पत्नी ने अपने ही पति के साथ किया कारनामा/गांव के लोग और पुलिस सभी दंग रह गए/

पतनपुरी का अंधविश्वास – एक परिवार की दर्दनाक कहानी

भूमिका

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव पतनपुरी में, एक साधारण किसान परिवार की जिंदगी अंधविश्वास और लालच की भेंट चढ़ गई। यह कहानी है दिनेश कुमार के परिवार की, जिसमें अंधविश्वास, लालच, धोखा, और अंत में क्रूरता ने सब कुछ तबाह कर दिया। यह घटना न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि पूरे समाज को चेतावनी देती है कि अंधविश्वास और लालच किस हद तक लोगों को अंधा बना सकता है।

अध्याय 1: एक साधारण किसान परिवार

दिनेश कुमार, पतनपुरी गांव का एक सम्मानित किसान था। उसकी अपनी अच्छी-खासी जमीन और संपत्ति थी, जिसे वह अपने बेटे अंकुर के लिए संजोकर रखना चाहता था। अंकुर उसका इकलौता बेटा था, जिसकी शादी आठ साल पहले नीलम से हुई थी। नीलम एक सीधी-सादी, धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी, जो अपने परिवार के लिए हर सुख-दुख सहने को तैयार थी।

शादी के आठ वर्षों में नीलम ने तीन बेटियों को जन्म दिया, लेकिन दुर्भाग्यवश तीनों ही बच्चियां जन्म के वक्त मृत पैदा हुईं। यह लगातार दुख का कारण बन गया। अंकुर और नीलम दोनों मानसिक रूप से टूटने लगे। दिनेश कुमार को चिंता थी कि अगर बेटे का वारिस नहीं हुआ, तो उसकी सारी संपत्ति का कोई उत्तराधिकारी नहीं रहेगा।

अध्याय 2: बेटे की चाहत और सामाजिक दबाव

दिनेश कुमार ने बेटे अंकुर को बुलाकर साफ-साफ कह दिया, “अगर इस बार तुम्हारे यहां बेटा नहीं हुआ, तो मैं तुम्हारी दूसरी शादी करवा दूंगा।” यह सुनकर अंकुर परेशान हो गया, क्योंकि संतान का लिंग तो उसके बस में नहीं था। नीलम भी यह सब सुन रही थी। उसे डर सताने लगा कि उसका ससुर उसके पति की दूसरी शादी करवा देगा और उसका स्थान घर में खत्म हो जाएगा।

नीलम ने मन ही मन ठान लिया कि इस बार उसे किसी भी तरह बेटा ही चाहिए, चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े।

अध्याय 3: अंधविश्वास की ओर बढ़ता कदम

एक दिन नीलम के पास उसकी पड़ोसन जानवी देवी आई, जो गांव में तीन महीने पहले ही किराए पर रहने आई थी। नीलम ने जानवी से अपनी समस्या साझा की। जानवी ने बताया कि उसके साथ भी ऐसा ही हुआ था – तीन बेटियों के बाद चौथी बार वह एक तांत्रिक बाबा ओमकार के पास गई थी, और उसके बाद उसे बेटा हुआ।

नीलम, जो पहले से ही अंधविश्वास में विश्वास करती थी, जानवी के साथ अगले दिन तांत्रिक ओमकार की कुटिया में पहुंच गई। ओमकार तांत्रिक, जो अकेला ही रहता था, नीलम की सुंदरता देखकर उस पर मोहित हो गया और उसकी नियत खराब हो गई। जानवी पहले से ही ओमकार के साथ मिली हुई थी।

