पति ने पत्नी से झूठ बोला कि वो बेरोजगार है, लेकिन जब हकीकत सामने आई फिर जो हुआ..

अजय और प्रेरणा की दिल छू लेने वाली कहानी – प्यार, सच्चाई और माफ़ी की मिसाल
शुरुआत – एक झूठ, एक इम्तिहान
क्या होता है जब कोई आदमी अपनी ही पत्नी से यह झूठ बोले कि वह बेरोजगार है, उसके पास रहने को घर नहीं, पहनने को ढंग के कपड़े तक नहीं हैं? यही कहानी है अजय और प्रेरणा की। प्रेरणा कॉलेज के दिनों से अजय को दिलो-जान से चाहती थी। उसने समाज और परिवार के खिलाफ जाकर उसी से शादी की थी। लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद ही प्रेरणा को अजय की बेरोजगारी, सादगी और चुप्पी बोझ लगने लगी। उसने ताने मारने शुरू कर दिए। बात-बात पर अपमान करना उसकी आदत बन गई। अजय हर बार मुस्कुरा कर सब सह जाता, ना जवाब देता ना शिकायत करता। उसके अंदर कोई दर्द था जिसे वह छुपा रहा था, कोई सच्चाई थी जिसे वह बताना नहीं चाहता था।
एक दिन अचानक एक हादसे की तरह सच प्रेरणा के सामने आ गया। उसे पता चला कि जिस अजय को वो बेकार समझती थी, वही असल में करोड़ों की कंपनी का मालिक था। उसके हर ताने, हर आंसू के पीछे अजय चुपचाप उसे परख रहा था – यह देखने के लिए कि प्रेरणा का प्यार उसके इंसान के लिए है या उसके नाम और दौलत के लिए।
विजय/अजय की असली पहचान और संघर्ष
अजय (या विजय) एक बड़े उद्योगपति का बेटा था, जिसके पास बचपन से सब कुछ था – बंगले, गाड़ियां, नौकर-चाकर। लेकिन उसे इस ऐशो-आराम की जिंदगी से नफरत थी। वह चाहता था कि लोग उसे उसके स्वभाव से पहचाने, ना कि पैसे से। उसने अपने पिता से कहा, “पिताजी, मुझे यह सब नहीं चाहिए। मैं जानना चाहता हूं कि बिना पैसों के भी जिंदगी कैसी होती है।”
पिता ने बेटे की जिद देखी और उसे साधारण कॉलेज में पढ़ने भेज दिया। अजय ने अपनी पहचान और दौलत छुपा ली। वह सादे कपड़ों में कॉलेज जाता, पुराना बैग लेकर। पढ़ाई में होशियार था, स्कॉलरशिप पर पढ़ता था। कॉलेज की छात्रा प्रेरणा उसकी सादगी और गहराई से आकर्षित हो गई। धीरे-धीरे प्रेरणा को महसूस हुआ कि उसे अजय से सच्चा प्यार हो गया है – उसके दिल से, ना कि उसकी दौलत से।
प्यार, शादी और संघर्ष
प्रेरणा ने अजय से अपने प्यार का इज़हार किया। अजय ने कहा, “मेरे पास ना रहने की जगह है, ना ढंग के कपड़े, ना पैसा। तुम जैसी लड़की मेरे साथ कैसे रहेगी?”
