तलाकशुदा पति को ऑफिस से धक्के मारकर निकाला… लेकिन जब सच्चाई पता चली, तो पैरों में गिर पड़ी… wife

रवि, सीमा और दिया की कहानी: त्याग, प्रेम और पुनर्मिलन
(पूर्ण लम्बी कहानी हिंदी में)

रवि हाफ्ता पसीने से तर-बतर एक विशाल कॉर्पोरेट ऑफिस के चमकदार गेट पर पहुंचा। उसका दिल इतनी तेजी से धड़क रहा था मानो सीने से बाहर आ जाएगा। सामने की इमारत, जिसे सीमा ने अपनी कामयाबी का मंदिर बना लिया था, उसे उपहास करती हुई लग रही थी।
“मुझे सीमा से मिलना है,” रवि ने घबराहट में लड़खड़ाती आवाज में कहा। “बहुत जरूरी है। मेरी बेटी…”
सिक्योरिटी गार्ड ने एक ठंडी रूखी नजर उस पर डाली। “मैडम अभी मीटिंग में है। आप बाहर इंतजार कीजिए।”
रवि ने मिन्नतें की, गिड़गिड़ाया मगर गार्ड अड़ा रहा। कुछ देर बाद ऑफिस का ऑटोमेटिक दरवाजा खुला। सीमा बाहर निकली। उसके साथ उसकी मैनेजर थी। वह एक महंगी चमचमाती कार की तरफ बढ़ रही थी।
रवि ने सीमा को देखा और उसके दिमाग में सिर्फ एक ही तस्वीर थी—हॉस्पिटल बेड पर पड़ी दिया।
रवि ने एक पल की भी देरी नहीं की। तेजी से सीमा की तरफ भागा। वो सीमा के सामने आकर हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।
“सीमा, प्लीज मेरी बात सुनो। दिया की तबीयत बहुत खराब है। वो अस्पताल में है और…”
सीमा ने उसे बीच में ही रोक दिया। उसके चेहरे पर नफरत और अभिमान का एक मिश्रण था।
“तुम यहां क्या कर रहे हो? क्या तुम फिर से मेरी जिंदगी में घुसपैठ करने आए हो? तुम्हें याद है ना? तलाक के कागजात पर दस्तखत हो चुके हैं।”
रवि के चेहरे पर दर्द की लहर दौड़ गई।
“सीमा, प्लीज, यह दिया की बात है। उसे तुरंत एक बड़े इलाज की जरूरत है। मुझे पैसों की जरूरत है। एक बहुत बड़ी रकम की। मेरे पास अब कुछ नहीं बचा है।”
सीमा ने गुस्से में चीख कर बात काट दी, “बस करो यह नाटक। तुम्हें क्या लगता है? तुम यहां आकर अपनी गरीबी दिखाओगे और मैं तुम्हें पैसे दे दूंगी? मैंने तलाक के समय तुमसे जो कुछ भी लिया वो तुम्हारी अक्षमता का मुआवजा था। तुम्हें अपने बच्चे की देखभाल के लिए पैसे चाहिए तो जाकर कमाओ। मेरे पास इतना समय नहीं है कि तुम्हारे बहाने सुनूं।”
रवि का गला सूख गया। लेकिन वह जानता था कि उसे हार नहीं माननी है।
“सीमा, दिया को बचाने के लिए मुझे बहुत पैसे लगेंगे। प्लीज एक बार मेरी पूरी बात तो सुनो।”
लेकिन सीमा सुनने को तैयार ही नहीं थी। उसने गार्ड को इशारा किया, “जाओ यहां से। मैं तुम्हें दोबारा यहां देखना नहीं चाहती।”
गार्ड ने रवि को धक्के मारकर गेट से बाहर निकाल दिया। रवि जमीन पर गिर गया। उसके दिल में दर्द था। उठते हुए उसने मन ही मन खुद से कहा, “वह नहीं सुनेगी। उसे अब मुझ पर और मेरी सच्चाई पर कभी विश्वास नहीं होगा। अब मेरे पास एक ही रास्ता है।”

