बहन की शादी के लिए बेच दिया घर, सड़क पर आया ,भाई विदाई के वक्त बहन ने दिया ऐसा लिफाफा कि दुनिया हिल

भाई-बहन का अनमोल रिश्ता – प्रेम और पूजा की कहानी
लखनऊ की गलियों में एक घर, एक सपना
लखनऊ के पुराने मोहल्ले की तंग गलियों में एक छोटा-सा पुश्तैनी मकान था। यह मकान सिर्फ ईंट और गारे का ढांचा नहीं, बल्कि प्रेम और पूजा के माता-पिता की आखिरी निशानी था। तीन साल पहले एक सड़क हादसे में दोनों का साया सिर से उठ गया।
तब प्रेम 23 का था, पूजा 18 की। उस दिन के बाद से प्रेम ने ही पूजा के लिए मां और बाप दोनों की भूमिका निभाई। उसने अपनी पढ़ाई छोड़ दी, एक छोटी सी प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी करने लगा ताकि पूजा की कॉलेज की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।
दोनों भाई-बहन की दुनिया एक-दूसरे में ही बसती थी। प्रेम सुबह काम पर जाने से पहले पूजा के लिए नाश्ता बनाता, पूजा कॉलेज से लौटकर अपने भाई के लिए गरम खाना तैयार रखती। घर में तंगी थी, मगर प्यार में कोई कमी नहीं।
प्रेम का बस एक ही सपना था – अपनी बहन की शादी इतनी धूमधाम से करे कि स्वर्ग में बैठे माता-पिता की आत्मा को भी शांति मिले। वह चाहता था कि पूजा को कभी यह महसूस न हो कि उसके सिर पर मां-बाप का हाथ नहीं है।
शादी का सपना और कुर्बानी
समय बीतता गया। पूजा ने ग्रेजुएशन पूरा कर लिया। वह सुंदर, सुशील और संस्कारी थी। जल्दी ही उसके लिए एक अच्छे घर से रिश्ता आया। लड़के का नाम रवि था – बैंक में मैनेजर। उसका परिवार नेक दिल और सुलझा हुआ था।
रवि और उसके परिवार वालों को पूजा पहली नजर में ही पसंद आ गई। उन्होंने दहेज की कोई मांग नहीं रखी, बस इतना कहा कि हम तो अपनी बहू को लेने आए हैं, शादी आप अपनी खुशी और सहूलियत से कर लीजिए।
प्रेम की चिंता थोड़ी कम हुई, मगर उसका सपना अभी भी वही था – अपनी बहन को रानी की तरह विदा करने का। उसने शादी की तैयारियों की लिस्ट बनाई – अच्छा सा बैंक्वेट हॉल, शहर का सबसे अच्छा कैटरर, पूजा के लिए डिजाइनर लहंगा, बारातियों की आवभगत में कोई कमी न रहे।
इन सब में अच्छा-खासा खर्च था। जमा पूंजी हिसाब की तो पता चला, वह शादी के कुल खर्च का आधा भी नहीं है। दोस्तों से उधार मांगा, बैंक से लोन लेने की कोशिश की, मगर हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। शादी की तारीख नजदीक आ रही थी, प्रेम की रातों की नींद उड़ गई थी।
एक रात उसने अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला लिया – अपने पुश्तैनी मकान को बेच देगा। यह सोचते ही उसका दिल कांप उठा। इस घर में उसके बचपन की यादें थीं, मां के हाथ की रोटियों की खुशबू थी, पिता की डांट और प्यार था।
पर दूसरी तरफ उसकी बहन की खुशी थी। उसने सोचा, “मकान तो बस चार दीवारें हैं, मेरी असली दुनिया तो मेरी बहन है। अगर उसकी खुशी के लिए मुझे सड़क पर भी आना पड़े तो मैं तैयार हूं।”
उसने यह बात पूजा से छिपा ली। प्रॉपर्टी डीलर से बात की, सौदा तय हुआ। खरीदार ने एडवांस में शादी के खर्च के लिए पैसे दे दिए, बाकी की रकम शादी के बाद मकान खाली करते समय देने का वादा किया।
शादी की रात और विदाई का लम्हा
अब शादी की तैयारियां जोरों पर थीं। प्रेम ने अपनी बहन की शादी में कोई कमी नहीं छोड़ी। शहर का सबसे महंगा बैंक्वेट हॉल, तरह-तरह के पकवान, दिल्ली से डिजाइनर लहंगा। पूजा अपने भाई का यह प्यार देखकर हैरान थी, “भैया, आप इतना सब क्यों कर रहे हैं?”