अध्याय 4: तांत्रिक का जाल

ओमकार तांत्रिक ने नीलम से वादा किया कि इस बार जरूर बेटा होगा, लेकिन इसके लिए उसे तांत्रिक की “सेवा” करनी होगी। नीलम, बेटे की चाहत में अंधी, सब कुछ करने को तैयार हो गई। जानवी और ओमकार ने मिलकर योजना बनाई। नीलम को रोज कुटिया बुलाया जाने लगा, जहां तांत्रिक उसके साथ गलत संबंध बनाता और उसे जड़ी-बूटियां देता।

ओमकार ने नीलम को कहा कि ये जड़ी-बूटियां अपने पति और ससुर को दूध में मिलाकर पिलानी हैं, साथ ही अपने दूध की कुछ बूंदें भी मिलानी हैं। नीलम ने बिना संकोच यह सब करना शुरू कर दिया।

अध्याय 5: लगातार धोखा और अपराध

हर रात नीलम अपने पति अंकुर और ससुर दिनेश कुमार को जड़ी-बूटियों वाला दूध पिलाती, जिससे वे बेहोश हो जाते। इसी दौरान ओमकार तांत्रिक उसके घर आता, नीलम के साथ गलत संबंध बनाता, और पैसे भी ऐंठता। जानवी को भी हिस्सा मिलता। यह सिलसिला 15-20 दिनों तक चलता रहा। अंकुर और दिनेश को समझ नहीं आ रहा था कि वे रोज जल्दी सो जाते हैं और सुबह देर से उठते हैं, लेकिन वे काम में व्यस्त थे, इसलिए ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

अध्याय 6: अपराध की चरम सीमा

1 अक्टूबर 2025 को, नीलम दोबारा जानवी के साथ ओमकार तांत्रिक के पास गई। तांत्रिक ने नई जड़ी-बूटियां दीं और कहा कि अब असर जल्दी दिखेगा। उसी रात, नीलम ने खुद भी दूध पी लिया, जैसा तांत्रिक ने जानवी के जरिए कहा था। तीनों – अंकुर, दिनेश और नीलम – बेहोश हो गए।

रात के 12:30 बजे ओमकार और जानवी घर में घुसे, दरवाजा तोड़ा, घर के गहने और पैसे लूट लिए। फिर तांत्रिक ने नीलम, दिनेश और अंकुर – तीनों की गला काटकर हत्या कर दी। जानवी और ओमकार ने लाशों को पास के प्लॉट में दफनाने के लिए गड्ढा खोदना शुरू किया।

अध्याय 7: अपराध का खुलासा

जब तीसरी लाश को दफनाने की कोशिश हो रही थी, वहां गांव का शराबी संजीव पहुंच गया। उसने लाश देख ली और शोर मचा दिया। पड़ोसी जमा हो गए, दोनों अपराधी भागने लगे लेकिन पकड़े गए। पुलिस को बुलाया गया। पुलिस ने गड्ढों से लाशें निकालीं, और पूरे गांव में सनसनी फैल गई।

अध्याय 8: सच्चाई सामने आई

पुलिस ने तांत्रिक ओमकार और जानवी को गिरफ्तार किया। पूछताछ में ओमकार ने कबूल किया कि वह पिछले सात सालों से भोली-भाली महिलाओं को अंधविश्वास के नाम पर फंसाता था, उनके साथ गलत संबंध बनाता, चोरी करता, और बलि देने के नाम पर हत्या भी कर देता था।

पुलिस भी इस क्रूरता को सुनकर हैरान रह गई। पूरे गांव में मातम छा गया। दिनेश का हंसता-खेलता परिवार अंधविश्वास और लालच की भेंट चढ़ गया।

उपसंहार

यह कहानी सिर्फ पतनपुरी गांव की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। अंधविश्वास, लालच, और धोखे के जाल में फंसकर कितने लोग अपनी जिंदगी गंवा देते हैं।

इस कहानी को सुनाने का उद्देश्य किसी का दिल दुखाना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करना है। अंधविश्वास से बचें, सच को पहचानें, और अपने परिवार की सुरक्षा खुद करें।

जय हिंद, वंदे मातरम।