भिखारी समझकर जिसे शोरूम से निकाला था बाहर ,चंद घंटों के बाद उसी ने खरीद लिया पूरा शोरूम!
वरकला की लहरों से सपनों तक: विवान की पूरी कहानी
वरकला की तंग गलियों में, जहां समंदर की लहरें रात को लोरी सुनाती हैं, एक छोटा सा घर था। उस घर में रहते थे – कैराव, उनकी पत्नी निविका, बेटी तिया और बेटा विवान। गरीबी ने उनके सपनों को जकड़ रखा था। लेकिन विवान की आंखों में कुछ और ही चमक थी – वह चमक जो दुनिया को बदल देती है।
सपनों की शुरुआत और पहला अपमान
एक दिन कैराव ने विवान से कहा, “बेटा, चल भोपाल चलते हैं। मेरा एक दोस्त है, शायद वह हमें गाड़ी दिलवा दे।” विवान के दिल में उम्मीद की एक छोटी सी चिंगारी जली। गाड़ी मतलब टैक्सी, टैक्सी मतलब कमाई, और कमाई मतलब तिया की शादी का दहेज।
भोपाल का वह चमचमाता शोरूम किसी सपने जैसा था – शीशे की दीवारें, नई गाड़ियों की कतार, ठंडी हवा। मगर जैसे ही विवान और कैराव अंदर दाखिल हुए, सेल्समैन की नजर उनके फटे चप्पलों और पसीने से भीगी कमीज पर ठहर गई। उसने तिरस्कार भरी हंसी के साथ कहा, “यहां गाड़ी देखने का पैसा नहीं लगता, पर तुम जैसे लोग यहां टाइम वेस्ट ना करें। बाहर जाओ। सेकंड हैंड दुकानें तुम्हारे लिए हैं।”
कैराव की आंखें झुकी, मगर विवान चुप रहा। उसकी चुप्पी में तूफान छिपा था। घर लौटे तो निविका ने पूछा, “गाड़ी मिली?” कैराव ने झूठी मुस्कान दी। पर विवान के दिल में कुछ टूट गया। उसी रात छत पर टपकते पानी के बीच विवान ने फैसला लिया – अब वह सिर्फ गाड़ी नहीं, पूरा शोरूम खरीदेगा। लेकिन कैसे? एक गरीब लड़का, जिसे गांव वाले नालायक कहते थे, वो क्या कर सकता था?
शादी का टूटना और परिवार का बिखरना
तभी तिया की शादी टूटने की खबर ने घर को और तोड़ दिया। दहेज की मांग पूरी ना हुई और बारात लौट गई। तिया पत्थर सी हो गई। निविका बेहोश, और कैराव को दिल का दौरा पड़ा। गांव की बातें तीर बनकर चुभी – “अब इस लड़की से कौन ब्याह करेगा?” विवान ने उस रात एक वादा किया – वह पैसा कमाएगा, इतना कि दुनिया उसकी औकात नापने से पहले 100 बार सोचे।
संघर्ष की शुरुआत
वरकला की उस रात, समंदर की आवाज जैसे किसी पुराने दर्द को पुकार रही थी। विवान छत पर लेटा था, ऊपर आसमान में चांद चमक रहा था, पर उसकी आंखों में अंधेरा था। दिन का वह मंजर बार-बार सामने आ रहा था – भोपाल का शोरूम, सेल्समैन की घमंडी हंसी, कैराव की झुकी हुई नजरें।
सुबह घर में सन्नाटा था। निविका चुपचाप चूल्हे पर रोटी सेक रही थी, आंखें लाल थी। कैराव खाट पर लेटे थे, तिया कोने में बैठी थी। विवान ने सबको देखा और लगा कि यह घर नहीं, टूटे सपनों का मलबा है। उसने निविका से कहा, “अम्मा, मैं चाय बना दूं।” निविका ने हल्की मुस्कान दी, “तू आराम कर बेटा।” मगर विवान को आराम नहीं चाहिए था, उसे जवाब चाहिए था।
दोपहर को गांव में खबर फैल गई – तिया की शादी टूट गई है। बारात लौटने की वजह थी – दहेज में 5 लाख कम पड़ गए। कैराव ने साहूकार से कर्ज लिया था, निविका ने अपने कंगन तक गिरवी रख दिए थे, पर फिर भी वह इज्जत नहीं बचा पाए। गांव की पंचायत बैठी, लोग ताने मारने लगे – “तेरे घर में लड़का-लड़की दोनों बेकार। अब इस जवान लड़की का क्या होगा?”
