नाव चलाकर पेट पालती थी विधवा महिला मगर एक दिन ऐसा हुआ ये कहानी कर्नाटक की है

नदी किनारे नाव वाले की बेटी संगीता और शिवम की प्रेम गाथा

कर्नाटक के मैसूर जिले की कावेरी नदी के घाट पर दीनाना नाम का एक आदमी नाव चलाकर अपने परिवार का पेट पालता था। उसके परिवार में पत्नी, बड़ी बेटी संगीता (17-18 साल), और छोटी बेटी सुमन थी। उनका घर घाट से लगभग दो किलोमीटर दूर था। रोज़ सुबह दीनाना घाट पर आ जाता, और दोपहर होते-होते संगीता उसके लिए खाना लेकर आती। जब दीनाना खाना खाता या आराम करता, तब अगर कोई यात्री आता तो संगीता खुद नाव चलाकर उसे पार कर देती।

संगीता को नाव चलाना बहुत पसंद था। एक दिन एक युवक शिवम, जिसकी उम्र करीब 23-24 साल थी, घाट पर आया। उसने संगीता से कहा कि उसे नदी पार जाना है। दीनाना खाना खा रहे थे, इसलिए संगीता ने शिवम को नाव पर बैठाया। शिवम पहले डर रहा था, लेकिन संगीता की निपुणता और सादगी देखकर उसका दिल संगीता पर आ गया। संगीता भी उसकी नजरों का अहसास करती है, लेकिन पहले-पहल थोड़ी असहज हो जाती है। शिवम ने किराया देने के लिए ₹50 दिए, जबकि किराया ₹20 था। संगीता ने बाकी पैसे लौटाने की कोशिश की, लेकिन शिवम ने मना कर दिया और कहा, “कल फिर आऊंगा, तब तुम ही उतारना।”

उस रात शिवम को संगीता की याद सताती रही। अगली सुबह वह फिर घाट पर पहुंच गया। दोनों की बातचीत बढ़ने लगी। शिवम ने संगीता से नाव चलाना और तैरना सीखने की बात की, दोनों हँसी-मजाक करने लगे। धीरे-धीरे दोनों के बीच दोस्ती और आकर्षण बढ़ता गया। शिवम पोस्ट ऑफिस में बाबू था, अच्छी नौकरी थी। वह अक्सर बहन के घर जाने के बहाने घाट आता, संगीता से मिलता, बातें करता, कभी-कभी पैसे भी देता।

एक दिन शिवम ने संगीता से अपने दिल की बात कह दी, “मैं तुमसे प्यार करता हूँ।” संगीता पहले शर्माती है, फिर स्वीकार करती है कि उसे भी शिवम का ख्याल आता है। दोनों अपनी भावनाओं में डूब जाते हैं। संगीता ने कभी किसी लड़के से इस तरह बात नहीं की थी। दोनों का प्यार गहरा होता गया।

कुछ दिन बाद शिवम ने संगीता से शादी की इच्छा जताई। संगीता बोली, “मुझे पता है हमारी शादी नहीं हो पाएगी, लेकिन दिल तो तुम्हारा हो गया है।” शिवम ने कहा, “मैं तुम्हारे पापा से बात करूंगा।” अगले दिन शिवम ने हिम्मत करके दीनाना से बात की। दीनाना बोले, “हर पिता चाहता है कि उसकी बेटी को अच्छा दामाद मिले, लेकिन मेरी औकात नहीं है। मैं अपनी बेटी को अमीरों के चौखट की बलि नहीं बनाना चाहता।” शिवम ने बहुत विनती की, “मैं नौकरी करता हूँ, साधारण शादी करूंगा, संगीता के बिना जी नहीं सकता।”

दीनाना ने संगीता की आंखों में आंसू देखे और समझ गए कि बेटी भी शिवम को चाहती है। उन्होंने शर्त रखी, “अगर कभी मेरी बेटी को दुख हुआ तो मैं जी नहीं पाऊंगा।” शिवम ने वादा किया कि कभी दुख नहीं देगा।

शिवम अपने घर गया, लेकिन उसके माता-पिता शादी के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा, “नाव वाले की बेटी से शादी करेगा? हमारी इज्जत क्या रह जाएगी?” लेकिन शिवम अड़ा रहा, “मैं उसी से शादी करूंगा।” आखिरकार परिवार मान गया और साधारण तरीके से मंदिर में शादी हो गई। शादी के बाद शिवम और संगीता बहुत खुश थे। शिवम संगीता को पलकों पर बिठाकर रखता था, लेकिन उसके घरवाले संगीता को ताने मारते, प्रताड़ित करते। वह सब सहती रही, क्योंकि शिवम से बहुत प्यार करती थी।

छह महीने बीत गए। संगीता को घरवालों की प्रताड़ना झेलनी पड़ी, लेकिन शिवम के सामने कभी शिकायत नहीं की। एक दिन सुमन की शादी थी, जिसमें शिवम का पूरा परिवार भी गया। शादी के बाद दीनाना ने सबको नाव पर बिठाया, नदी पार कराने लगे। नदी में बाढ़ थी, पानी तेज था। नाव पर शिवम की मां ने ताने मारना शुरू कर दिया—”तुम लोगों ने हमारे बेटे को फंसा दिया, हमारे लायक तो थे नहीं।”

शिवम से रहा नहीं गया, उसने नदी में छलांग लगा दी। संगीता भी उसके पीछे कूद गई, उसे बचाने की कोशिश की। नदी का बहाव बहुत तेज था, संगीता शिवम का सिर ऊपर रखने की कोशिश करती रही। वह तीन महीने की गर्भवती थी। शिवम ने कहा, “तुम अपना ख्याल रखो, बच्चे के लिए जीना है।” लेकिन संगीता बोली, “मैं भले ही मर जाऊं, तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगी।”

दो घंटे तक दोनों नदी में बहते रहे। आखिरकार कुछ तैराक और नाव वाले उन्हें बचाने पहुंचे। किनारे निकालते ही संगीता बेहोश हो गई, अस्पताल ले जाया गया। संगीता का बच्चा नहीं बच पाया, लेकिन दोनों की जान बच गई। कई दिन अस्पताल में रहे। शिवम के माता-पिता माफी मांगने आए, बोले, “हमने तुम्हें समझा नहीं, अब तुम हमारे शिवम की संगीता हो।”

कुछ दिन बाद दोनों ठीक होकर घर लौटे। आठ साल बीत चुके हैं, अब दोनों बहुत खुश हैं। संगीता के दो बच्चे हैं। घाट पर अब पुल बन गया है, लेकिन जब भी दोनों जाते हैं, अपनी पुरानी यादें ताजा करते हैं। परिवार भी अब उनका साथ देता है।

सीख:
यह कहानी बताती है कि सच्चा प्यार मुश्किलों से लड़ता है, इंसानियत और रिश्तों की गहराई को समझता है। संगीता और शिवम की प्रेम गाथा हमें सिखाती है कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर दिल सच्चा है तो सब ठीक हो जाता है।

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