लड़की ने मामूली आदमी समझकर एयरपोर्ट के अंदर आने नहीं दिया। लेकिन जब सच्चाई पता चली तो, फिर जो हुआ

कभी-कभी ज़िंदगी हमें ऐसी जगह ले जाती है, जहाँ लोग हमारे कपड़ों से हमारी कीमत तय करते हैं। लेकिन जब किस्मत पलटती है, तो वही लोग हमारी इज्जत को सलाम करते हैं।
मुंबई की एक सुबह थी। एयरपोर्ट रोड पर लग्ज़री गाड़ियों की भीड़ थी। हर तरफ सूट-बूट वाले लोग, फॉर्मल बैग और कानों में ब्लूटूथ लगाए एग्जीक्यूटिव्स। उसी भीड़ में एक सादा सा दिखने वाला लड़का धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था — नाम था आर्यन तिवारी, उम्र बस 30 साल। झोले में कुछ कागज, हाथ में पुराना फोन और चेहरे पर एक अजीब सी शांति।
वो सीधा गया ब्लू स्काई एयरलाइंस के मुख्य ऑफिस की ओर, जो देश की सबसे बड़ी कंपनियों में गिनी जाती है। गेट पर खड़े सिक्योरिटी गार्ड ने उसे ऊपर-नीचे देखा और रास्ता रोक लिया।
“भाई साहब, कहाँ जा रहे हो? ये ऑफिस किसी इंटरव्यू सेंटर की तरह नहीं है, ये एयरलाइन का हेड ऑफिस है।”
आर्यन मुस्कुराया, “मुझे अंदर जाना है, मेरी अपॉइंटमेंट है।”
गार्ड हँस पड़ा, “आपकी अपॉइंटमेंट? यहाँ बड़े-बड़े मिनिस्टर बिना अपॉइंटमेंट के नहीं घुस पाते। आप तो लग रहे हैं जैसे किसी डिलीवरी एजेंसी से आए हो।”
पीछे खड़े कुछ स्टाफ हँसने लगे।
तभी अंदर से एक महिला आई — रिया कपूर, कंपनी की पब्लिक रिलेशंस हेड। कपड़े, चश्मा और चाल में अहंकार। उसने गार्ड से पूछा, “क्या हुआ?”
गार्ड बोला, “मैम, ये कह रहे हैं कि इनकी अपॉइंटमेंट है।”
रिया ने आर्यन को सिर से पाँव तक देखा और हल्के ताने वाले लहजे में बोली, “सॉरी मिस्टर… क्या नाम बताया आपने?”
“आर्यन तिवारी,” उसने शांत स्वर में कहा।
रिया मुस्कुराई, “मिस्टर तिवारी, मुझे नहीं लगता कि आपकी अपॉइंटमेंट हमारे CEO से होगी। ये कंपनी बहुत हाई प्रोफाइल है, शायद आप गलत जगह आ गए हैं।”
आर्यन बस मुस्कुराया, “मैम, आप चाहें तो एक बार रजिस्टर चेक कर सकती हैं।”
रिया ने कंधे उचकाए, “ठीक है, लेकिन इसमें वक्त लगेगा। आप लॉबी में बैठिए।”
वो धीरे-धीरे चलकर लॉबी के कोने में बैठ गया। आसपास बैठे लोग उसे ऐसे देख रहे थे जैसे कोई भिखारी गलती से यहाँ आ गया हो। कोई कह रहा था, “लगता है नौकरी मांगने आया है।” कोई बोला, “शायद किसी ने इसे ट्रायल फ्लाइट में गलत भेज दिया।”
आर्यन सब सुन रहा था, पर उसके चेहरे पर शांति थी।
तभी रिया के साथी मैनेजर विवेक मल्होत्रा ने पूछा, “कौन है ये आदमी?”
रिया हँसते हुए बोली, “कोई फ्रीलांसर टाइप होगा, बोला है कि CEO से मिलना है।”
विवेक ने सिर हिलाया, “हमारे CEO कब से ऐसे लोगों से मिलने लगे?”
दोनों हँसते हुए अपने ऑफिस में चले गए।
करीब आधा घंटा बीत गया। आर्यन अब भी वहीं बैठा था। तभी एक जूनियर स्टाफ आया — नाम था सौरभ मेहता। उसने धीरे से पूछा, “सर, आप इतने देर से बैठे हैं? क्या कोई मदद चाहिए?”