बीते दिनों की कहानी

रवि और सीमा का एक छोटा खुशहाल परिवार था। उनकी 5 साल की बेटी दिया उनकी दुनिया थी। रवि एक साधारण कंपनी में काम करता था जबकि सीमा अपने अमीर परिवार की इकलौती संतान थी।
धीरे-धीरे सीमा के मन में शक के बीज बोए गए। उसे लगने लगा कि रवि का अपनी बॉस के साथ अफेयर चल रहा है। यह गलतफहमी सीमा के मन में इतनी गहरी हो गई कि उसने तलाक लेने का फैसला कर लिया।
कोर्ट में तलाक हो गया और रवि को सीमा की मांग के अनुसार रकम चुकानी पड़ी। हालांकि दोनों इस बात पर सहमत थे कि दिया उनकी जान है। वे बारी-बारी से एक-एक सप्ताह दिया को अपने पास रखते थे।
रवि के पास पैसे नहीं थे, लेकिन प्यार की कोई कमी नहीं थी। दिया के लिए रवि ही उसका पूरा संसार था।

दिया की बीमारी और संघर्ष

एक सुबह जब दिया अपने पिता के पास थी, उसने पेट दर्द की शिकायत की। उसका शरीर तेज बुखार से तप रहा था। रवि घबरा गया। उसने तुरंत सीमा को फोन किया, लेकिन सीमा ने उसका फोन नहीं उठाया।
रवि ने हार नहीं मानी। उसने जल्दी से दिया को अस्पताल ले गया। डॉक्टर ने बताया कि दिया की हालत गंभीर है और उसे तुरंत भर्ती करना होगा। इलाज के लिए एक बड़ी रकम जमा करानी थी।
रवि के पास अब सिर्फ वो पुराना घर बचा था।
“मुझे एक बार सीमा से बात करनी चाहिए। शायद बेटी की खातिर वह मेरी मदद कर दे।”
रवि ने दिया को इमरजेंसी वार्ड में छोड़ा और सीमा के ऑफिस की तरफ भागा। लेकिन वहां उसे तिरस्कार और अपमान मिला।

अंतिम आशा और त्याग

अब रवि के पास सिर्फ एक रास्ता था। वह सीधे प्रॉपर्टी डीलर के पास गया।
“मुझे घर बेचना है। जो भी कीमत मिले मंजूर है। मुझे अभी इसी वक्त पैसों की जरूरत है।”
शाम की पीली रोशनी में रवि ने अपने आखिरी सहारे को अलविदा कह दिया।
रवि ने पैसे लिए और बिना पीछे मुड़े सीधे अस्पताल की ओर भागा।
पैसे जमा होते ही दिया का इलाज शुरू हुआ।
वह दिया के पास बैठा रहता। उसकी छोटी उंगलियों को थामे रहता। उसकी सांसों को सुलता रहता।
सीमा का अपमान उसकी तानों की गूंज उसके कानों में थी।
पर जब वह दिया के माथे पर हाथ रखता तो उन सभी अपमानों पर एक पिता का निस्वार्थ प्रेम भारी पड़ जाता था।
दवाइयों ने असर किया।
आखिरकार डॉक्टर ने कहा, “दिया अब पूरी तरह ठीक है।”

पुनर्मिलन और पछतावा

रवि ने अपनी जान को अपनी बेटी को गोद में उठाया। अब उसके पास कोई घर नहीं था।
शांत समर्पण के साथ रवि ने दिया को लिया और सीधा सीमा के आलीशान बंगले की ओर चल पड़ा।
उस रात सीमा को चैन नहीं मिला।
सीमा की एक गुप्त आदत थी कि हर रात ऑफिस से निकलने के बाद वह रवि के उस छोटे से घर के बाहर जरूर रोकती थी। वह दूर से देखती थी पिता और बेटी को हंसते हुए।
कल रात उसे घर में सन्नाटा मिला था।
सीमा ने दरवाजा खटखटाया।
नए मालिक ने बताया, “रवि जी ने आज ही यह घर हमें बेच दिया। उन्हें तुरंत पैसों की जरूरत थी। उनकी बेटी का अस्पताल में इलाज चल रहा था।”
सीमा स्तब्ध रह गई।
उसे एहसास हुआ कि जिस आदमी को उसने अपनी दौलत अपने घमंड की ऊंचाई से तुच्छ समझा, उसने अपना आखिरी सहारा भी दांव पर लगा दिया था।
सीमा का दिल जैसे धड़ से बैठ गया। उसकी आंखों से आंसू बह निकले।
पूरी रात आंखों में आंसू लिए सीमा शहर के हर अस्पताल, हर गली चौराहे में रवि को ढूंढती रही।
वो अपनी गलतफहमी की सजा काट रही थी।

