माता पिता की एक गलती की वजह से बेटी ने कर दिया सारा खेल खत्म/पुलिस प्रशासन दंग/

लक्ष्मणगढ़ का खौफनाक सच – बहनों की न्याय की लड़ाई”

कुंदन सिंह का परिवार और दोस्ती

लक्ष्मणगढ़ गांव में कुंदन सिंह नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह पिछले आठ सालों से पेट्रोल पंप पर काम करता था, जिससे उसे महीने के ₹16,000 मिल जाते थे। कुंदन की पत्नी सुदेश और उसकी दो बेटियां थीं – बड़ी बेटी पायल और छोटी बेटी गुंजन। पायल पढ़ाई छोड़कर घर के कामों में मां का हाथ बंटाती थी, जबकि गुंजन आठवीं कक्षा में पढ़ती थी और पढ़ाई में तेज थी।

कुंदन का एक करीबी दोस्त था – सुंदर सिंह, जो अविवाहित था और सड़क किनारे एक एकड़ जमीन का मालिक था। किस्मत ने उसका साथ दिया और एक दिन वह जमीन ₹58 लाख में बिक गई। अचानक सुंदर सिंह की जिंदगी बदल गई। उसके पास खूब पैसे आ गए, और उसका रवैया भी बदल गया।

लालच की शुरुआत

सुंदर के अमीर बनने की खबर कुंदन को लगी, तो उसका व्यवहार बदलने लगा। वह पेट्रोल पंप जाना छोड़कर सुंदर के आस-पास मंडराने लगा। एक दिन सुंदर ने कुंदन को पार्टी के लिए बुलाया। दोनों ने शराब पी और खूब बातें कीं। शाम को कुंदन ने सुंदर को अपने घर खाने के लिए बुलाया। सुंदर पहले तो झिझका, लेकिन कुंदन के जोर देने पर मान गया।

घर पर कुंदन की पत्नी सुदेश ने दोनों के लिए खाना बनाया। खाना खाते वक्त कुंदन ने सुदेश को बताया कि सुंदर अब लखपति बन गया है। सुदेश के मन में भी लालच जाग उठा। उसने कुंदन को इशारा किया – “अगर हम चाहें तो सुंदर के पैसे हमारे हो सकते हैं।” दोनों ने सुंदर को अपने जाल में फंसाने का प्लान बना लिया।

साजिश और रिश्तों का सौदा

कुंदन ने बहाना बनाकर सुंदर को पत्नी सुदेश के साथ अकेला छोड़ दिया। सुदेश ने सुंदर को बहकाया और दोनों के बीच गलत संबंध बन गए। बाद में सुदेश ने सुंदर से पैसे मांगे – बिजली बिल, बच्चों की फीस आदि का बहाना बनाकर। सुंदर ने अगले दिन ₹500 देने का वादा किया। धीरे-धीरे सुंदर और सुदेश के बीच ऐसे संबंध बन गए कि सुंदर पैसे देता और सुदेश उसे बार-बार घर बुलाती।

कुछ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा। सुंदर सिंह अब जब चाहे सुदेश के घर आ जाता, और दोनों के बीच पैसे और रिश्तों का सौदा चलता रहा।

पायल पर मंडराता खतरा

एक दिन कुंदन और सुदेश शहर चले गए, छोटी बेटी गुंजन स्कूल में थी, और पायल घर पर अकेली थी। सुंदर सिंह घर आया और पायल को देखकर उसकी नियत बिगड़ गई। उसने पैसों के दम पर पायल को हासिल करने की योजना बना ली। शाम को कुंदन और सुदेश वापस आए, गुंजन भी स्कूल से आ गई। पायल ने पिता को बताया कि सुंदर घर आया था, लेकिन कुंदन ने बात टाल दी।

अगली रात सुंदर ने कुंदन को फोन कर कहा – “मेरी नौकरानी नहीं आई, खाना बनाना है, पायल को भेज दो।” कुंदन ने भरोसे में आकर पायल को सुंदर के घर भेज दिया। वहां सुंदर ने दरवाजा बंद किया, पायल को धमकाया और उसके साथ जबरदस्ती की। बाद में उसे पैसे देकर धमकी दी – “अगर किसी को बताया तो जान से मार दूंगा।”

