तलाक के 4 साल बाद रोते हुए पति ने पत्नी से माफ़ी मांगी… देखकर पत्नी हैरान रह गई… फिर जो हुआ

एक शर्त ने बदल दी ज़िंदगी – रिश्तों की असली पहचान

कहते हैं, इंसान सबसे ज्यादा वही चीज खोकर पछताता है जिसे उसने कभी संभाल कर नहीं रखा। कुछ ऐसा ही हुआ अभिषेक के साथ, जिसने एक सुबह अचानक अपनी पत्नी चांदनी से कहा, “मुझे तुमसे तलाक चाहिए, अब हम एक साथ नहीं रह सकते।”
चांदनी ने उसकी आंखों में गहराई से देखा, एक लंबी सांस ली और बोली, “ठीक है, तलाक दे दूंगी। मगर मेरी एक शर्त है। अगर तुम मेरी उस एक शर्त को पूरा कर दोगे तो मैं तलाक के बदले एक रुपया तक नहीं लूंगी।”
अभिषेक ने मन ही मन सोचा, “चलो अच्छा है, आसानी से पीछा छूट जाएगा।” उसने बिना सोचे मान लिया, लेकिन उसे क्या पता था कि यही शर्त उसकी पूरी जिंदगी बदल देगी।

परिवार और रिश्ते

मध्य प्रदेश के एक शहर में अभिषेक अपने परिवार के साथ रहता था। उसका एक बेटा था, दस साल का। अभिषेक का बड़ा भाई गांव में माता-पिता के साथ रहता था। अभिषेक शहर में छोटा-मोटा बिजनेस करता, जिससे घर चलता था। उसकी पत्नी चांदनी घरेलू थी, अपने पति के हर फैसले की कदर करती थी, परिवार की भलाई के लिए हमेशा तैयार रहती थी।

जिंदगी सही चल रही थी, लेकिन अचानक अभिषेक के बड़े भाई की तबीयत खराब हो गई। अभिषेक ने भाई को शहर बुलाया और हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया। भाई की देखभाल के लिए अभिषेक हॉस्पिटल में ही रुक गया। चांदनी भी खाना लेकर आती, सेवा करती। हालांकि अभिषेक के परिवार को चांदनी ज्यादा पसंद नहीं थी, लेकिन वह उनका सम्मान करती थी।

नई पहचान, नया रिश्ता

हॉस्पिटल के डबल रूम में अभिषेक के भाई के साथ दूसरी पेशेंट एक महिला थी, जिसकी बेटी वंदना थी। वंदना खूबसूरत थी, तलाकशुदा थी और अपनी मां के साथ रहती थी। मां की बीमारी के कारण वह भी हॉस्पिटल में रुकी थी।
धीरे-धीरे अभिषेक और वंदना के बीच दोस्ती बढ़ने लगी। दोनों एक-दूसरे के साथ खाना शेयर करते, बातें करते। एक महीने में दोनों मन ही मन प्यार करने लगे। छुट्टी के दिन नंबर एक्सचेंज हुए, और फिर फोन पर बातों का सिलसिला शुरू हो गया।
एक दिन अभिषेक ने वंदना से अपने प्यार का इजहार किया, वंदना ने भी हां कर दी। वंदना जानती थी कि अभिषेक शादीशुदा है, उसका बच्चा भी है, लेकिन फिर भी वह अभिषेक को अपने प्रेम जाल में फंसा चुकी थी।

तलाक की मांग और पत्नी की शर्त

अभिषेक वंदना के प्यार में इतना डूब गया कि एक शाम घर लौटते ही पत्नी से बोला, “अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहता, मुझे तलाक चाहिए।”
चांदनी हैरान थी, लेकिन उसने खुद को संभाला। बोली, “ठीक है, तलाक मिल जाएगा। लेकिन मुझे पैसे नहीं चाहिए, केवल मेरी एक शर्त मान लो।”
अभिषेक ने सोचा, “एक शर्त ही तो है, मान लूंगा।”
चांदनी ने कहा, “एक महीने तक मेरे साथ घर से दूर कहीं रहना होगा, और इस दौरान तुम सिर्फ मेरे साथ रहोगे, न अपने परिवार से मिलोगे, न वंदना से।”

अभिषेक ने सोचा, “एक महीना ही तो है, तलाक का प्रोसीजर वैसे भी लंबा होता है।” उसने शर्त मान ली।

