बुजुर्ग महिला की सहायता करने पर सेल्स गर्ल की नौकरी चली गई लेकिन अगले दिन जो हुआ, उसे देखकर सबके
इंसानियत का इनाम
क्या होता है जब इंसानियत की कीमत चुकानी पड़ती है? क्या होता है जब एक पल की नेकी आपकी सालों की मेहनत पर पानी फेर सकती है, आपकी पूरी दुनिया को उजाड़ सकती है? और क्या होता है जब आप दुनिया की नजर में सब कुछ हार चुके होते हैं, लेकिन कायनात आपकी उस एक अच्छाई का इनाम देने के लिए एक ऐसा दरवाजा खोल देती है, जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होती?
यह कहानी है दिल्ली की एक साधारण सी सेल्स गर्ल किरण की, जिसके लिए उसकी नौकरी और उसका परिवार ही उसकी पूरी दुनिया थी। यह कहानी एक लाचार बुजुर्ग महिला सावित्री देवी की है, जिसे दुनिया ने ठुकरा दिया था। और यह कहानी एक पत्थर दिल मैनेजर वरुण खन्ना की है, जिसके लिए मुनाफे के आंकड़ों के आगे इंसानी जज्बातों की कोई कीमत नहीं थी।
किरण का संघर्ष
दिल्ली के उत्तम नगर की भीड़भाड़ वाली गलियों में दो कमरों के छोटे से मकान में 25 साल की किरण अपने परिवार के साथ रहती थी। उसके पिता रामनारायण जी एक सरकारी प्रिंटिंग प्रेस से रिटायर हुए थे। मामूली पेंशन से घर का खर्च चलाना मुश्किल था। मां सरिता जी अस्थमा की मरीज थीं, जिनकी दवाइयों का खर्च हर महीने चिंता का विषय रहता। किरण का छोटा भाई राहुल आईआईटी की तैयारी कर रहा था, उसकी कोचिंग की फीस और घर की जरूरतें अब किरण के कंधों पर थीं।
किरण ने बीकॉम कॉरेस्पॉन्डेंस से किया था और पिछले एक साल से दिल्ली के सबसे महंगे शॉपिंग मॉल “एमोरियम” के साड़ी शोरूम “रिवायत” में सेल्स एग्जीक्यूटिव थी। तनख्वाह ज्यादा नहीं थी, लेकिन परिवार के लिए बड़ा सहारा थी।
रिवायत सिर्फ एक शोरूम नहीं, एक अलग ही दुनिया थी। महंगे इत्र, ताजे फूलों की खुशबू, लाखों की बनारसी, कांजीवरम और पैठनी साड़ियां, और वहां आने वाले दिल्ली के अमीर लोग। इस चमक-दमक वाली दुनिया के बादशाह थे जनरल मैनेजर वरुण खन्ना—कठोर, अनुशासित, सिर्फ नतीजों पर ध्यान देने वाला। उसके लिए कर्मचारी सिर्फ मशीन थे, ग्राहक दो तरह के—लाखों की खरीदारी करने वाले और सिर्फ विंडो शॉपिंग करने वाले। स्टाफ को सख्त हिदायत थी कि ग्राहक की हैसियत देखकर ही समय लगाएं।
किरण के संस्कार और उसूल इस दुनिया से अलग थे, लेकिन मजबूरी के आगे हर रोज अपने जमीर पर पत्थर रखकर मुस्कान चिपकाकर काम करती थी।
वो शनिवार की दोपहर
शनिवार को मॉल में सबसे ज्यादा भीड़ थी। रिवायत में अमीर महिलाएं खरीदारी में व्यस्त थीं। वरुण अपने केबिन से हर हरकत पर नजर रखे हुए था। तभी शोरूम के दरवाजे से एक 80 साल की कमजोर, झुकी कमर वाली बुजुर्ग महिला सावित्री देवी अंदर आईं। उनका चेहरा झुर्रियों से भरा था, आंखों में घबराहट और मासूमियत थी, फीकी फटी साड़ी, घिसी हवाई चप्पल, हाथ में कपड़े का पुराना झोला। गार्ड ने रोकने की कोशिश की, लेकिन उम्र का लिहाज करके अंदर आने दिया। सेल्स गर्ल्स उन्हें देखकर हंसी रोकने लगीं, फुसफुसाने लगीं।
सावित्री देवी दुकान की भव्यता को देखकर हैरान थीं। कोई भी सेल्स गर्ल उनकी मदद के लिए आगे नहीं आई। वरुण खन्ना को उनकी मौजूदगी से ब्रांड वैल्यू कम होती लग रही थी। तभी सावित्री देवी का पैर फिसल गया, वे जोर से फर्श पर गिर पड़ीं, उनका चश्मा दूर जा गिरा, सिर में चोट लग गई। शोरूम में एक पल के लिए सन्नाटा छा गया, फिर सब सामान्य हो गया। अमीर ग्राहक अपनी खरीदारी में व्यस्त हो गए, स्टाफ ने मुंह फेर लिया।
किरण की इंसानियत
लेकिन उस भीड़ में किरण का दिल तड़प उठा। वह उस वक्त एक महत्वपूर्ण ग्राहक को महंगी साड़ी दिखा रही थी, लेकिन सबकुछ भूलकर दौड़ती हुई सावित्री देवी के पास पहुंची। उसने अपना दुपट्टा नीचे रखा, प्यार से उन्हें उठाया, पानी की छींटे दी, माथे की चोट साफ की, चश्मा उठाकर साफ किया और उनकी आंखों पर लगाया। पूछा, “अम्मा, आप ठीक तो हैं?” सावित्री देवी ने उसकी मासूम चिंता भरी आंखों को देखा, उन्हें लगा कोई फरिश्ता आ गया हो। किरण ने उन्हें सहारा देकर सोफे पर बिठाया, गर्म पानी मंगवाया, हाथ-पैर सहलाए।
तभी वरुण खन्ना गुस्से से बाहर आया। उसने देखा किरण ग्राहक को छोड़कर एक भिखारन जैसी महिला की सेवा में लगी है। वह चिल्लाया, “मिस किरण, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ग्राहक को छोड़कर टाइम पास करने की? तुम्हें इसी काम के लिए तनख्वाह दी जाती है?”