अंतिम मोड़

सुबह के धुंधलके में सीमा अपने आलीशान सोफे पर बेजान सी बैठी थी। उसकी आंखें लाल थी।
तभी दरवाजे पर हलचल हुई।
सीमा ने घूमी और उसके सामने का दृश्य देखकर उसकी सांसे थम गई।
द्वार पर रवि खड़ा था। उसके बगल में उसकी प्यारी बेटी दिया थी जो अब पूरी तरह स्वस्थ और मुस्कुरा रही थी।
रवि बोला, “दिया अब पूरी तरह ठीक है। मैं उसे तुम्हें सौंपने आया हूं।”
“तुम दिया को हमेशा हमेशा के लिए अपने पास रख सकती हो। मैंने उसे बचाने के लिए अपना सब कुछ दे दिया है। और अब मेरे पास यहां रहने का कोई कारण नहीं बचा। मैं इस शहर को छोड़कर जा रहा हूं।”
रवि ने एक आखिरी नजर दिया पर डाली। फिर सीमा पर।
सीमा की आंखों में दर्द और पछतावा था।
रवि मुड़ा और दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा।

पश्चाताप और नया जीवन

जैसे ही रवि ने पहला कदम बाहर की ओर बढ़ाया, सीमा तेजी से भागी और दरवाजे पर ही उसके पैरों पर गिर पड़ी।
सीमा फूट-फूट कर रोती हुई बोली, “रवि मुझे छोड़कर मत जाओ। प्लीज… मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हारी एक बात नहीं सुनी। मैं अंधी थी। मेरे पास इतनी दौलत थी फिर भी मैं एक तुच्छ शक में जी रही थी। मैंने तुम्हें अपमानित किया। मैंने तुम्हें गलत समझा और तुमने दिया के लिए अपना घर तक बेच दिया।”
उसकी आंखों से आंसू नहीं बल्कि सालों के गलतफहमी और घमंड का पश्चाताप बह रहा था।
तभी दिया का छोटा सा हाथ उनके घुटनों को छुआ। उस मासूम स्पर्श से रवि का सारा दर्द, सारा अकेलापन जैसे दूर हो गया।
रवि धीरे से झुका और सीमा को सहारा देकर उठाया। उसकी आंखों में भी नमी थी।
“उठो सीमा,” रवि ने प्यार से कहा, “तुम्हारी आंखें बता रही हैं कि तुमने सारा सच जान लिया है। अगर तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है तो यही मेरे लिए काफी है। मैं तुम्हें माफ करता हूं।”
सीमा ने रवि को कसकर गले लगा लिया। वे दोनों रोए।
दिया भी बीच में आकर दोनों से लिपट गई।
तीन जाने एक पल में फिर से जुड़ गई।
दरवाजे पर सुबह का उजाला फैल चुका था। एक नई शुरुआत का प्रतीक।

नया वादा और नया जीवन

सीमा ने अपनी सारी दौलत, अपने कागजात सब रवि के पैरों में रख दिया।
पर रवि ने सिर्फ दिया का हाथ थाम लिया।
उन्हें अब दौलत नहीं, उनका परिवार चाहिए था।
उन्होंने अपनी पिछली गलतफहमियों और गिले शिकवों को हमेशा के लिए दफन कर दिया।
रवि और सीमा ने उसी दिन एक नया वादा किया—अब उनका रिश्ता सिर्फ और सिर्फ प्यार, विश्वास और सच्चाई पर टिका होगा।
उन्हें अब यह एहसास हो गया था कि सच्ची दौलत पैसे में नहीं बल्कि एक दूसरे के अटूट विश्वास और परिवार के लिए किए गए त्याग में होती है।
इस तरह दिया के साथ उनका खुशहाल जीवन एक बार फिर पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होकर शुरू हुआ।
परिवार का उजाला अब उनके घर में हमेशा के लिए फैल चुका था।
कुछ दिनों बाद दोनों की फिर से शादी हुई।

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रवि को सीमा के ऑफिस से अपमानित करके निकाला जाना
दिया को बचाने के लिए रवि का अपना आखिरी घर बेच देना
सच्चाई जानने के बाद सीमा का रवि के पैरों पर गिरकर माफी मांगना
रवि का माफ कर देना और तीनों का गले मिलना

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