। अब यहां मेरा दम घुटता है। मैं अपने लोगों के बीच रहना चाहता हूं।” रिया ने उसकी आंखों में देखा और ठंडे स्वर में कहा, “ठीक है रवि, तुम्हारी मर्जी। जैसा तुम्हें ठीक लगे वैसा करो। लेकिन गांव जाकर सबको यह तुम ही बताना कि हमारी शादी अब बस नाम की रह गई है।” कमरे में खामोशी छा गई। दोनों चुप थे। रवि ने खिड़की से बाहर देखा। बारिश गिर रही थी और तभी अंदर से नानी की दर्द भरी चीख सुनाई दी।
रिया घबरा गई, “नानी, क्या हुआ आपको?” दोनों भागकर कमरे से बाहर आए। नानी जमीन पर गिरी थी, सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। रवि ने झटपट उन्हें अपनी बाहों में उठाया और कार में बैठा लिया। “रिया, जल्दी चलो हॉस्पिटल!” रात के सन्नाटे में हॉस्पिटल की बीप-बीप की आवाज गूंज रही थी। डॉक्टर बाहर आए, “मरीज की हालत नाजुक है, तुरंत ब्लड चाहिए। पर ग्रुप बहुत रेयर है।” रिया के हाथ कांपने लगे, “मेरा ग्रुप तो मैच नहीं करता। अब क्या करें डॉक्टर?” रवि आगे बढ़ा, “मेरा टेस्ट कीजिए डॉक्टर साहब, शायद मेरा ब्लड काम आ जाए।” टेस्ट हुआ, रिपोर्ट आई, रवि का ब्लड मैच कर गया।
रिया ने पल भर के लिए उसकी ओर देखा। आंखों में वही इंसान था जिसे उसने बार-बार शब्दों से तोड़ा था, पर जो आज फिर उसी के लिए, उसी के परिवार के लिए अपना खून देने जा रहा था। रवि मुस्कुराया, “चलो रिया, नानी को कुछ नहीं होगा।” डॉक्टर ने रवि को अंदर ले जाकर ब्लड ट्रांसफ्यूजन शुरू कर दिया। रिया बाहर बैठी रही। उसके आंसू एक के बाद एक गिरते रहे। हर बूंद में पछतावा था। हर सांस में दर्द। कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आए, “ब्लड ट्रांसफर सफल रहा, मरीज अब खतरे से बाहर है।” रिया ने राहत की सांस ली और भागकर अंदर गई। रवि बेहोशी की हल्की हालत में लेटा था। चेहरे पर वही सादगी, वही शांति थी जो उसे पहली बार मिली थी उस दिन शादी के मंडप में।
रिया ने धीरे से उसका हाथ पकड़ा, “रवि, तुमने फिर से साबित कर दिया कि दिल बड़ा हो तो रिश्ते कभी छोटे नहीं होते।” रवि ने थकी आवाज में कहा, “रिया, जब कोई अपना मुश्किल में हो तो सोचने का वक्त नहीं होता, बस दिल चल पड़ता है।” रिया की आंखों से आंसू बह निकले। वो फूट-फूट कर रो पड़ी, “मैंने तुम्हें समझने में बहुत देर कर दी रवि, तुम सच में मेरे लिए भगवान का तोहफा थे।” रवि ने हल्की मुस्कान दी, “कभी-कभी देर से मिला एहसास भी जिंदगी बदल देता है, पर अब शायद वक्त हमारे साथ नहीं है।”
नानी अब ठीक थी, घर में फिर से शांति लौट आई थी। लेकिन रिया के मन में अब एक तूफान चल रहा था। हर बार जब वह रवि को देखती तो उसके दिल में एक टीस उठती, जिसे मैंने ठुकराया वही मेरे अपनेपन की पहचान निकला। रवि अब चुप रहने वाला इंसान नहीं रहा था। उसके चेहरे पर एक शांति थी, पर अंदर कहीं बहुत कुछ टूट चुका था। वो दिनभर नानी के कामों में मदद करता, रिया से ज्यादा बात नहीं करता, बस शाम को खिड़की के पास बैठकर गांव के फ्लाइट के टिकट को देखता रहता।
रिया ने कई बार चाहा आज बोल दूं रवि से कि अब मैं उसे जाने नहीं दूंगी, पर जब भी मौका आता, उसके होंठ रुक जाते। “आज नहीं, कल बताऊंगी,” वह सोचती। फिर कल गुजर जाता, पर बात अधूरी रह जाती। हर दिन रवि की चुप्पी बढ़ती जा रही थी और रिया का डर भी। वह अब उसे खोना नहीं चाहती थी, पर कबूल करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।