आर्यन मुस्कुराया, “मुझे बस CEO से मिलना है। कहा गया था कि 11:00 बजे मीटिंग है।”
सौरभ चौक गया, “11:00 बजे? सर, CEO की 11:00 बजे मीटिंग है, पर उनके साथ एक इन्वेस्टर भी आने वाला है।”
आर्यन ने बस इतना कहा, “शायद वहीं मीटिंग है।”
सौरभ कुछ समझ नहीं पाया, पर उसके मन में उस आदमी के लिए सम्मान सा जागा। उसने अंदर जाकर मैनेजर विवेक से कहा, “सर, वो आदमी कह रहा है कि उसकी 11:00 बजे CEO से मीटिंग है।”
विवेक झुँझलाया, “देखो सौरभ, हमारे पास टाइम नहीं है। उसे कह दो कि बाहर इंतजार करें या वापस जाए। ऐसी फालतू मीटिंग्स हमारी लिस्ट में नहीं है।”
सौरभ ने धीमे स्वर में कहा, “लेकिन सर, वो बहुत शांत और सच्चे लग रहे हैं।”
विवेक ने ठंडी आवाज में कहा, “सच्चाई से कंपनी नहीं चलती, ब्रांड से चलती है। जाओ अपना काम करो।”
सौरभ चुप होकर वापस गया, पर मन बेचैन था। उसने लॉबी में जाकर आर्यन से कहा, “सर, उन्होंने कहा आपसे मिलने का टाइम नहीं है।”
आर्यन बस मुस्कुराया, “कोई बात नहीं। वक्त आएगा तो वो खुद बुलाएँगे।”
उसने अपनी घड़ी में समय देखा — ठीक 11 am। फिर धीरे से उठा और कहा, “अब मुझे खुद ही जाना होगा।”
लॉबी में सन्नाटा छा गया। सभी की नजरें उसी पर टिक गईं।
रिया बोली, “अब कहाँ जा रहे हैं मिस्टर तिवारी? आपको समझ नहीं आता क्या कि बिना परमिशन अंदर नहीं जा सकते?”
आर्यन ने हल्की मुस्कान दी और सीधा उस दरवाजे की ओर बढ़ गया जहाँ लिखा था — मिस्टर विक्रांत मल्होत्रा, CEO ब्लू स्काई एयरलाइंस।
रिया और विवेक के चेहरों पर हँसी थी। किसी ने धीमे से कहा, “अब देखो इसे गार्ड कैसे बाहर फेंकता है।”
आर्यन ने दरवाजा खोला। विक्रांत मल्होत्रा कुर्सी पर अकड़ कर बैठा था, फोन पर किसी विदेशी क्लाइंट से बात करते हुए। उसने बिना ऊपर देखे कहा, “हाँ बोलो, कौन हो तुम?”
आर्यन ने कहा, “आर्यन तिवारी। आपकी 11:00 बजे मीटिंग थी।”
विक्रांत ने सिर उठाया, उसे ऊपर से नीचे तक देखा और ठहाका लगाया, “तुम मेरे साथ मीटिंग करने आए हो? किस हैसियत से?”
आर्यन ने शांति से कहा, “जिस हैसियत से आपने आज तक किसी की पहचान नहीं की।”
विक्रांत ने कहा, “देखो मिस्टर या बाबा जो भी हो, बाहर निकलो। ये ऑफिस कोई धर्मशाला नहीं है।”
आर्यन बस मुस्कुराया, अपना बैग खोला और उसमें से एक लिफाफा निकाला।
कहानी का माहौल जैसे थम गया।
विक्रांत ने पूछा, “अब ये क्या है?”
आर्यन ने कहा, “बस इसे एक बार पढ़ लीजिए। उसके बाद जो कहेंगे वही होगा।”
विक्रांत ने हँसते हुए लिफाफा टेबल पर फेंक दिया, “मुझे इन कागजों में दिलचस्पी नहीं है। समझे? तुम बाहर जाओ, वरना सिक्योरिटी बुलाऊँगा।”
आर्यन ने उसकी आँखों में देखा, “सिक्योरिटी बुलाने से पहले शायद आपको पता होना चाहिए कि किसे बाहर निकाल रहे हैं।”
विक्रांत ठहाका मारकर हँस पड़ा, “क्यों? तुम कौन हो?”