कैराव की बीमारी और विवान का संकल्प
अचानक कैराव को सीने में दर्द हुआ और वह खाट से गिर पड़े। निविका चीखी – कोई मदद करो। गांव वाले तमाशबीन बनकर देखते रहे, पर किसी ने हाथ नहीं बढ़ाया। विवान दौड़ा, अपने कंधों पर कैराव को उठाया और पास के अस्पताल ले गया। डॉक्टर ने कहा – “दिल का दौरा है, इलाज चाहिए तो पैसा लाओ।” विवान की जेब में बस ₹50 थे। साहूकार ने कहा – “पहले पुराना कर्ज चुकाओ, फिर बात होगी।”
रात को अस्पताल के बरामदे में विवान अकेला बैठा था। कैराव की हालत नाजुक थी। तिया घर पर मां के साथ चुपचाप रो रही थी। विवान ने अपने पुराने फोन को हाथ में लिया, स्क्रीन टूटी थी, नेटवर्क भी नहीं था। वह वरकला के उस पीपल के पेड़ के पास गया, जहां कभी-कभी सिग्नल मिलता था। वहां बैठकर उसने एक वीडियो खोजा – “शेयर मार्केट की शुरुआत कैसे करें?” उसकी आंखों में अब सन्नाटा नहीं, एक ठंडी आग थी।
शेयर मार्केट से उम्मीद
उसने सोचा – अगर पैसा ही इज्जत है, तो मैं पैसा बनाऊंगा। अगले दिन विवान ने कैराव से कहा, “बाबा, मैं वड़ोदरा जा रहा हूं। कुछ बड़ा करने के लिए।” कैराव की कमजोर आवाज आई, “बेटा, जो करे बस टूटना मत।” निविका ने आंखों में आंसू लिए कहा, “विवान, तू हमारा सहारा है। खुद को संभालना।” तिया ने पहली बार कुछ कहा, “भैया, मेरे लिए मत कर, अपने लिए कर।” विवान ने उसका माथा छुआ, “यह मेरे लिए नहीं, हमारे लिए है।”
विवान ने एक पुराना थैला उठाया – दो जोड़ी कपड़े और एक रजिस्टर जिसमें शेयर मार्केट की हर छोटी-बड़ी बात नोट की थी। वड़ोदरा पहुंचते ही विवान को समझ आ गया कि शहर गांव से कितना अलग है। उसने एक सस्ता कमरा लिया। इंटरनेट कैफे में घंटों बैठता, YouTube वीडियो देखता, ब्लॉग पढ़ता, ट्रेडिंग के ग्राफ समझता। कई बार भूखा सोया, पर उसकी आंखों में नींद नहीं थी।
पहला मुनाफा और पहला संकट
कई महीनों की मेहनत के बाद विवान ने डेमो ट्रेडिंग शुरू की। एक दिन वरकला से अपने पुराने दोस्त से ₹5,000 उधार मांगे – उसने वह पैसा अपने पहले ट्रेड में लगाया। पहली बार उसे ₹500 का मुनाफा हुआ। उसने आसमान की तरफ देखा, जैसे किसी को धन्यवाद दे रहा हो।
उस रात उसने निविका को फोन किया, “अम्मा, अब चिंता मत करना, सब बदलने वाला है।” पर अगली सुबह एक कॉल आई – तिया की आवाज कांप रही थी, “भैया, बाबा की हालत फिर बिगड़ गई, साहूकार ने धमकी दी है – कर्ज ना चुकाया तो घर छीन लेगा।”
वड़ोदरा की कोठरी में विवान का दिल धक से रह गया। उसके पास वक्त कम था। उसने अपने डीमेट खाते को चेक किया – ₹500 का मुनाफा और ₹5,000 की पूंजी। इतने से ना कैराव का इलाज हो सकता था, ना साहूकार का कर्ज चुक सकता था। उसने फिर रिस्क लिया – दोस्त से ₹5,000 और उधार मांगे। इस बार उसने एक छोटी कंपनी के स्टॉक में सारा पैसा लगा दिया। 4 घंटे बाद – ₹15,000 का मुनाफा।
