भाभी ने देवर को || अपनी उदास रहने वाली सहेली के पास भेजा तो वह खुश हो गई

रिश्तों की डोर – देवर, भाभी और नेहा की सच्ची कहानी
उत्तर प्रदेश के लखनऊ के पास एक छोटा सा गांव था, जहां एक साधारण परिवार रहता था – माता-पिता और उनके दो बेटे, अजय (बड़ा) और रवि (छोटा)। परिवार में प्यार, अपनापन और एकता थी। दोनों भाइयों में गहरा रिश्ता था, और माता-पिता ने बचपन से ही उन्हें सिखाया था कि चाहे जैसे भी हालात हों, परिवार को हमेशा साथ रखना है।
समय बीतता गया। अजय बड़ा हुआ, उसकी पढ़ाई पूरी हुई और उसकी शादी रिया नाम की सुंदर, समझदार लड़की से तय हो गई। शादी के बाद रिया इस परिवार की बहू बनकर आई। रिया ने घर की जिम्मेदारियां संभाल लीं और सबका दिल जीत लिया। रवि, जो अजय से पांच साल छोटा था, भैया-भाभी के साथ खूब मस्ती करता, हंसी-मजाक करता और रिया को अपनी बड़ी बहन की तरह मानता।
अजय की नौकरी शहर में लग गई। माता-पिता और रवि गांव में ही रहते रहे, लेकिन त्योहारों या किसी खास मौके पर पूरा परिवार एकत्रित हो जाता था। रवि अब बड़ा हो रहा था, उसकी भी शादी की बातें घर में शुरू हो गईं। माता-पिता ने उसके लिए लड़की ढूंढी, और एक साल बाद उसकी शादी भी धूमधाम से हो गई।
परिवार की खुशियों में किसी की नजर लग गई।
एक साल के भीतर, दोनों भाइयों के माता-पिता एक बीमारी के चलते दुनिया छोड़ गए।
रवि की पत्नी भी शादी के एक साल बाद बीमारी के कारण चल बसी।
घर में मातम छा गया।
रवि टूट गया, अकेला पड़ गया।
अजय और रिया ने उसे अपने पास बुलाने की कोशिश की, लेकिन रवि ने मना कर दिया।
वह कहता, “भैया, मुझे लगता है हमारे परिवार पर किसी ने जादू-टोना करवा दिया है। मैं आपके पास आ गया तो शायद आप लोगों की जिंदगी भी खतरे में पड़ जाए।”
अजय और रिया ने बहुत समझाया, लेकिन रवि नहीं माना।
वह गांव में अकेला रहने लगा, खुद खाना बनाता, खेतों का काम करता, बस कभी-कभी अपने भैया-भाभी से फोन पर बात कर लेता।
समय बीतता गया।
एक साल बाद, एक शाम, रवि को रिया का फोन आया।
“रवि, जल्दी से घर आ जाओ, बहुत जरूरी काम है।”
रवि पहले मना करता है, “भाभी, मुझे डर लगता है, कहीं कोई अनहोनी न हो जाए।”
रिया बार-बार कहती है, “रवि, यहां बहुत गड़बड़ हो गई है, जल्दी आओ।”
रवि परेशान होकर आधे घंटे का सफर तय करके शहर पहुंचता है।
घर में पहुंचकर इधर-उधर देखता है, लेकिन कोई गड़बड़ नहीं दिखती।
वह रिया से पूछता है, “भाभी, क्या हुआ? क्यों बुलाया?”
रिया कहती है, “एक कमरे में जाओ, तुम्हें सब समझ में आ जाएगा।”
रवि मना करता है, लेकिन रिया अपनी कसम देकर उसे मजबूर कर देती है।
रवि कमरे में जाता है, दरवाजा खोलता है, और वहां देखता है एक लड़की बैठी है – नेहा।
नेहा उसकी भाभी रिया की बचपन की सहेली थी, जो गांव में पड़ोस में रहती थी।
रवि हैरान हो जाता है।
वह बाहर आकर रिया से पूछता है, “भाभी, यह सब क्या है? नेहा यहां क्या कर रही है?”
रिया मुस्कुराकर कहती है, “रवि, नेहा तुमसे प्यार करती है। जब तुम्हारी शादी तय हो गई थी, उसने मुझे अपने दिल की बात बताई थी, लेकिन तब मैं कुछ नहीं कर पाई। नेहा बहुत दुखी थी, अपने घर छोड़कर मौसी के पास चली गई थी। जब तुम्हारी पत्नी गुजर गई, नेहा ने मुझसे पूछा – क्या अब वह तुम्हारे साथ जिंदगी बिता सकती है?”