प्रेरणा ने जवाब दिया, “मुझे सिर्फ तुम चाहिए, बाकी कुछ नहीं।”
अजय ने देखा कि प्रेरणा का प्यार सच्चा है, और दोनों ने सादगी से शादी कर ली।
शादी के बाद अजय प्रेरणा के घर पर रहने लगा। प्रेरणा की मां शुरू से ही इस रिश्ते के खिलाफ थी। वह अजय को ताने मारती, अपमानित करती, लेकिन अजय चुपचाप सब सहता रहा। उसका विश्वास था कि प्रेरणा ने उससे उसके चरित्र से प्यार किया है, दौलत से नहीं।
दिन बीतते गए, घर में रोज़ तकरारें बढ़ती गईं। मां की कड़वाहट, ताने, घरेलू कामों का बोझ, रिश्तेदारों के सामने अपमान – सब कुछ अजय सहता रहा। एक दिन झगड़ा इतना बढ़ गया कि प्रेरणा ने तलाक की धमकी दे दी। अजय ने घर छोड़ दिया और अपने पिता के पास चला गया।
अजय की नई शुरुआत, प्रेरणा का पछतावा
अजय ने अपने पिता का कारोबार संभालना शुरू किया। मेहनत, लगन और ईमानदारी से उसने कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। फैक्ट्री से बोर्डरूम तक, मार्केटिंग से ब्रांड बिल्डिंग तक – हर जगह उसने खुद को साबित किया। गांवों में स्किल ट्रेनिंग सेंटर खोले, शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम किया। उसकी कंपनी मार्केट में छा गई।
वहीं दूसरी ओर प्रेरणा खाली घर में बैठकर अजय को याद करती रही। उसे एहसास हुआ कि अजय निर्दोष था, उसका अहंकार और मां की ज़िद ने उसे अंधा कर दिया था। वह पछतावे में डूबी रहती, लेकिन स्वाभिमान और परिवार के डर से अजय से माफी मांगने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
बिजनेस की जंग और सच का सामना
कुछ सालों बाद मार्केट में अजय की कंपनी तेजी से ऊपर उठने लगी। प्रेरणा की कंपनी के शेयर गिरने लगे। निवेशकों का भरोसा डगमगाने लगा। प्रेरणा ने अपने मैनेजर से कहा कि वह उस नई कंपनी के सीईओ से मिलना चाहती है। मीटिंग तय हुई – 24 तारीख को।
मीटिंग वाले दिन प्रेरणा कॉन्फ्रेंस हॉल में बैठी थी। जैसे ही सामने देखा, उसकी सांस थम गई – सामने अजय बैठा था।
“अजय, तुम?”
“हां प्रेरणा, मैं ही हूं। याद है, मैंने कहा था एक दिन तुम खुद मेरे सामने आओगी।”
प्रेरणा की आंखों से आंसू छलक पड़े, “मुझे माफ कर दो, मुझसे गलती हो गई थी।”
अजय ने कठोर स्वर में कहा, “माफी? जिस दर्द से मैं गुजरा, वो तुम समझ भी नहीं सकती। अब वही भुगतो जो तुमने किया।”
तभी अजय के पिता की आवाज आई, “बेटा, इतना कठोर मत बनो। रिश्तों को ऐसे नहीं तोड़ा जाता। माफ करना ही असली जीत है।”
अजय पिघल गया, “ठीक है, लेकिन एक शर्त पर – प्रेरणा की मां खुद आकर मुझसे माफी मांगेगी और प्रेरणा मेरे घर आकर मेरे पिता की सेवा करेगी।”
प्रेरणा ने तुरंत कहा, “मुझे मंजूर है।”
माफ़ी, नई शुरुआत और प्यार की जीत
उस रात प्रेरणा ने सब कुछ अपनी मां को बताया। अगले दिन उसकी मां खुद अजय के घर गई, “बेटा, मुझसे गलती हुई। मैंने अपने अहंकार में तुम्हारा घर उजाड़ दिया।”
अजय ने उन्हें उठाया, “अब सब भूल जाइए मां।”
फिर उसने प्रेरणा की ओर देखा, “चलो प्रेरणा, अब सब पीछे छोड़ दो, घर चलो।”
दोनों ने फिर से एक नई शुरुआत की। उन्होंने अपनी कंपनियों को मिलाकर “ए एंड पी एंटरप्राइजेस” बनाया और एक दूसरे का सहारा बन गए। अब प्रेरणा अजय के पिता की सेवा करती, और दोनों शाम को पुरानी यादों में खो जाते। एक साल बाद उनकी जिंदगी में नन्ही आशा आई – उनके प्यार की नई किरण। अब उनका घर हंसी, प्यार और सम्मान से भर चुका था।
कहानी का संदेश
उन्होंने सीखा कि रिश्तों में बदले से ज्यादा ताकत माफ़ी में होती है, क्योंकि असली जीत वही है जब दिल में प्यार बचा रह जाए।
अगर आपको अजय और प्रेरणा की यह भावनाओं से भरी कहानी पसंद आई हो तो लाइक करें, शेयर करें और कमेंट में बताएं कि आपको सबसे अच्छा पल कौन सा लगा। ऐसी ही कहानियों के लिए चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें।
फिर मिलेंगे एक नई और दिल को छू जाने वाली कहानी के साथ।
तब तक मुस्कुराते रहिए और प्यार पर भरोसा रखिए।
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