किरण ने हिम्मत से जवाब दिया, “सर, इन्हें चोट लगी है। यह इंसानियत का फर्ज है।”
वरुण और भड़क गया, “इंसानियत तुम मुझे सिखाओगी? तुम्हारा फर्ज साड़ियां बेचना है, समाज सेवा करना नहीं। और किसके लिए? इसकी शक्ल देखी है? यह एक साड़ी का पल्लू भी खरीदने की हैसियत नहीं रखती।”
सावित्री देवी की आंखों में आंसू आ गए। किरण का स्वाभिमान जाग उठा, “सर, प्लीज आप इस तरह बात नहीं कर सकते। यह बुजुर्ग महिला हैं।”
वरुण चिल्लाया, “शट अप! सिक्योरिटी, इस औरत को बाहर निकालो। और मिस किरण, तुम कल सुबह आकर अपना हिसाब ले लेना। यू आर फायर्ड।”
किरण के सिर पर जैसे हथौड़े की चोट लगी। उसने सिक्योरिटी को रोकते हुए कहा, “इन्हें हाथ लगाने की जरूरत नहीं है, मैं खुद बाहर छोड़ दूंगी।” बहुत सम्मान के साथ किरण ने सावित्री देवी को ऑटो में बैठाया। सावित्री देवी ने रोते हुए कहा, “बेटी, मेरी वजह से तेरी नौकरी चली गई।”
किरण ने मुस्कुराकर कहा, “नहीं अम्मा, आपने कोई नुकसान नहीं किया। नौकरी तो मिल जाएगी, लेकिन अगर आज आपकी मदद नहीं करती तो अपनी नजरों में गिर जाती।”
उसने जेब से ₹100 निकाले, सावित्री देवी ने मना कर दिया। बस इतना पूछा, “बेटी तेरा नाम क्या है?”
“किरण।”
सावित्री देवी ने सिर पर हाथ रखा, “जीती रह बेटी। मेरी दुआ है तू सूरज की तरह चमके।”
कायनात का इनाम
अगली सुबह रिवायत शोरूम में सब सामान्य था। वरुण अपनी टीम को अनुशासन का लेक्चर दे रहा था। तभी शोरूम के बाहर पांच चमचमाती Mercedes Maybachs आकर रुकीं। उनमें से निकले कमांडो जैसे सिक्योरिटी गार्ड्स, मानव श्रृंखला बनाई। बीच वाली गाड़ी से उतरे देश के सबसे सफल सॉफ्टवेयर टायकून सूरज और उनकी मां सावित्री देवी।
आज सावित्री देवी राजसी शान में थीं। सूरज ने मां का हाथ पकड़कर शोरूम में प्रवेश किया। वरुण और स्टाफ हैरान रह गए। सूरज सीधा वरुण के पास पहुंचे, “कल यहां क्या हुआ था? मेरी मां के साथ किसने क्या बदतमीजी की?” डर के मारे सबने पूरी कहानी बता दी। सूरज ने मां से कहा, “आप ही फैसला कीजिए।”
सावित्री देवी ने कहा, “बदला लेना हमारा संस्कार नहीं। इन्हें सजा इनका जमीर दे चुका है। लेकिन एक लड़की थी किरण, जिसने मेरी इज्जत रखी। मुझे वह लड़की चाहिए।”
सूरज ने असिस्टेंट को कहा, “आधे घंटे में किरण का पता चाहिए।”
आधे घंटे बाद सूरज और सावित्री देवी किरण के घर पहुंचे। दरवाजा खोला, सावित्री देवी ने किरण को गले लगा लिया।
सूरज ने कहा, “मेरी मां की जान और इज्जत बचाने की कोई कीमत नहीं हो सकती, लेकिन मैं आपको और आपके परिवार को एक छोटी सी भेंट देना चाहता हूं।”
उसने किरण के हाथ में एक फाइल रखी—दिल्ली के अच्छे इलाके में तीन बेडरूम के फ्लैट के कागजात, भाई की कोचिंग की फीस की रसीद, और एक अपॉइंटमेंट लेटर—रिवायत की नई जनरल मैनेजर, तनख्वाह पुराने मैनेजर से दुगुनी।
किरण और उसका परिवार खुशी के आंसुओं में डूब गया।
उस दिन के बाद किरण की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। वह रिवायत की सबसे सफल और प्रिय मैनेजर बनी। उसने शोरूम का माहौल बदल दिया—अब हर ग्राहक का सम्मान होता था, चाहे वह अमीर हो या गरीब। सावित्री देवी को अपनी बहू के रूप में किरण जैसी नेक दिल बेटी मिल गई।
सीख:
नेकी का रास्ता मुश्किल जरूर है, लेकिन उसकी मंजिल खूबसूरत होती है। एक इंसान की मदद के लिए उठाया गया छोटा सा कदम भी आपकी तकदीर बदल सकता है। गरीब और लाचार के दिल से निकली दुआ कभी खाली नहीं जाती, एक दिन लौटकर आपकी जिंदगी को खुशियों से भर देती है।
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इंसानियत का संदेश फैलाएं।
जय हिंद, जय भारत!
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