तलाक के 10 साल बाद बस स्टैंड पर मिली पत्नी फिर जो हुआ देखकर आपकी आँखें नम हो जाएँगी|

वीर और आराध्या की कहानी: प्यार को दूसरा मौका
भोपाल बस स्टैंड की उस बरसात भरी शाम में, हजारों चेहरों की भीड़ के बीच एक लड़की चुपचाप बेंच पर बैठी थी—आराध्या। उसका चेहरा उदास था, आंखें कहीं दूर टिकी थीं, जैसे कोई पुराना दर्द उसे चैन नहीं लेने दे रहा था। उसका बैग उसके सीने से लगा था, उंगलियां उसकी सिलाई पर बेचैनी से फिर रही थीं। तभी एक जोड़ी आंखें उस पर ठहर गईं—वीर की। वही वीर, जिसे आराध्या ने 10 साल पहले छोड़ दिया था। वीर भी वहीं था, मुंबई जाने वाली बस का इंतजार कर रहा था।
वीर ने आराध्या को देखा, दिल में सवालों का तूफान उठने लगा—वो यहां क्यों है? क्या अब भी मुझसे नाराज़ है? वीर चुपके से उसके करीब गया, जानना चाहता था कि उसकी जिंदगी कैसी है। तभी बस की हॉर्न बजी, मुंबई जाने वाली स्लीपर बस आ गई। आराध्या अपने बैग के साथ बस की ओर बढ़ी। वीर का टिकट एसी बस का था, लेकिन वह आराध्या के पीछे स्लीपर बस में चढ़ गया। उसे बस एक बार उससे बात करनी थी।
बस में हल्की भीड़ थी, आराध्या अपनी सीट पर बैठ गई, खिड़की से बाहर देखने लगी। वीर उसके पास पहुंचा, अपना बैग उसके सामने रखने लगा। आराध्या ने तल्खी से कहा, “यह मेरी सीट है।” वीर ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैडम, बस दो घंटे की बात है, अगले स्टेशन पर उतर जाऊंगा।” उसकी आवाज सुनकर आराध्या ठिठक गई, वीर को पहचान गई। 10 साल पहले का वो चेहरा, जिसे वह भूल नहीं पाई थी।
दोनों चुपचाप बैठ गए। उनके बीच सन्नाटा था, लेकिन दिलों में सवालों का शोर। आराध्या की नजरें अब वीर पर टिक गईं। वीर ने पूछा, “मुंबई जा रही हो, कोई खास वजह?” आराध्या ने ठंडे लहजे में जवाब दिया, “तुम्हें क्या?” वीर ने हल्के से मुस्कुराते हुए फिर पूछा, “मुंबई कब से?” आराध्या ने बताया, “पहली बार जा रही हूं, मेरी दोस्त ने बुलाया है।”
वीर ने उसकी आवाज में दर्द महसूस किया। उसने हिम्मत करके पूछा, “सब ठीक है ना?” आराध्या ने बात टाल दी, “तुम्हें मेरी परेशानी से क्या?” वीर चुपचाप बैठा रहा, लेकिन उसके मन में आराध्या की उदासी को समझने की कोशिश चल रही थी।
सर्दी का मौसम था, आराध्या ने अपने बैग से ऊनी शॉल निकाली। वीर ठंड से कांप रहा था। आराध्या ने पूछा, “कुछ ओढ़ने को नहीं लाए?” वीर ने हंसते हुए कहा, “मुझे आदत है। वैसे याद है वो रात जब तुमने मुझ पर पानी डाल दिया था?” आराध्या हंस पड़ी, “क्योंकि तुमने सारा कंबल खींच लिया था।” दोनों की हंसी ने उस ठंडी रात को गर्म कर दिया, लेकिन आराध्या की हंसी में एक दर्द छुपा था।
आराध्या ने धीरे से पूछा, “वीर, तुम अभी वही हो ना? वही शराब, वही गुस्सा?” वीर गंभीर हो गया, “नहीं आराध्या, मैंने शराब छोड़ दी। 7 साल हो गए।” आराध्या को विश्वास नहीं हुआ, “सच में?” वीर ने उसकी आंखों में देखकर कहा, “तुम्हारी कसम, सब छोड़ दिया।” आराध्या चुप हो गई। उनकी शादी टूटने की सबसे बड़ी वजह वीर की शराब थी, उसका गुस्सा, उसकी मारपीट। उसने धीरे से कहा, “काश तुमने पहले छोड़ दी होती। शायद हम आज यहां ना होते।” वीर ने सिर झुका लिया, मन में पछतावा था।
रात के सफर में आराध्या अपने बैग से कुछ निकालने लगी, तभी एक पुराना लिफाफा गिर गया। वीर ने उठाया, देखा उस पर उसका नाम लिखा था। “यह क्या है?” आराध्या ने झिझकते हुए कहा, “कुछ नहीं, पुरानी चिट्ठी।” वीर ने आग्रह किया, “दिखाओ ना।” आराध्या ने मना किया, लेकिन वीर ने हल्के से खोल लिया। उसमें खत था—जो आराध्या ने 10 साल पहले लिखा था, लेकिन कभी भेजा नहीं। उसमें लिखा था, “वीर, मैं तुमसे प्यार करती हूं, लेकिन तुम्हारी शराब मुझे मार रही है। अगर तुम बदल सको, तो मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगी।”