प्रेम मुस्कुराता, “यह सब मैं अपने लिए कर रहा हूं, मेरी एक ही तो बहन है। उसकी शादी में कोई कमी रह गई तो खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।”
शादी का दिन आ गया। मोहल्ला रोशनी से जगमगा उठा। पूजा दुल्हन के लाल जोड़े में किसी अप्सरा सी लग रही थी। प्रेम अपनी बहन को देखकर एक पल के लिए सारे गम भूल गया। बारात आई, धूमधाम से स्वागत हुआ, जयमाला हुई, फेरे पड़े।
प्रेम हर रस्म में आगे था, जिम्मेदार भाई की तरह। उसके चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान थी, मगर दिल में तूफान चल रहा था। वह बार-बार उस घर को देख रहा था, जहां वह बस कुछ घंटों का मेहमान था।
सुबह विदाई का समय आया। पूजा अपने भाई के गले लगकर फूट-फूट कर रो रही थी, “भैया, अपना ख्याल रखना। मुझे छोड़कर आप अकेले कैसे रहोगे?”
प्रेम का दिल भी रो रहा था, मगर उसने आंखों में आंसू नहीं आने दिए। “पगली, तू रो क्यों रही है? तुझे तो खुश होना चाहिए। देख, तुझे कितना अच्छा घर और परिवार मिला है।”
रवि ने प्रेम के कंधे पर हाथ रखा, “प्रेम जी, चिंता मत कीजिएगा। मैं पूजा को हमेशा खुश रखूंगा। और आप जब चाहें हमसे मिलने आ सकते हैं। घर जितना पूजा का है, उतना ही आपका भी है।”
पूजा जब डोली में बैठने लगी, अचानक रुकी। वापस भाई के पास आई, अपने पर्स से एक बंद लिफाफा निकाला। “भैया, यह आपके लिए है।”
प्रेम हैरान, “यह क्या है पूजा?”
पूजा की आंखों में आंसू थे, मगर आवाज में अजीब सा निश्चय। “भैया, आप वादा करो कि यह लिफाफा मेरे जाने के बाद ही खोलोगे – अकेले में।”
प्रेम ने वादा किया। पूजा ने लिफाफा उसके कुर्ते की जेब में रख दिया, एक आखिरी बार भाई के पैर छुए और डोली में बैठकर चली गई।
चिट्ठी का राज और बहन का नजराना
बारात जा चुकी थी, मेहमान भी चले गए। अब उस सूने घर में सिर्फ प्रेम अकेला रह गया। घर की हर चीज उसे काटने को दौड़ रही थी। दीवारों पर लगी मां-बाप की तस्वीरें उसे घूर रही थीं, जैसे पूछ रही हों कि बेटा तूने ये क्या किया?