आर्यन ने धीमे स्वर में कहा, “वो, जिसने इस एयरलाइन को बचाने के लिए 10 साल पहले अपनी पूरी जिंदगी दाँव पर लगाई थी। और अब इसे वापस लेने आया है।”
कमरे में सन्नाटा छा गया।
विक्रांत के चेहरे की मुस्कान जैसे जम गई।
रिया और विवेक दरवाजे पर खड़े सब सुन रहे थे।
आर्यन ने पीछे मुड़कर कहा, “मैं जा रहा हूँ। पर कल सुबह 10:00 बजे जब पूरी कंपनी की मीटिंग होगी, तब सच्चाई खुद बोलेगी।”
वो चला गया और पीछे रह गई — अहंकार, हँसी और डर की गूंज।
मुंबई का अगला दिन। सुबह के 10:00 बजे ब्लू स्काई एयरलाइंस के हेड ऑफिस में कुछ अलग ही हलचल थी। हर डेस्क पर फुसफुसाहट थी।
लोग कह रहे थे, “सुना है कल जो लड़का आया था, वही अब मीटिंग में आने वाला है।”
दूसरे ने कहा, “हां, पर वो कौन था? उसके पास ऐसा क्या था जो CEO को बुलाना पड़ा?”
लॉबी में रिया बेचैन होकर इधर-उधर घूम रही थी। मन ही मन बुदबुदाई, “अगर वह सच में कोई बड़ा आदमी निकला तो कल वाला सीन मेरी नौकरी ले डूबेगा।”
ऑफिस के गेट खुले और अंदर कदम रखा आर्यन तिवारी ने। वही सादगी, वही शांति।
पर इस बार उसके साथ एक आदमी था — फॉर्मल सूट में, हाथ में ब्लैक ब्रीफकेस, चेहरे पर गरिमा और अधिकार का भाव।
रिया और विवेक दोनों के पैरों तले जमीन खिसक गई।
आर्यन सीधा रिसेप्शन पर गया और बोला, “CEO विक्रांत मल्होत्रा को बुलाइए, आज मीटिंग मैंने बुलवाई है।”
रिया ने हिचकिचाते हुए कहा, “पर सर आपने…”
आर्यन ने बस मुस्कुरा कर कहा, “हाँ रिया, मैं ही वो हूँ जिसे तुमने कल लॉबी में ठहरने को कहा था।”
कमरे में सन्नाटा।
इतने में विक्रांत मल्होत्रा आया। वही घमंडी चाल, वही अकड़।
चेहरे पर एक झूठा आत्मविश्वास।
वो बोला, “ओ मिस्टर तिवारी, आप फिर आ गए? कल जो तमाशा अधूरा रह गया था, आज पूरा करने आए हैं?”
आर्यन ने उसकी आँखों में सीधा देखा और बहुत शांत आवाज में कहा, “नहीं मिस्टर मल्होत्रा, आज तमाशा नहीं, सच दिखाने आया हूँ।”
उसके साथ आए अधिकारी ने ब्रीफकेस खोला, उसमें से फाइल निकाली और टेबल पर रख दी।
“यह डॉक्यूमेंट्स बताते हैं कि ब्लू स्काई एयरलाइंस के 62% शेयर अब आर्यन तिवारी के नाम पर हैं।”
विक्रांत का चेहरा सफेद पड़ गया।
उसने फाइल उठाई, पन्ने पलटे और जैसे उसकी साँसे रुक सी गईं।
हर पेज पर एक ही नाम था — आर्यन तिवारी, फाउंडर पार्टनर।
रिया और विवेक के मुंह खुले रह गए।
ऑफिस के बाकी लोग अपने डेस्क से उठकर देखने लगे।
आर्यन ने धीरे से कहा, “विक्रांत, 10 साल पहले जब इस कंपनी के लिए कोई आगे आने को तैयार नहीं था, तब मैंने इसे अपने आखिरी पैसों से बचाया था। पर उस वक्त मेरी एक शर्त थी कि मेरा नाम किसी डॉक्यूमेंट में ना हो, जब तक कंपनी स्थिर ना हो जाए। आज जब कंपनी उड़ान भर चुकी है, मैं सिर्फ अपना नाम नहीं, अपनी मेहनत वापस लेने आया हूँ।”
विक्रांत के माथे पर पसीना था।
उसने खुद को संभालते हुए कहा, “मगर आर्यन, तुम ऐसे अचानक कैसे आ सकते हो? तुम्हारे पास कोई प्रूफ तो नहीं।”
आर्यन ने उसकी बात काट दी, “प्रूफ वो नहीं दिखाते जिन्हें सच की पहचान होती है। विक्रांत, तुम्हारी पहचान तो कल ही हो गई थी, जब तुमने मुझे मेरे कपड़ों से जज किया था।”
वो थोड़ी देर रुका, फिर कहा, “अब वक्त है कि तुम्हारी जगह किसी ऐसे को दी जाए, जिसे इंसानियत की कीमत पता हो।”