घर की वापसी और साहूकार की हार
विवान ने वह पैसा निकाला और वरकला के लिए बस पकड़ ली। घर के बाहर साहूकार खड़ा था। विवान ने जेब से ₹15,000 निकाले, “यह लो, ब्याज समेत कर्ज चुक गया। अब निकलो।” साहूकार का चेहरा लाल हो गया, पर पैसे लेकर चला गया। निविका ने विवान को गले लगाया, “बेटा, यह पैसे कहां से आए?” विवान ने कहा, “अम्मा, यह मेहनत का फल है। अब बाबा को अस्पताल ले चलो।”
कैराव को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने कहा – इलाज लंबा चलेगा, पर हालत सुधर सकती है। विवान ने राहत की सांस ली, पर उसकी नजर तिया पर पड़ी – वो अब भी टूटी हुई थी। विवान ने उससे कहा, “तिया, अब सब ठीक होगा।” तिया ने हल्के से सिर हिलाया।
नया जुनून, नई जीत
विवान फिर वड़ोदरा लौट आया। अब उसकी आंखों में डर नहीं, जोश था। उसने ट्रेडिंग में और मेहनत शुरू की। दिन में कैफे, रात में कोठरी – यही उसकी दुनिया थी। कई बार घाटा हुआ, पर वो रुका नहीं। एक टेक्सटाइल कंपनी में उसने सारा पैसा लगा दिया – सुबह स्क्रीन पर ₹1 लाख का मुनाफा। पहली बार मुस्कुराया। “अम्मा, अब घर की दीवारें नहीं टपकेंगी।”
तिया का गुम हो जाना
पर खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी। एक दिन वरकला से फिर कॉल आई – “विवान, तिया के साथ कुछ गलत हुआ है। शादी टूटने के बाद से चुप थी, कल रात घर से गायब हो गई।” विवान का दिमाग सुन्न हो गया। उसने तुरंत बस पकड़ी। रास्ते में खबर मिली – साहूकार ने गांव में अफवाह फैला दी कि तिया किसी के साथ भाग गई है। गांव वाले निविका और कैराव को ताने मार रहे थे।
वरकला पहुंचते ही उसने देखा – घर के बाहर भीड़ जमा थी। निविका दरवाजे पर खड़ी थी। “अम्मा, तिया कहां है?” निविका ने रोते हुए कहा, “मुझे नहीं पता, बेटा, वो रात को छत पर गई थी, फिर लौटी नहीं।” विवान ने आसपास ढूंढा, पर तिया का कोई सुराग नहीं मिला। तभी एक लड़के ने कहा, “तिया को सुबह समंदर की तरफ जाते देखा था।”
समंदर किनारे, तिया की तलाश
विवान दौड़ता हुआ वरकला के समुद्री किनारे की ओर भागा। दूर एक चट्टान पर तिया की साड़ी का पल्लू हवा में लहरा रहा था। विवान चीखा, “तिया!” पर जवाब में बस लहरों की आवाज आई। उसने चट्टान की तरफ दौड़ा – वहां तिया की साड़ी पड़ी थी, पर तिया नहीं थी। पास की रेत पर पैरों के निशान थे – जो जंगल की ओर जा रहे थे।
विवान जंगल की ओर भागा। पेड़ों की घनी छांव में अंधेरा था। उसने पुकारा, “तिया, तू कहां है?” जवाब में सन्नाटा था। एक बूढ़ी औरत मिली – “वो सुबह यहां आई थी, रो रही थी, फिर उस तरफ चली गई।”