शर्त का असर – असली सच्चाई का आईना

चांदनी ने अभिषेक की मां और भाई को बुला लिया, ताकि वे बेटे का ख्याल रख सकें। फिर अभिषेक को लेकर शहर से 50-60 किलोमीटर दूर एक होटल में चली गई। वहां चांदनी ने खुद को पूरी तरह से बदल लिया – ब्यूटी पार्लर गई, खुद को सजाया-संवारा और अभिषेक के सामने आई। अभिषेक हैरान रह गया – उसकी पत्नी तो बेहद खूबसूरत थी, लेकिन जिम्मेदारियों के बोझ में उसने खुद को कभी समय नहीं दिया था।

एक महीना दोनों ने कपल की तरह बिताया। अभिषेक को एहसास हुआ कि उसकी पत्नी वंदना से कहीं ज्यादा सुंदर और समझदार है। धीरे-धीरे वंदना की छवि उसके दिल से मिटने लगी।

18 दिन बाद एक रात चांदनी होटल से गायब हो गई। अभिषेक परेशान हो गया, फोन करता रहा लेकिन चांदनी ने फोन बंद कर रखा था। अगले दिन सुबह वह वापस आई, और अभिषेक को कोई जवाब नहीं दिया। बोली, “जैसा कहा है, वैसा करो, तभी तलाक मिलेगा।”
अभिषेक को शक हुआ, लेकिन उसने चुप रहना ही बेहतर समझा।

पछतावा और माफी

एक महीना पूरा हुआ, चांदनी मायके चली गई और बोली, “अब तलाक के डॉक्यूमेंट बनवा लो, मैं साइन कर दूंगी।”
वंदना का फोन आया, “अब तो एक महीना हो गया, कब तलाक दे रही है तुम्हारी पत्नी?”
अभिषेक को एहसास हुआ कि वंदना सिर्फ उसके पैसे और सुख-सुविधाओं के लिए उसके साथ रहना चाहती है। उसने वंदना को साफ मना कर दिया, “अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहता।”
अभिषेक घर लौटा, मां से सारी सच्चाई बताई। मां ने डांटा, “तेरी पत्नी देवी थी, उसने हमेशा परिवार का सम्मान किया। तूने बहुत बुरा किया।”

अभिषेक फूट-फूट कर रोया, अपनी गलती पर पछताया। फिर पत्नी को मनाने मायके गया, पैरों में गिरकर माफी मांगी। चांदनी ने कहा, “तुमने मेरी शर्त पूरी की है, अब तलाक के पेपर तैयार कर लो।”
अभिषेक ने हाथ जोड़कर मायके वालों से भी माफी मांगी। चांदनी मुस्कुराकर अंदर चली गई। उसके पिता ने अभिषेक को उठाया और कहा, “कोई बात नहीं बेटा, चांदनी तुम्हारे साथ ही रहेगी।”

सच्चाई का खुलासा

चांदनी ने कहा, “मैंने हॉस्पिटल में ही समझ लिया था कि तुम वंदना के प्रेम जाल में फंस रहे हो। मैं जानती थी कि वह सिर्फ तुम्हारे पैसों के लिए तुम्हारे साथ रहना चाहती है। जब मैं एक रात गायब रही थी, तब मैंने वंदना के बारे में सब पता किया था। उसका पहला पति गरीब था, खर्च नहीं उठा पाया तो उसने तलाक ले लिया। तुम्हारे पास पैसा है, इसलिए वह तुम्हें चाहती थी।”

“मैंने यह सब किया ताकि तुम्हें सच्चाई का आईना दिखा सकूं। पत्नी जिम्मेदारियों के बोझ में खुद को भूल जाती है, लेकिन अगर उसे समय और प्यार मिले तो वह भी पहले जैसी बन सकती है।”

अभिषेक ने फिर माफी मांगी, “चांदनी, मुझे माफ कर दो, मेरे साथ घर चलो।”
चांदनी तैयार हो गई, दोनों घर लौट आए। अभिषेक की मां ने बहू को गले लगाया, पूरा परिवार फिर से एक हो गया।

सीख और संदेश

अभिषेक को समझ आ गया कि असली खूबसूरती, प्यार और अपनापन घर की पत्नी में ही है। वह पछताता रहा, लेकिन चांदनी ने कहा, “जो हो गया, उसे भूल जाओ, आगे बढ़ो। बार-बार याद करने से सिर्फ दुख मिलेगा।”

दोस्तों, कभी-कभी हम अपनी जिंदगी की सबसे कीमती चीज को नजरअंदाज कर देते हैं। रिश्तों की असली पहचान तभी होती है जब हम उन्हें खोने की कगार पर पहुंच जाते हैं।
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मिलते हैं फिर एक नई कहानी के साथ।
धन्यवाद, जय हिंद!