वो मुड़ा और सौरभ मेहता की ओर देखा — वही बेल बॉय जिसने कल उसकी इज्जत रखी थी।
“सौरभ, अब से तुम ब्लू स्काई एयरलाइंस के नए जनरल मैनेजर हो।”
पूरा ऑफिस तालियों से गूंज उठा।
सौरभ के हाथ कांप रहे थे, आँखों से आँसू बह निकले।
वह बोला, “सर, मैंने तो बस इंसानियत निभाई थी।”
आर्यन मुस्कुराया, “बस वही असली काबिलियत है।”
विक्रांत अब भी वहीं खड़ा था, बोला, “मुझे हटाने का अधिकार तुम्हारे पास नहीं है।”
आर्यन ने कहा, “मुझे हटाने की जरूरत नहीं। विक्रांत, अब यह एयरलाइन उस सोच से चलेगी, जहाँ हर कर्मचारी की इज्जत होगी — चाहे वह क्लीनर हो या CEO। आज से तुम इस कंपनी में फील्ड ऑफिसर बनोगे, वह काम करो जो तुम दूसरों को नीचा दिखाकर करवाते थे।”
ऑफिस में सन्नाटा, हर नजर विक्रांत पर टिक गई।
आर्यन ने रिया की ओर देखा, “रिया, तुमने कल कहा था कि मैं गलत जगह आ गया हूँ। आज मैं बस इतना कहूँगा — कभी किसी को उसकी शक्ल से मत आंकना। कपड़े बदलते हैं, इंसानियत नहीं।”
रिया की आँखों में आँसू थे।
उसने हाथ जोड़कर कहा, “मुझे माफ कर दीजिए सर, मैंने आपको पहचाना नहीं।”
आर्यन ने कहा, “गलती हर किसी से होती है, लेकिन वही बड़ा होता है जो उसे मान ले।”
फिर वो पूरे स्टाफ की ओर मुड़ा, “सुनो सब लोग, अब से ब्लू स्काई एयरलाइंस सिर्फ अमीरों के लिए नहीं, बल्कि उन सबके लिए होगी जिन्होंने सपनों को उड़ान देना सीखा है। यहाँ हर इंसान की इज्जत बराबर होगी, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों ना हो।”
ऑफिस तालियों से गूंज उठा।
हर चेहरे पर एक सुकून था, जैसे किसी ने इंसानियत को फिर से जगा दिया हो।
आर्यन ने धीरे से कहा, “असली अमीरी पैसे से नहीं, सोच से होती है।”
वह मुस्कुराया और बाहर निकल गया।
पीछे खड़े लोग देर तक उसकी ओर देखते रहे और मन ही मन सोचते रहे — जिसे कल तक कोई नहीं जानता था, आज वही हम सबका आईना बन गया।
ऑफिस मीटिंग खत्म हो चुकी थी। तालियों की गूंज धीरे-धीरे थम रही थी, लेकिन आर्यन के चेहरे पर अब भी एक गहरी खामोशी थी — जैसे कुछ अधूरा हो, जैसे कोई दर्द अभी बाकी हो।
सौरभ उसके पास आया, “सर, आपने जो आज किया वह किसी चमत्कार से कम नहीं था। पर मैं जानना चाहता हूँ, आपने यह सब कैसे किया? आप तो कल तक बस एक आम आदमी लग रहे थे।”
आर्यन मुस्कुराया, लेकिन उसकी आँखों में अतीत की परछाइयाँ थी।
“आम आदमी ही तो था सौरभ, पर कभी-कभी आम आदमी के पास असली कहानी होती है, जो दुनिया देखना ही नहीं चाहती।”
उसने गहरी सांस ली और बोलना शुरू किया।
“5 साल पहले की बात है, जब इस कंपनी का नाम ब्लू स्काई एयरलाइंस नहीं, बल्कि एरो इंडिया था। मैं यहाँ एक इंजीनियर था, सैलरी मुश्किल से चलती थी, लेकिन सपनों की उड़ान बड़ी थी। मुझे लगता था कि मेहनत से सब कुछ पाया जा सकता है, पर जिंदगी ने सिखाया — मेहनत से ज्यादा जरूरी है मकसद।”
वह थोड़ी देर रुका, जैसे दिल के अंदर से शब्द निकाल रहा हो।
“एक दिन कंपनी में आग लग गई, लाखों का नुकसान हुआ और कंपनी दिवालिया होने की कगार पर थी। लोग भाग गए, निवेशक पीछे हट गए। मैंने तब कहा था — मैं इस एयरलाइन को फिर उड़ाऊँगा। सब हँसे, कहा एक छोटा इंजीनियर क्या कर लेगा?”
