जिसे सब लंगड़ा भिखारी समझते थे, उसने कर दिखाया ऐसा कारनामा कि आप यकीन नही कर सकेंगे
गुमनाम नायक: राजन शेट्टी – एक कलाकार की अद्भुत वापसी
प्रस्तावना
“क्या गुमनामी में खो जाने से किसी कलाकार की कला भी मर जाती है?” शायद नहीं। सच्ची कला मिटती नहीं, वह एक चिंगारी बनकर सही वक्त का, किसी एक सच्चे श्रद्धा वाले के फिर से पहचानने का इंतज़ार करती है। यही दास्तान है राजन की—जिसे मुंबई में लोग एक मामूली, लाचार, लंगड़े भिखारी के रूप में जानते थे। पर किसी को नहीं पता था कि वो कभी हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा एक्शन डायरेक्टर था, जिसकी बनाई स्टंट्स ने कई सुपरस्टार्स के करियर को अमर बना दिया।
राजन शेट्टी – कहानी की शुरुआत:
मुंबई के जूहू इलाके के प्रसिद्ध इसॉन मंदिर की सीढ़ियों पर, एक कोने में रोज बैठता है एक बुजुर्ग—चेहरे पर गहराई लिए, एक पैर में लंगड़ापन, झुकी कमर, फटी कमीज और साथ में पुरानी बैसाखी। लोग उसे ‘लंगड़ा काका’ पुकारते हैं। न भीख, न शिकायत, कभी-कभार मंदिर का प्रसाद। किसी का ध्यान नहीं जाता कि उसकी आँखों में कितनी कहानियाँ छुपी हैं।
इसी शहर में, एक सुपरस्टार का उदय होता है—अर्जुन खन्ना। आज की पीढ़ी का सबसे बड़ा एक्शन हीरो, पर अर्जुन स्पेशल इफेक्ट्स या कंप्यूटर जनित स्टंट से संतुष्ट नहीं। उसे असली, रॉ एक्शन चाहिए—वो एक्शन जैसा सिर्फ 90 के दशक में देखा गया, जब राजन शेट्टी स्टार थे।
राजन शेट्टी – गुमनामी में जाने की वजह:
आज से 15 साल पहले, राजन शेट्टी ना सिर्फ एक जबरदस्त एक्शन डायरेक्टर, बल्कि बेफिक्र दिल और हिम्मत का दूसरा नाम थे। एक फिल्म की शूटिंग में, सुपरस्टार ‘सम्राट’ को बाइक स्टंट करना था। शूटिंग के दिन सम्राट ने डरकर इंकार कर दिया—प्रोड्यूसर का करोड़ों का घाटा होने वाला था। तब राजन बोले, “हीरो डरेगा पर एक्शन नहीं रुकेगा,” और बिना किसी खास सुरक्षा के वैसा स्टंट किया जैसा दर्शकों ने कभी देखा नहीं था। दुर्भाग्य से, स्टंट में राजन गिर गए—एक पैर हमेशा के लिए बेकार।
मुसीबत यहीं नहीं थमी—सुपरस्टार और प्रोड्यूसर ने मीडिया-केस-बदनामी से बचने के लिए मदद का वादा पूरा नहीं किया, उल्टे फिल्म में किसी और के नाम को ‘एक्शन डायरेक्टर’ दिखा दिया। तेज़ी से सबकुछ छूट गया, पत्नी भी सदमें में चल बसी। राजन लाचार हो गए। आत्माभिमान ने कभी किसी दोस्त से सहारा न लिया, अंततः सड़कों पर ‘लंगड़ा काका‘ की हैसियत में आ पहुँचे।
वास्तविकता सामने आती है:
एक दिन अर्जुन मंदिर में स्टंट कर रहे बच्चों को देखता है। वह देखता है कि ‘लंगड़ा काका’ बच्चों को तकनीक समझा रहे हैं—सिर्फ शब्द नहीं, पूरी फिलासफी (“गुरुत्वाकर्षण से लड़ो मत…”)। अर्जुन के ज़हन में झनझनाहट सी होती है—यह तो राजन शेट्टी का सिग्नेचर डायलॉग है! अर्जुन उनसे मिलता है—काका टाल देते हैं, पर अर्जुन समझ जाता है कि ये वही हैं। वह रिसर्च करता है, असिस्टेंट से उनके बारे में पता करवाता है; सब सच्चाई जान जाता है।
पुनरुत्थान
अर्जुन, एक दिन राजन शेट्टी के पैरों में बैठकर उनका नाम पुकारता है—”सर, मैं जानता हूँ आप कौन हैं। मुझे आपके पैरों की नहीं, आपके दिमाग और दर्शन की जरूरत है।” राजन की नींव में फिर से स्वाभिमान जागता है। अर्जुन की जिद्द और दिल से किए गए आग्रह पर राजन मान जाते हैं। व्हीलचेयर पर सेट पर लेकर आये जाते हैं—उनकी आँखों में बीते ज़माने की चिंगारियाँ लौट आती हैं।
राजन शेट्टी फिल्म को अपने अंदाज और जुनून से एक्शन की नई परिभाषा दे देते हैं। फिल्म बनती है—रिलीज होते ही एक्शन के सारे रिकॉर्ड तोड़ देती है। यह सिर्फ अर्जुन की नहीं, बल्कि राजन शेट्टी की वापसी थी!
सम्मान की वापसी
फिल्म फेयर अवॉर्ड नाइट—अर्जुन बेस्ट एक्शन के लिए मंच पर जाता है, लेकिन मंच से अवॉर्ड लेते हुए कहता है—”इस पुरस्कार का असली हकदार वह कलाकार है, जिसे इंडस्ट्री ने एक लंगड़ा भिखारी समझकर भुला दिया था, पर जिन्होंने मुझे और हम सबको एक्शन का असली मतलब सिखाया।” सारे सुपरस्टार्स अपनी कुर्सियों से खड़े हो जाते हैं—अर्जुन मंच से नीचे उतरकर राजन शेट्टी को व्हीलचेयर सहित मंच पर लाता है, अवार्ड उनके हाथ में थमा देता है—तालियों की आवाज़ थमने का नाम नहीं लेती, और सम्राट नामक सुपरस्टार की आँखें शर्म से झुकी रहती हैं।
विरासत और नई उड़ान:
अब राजन शेट्टी नए जोश से अपनी कला और अनुभव के साथ स्टंटमैन की प्रोफेशनल यूनियन बनाते हैं, ट्रेनिंग स्कूल खोलते हैं और युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षण देते हैं। वे साबित कर दिखाते हैं—जिस कला के लिए उन्होंने सबकुछ खोया, आज उसी कला से हजारों युवाओं की जिंदगी बदल रहे हैं।
सीख:
इस कहानी से पता चलता है कि सच्चा हुनर कभी मरता नहीं—गुमसुम रहता जरूर है, लेकिन वक्त मिलता है तो फिर से आग बन जाता है। हमें कभी किसी को उसकी हालत या पहनावे से आंकना नहीं चाहिए। शायद जिस चेहरे को आप लाचार समझ रहे हों, उसके अंदर कोई महान कलाकार, कोई अद्भुत शक्ति, कोई अदम्य जज्बा छुपा हो।
अगर राजन शेट्टी की यह कहानी आपके दिल को छू गई—लाइक करें, शेयर करें, और नीचे कमेंट करके बताएं कि आप किस गुमनाम “हीरो” को सबसे ज़्यादा सराहते हैं।
धन्यवाद!
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