पत्नी ने छोड़ा साधारण दिखने वाला पति, असली सच जानकर हक्की बक्की रह गई

रीमा और अर्जुन की कहानी: एक लंबी यात्रा

रीमा पटना शहर की एक पढ़ी-लिखी, खूबसूरत और आत्मविश्वासी लड़की थी। उसका परिवार संपन्न था, पिता सरकारी नौकरी में ऊँचे पद पर थे, माँ गृहिणी थी, और रीमा बचपन से ही ऐशो-आराम में पली-बढ़ी थी। ब्रांडेड कपड़े, बड़ी गाड़ी, आलीशान घर—ये सब उसकी जिंदगी का हिस्सा थे। उसे लगता था कि उसकी दुनिया हमेशा इसी चमक-धमक में रहेगी।

समय बीता, रीमा की उम्र शादी लायक हो गई। परिवार ने उसके लिए अच्छे रिश्ते देखना शुरू किया। कई रिश्ते आए, लेकिन रीमा को कोई पसंद नहीं आया। तभी अर्जुन का रिश्ता आया। अर्जुन साधारण सा दिखता था—ना कोई खास स्टाइल, ना महंगे कपड़े, ना दिखावा। वह एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था, मेहनती और ईमानदार था। रीमा के माता-पिता को अर्जुन पसंद आया, उन्होंने कहा कि लड़का भले ही साधारण है, लेकिन दिल का बहुत अच्छा है।

रीमा थोड़ी असमंजस में थी। उसे डर था कि क्या अर्जुन उसकी लाइफस्टाइल को समझ पाएगा? क्या वह उसे वही सुख-सुविधाएं दे पाएगा जिनकी वह आदी थी? लेकिन माता-पिता के कहने पर उसने हाँ कर दी। शादी बड़े धूमधाम से हुई, पूरा परिवार खुश था। रीमा ने सपनों जैसा माहौल देखा—रिश्तेदार, बैंड-बाजा, रंग-बिरंगे कपड़े—सबकुछ।

शादी के बाद जब रीमा की विदाई हुई, अर्जुन उसे अपने घर ले गया। घर बहुत साधारण था—ना मार्बल फ्लोर, ना बड़ी खिड़कियाँ, ना महंगे सजावट के सामान। रीमा को झटका लगा। उसने सोचा शायद शुरुआत है, आगे चलकर सब बदल जाएगा। लेकिन अर्जुन ने साफ-साफ कहा, “यह घर मेरे दिल के करीब है, मुझे सादगी पसंद है। मैं चाहता हूँ हमारी जिंदगी भी सरल हो।”

रीमा ने मुस्कुराने की कोशिश की, लेकिन उसके मन में खटास आ गई। उसे लगा उसने गलत फैसला कर लिया। अर्जुन उसे खुश रखने की पूरी कोशिश करता—सुबह जल्दी उठकर चाय बनाता, नाश्ता तैयार करता, घर के काम करता। रीमा ने धीरे-धीरे अर्जुन से सारे काम करवाने शुरू कर दिए। वह अपनी सहेलियों से कहती, “मेरा पति तो एकदम नौकर की तरह है, सारे काम खुद करता है।”

अर्जुन को रीमा की बातें कभी-कभी सुनाई देतीं, जिससे उसे गहरी चोट लगती। धीरे-धीरे दोनों के बीच की दूरी बढ़ने लगी। रीमा को लगता था उसने गलत इंसान से शादी कर ली है। अर्जुन सोचता था कि कभी तो रीमा उसकी सादगी को समझेगी। लेकिन हालात बिगड़ते गए, प्यार की जगह ताने और अपमान ने ले ली।

एक दिन रीमा की कॉलेज की सहेली सोनाली उससे मिलने आई। सोनाली स्मार्ट थी, बड़ी कंपनी में काम करती थी। उसने घर का माहौल देखा और बोली, “रीमा, तुम जैसी लड़की यहां बर्बाद हो रही हो। मेरे साथ चलो, मैं तुम्हें जॉब दिला दूंगी।” रीमा ने बिना देर किए हामी भर दी। उसने अर्जुन को ताने मारते हुए घर छोड़ दिया और सोनाली के साथ चली गई।

रीमा अब सोनाली के घर में रहने लगी, उसी के साथ ऑफिस जाने लगी। उसे लगा अब उसकी जिंदगी सही रास्ते पर है। लेकिन उसे नहीं पता था कि जिस कंपनी में वह काम कर रही थी, उसका असली मालिक अर्जुन ही था। अर्जुन अपने असली घर और हेड ऑफिस लौट गया।

कुछ महीनों बाद रीमा के ऑफिस में एक प्रोजेक्ट आया, मीटिंग हेड ऑफिस में थी। रीमा पहली बार वहां गई, बड़ी इमारत देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई। जैसे ही वह रिसेप्शन से अंदर जा रही थी, उसकी टक्कर अर्जुन से हो गई। रीमा ने ताना मारा, “तुम यहां भी नौकरों की तरह काम कर रहे हो?”

अर्जुन शांत रहा। मीटिंग शुरू हुई, सब किसी खास इंसान का इंतजार कर रहे थे। अचानक दरवाजा खुला, अर्जुन अंदर आया। पूरा ऑफिस खड़ा हो गया, “गुड मॉर्निंग सर!” रीमा स्तब्ध रह गई—जिसे वह नौकर समझती थी, वही कंपनी का हेड निकला।

मीटिंग खत्म होने के बाद अर्जुन और रीमा अकेले रह गए। रीमा ने शर्म और पश्चाताप के साथ माफी मांगी, “मैंने तुम्हें हमेशा गलत समझा, तुम्हारा अपमान किया।” अर्जुन बोला, “माफी से ज्यादा जरूरी है समझ। तुमने मुझे सिर्फ इसलिए ठुकराया क्योंकि मैं साधारण दिखता था। असली अमीरी दिल में होती है, दिखावे में नहीं।”

रीमा की आंखों से आंसू गिर पड़े। उसने अर्जुन से एक मौका मांगा। अर्जुन बोला, “रिश्ते भरोसे से बनते हैं और अपमान से टूट जाते हैं। अब तुम्हें समझना होगा कि जिंदगी दिखावे से नहीं चलती। आगे बढ़ो और सीखो कि असली अमीरी दिल की होती है।”

रीमा भारी कदमों से बाहर निकल गई—दिल में पश्चाताप और आंखों में खालीपन।

सीख:
कभी भी किसी इंसान को उसके कपड़ों, रहन-सहन या सादगी से मत आंको। असली अमीरी दिल और सोच में होती है, दिखावे में नहीं।
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