सौरभ ध्यान से सुन रहा था, जैसे हर शब्द में कोई सच्चाई छिपी हो।
आर्यन ने आगे कहा, “मेरे पास पैसा नहीं था, पर एक सपना था। मैंने अपनी माँ की जमीन बेच दी, घर गिरवी रख दिया और जो भी बचत थी, सब इस कंपनी में लगा दी। मुझे बस इतना यकीन था कि अगर इंसानियत और मेहनत सच्ची हो तो कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं।”
उसकी आवाज कांप गई।
“लेकिन जब कंपनी फिर खड़ी हुई, जिन लोगों को मैंने काम दिया, जिनको संभाला, उन्होंने मुझे ही भुला दिया। मेरे हिस्से के कागज छिपा दिए गए, नाम हटा दिया गया और कहा गया — आर्यन अब यहाँ काम नहीं करता।”
सौरभ की आंखें भर आई।
“सर, आपने किसी पर केस क्यों नहीं किया?”
आर्यन मुस्कुराया, “क्योंकि मुझे कंपनी चाहिए थी, बदला नहीं। मैं चाहता था कि यह उड़ान हमेशा बनी रहे, चाहे मेरा नाम मिटा दिया जाए। लेकिन आज जब इंसानियत की जगह अहंकार ने ले ली, मुझे लगा अब वक्त है कि फिर से रास्ता सीधा किया जाए।”
ऑफिस के कोने में खड़ी रिया रो रही थी।
वो आगे आई, “सर, आपने इतना कुछ सहा, फिर भी हमें माफ कर दिया।”
आर्यन ने उसकी ओर देखा, “रिया, जिंदगी में दो रास्ते होते हैं — एक बदला लेने का और दूसरा बदल जाने का। मैंने हमेशा दूसरा चुना, क्योंकि माफ करने वाला कभी छोटा नहीं होता।”
फिर उसने पूरे स्टाफ की ओर देखा,
“सुनो सब लोग, अगर किसी दिन तुम्हें लगे कि मेहनत का फल नहीं मिल रहा, तो यह याद रखना — वक्त कभी किसी का नहीं होता, लेकिन इंसानियत हमेशा साथ देती है। और अगर तुम किसी की इज्जत नहीं करोगे, तो एक दिन तुम्हारी पहचान भी मिट जाएगी।”
कमरे में सन्नाटा था।
हर कर्मचारी के चेहरे पर पछतावा, भावुकता और सीख सब कुछ एक साथ दिख रहा था।
विक्रांत पीछे खड़ा था, आँखों में शर्म, धीरे से आगे बढ़ा और बोला,
“सर, मुझसे गलती हो गई। मैंने आपको आपके कपड़ों से पहचाना, आपके काबिलियत से नहीं।”
आर्यन ने कहा, “गलती तो तब होती है जब इंसान गिर जाए और उठना ना चाहे। तुम उठ रहे हो, यही काफी है।”
उसने विक्रांत के कंधे पर हाथ रखा और कहा,
“अब से हर गेस्ट, हर वर्कर, हर क्लीनर, सबकी इज्जत एक जैसी होगी। यही इस कंपनी का नया नियम है।”
ऑफिस में फिर से तालियां गूंज उठी।
हर किसी के चेहरे पर एक नया जोश था।
हर किसी को लगा जैसे आज कंपनी ने सिर्फ नई पॉलिसी नहीं, एक नई आत्मा पाली हो।
आर्यन मुस्कुराया और कहा,
“अब यह उड़ान सिर्फ आसमान तक नहीं, दिलों तक जाएगी।”
वो मुड़ा और खिड़की से बाहर झांकने लगा।
नीचे उड़ते जहाज को देखते हुए धीरे से बुदबुदाया,
“माँ, तेरे बेटे ने आज तेरा सपना पूरा कर दिया।”