वीर की आंखें नम हो गईं, “तुमने यह क्यों नहीं भेजा?” आराध्या ने रोते हुए कहा, “मुझे लगा, तुम कभी नहीं बदलोगे। मैंने कई बार मौका दिया, लेकिन तुम हर बार टूट गए।” वीर ने उसका हाथ पकड़ा, “मैंने तुम्हें बहुत दुख दिया, लेकिन अब मैं बदल गया हूं। मुझे एक मौका दो।” आराध्या ने हाथ छुड़ाया, “अब बहुत देर हो चुकी है। मैं मुंबई इसलिए जा रही हूं क्योंकि मेरी दोस्त ने मेरे लिए रिश्ता देखा है। शायद जल्दी शादी हो जाए।”
बस में खाने का समय हुआ, आराध्या ने दो रोटियां और थोड़ा अचार निकाला। वीर की ओर देखकर कहा, “चलो मिल बांट कर खा लेते हैं। पहले भी तो किया है।” वीर ने मना किया, “दो रोटियों से क्या होगा, मैं कुछ ऑर्डर कर लूंगा।” तभी बिरयानी बेचने वाला आया, वीर ने दो बिरयानी खरीदी, दोनों ने साथ बैठकर खाया।
रात गहरी हो चुकी थी, आराध्या ने वीर को अपना शॉल शेयर किया, “ओढ़ लो, नहीं तो बीमार पड़ जाओगे।” दोनों एक ही शॉल में सिमट कर बैठे थे, लेकिन 10 साल की दूरी थी। वीर ने पूछा, “घर में सब कैसे हैं?” आराध्या ने बताया, “सब ठीक हैं, छोटी बहन की शादी हो चुकी है।” फिर पूछा, “तुमने दोबारा शादी की?” वीर ने धीरे से कहा, “नहीं, तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लगा।”
रात भर दोनों सो नहीं पाए। आराध्या सोच रही थी कि वीर सचमुच बदल गया है। वीर के मन में पछतावा था। तभी आराध्या ने बैग से एक मफलर निकाला और वीर के गले में बांध दिया, “यह मैंने अपने होने वाले दूल्हे के लिए बनाया था, तुम रख लो।” वीर का दिल टूट गया, लेकिन उसने मफलर रख लिया।
सुबह हुई, बस मुंबई स्टेशन पर रुकी। आराध्या की दोस्त निधि उसे लेने आई। आराध्या ने निधि को बताया कि वीर बदल गया है। निधि ने कहा, “अब दया दिखाने से क्या? चल, मैंने जो रिश्ता देखा है, वह तुझे पसंद आएगा।” वीर अपने घर लौट गया, मुंबई में उसकी कपड़ों की छोटी दुकान थी। अगले दिन निधि, जो उसकी दुकान पर काम करती थी, ने कहा, “सर, मेरी एक दोस्त से आपकी मुलाकात करवानी है, वह शादी के लिए लड़का ढूंढ रही है।” वीर ने हंसते हुए कहा, “हां, दिखाओ।”
निधि के साथ आराध्या दुकान पर आई। वीर उसे देखकर स्तब्ध रह गया। निधि ने बताया, “यही वह लड़की है।” वीर ने हंसते हुए कहा, “निधि, यह तो मेरी पहली पत्नी है जिससे मेरा तलाक हो चुका है।” निधि शॉक्ड थी, उसने आराध्या को कुंवारी बताया था। वीर ने आराध्या की ओर देखा, “यह भगवान का इशारा है। मैंने तुम्हें बहुत दुख दिया, लेकिन अब मैं बदल गया हूं। मुझे एक मौका दो।” आराध्या की आंखें भर आईं, उसने खत की बात याद की और धीरे से कहा, “वीर, मुझे अब किसी से कुछ पूछने की जरूरत नहीं।” वो वीर के गले लग गई। दोनों की आंखों से आंसू बह रहे थे।
निधि ने हंसते हुए कहा, “लगता है मैंने अनजाने में आपकी जिंदगी बना दी।” उसी शाम वीर आराध्या को अपने माता-पिता के पास ले गया, “मम्मी-पापा, आपकी बहू लौट आई।” उनके चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने आराध्या को गले लगाया और निधि को धन्यवाद दिया। वीर ने हंसते हुए कहा, “निधि, तुम मेरी दुकान की सबसे अच्छी कर्मचारी हो।”
अब सवाल आप सभी से—क्या आप भी मानते हैं कि प्यार को दूसरा मौका मिलना चाहिए?
अगर कहानी दिल को छू गई हो, तो जरूर बताएं।
फिर मिलेंगे एक नई सच्ची और भावनात्मक कहानी के साथ।
जय हिंद।
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