आखिरकार वो दिन आ गया, रवि के जाने का दिन। सुबह रवि ने अपना छोटा सा बैग तैयार किया, फ्लाइट की टिकट जेब में रखी और धीरे से बोला, “रिया, अब मुझे निकलना होगा।” रिया की आंखें भर आई, “रवि, अगर मैं कहूं कि मत जाओ तो क्या तुम रुक जाओगे?” रवि ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “रिया, रिश्ते रोकने से नहीं निभाने से चलते हैं, और हमारे बीच जो कुछ था वह अब बस नाम के लिए बचा है।” रिया फूट पड़ी, “नहीं रवि, अब मैं तुम्हें खो नहीं सकती। मैंने तुम्हें समझने में बहुत देर कर दी, माफ कर दो मुझे।”
रवि ने उसकी ओर देखा, आंखों में नमी थी पर चेहरे पर दृढ़ता भी। “रिया, मैं तुम्हें दोष नहीं देता। शायद हमें बस एक दूसरे को समझने में वक्त लग गया, पर अब देर हो चुकी है।” वो इतना कहकर मुड़ गया। पर रिया उसके पीछे दौड़ पड़ी, “रवि, अगर तुम चले गए तो मैं टूट जाऊंगी।” रवि रुका, पलटा और बोला, “तुम टूटी नहीं रिया, तुम बस अब खुद को पहचान रही हो। मैं हमेशा तुम्हारी यादों में रहूंगा, पर अब हमें अपने रास्ते अलग करने होंगे।” रिया बोली, “मैं भी साथ चलूंगी।” शाम तक दोनों गांव पहुंच गए।
रवि अब भी अपने फैसले पर अडिग था। घर वालों के सामने उसने साफ कहा, “हम दोनों अपनी शादी में खुश नहीं हैं और झूठा रिश्ता निभाना दोनों के साथ नाइंसाफी होगी।” घर वालों ने चुपचाप उसकी बात मान ली। अगले दिन कोर्ट जाने का फैसला हुआ।
रात आई, वह अंतिम रात जिसमें दो लोग एक ही छत के नीचे थे, पर दिलों के बीच कई मीलों की दूरी। रिया कमरे में आई, आंखों में आंसू थे, हाथों में हल्की साड़ी की चुन्नटें। धीरे से बोली, “रवि, आज हमारी आखिरी रात है ना?” रवि ने सिर हिलाया, “हां, आज शायद हमारे रास्ते अलग होंगे।” रिया पास आकर बोली, “तो कम से कम आज मुझे अपना आखिरी वक्त दे दो, जिसमें मैं तुम्हें महसूस कर सकूं, तुमसे माफी मांग सकूं।” रवि ने उसकी आंखों में देखा और बस इतना कहा, “रिया, अब आंसू पोंछ लो, कभी-कभी छोड़ देना भी प्यार की एक शक्ल होती है।”
रिया जोर से रो पड़ी, “रवि, मैं तुमसे सच में प्यार करने लगी हूं।” रवि ने उसके सर पर हाथ रखा, “मुझे पता है रिया, पर कुछ एहसास वक्त से पहले समझ नहीं आते, और जब आते हैं तब वक्त गुजर चुका होता है।” रिया फूट-फूट कर रोती रही। रवि ने लाइट बंद की और हमेशा की तरह जमीन पर बिस्तर बिछाकर सो गया। रिया पलंग पर लेटी थी। दोनों की आंखों से आंसू बहते रहे, लेकिन दोनों ने कुछ नहीं कहा।
रवि ने आंखें बंद करते हुए धीरे से कहा, “कल जब मैं चला जाऊं तो बस इतना समझ लेना रिया, मैं गया हूं लेकिन तुम्हें भूलने नहीं, बल्कि तुम्हें याद रखने के लिए।” सुबह की धूप खिड़की से भीतर आई। रवि का बिस्तर खाली था। टेबल पर सिर्फ एक चिट्ठी रखी थी—”प्यार करना आसान है रिया, निभाना मुश्किल।” रिया ने वह चिट्ठी सीने से लगा ली और पहली बार महसूस किया, सच्चा प्यार हमेशा लौटता नहीं, कभी-कभी बस दिल में रह जाता है।
समाप्त
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