पायल डरी-सहमी घर लौटी और मां को सब बताया। सुदेश ने पति को बुलाया। दोनों ने बेटी को चुप रहने की सलाह दी – “अगर यह बात बाहर गई तो बदनामी हो जाएगी।” पायल दुखी हो गई, लेकिन माता-पिता ने उसे दिलासा नहीं दिया, बल्कि सुंदर से पैसे लेकर चुप हो गए।

इज्जत का सौदा और टूटता विश्वास

सुंदर सिंह ने माता-पिता को और पैसे दिए, यहां तक कि ₹1 लाख भी दे दिया। माता-पिता ने इज्जत का सौदा कर लिया, और पायल समझ गई कि उसके माता-पिता ने उसकी तकलीफ के बदले पैसे ले लिए हैं। वह बहुत दुखी होकर बहन गुंजन के कमरे में चली गई।

पायल ने किसी को कुछ नहीं बताया, ना ही बहन को। दिन गुजरते गए। फिर एक दिन सुंदर सिंह ने सुदेश को फोन किया – “पायल को मेरे घर भेज दो, पैसे मिलेंगे।” सुदेश ने कहा – “घर आ जाओ, पति बाहर है, छोटी बेटी स्कूल में है।” सुंदर घर आया, सुदेश ने पैसे लिए और पायल को मजबूर किया कि वह सुंदर के साथ जाए। पायल ने मना किया, लेकिन सुदेश ने जबरदस्ती उसे कमरे में बंद कर दिया और सुंदर को अंदर भेज दिया। सुंदर ने फिर वही गंदी हरकत दोहराई।

अब सुंदर सिंह खुलकर सुदेश के घर आने लगा और सुदेश के सामने ही पायल के साथ गलत काम करता। पायल पूरी तरह टूट चुकी थी।

बहनों की हिम्मत और न्याय की लड़ाई

एक दिन गुंजन स्कूल से लौटी तो देखा, मां घर पर नहीं थी, पायल अकेले कमरे में रो रही थी। गुंजन ने पूछा – “क्या हुआ?” पायल ने पूरी कहानी सुना दी – माता-पिता ने उसकी इज्जत का सौदा किया, सुंदर उसका शोषण करता है। गुंजन गुस्से में आगबबूला हो गई – “इसका बदला जरूर लेना है।”

रात को दोनों बहनें योजना बनाती हैं। माता-पिता अपने कमरे में सो रहे थे। गुंजन ने घर में सरिया और कुल्हाड़ी ढूंढ ली। दोनों बहनें माता-पिता के कमरे में गईं। गुंजन ने पिता के सिर पर कुल्हाड़ी मारी, पायल ने मां के पेट में सरिया घुसा दी। दोनों की मौत हो गई। फिर दोनों बहनें सुंदर सिंह के घर गईं, उसके पेट में सरिया घोंप दी, सिर पर कुल्हाड़ी मारी – सुंदर की भी मौत हो गई।

पुलिस स्टेशन में कबूलनामा और सवाल

रात 2:30 बजे दोनों बहनें पुलिस स्टेशन पहुंचीं। दरोगा किशन दत्त को पूरी घटना बताई – “हमने अपने माता-पिता और सुंदर सिंह का कत्ल कर दिया है।” पुलिस गांव पहुंची, शव बरामद किए, पोस्टमार्टम हुआ, दोनों बहनों के खिलाफ केस दर्ज हुआ।

अब सवाल उठता है – क्या पायल और गुंजन ने सही किया? क्या इज्जत के लिए ऐसा कदम उठाना ठीक था? क्या समाज को ऐसे मामलों में बच्चों की आवाज सुननी चाहिए थी?

सीख और सवाल

इस घटना ने पूरे गांव को झकझोर दिया। बहनों ने अपनी इज्जत और न्याय के लिए कदम उठाया, लेकिन क्या यही रास्ता था?
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नोट:
यह कहानी संवेदनशील विषय पर आधारित है। इसमें प्रयुक्त सभी पात्र और स्थान काल्पनिक हैं। किसी भी प्रकार की हिंसा या गलत व्यवहार का समर्थन नहीं किया गया है। समाज में बदलाव के लिए संवाद जरूरी है।

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जय हिंद, वंदे मातरम!