गुफा में तिया, दर्द की बात
घंटों ढूंढने के बाद वह एक छोटी सी गुफा के पास रुका। वहां हल्की सी सिसकी सुनाई दी। तिया वहां थी – घुटनों में सिर छिपाए, चुपचाप रो रही थी। “भैया, मैं घर नहीं जाऊंगी।” तिया ने कांपते स्वर में कहा – “गांव वाले कह रहे हैं कि मैं भाग गई। अम्मा-बाबा की इज्जत मिट्टी में मिल गई। मैं उनके लिए बोझ हूं।”
विवान ने तिया के कंधे पर हाथ रखा, “तू बोझ नहीं, हमारी ताकत है। चल घर चलते हैं।” तिया ने सिर हिलाया, “नहीं भैया, मैं वहां नहीं रह सकती।” विवान ने उसे समझाने की कोशिश की, पर तिया अड़ी रही। आखिरकार उसने कहा, “ठीक है, तू अभी यहां रह। मैं सब ठीक कर दूंगा।”
स्कूल की शुरुआत और बदलाव का सपना
विवान गांव लौटा, स्कूल खोलने का ऐलान किया। “यह स्कूल मुफ्त होगा, हर बच्चा पढ़ेगा – चाहे गरीब हो या अमीर।” कुछ ने तारीफ की, कुछ ने ताने मारे – “तिया को ढूंढने की बजाय स्कूल खोल रहा है।” लेकिन विवान का मकसद तिया को इज्जत के साथ वापस लाना था।
एक रात वो फिर गुफा गया। तिया अब थोड़ी शांत थी। “भैया, तू स्कूल खोल रहा है?” – “हां, यह तेरे लिए है। तू पढ़ाएगी।” तिया की आंखें भर आई। “पर गांव वाले?” – “अब तुझे सलाम करेंगे।”
कैराव की हालत फिर बिगड़ी
तभी निविका की चीख जंगल में गूंजी – “विवान, कैराव फिर बेहोश हो गए!” विवान ने तिया का हाथ पकड़ा, “चल घर चलते हैं।” दोनों घर लौटे। कैराव की हालत गंभीर थी। डॉक्टर ने कहा – “ऑपरेशन करना पड़ेगा, ₹5 लाख चाहिए।” विवान के पास अभी 4 लाख ही थे। उसने वड़ोदरा में अपना अगला ट्रेड खेला – ऑटोमोबाइल कंपनी का स्टॉक, ₹4.5 लाख लगाए, 4 घंटे बाद – 7 लाख का मुनाफा।
अस्पताल में नई उम्मीद
अस्पताल पहुंचते ही उसने पैसे जमा किए। डॉक्टर ने ऑपरेशन किया – “ऑपरेशन सफल रहा, वो खतरे से बाहर हैं।” तिया पहली बार हल्के से मुस्कुराई, “भैया, तू सच में चमत्कार है।” विवान ने कहा, “नहीं तिया, यह हमारा परिवार है।”
भोपाल शोरूम का बदला
अब विवान को याद था भोपाल का वो शोरूम, जहां उसे और कैराव को बेइज्जत किया गया था। अब उसके पास पैसा था, पर दिल में आग बाकी थी। वह भोपाल गया – वही फटी कमीज, वही चप्पल। सेल्समैन ने तिरस्कार भरी नजर मारी – “क्या चाहिए?” विवान ने बैंक स्टेटमेंट टेबल पर रखा – करोड़ों का बैलेंस। मैनेजर दौड़ा आया – “सर, आप माफ कीजिए।” विवान ने कहा, “मैं यह शोरूम खरीदना चाहता हूं।”
शोरूम में सन्नाटा छा गया। मैनेजर ने कीमत बताई – 50 करोड़। विवान ने सिर हिलाया, “ठीक है, मेरे पीए से बात करो।” बाहर उसकी नई कार खड़ी थी – वही मॉडल जिसे देखकर वो और कैराव उस दिन लौटे थे।
गांव में इज्जत और बदलाव
