टैक्सी ड्राइवर ने जिसे मामूली लड़की समझकर मदद की… वही निकली करोड़ों की संपत्ति की मालकिन ❗

दिल्ली की रात: एक टैक्सी ड्राइवर और अनजान लड़की की कहानी

दिल्ली जैसे बड़े शहर में आधी रात का समय था। घड़ी में करीब 12:00 बजे थे, और आसमान से बारिश ऐसी बरस रही थी मानो बादल फट पड़े हों। सड़कों पर सन्नाटा पसरा था, हर तरफ सिर्फ पानी की आवाज और अंधेरा। ऐसे माहौल में एक टैक्सी ड्राइवर, अजय, अपनी पुरानी टैक्सी को सड़क किनारे खड़ी करके उसी में सीट पीछे कर आराम करने की कोशिश कर रहा था। बाहर बारिश इतनी तेज थी कि शीशे पर पड़ती बूंदों की आवाज किसी ढोल की थाप जैसी लग रही थी।

अचानक ही उस शोर के बीच टैक्सी की खिड़की पर दस्तक हुई। अजय चौंक गया, घबराकर उठ बैठा। जैसे ही उसने खिड़की की तरफ देखा, एक लड़की खड़ी थी। उसके कपड़े भीगे हुए, चेहरा डरा हुआ और आंखों में आंसू थे। वो हाथ जोड़कर इशारा कर रही थी, “प्लीज दरवाजा खोल दो।” अजय के दिल में डर था, कहीं कोई झंझट न हो जाए, कहीं ये कोई चाल तो नहीं। लेकिन लड़की की आंखों में सच्ची परेशानी और मासूमियत देखकर अजय ने धीरे से दरवाजा खोल दिया।

लड़की फौरन अंदर आ गई और पीछे की सीट पर बैठते ही बोली, “भैया जल्दी गाड़ी चलाओ, कोई मेरा पीछा कर रहा है।” इतना कहते ही उसकी आंखें उलट गईं और वह बेहोश हो गई। अजय का दिल अब और तेजी से धड़कने लगा। तभी सामने एक काली चमचमाती गाड़ी आकर रुकी। उसमें से दो लड़के उतरे और टैक्सी की खिड़की पर आकर पूछने लगे, “कोई लड़की भागते हुए इधर तो नहीं आई थी?” अजय ने गहरी सांस ली और झूठ बोल दिया, “नहीं साहब, मैं तो काफी देर से गाड़ी खड़ी करके सो रहा था।” बारिश की वजह से वे ठीक से देख नहीं पाए और चले गए।

अजय समझ गया कि मामला गंभीर है। उसने टैक्सी स्टार्ट की और लड़की को हॉस्पिटल ले जाने का सोचने लगा, लेकिन डर था कि गुंडे वहां भी पहुंच सकते हैं। इसलिए वह लड़की को अपनी झुग्गी बस्ती के छोटे से घर ले आया। रात के एक बजे थे, गली में सन्नाटा था। अजय ने लड़की को गोद में उठाया और घर के अंदर ले गया। उसे डर था कि मोहल्ले वालों को पता चल जाए तो बातें बनेंगी, लेकिन उसने इंसानियत को चुना।

रात भर अजय जागता रहा और सुबह होते ही लड़की होश में आई। उसका नाम सोनिया था। उसने बताया कि वह कॉल सेंटर में काम करती है। रात ड्यूटी के बाद बस स्टॉप पर दो शराबी लड़कों ने उसे परेशान किया, जब वह भागी तो सब सामान गिर गया। अजय की टैक्सी देखकर उसे भगवान का सहारा लगा, लेकिन थक कर बेहोश हो गई।

अजय ने सोनिया को भरोसा दिलाया कि वह सुरक्षित है। उसने उसे घर छोड़ने का वादा किया। सोनिया ने अजय की इंसानियत और मदद के लिए धन्यवाद कहा। अजय ने उसे उसके घर छोड़ा, जहां सोनिया के मां-बाप ने भी अजय को धन्यवाद दिया और कहा, आजकल ऐसे भले इंसान मिलते ही कहां हैं।

अजय का मन सोनिया की मासूमियत में अटक गया। वह उसे बार-बार याद करने लगा। अगले दिन सोनिया अपने मां-बाप के साथ अजय के घर आई, धन्यवाद देने। सोनिया की मुस्कुराहट और बातें अजय के दिल को छू गईं। धीरे-धीरे सोनिया और अजय की मुलाकातें बढ़ने लगीं। सोनिया ने एक दिन अजय के लिए खाना बनाया और उस दिन दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया। सोनिया ने अजय से अपने दिल की बात कह दी, “अजय, मुझे तुमसे प्यार हो गया है।”

अजय को यकीन नहीं हुआ, उसने अपने हालात बताए, लेकिन सोनिया ने कहा, “प्यार में लोगों की नहीं सुनी जाती, मुझे तुम्हारा साथ चाहिए।” अजय ने कहा कि अगर उसके मां-बाप को ऐतराज होगा तो वह रिश्ता कबूल नहीं करेगा। सोनिया ने अपने माता-पिता से बात की, और उन्होंने खुशी से दोनों के रिश्ते को मंजूरी दे दी।

फिर अजय और सोनिया की शादी सादे लेकिन भावुक माहौल में हुई। शादी के बाद दोनों ने छोटे से घर से अपनी नई दुनिया की शुरुआत की। अजय पहले की तरह टैक्सी चलाता रहा, लेकिन अब उसके चेहरे पर उम्मीद की चमक थी। सोनिया ने कंप्यूटर से जुड़े छोटे-छोटे काम शुरू किए। अजय ने अपनी कमाई से उसे लैपटॉप दिलाया। धीरे-धीरे सोनिया का काम बढ़ा और एक दिन उसकी कंपनी बन गई। अब लोग अजय को कंपनी डायरेक्टर कहने लगे, लेकिन उसने कभी घमंड नहीं किया।

अजय और सोनिया की मेहनत और इंसानियत ने उनकी तकदीर बदल दी। एक बड़े फंक्शन में अजय ने अपनी कहानी सुनाई, “इंसान की असली पहचान उसके पैसों से नहीं, उसके दिल से होती है। अगर उस रात मैंने सोनिया को दरवाजा ना खोला होता तो आज मेरी जिंदगी खाली होती। मदद का हर छोटा काम आपकी तकदीर बदल सकता है।”

पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। सोनिया की आंखों से आंसू बह रहे थे, लेकिन वो आंसू खुशी के थे। अजय और सोनिया की कहानी यही बताती है कि अच्छाई और इंसानियत कभी हारती नहीं।

तो दोस्तों, अगर आप अजय की जगह होते, क्या आप भी दरवाजा खोलते? आपकी राय किसी के लिए सीख बन सकती है।

जय हिंद। जय भारत।