रवि चौंक जाता है।
वह नेहा से बात करने कमरे में जाता है।
नेहा आंखों में आंसू भरकर कहती है, “रवि, मैं बचपन से तुम्हें चाहती थी। जब तुम्हारी शादी तय हुई, मैं टूट गई। मैंने खुद से कहा, शायद किस्मत में नहीं लिखा था। फिर जब सुना तुम्हारी पत्नी नहीं रही, तो मुझे लगा शायद अब हम मिल सकते हैं।”
रवि डरता है, “नेहा, मुझे लगता है हमारे परिवार पर बुरी नजर है। एक साल में तीन लोग चले गए। मैं तुम्हारी जिंदगी खतरे में नहीं डाल सकता।”
नेहा रोते हुए कहती है, “तुमसे दूर रहकर जीने से अच्छा है, तुम्हारे साथ दुनिया छोड़ दूं।”
रवि सोच में पड़ जाता है।
इतने में रिया और अजय अंदर आते हैं।
अजय कहता है, “छोटे, हम सब तुम्हारे लिए बहुत परेशान हैं। नेहा तुम्हें चाहती है, हम सब राजी हैं। अब वक्त है फिर से खुशियां लाने का।”
रवि बहुत सोचता है।
नेहा कहती है, “अगर तुम हां कहते हो तो मैं तुम्हारी जिंदगी में खुशियां लाने की कोशिश करूंगी, वरना फिर से अकेली रह जाऊंगी।”
रवि आखिरकार मान जाता है।
नेहा के घरवाले भी राजी हो जाते हैं।
नेहा और रवि की शादी हो जाती है।
शादी के बाद, रवि गांव में ही रहना चाहता था।
दोनों भाइयों का रिश्ता फिर से मजबूत हो गया।
नेहा और रिया बहनों की तरह रहने लगीं।
समय बीता, रवि और नेहा को दो बेटे हुए।
रवि धीरे-धीरे शहर आ गया, अपने भैया-भाभी के साथ एक ही घर में रहने लगा।
अब पूरा परिवार एक साथ, खुशियों भरी जिंदगी जीने लगा।
रवि ने महसूस किया कि प्यार, अपनापन और रिश्तों की डोर सबसे बड़ी होती है।
नेहा ने साबित किया कि सच्चा प्यार समय और हालात की परवाह नहीं करता।
रिया ने अपनी दोस्त और देवर दोनों को एक नया जीवन दिया।
अजय ने छोटे भाई को सहारा दिया और परिवार को फिर से जोड़ दिया।
इस कहानी को सुनकर गांव के लोग हैरान रह गए – क्या ऐसा भी हो सकता है?
कई लोग सोचने लगे, क्या सच में जादू-टोना था या सिर्फ किस्मत की मार थी?
लेकिन रवि ने अपने डर को जीत लिया, नेहा ने अपने प्यार को पा लिया, और पूरा परिवार फिर से हंसने-गाने लगा।
आज रवि, अजय, नेहा और रिया – चारों एक साथ रहते हैं।
रवि के दो बेटे हैं, अजय का एक बेटा है।
नेहा और रिया बहनों की तरह हैं, बच्चों को मिलजुलकर पालती हैं।
अजय और रवि फिर से अपने माता-पिता की दी हुई सीख पर चल रहे हैं – “परिवार को हमेशा साथ रखना चाहिए।”
कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
रवि अपने बच्चों को हमेशा यही सिखाता है – “जिंदगी में डरना नहीं चाहिए, रिश्तों की डोर को कभी कमजोर मत पड़ने देना।”
नेहा अपने बेटों को बताती है – “सच्चा प्यार कभी हार नहीं मानता।”
रिया अपने बेटे को समझाती है – “भाई-बहन का रिश्ता सबसे बड़ा है।”
गांव में आज भी लोग इस कहानी को याद करते हैं।
कई बार जब कोई दुखी होता है, तो रवि और नेहा की कहानी सुनाई जाती है – “देखो, अगर सच्ची चाहत हो तो किस्मत भी साथ देती है।”
दोस्तों, यह थी रवि, नेहा, अजय और रिया की सच्ची कहानी।
आपकी राय क्या है?
क्या आप मानते हैं कि डर को जीतकर, रिश्तों को निभाकर, जिंदगी को फिर से खुशियों से भरा जा सकता है?
कमेंट में जरूर बताएं।
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मिलते हैं अगले वीडियो में, एक नई, दिल छू लेने वाली कहानी के साथ।
तब तक के लिए – जय हिंद, जय भारत!
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