दोस्त से उधार पैसे लेकर शहर गया था, दस साल बाद करोड़पति बनकर गाँव में दोस्त का क़र्ज़ चुकाने वापस

कहानी: दोस्ती का मोल

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके के एक छोटे से गांव ‘रामपुर’ में जन्मी यह कहानी हजारों दिलों को छू लेने वाली है। जीवन की कठिनाईयों, सपनों की उड़ान, दोस्ती, त्याग और संघर्ष की यह गाथा आपको बताएगी कि सच्ची दोस्ती क्या चमत्कार कर सकती है।

गांव के दो साथी – रवि और शंकर

रामपुर गांव हमेशा से पिछड़ा था, जहां बारिश कीचड़ में, खेत किसान की मेहनत में, और झोपड़ियां अपनी जर्जरता में खोई रहती थीं। यहाँ के लोगों की दुनिया उनकी फसलों की तरह मौसम और तकदीर की मोहताज थी। इसी गांव में रहते थे दो बचपन के दोस्त – रवि और शंकर।

रवि की आंखों में बड़े-बड़े सपने थे। उसके पिता राम भरोसे छोटे किसान थे, और मां शारदा दोनों हाथों से घर-खेत संभालती थीं लेकिन उनकी आर्थिक हालत बहुत कमजोर थी। रवि पढ़ने में बहुत तेज था, उसने गांव के स्कूल से प्रथम श्रेणी में 12वीं पास की थी और आगे बढ़ना चाहता था। लेकिन शहर की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। दूसरी ओर शंकर पढ़ाई में कमजोर था, मगर दिल से बहुत बड़ा और सच्चा दोस्त था। वह अपने पिता की परचून की छोटी दुकान चलाता था।

आंधी आई पर दोस्ती टिकी रही

एक दिन रवि के पिता बीमार पड़ गए। गांव के वैध बोले कि उनका इलाज अब केवल शहर के बड़े अस्पताल में हो सकता है। रुपये की चिंता बीच में आ गई। रवि ने हर जगह हाथ फैलाया, यहां तक कि गांव के जमींदार ठाकुर हरबन सिंह के सामने भी। लेकिन उसे ठुकरा दिया गया, अपमानित किया गया।

निराश रवि अपने सबसे सच्चे दोस्त शंकर के पास गया। शंकर ने अपनी दुकान के गल्ले और पत्नी गीता के घर खर्च के रुपये मिलाकर उसे ₹5,000 दिए, फिर गीता से उसकी माँ के झुमके लेकर सुनार के पास गिरवी रख ₹5,000 और जो़ड़ दिए। ₹10,000 रवि के सपनों और उम्मीद का आसरा बन गए। रवि ने वादा किया – “यह कर्ज एक दिन तुझे जरूर लौटाऊँगा।”

मुंबई का संघर्ष

मुंबई का भीड़-भाड़, नया माहौल, नए दर्द। रवि के साथ पहले ही दिन धोखा हुआ। उसके 2,000 रुपये चालाकी से छीन लिए गए। शेष पैसे छोटी सी धारावी की खोली में किराए पर कमरा मिल गया। उसने जहां-तहां मजदूरी की; होटल में बर्तन धोए, अखबार बेचें, गाड़ियों के शीशे साफ किए, कई दिन भूखा रहा आदि, लेकिन हार नहीं मानी। वह हर रात शंकर की दोस्ती और अपने ‘वादे’ को याद करता, और फिर हिम्मत जुटा लेता।

फिर एक सेठ के बगीचे में पौधे बचाए, ईमानदारी से काम किया, तो सेठ ने उसे ऑफिस में चपरासी बना लिया। यहीं से उसकी जिन्दगी का असली बदलाव शुरु हुआ। उसने कंप्यूटर सीखा, अंग्रेजी सीखी और एक छोटी आईटी कंपनी में पार्ट टाइम काम करते हुए अपना खुद का सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट शुरू किया।

सपनों की उड़ान – मित्र सॉल्यूशंस

रवि के भीतर व्यापारी और टेक्नोलॉजी का संयोजन था। छोटा सा आइडिया पकड़ा – छोटे दुकानदारों के लिए सस्ता और सरल अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर। पैसा बचाकर, दिन-रात की मेहनत के बाद, मित्र सॉल्यूशंस नाम से अपनी कंपनी शुरू की (जो नाम उसने शंकर के नाम पर रखा)। शुरुआत कठिन थी, लेकिन सच्चाई और मेहनत से एक-एक क्लाइंट जुड़ता गया। पांच सालों में ही उसकी कंपनी मुंबई की ऊँचाइयों पर थी।

वापसी – कर्ज और दोस्ती का मोल

दस साल बाद, करोड़पति रवि अपने हेलीकॉप्टर से गांव पहुँचा, तो घर जाने से पहले वह शंकर को ढूँढने लगा। वह आज भी गरीबी में फंसा था, कर्ज से लदा, जमीन छिन गई थी, परिवार बीमार और दुखी था।

रवि ने गांव के सामने सबको बुलवाया; ठाकुर के कर्ज के पैसे ब्याज सहित चुकाए, जमीन वापस शंकर के नाम करवाई और ठाकुर का घमंड तोड़ दिया। शंकर को नया पक्का घर, बच्चों की पढ़ाई, पत्नी का इलाज, बिजनेस पार्टनरशिप (मित्र सॉल्यूशंस के 10% शेयर) – सब कुछ देकर अपना दोस्ती का कर्ज चुकाया। इतना ही नहीं, रवि ने अपने पिता के नाम पर गांव में आधुनिक स्कूल, मां के नाम पर अस्पताल, कंपनी की शाखा, कॉल सेंटर व फूड यूनिट गांव में शुरू कराकर पूरे रामपुर की किस्मत बदल दी।

अंत – दोस्ती की असली जीत

कुछ वक्त बाद रामपुर एक आधुनिक गांव बन गया था। शंकर और रवि एक नदी किनारे बचपन की यादें ताजा करते हुए बैठे थे। शंकर बोला, “तूने तो पूरा गांव बदल डाला।” रवि बोला, “नहीं दोस्त, तेरी friendship और भरोसे ने ये सब किया। उस रात अगर तूने मुझ पर भरोसा न किया होता, तो मैं वहां कभी पहुंच न पाता।”

सीख और संदेश

यह कहानी बताती है कि सच्ची दोस्ती का मोल कोई दौलत या शोहरत नहीं चुका सकती। अगर वादा इरादे से निभाना है, तो वह न सिर्फ दो लोगों बल्कि पूरे समाज की सूरत बदल सकता है।

अगर रवि और शंकर की यह कहानी आपके दिल तक पहुँची हो, तो इसे सब तक ज़रूर पहुँचाएँ। हमेशा याद रखें — दोस्ती अगर सच हो, तो किस्मत भी झुकने पर मजबूर हो जाती है।