प्रेम का सब्र टूट चुका था। वह जमीन पर बैठकर बच्चों की तरह रोने लगा। आज वह अपनी बहन को विदा करके खुश तो था, पर अपना सब कुछ लुटाकर बेसहारा भी हो गया था।
कुछ देर बाद उसे पूजा की दी हुई चिट्ठी का ख्याल आया। कांपते हाथों से लिफाफा निकाला। लगा, इसमें शायद प्यार भरा खत या शगुन के पैसे होंगे।
धीरे से लिफाफा खोला। अंदर एक खत था, साथ में एक चाबी और कुछ सरकारी कागजात।
प्रेम ने खत पढ़ना शुरू किया:
मेरे प्यारे भैया,
मुझे पता है जब आप ये खत पढ़ रहे होंगे तब मैं आपसे बहुत दूर जा चुकी होऊंगी।
लेकिन दूर सिर्फ मेरा शरीर गया है, आत्मा तो हमेशा आपके पास रहेगी।
मुझे माफ कर देना भैया, मैंने आपसे एक बहुत बड़ा सच छिपाया।
मैं जानती थी – हां भैया, सब जानती थी कि आप मेरी शादी के लिए हमारा घर बेच रहे हैं।
मैंने आपको डीलर से बात करते हुए सुन लिया था।
मैं आपको रोकना चाहती थी, पर जानती थी कि आप मेरी खुशी के लिए खुद को तकलीफ देंगे।
आपने मुझे मां-बाप की कमी कभी महसूस नहीं होने दी।
अपनी पढ़ाई, अपने सपने, सब मेरे लिए कुर्बान कर दिए।
और आज मेरी खुशी के लिए सिर से छत भी छीन ली।
पर मैं इतनी खुदगर्ज कैसे हो सकती हूं कि आपको सड़क पर छोड़कर अपनी डोली सजा लूं।इसलिए भैया, मैंने और रवि ने मिलकर एक छोटा सा फैसला लिया।
रवि मेरी भावनाओं की बहुत इज्जत करते हैं।
हमने आपके लिए एक छोटा सा नया घर खरीदा है।
इस लिफाफे में उसी घर की चाबी और कागजात हैं।
यह घर आपके घर से ज्यादा बड़ा नहीं है, पर यह हमारा प्यार है।
आपकी कुर्बानी के आगे एक छोटा सा नजराना है।
प्लीज इसे मना मत कीजिएगा, वरना आपकी बहन कभी खुश नहीं रह पाएगी।आपकी छोटी बहन – पूजा
खत पढ़ते-पढ़ते प्रेम की दुनिया हिल गई। उसके हाथ से खत और चाबी गिर गए। आंखों से भावनाओं का सैलाब बह रहा था – हंस रहा था, रो रहा था। उसे खुद समझ नहीं आ रहा था क्या करे।
जिस बहन को वह नादान बच्ची समझता था, वह इतनी समझदार और बड़ी कब हो गई, पता ही नहीं चला।
उसने सोचा था कि वह अपनी बहन के लिए त्याग कर रहा है, पर असल में उसकी बहन ने उसके लिए प्यार और सम्मान का ऐसा महल खड़ा कर दिया था जिसकी कोई कीमत नहीं।
एक नई छत, एक नया रिश्ता
प्रेम ने चाबी उठाई, माथे से लगाई। रातभर सो नहीं सका। अगली सुबह उस पते पर पहुंचा जो कागजात में लिखा था। शहर के शांत इलाके में एक छोटा सा सुंदर सा मकान था। बाहर नेमप्लेट पर लिखा था – “प्रेम पूजा निवास”।
प्रेम का गला भर आया। चाबी से दरवाजा खोला – घर पूरी तरह सजा हुआ था। जरूरत का हर सामान करीने से रखा था। दीवारों पर उसकी और पूजा की बचपन की तस्वीरें, माता-पिता की बड़ी तस्वीर। ऐसा लग रहा था जैसे यह घर नहीं, स्वर्ग हो।
प्रेम ने बहन को फोन किया। फोन उठाते ही पूजा रो पड़ी, “भैया, आपको घर पसंद आया?”
प्रेम की आवाज नहीं निकल रही थी, “पगली, तूने इतना बड़ा तोहफा दिया है क्या?”
पूजा ने सिसकते हुए कहा, “भैया, यह तोहफा नहीं, आप हैं। आपने मेरे लिए जो किया उसके आगे यह कुछ भी नहीं।”
उस दिन भाई-बहन फोन पर बहुत देर तक रोते रहे।
आज ये आंसू खुशी के थे, प्यार के थे, उस अटूट रिश्ते के थे जिसे दुनिया की कोई दौलत खरीद नहीं सकती।
कहानी की सीख
दोस्तों, यह प्रेम और पूजा की कहानी हमें सिखाती है कि भाई-बहन का रिश्ता दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता होता है।
जहां त्याग और प्यार की कोई सीमा नहीं होती।
एक भाई अपनी बहन की खुशी के लिए अपना सब कुछ लुटा सकता है – तो एक बहन भी अपने भाई के सिर पर छत बनाए रखने के लिए हर हद से गुजर सकती है।
अगर इस कहानी ने आपके दिल में भी अपने भाई या बहन के लिए प्यार जगाया है, तो इसे जरूर शेयर करें।
हमें बताइए कि आपको सबसे खूबसूरत पल कौन सा लगा।
समाप्त
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