सौरभ ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में वही चमक थी, जिससे लगता था कि अब इंसानियत वाकई फिर से जिंदा हो गई है।
एक साल बाद…
मुंबई का वही एयरपोर्ट, वही भीड़, वही ब्लू स्काई एयरलाइंस।
अब उसकी हवा ही कुछ और थी।
कर्मचारियों के चेहरों पर मुस्कान थी, यूनिफार्म के साथ इंसानियत का गर्व भी।
काउंटर पर रिया नए यात्री को टिकट दे रही थी — वही रिया जो कभी घमंड से भरी थी, अब उसकी आवाज में नम्रता थी।
वह हर ग्राहक से मुस्कुराकर कहती, “सर, आपका दिन शानदार गुज़रे।”
विक्रांत अब ग्राउंड ऑपरेशन संभाल रहा था।
हर दिन धूप में खड़ा रहता, पर चेहरे पर कोई शिकायत नहीं।
उसे अब समझ आ चुका था — कुर्सी से नहीं, कर्म से इज्जत मिलती है।
और आर्यन — वो अब एयरलाइन का चेयरमैन था।
पर आज भी वही साधारण सूट पहने, वही शांत मुस्कान लिए एयरपोर्ट के गेट पर खड़ा था।
उसके हाथ में माँ की फ्रेम की हुई तस्वीर थी।
तस्वीर के नीचे लिखा था:
जहाँ इंसानियत जिंदा हो, वही सच्ची उड़ान होती है।
आज ब्लू स्काई एयरलाइंस की पहली फ्लाइट “आर्यन एक्सप्रेस” नाम से उड़ने वाली थी।
हर टीवी चैनल, हर रिपोर्टर वही था।
एंकर ने माइक पकड़ा और पूछा,
“सर, आपने अपनी पहली फ्लाइट का नाम अपने नाम पर क्यों रखा?”
आर्यन मुस्कुराया,
“यह फ्लाइट मेरे नाम पर नहीं, मेरी माँ के सपने पर है।
वह कहती थी — बेटा, अगर कभी आसमान छू लो तो अपनी जड़ों को ना भूलना।
आज मैं उड़ रहा हूँ, पर जमीन अब भी मेरे पैरों के नीचे है।”
भीड़ में सन्नाटा था।
लोगों की आँखें भर आईं।
तभी वह फ्लाइट रनवे पर दौड़ने लगी।
इंजन की आवाज के साथ आसमान में एक नया इतिहास लिखा जा रहा था।
रिया धीरे से बोली,
“सर, आपने हमें सिखाया कि इंसान कपड़ों से नहीं, इरादों से पहचाना जाता है।”
विक्रांत ने सिर झुका कर कहा,
“और मैंने सीखा कि कुर्सी छोटे-बड़े नहीं करती, दिल करता है।”
आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा,
“अगर हर इंसान थोड़ी सी इज्जत बाँट दे, तो दुनिया में कोई गरीब नहीं रहेगा — ना दिल से, ना इंसानियत से।”
उसने आँखें बंद कर फुसफुसाया,
“माँ, तेरे बेटे ने तेरी उड़ान पूरी कर दी।”
वह फ्लाइट आसमान में ऊँची उड़ान भर गई और सूरज की किरणें उसके पंखों पर पड़ रही थी।
जैसे खुद आसमान ने झुककर आर्यन को सलाम किया हो।
दोस्तों, आपसे एक सवाल — अगर आपकी ज़िंदगी में कोई ऐसा मौका आए जहाँ आप किसी साधारण इंसान को देखें, तो क्या आप भी उसे कपड़ों से जज करेंगे या फिर दिल से पहचानेंगे? आपके हिसाब से असली अमीर कौन है — वह जिसके पास पैसा है या वह जिसके पास दिल है?
यह कहानी आपको कैसी लगी? कमेंट में जरूर बताएं।
जय हिंद।
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