वरकला पहुंचते ही गांव वालों ने उसे घेर लिया – “विवान, तू करोड़पति बन गया।” उसने तिया को स्कूल की चाबी दी – “अब तू पढ़ाएगी।” गांव वाले तुझे सलाम करेंगे। तिया की आंखें भर आई। शादी के बाद गांव वाले वही लोग थे जो कभी ताने मारते थे।
साहूकार की आखिरी धमकी
पर तभी खबर आई – साहूकार ने गांव में आग लगाने की धमकी दी है। विवान ने गांव वालों को इकट्ठा किया – “साहूकार अगर आग लगाएगा तो मैं उसे बुझा दूंगा। अब वक्त है कि हम सब मिलकर कुछ करें।”
अगली सुबह विवान साहूकार के घर गया – “अगर गांव में काम करेगा तो इज्जत कमाएगा, वरना सब खो देगा।” साहूकार चुप रह गया। उसी दिन स्कूल खुला, तिया ने पहली क्लास ली। बच्चे उसकी बात सुन रहे थे, गांव वाले बाहर खड़े देख रहे थे।
नई उड़ान – डिजिटल प्लेटफार्म
विवान ने वड़ोदरा में एक टीम बनाई – इमरान, राकेश, प्रिया। “मैं एक डिजिटल प्लेटफार्म बनाना चाहता हूं – जड़े, जो गांव के बच्चों को स्किल सिखाएगा।” महीनों की मेहनत के बाद जड़े ऐप तैयार हुआ। गांव-गांव में बच्चे इससे पढ़ने लगे। सोशल मीडिया पर विवान की कहानी वायरल हो गई।
तिया की नई शादी और गांव का सम्मान
एक दिन तिया की शादी तय हुई – एक साधारण शिक्षक से, जो दहेज नहीं मांगता था। शादी में गांव वाले आए – वही लोग जो कभी ताने मारते थे। एक बुजुर्ग ने कहा, “विवान, तूने गांव का नाम रोशन किया।”
अंतिम संदेश
शादी के बाद विवान छत पर बैठा था। तिया उसके पास आई, “भैया, यह सब तेरे कारण हुआ।” विवान ने उसका माथा चूमा, “नहीं तिया, यह हम सबके कारण हुआ।” कैराव बोले, “बेटा, अब क्या सोच रहा है?” विवान ने आसमान की तरफ देखा, “बाबा, अब मेरे जैसे हजारों विवान तैयार करने हैं।”
रात गहरी थी, पर विवान के सपने जाग रहे थे। उसने लैपटॉप खोला – जड़े के डाउनलोड बढ़ रहे थे। उसने सोचा, “पैसा अब बस एक जरिया है, असली जीत तो इंपैक्ट है।”
अगले दिन उसने भोपाल के शोरूम में एक बोर्ड लगवाया – “कभी किसी को छोटा मत समझो, हो सकता है वह कल तुम्हारा मालिक हो।”
गांव में स्कूल चल रहा था, तिया बच्चों को पढ़ा रही थी, कैराव-निविका की मुस्कान लौट आई थी। विवान ने आखिरी बार उस शोरूम के दरवाजे की तरफ देखा, जहां से उसे भगाया गया था। आज वह मालिक था – ना सिर्फ शोरूम का, बल्कि अपनी तकदीर का।
कहानी यहीं खत्म नहीं होती – विवान की उड़ान अब शुरू हुई थी। उसने खुद से वादा किया – जो मैंने सीखा, वह सबको सिखाऊंगा। और उस रात जब चांद वरकला के समंदर पर चमक रहा था, विवान की आंखों में एक नया सपना जन्म ले रहा था – एक ऐसी दुनिया, जहां कोई गरीब अपमानित ना हो।
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“कभी किसी को छोटा मत समझो, हो सकता है वह कल तुम्हारा मालिक हो!”
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