शादी के 7 साल बाद पत्नी के फोन पर आया एक मैसेज—पढ़ते ही पति के उड़ गए होश, सामने आया चौंकाने वाला सच

रिश्तों की परीक्षा – नितिन, पूजा और सिद्धार्थ की सच्ची कहानी
रविवार की दोपहर थी। नितिन अपने बेडरूम में आराम से लेटा हुआ था। उसकी पत्नी पूजा किचन में दोपहर का खाना तैयार कर रही थी। दोनों की शादी को 7 साल हो चुके थे और उनका 5 साल का बेटा आर्यन था। परिवार बेहद खुशहाल था। पड़ोसी भी उनकी मिसाल देते नहीं थकते थे। नितिन और पूजा के रिश्ते में कभी कोई समस्या नहीं थी। कम से कम नितिन तो यही सोचता था।
उस दिन पूजा अपना फोन घर पर ही छोड़कर पास के मार्केट गई थी। अचानक पूजा के फोन पर एक मैसेज आया। नितिन ने शुरुआत में ध्यान नहीं दिया। लेकिन फिर फोन पर लगातार मैसेज आने लगे। नितिन ने फोन उठाकर देखा। स्क्रीन पर लिखा था – “कल तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। कब मिल रही हो फिर से? तुम्हारा इंतजार करूंगा।” इस मैसेज को पढ़ते ही नितिन के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह मैसेज किसका है और पूजा के फोन पर क्यों आया है।
नितिन के मन में अजीब से सवाल उठने लगे। उसने फोन खोलकर देखा तो मैसेज किसी सिद्धार्थ नाम के व्यक्ति ने भेजा था। नितिन के मन में शक पैदा हो गया था। “कौन है यह सिद्धार्थ? क्या पूजा मुझे धोखा दे रही है?” यह सोचकर नितिन बेचैन हो गया। उसने तुरंत पूजा के पुराने मैसेज देखने शुरू किए। सिद्धार्थ के कई मैसेज पहले भी पूजा के फोन पर आ चुके थे, जिनमें मुलाकातों की बातें साफ नजर आ रही थी।
नितिन का दिल बैठ गया। उसका भरोसा टूटने लगा। पूजा मार्केट से घर लौटी लेकिन उसे देखकर नितिन कुछ बोल नहीं पाया। पूजा ने नितिन का चेहरा देखकर पूछा, “क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना?” नितिन ने अपने आप को संभालते हुए जवाब दिया, “कुछ नहीं, बस सिर में थोड़ा दर्द है।” लेकिन अंदर ही अंदर नितिन बेचैन था। उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि पूजा उसे धोखा क्यों दे रही है।
उस रात नितिन ठीक से सो नहीं पाया। उसके मन में शक की जड़े गहरी हो चुकी थी। अगले दिन ऑफिस में भी नितिन का मन नहीं लगा। उसने तय किया कि वह इस मामले की तह तक जाकर रहेगा। उसे सच जानना था। आखिर कौन था यह सिद्धार्थ, जिसने उसकी जिंदगी में यह तूफान खड़ा कर दिया था?
नितिन ने फैसला किया कि वह सच का पता लगाएगा। उसी दिन शाम को ऑफिस से निकलते हुए उसने पूजा को फोन किया और कहा, “पूजा, आज मुझे ऑफिस के काम से देर हो जाएगी। तुम खाना खा लेना।” पूजा ने सामान्य आवाज में कहा, “ठीक है, पर ज्यादा देर मत करना। आर्यन भी तुम्हारा इंतजार करता है।” फोन रखते ही नितिन का मन कड़वाहट से भर गया। उसे पूजा के सामान्य व्यवहार पर गुस्सा आ रहा था। वह सीधे अपने करीबी दोस्त अभिषेक से मिलने चला गया।
अभिषेक और नितिन बचपन के दोस्त थे और नितिन को उससे बेहतर सलाह देने वाला कोई और नहीं था। अभिषेक से मिलते ही नितिन ने सारी बात उसे बता दी। अभिषेक सुनते ही बोला, “देख भाई, जल्दबाजी मत कर। एक मैसेज से इतनी जल्दी किसी नतीजे पर मत पहुंच। हो सकता है यह कोई गलतफहमी हो।” नितिन ने बेचैन होकर कहा, “लेकिन अभिषेक, मैंने खुद उसके फोन में मैसेज देखे हैं। वह सिद्धार्थ नाम का आदमी पूजा से लगातार मिलने की बात कर रहा था।” अभिषेक ने शांत स्वर में कहा, “देखो नितिन, गुस्से से कोई हल नहीं निकलेगा। पहले यह पता करो कि यह सिद्धार्थ आखिर कौन है? उसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचो।”
अभिषेक की सलाह मानते हुए नितिन अगले दिन पूजा का पीछा करने लगा। उसे यकीन था कि अगर पूजा का किसी और के साथ रिश्ता है तो वह जरूर उससे मिलेगी। अगले दो दिन तक नितिन ने पूजा की हर गतिविधि पर नजर रखी लेकिन कुछ संदिग्ध नहीं मिला। नितिन को लगने लगा कि शायद वह गलत सोच रहा था। लेकिन तीसरे दिन अचानक स्थिति बदल गई। दोपहर के करीब पूजा घर से निकली और नितिन भी छुपते-छुपाते उसका पीछा करने लगा।
पूजा एक कॉफी शॉप में पहुंची। नितिन भी पीछा करते हुए वहां पहुंचा। उसने देखा कि एक आदमी पहले से ही टेबल पर बैठा था। पूजा उस व्यक्ति के पास गई और दोनों सहजता से बातें करने लगे। नितिन का दिल तेजी से धड़कने लगा। वह समझ चुका था कि यह वहीं सिद्धार्थ है। दोनों की दोस्ती साफ नजर आ रही थी। लेकिन अचानक पूजा रोने लगी। नितिन दूर से देख रहा था और उसका मन बेचैन हो रहा था। पूजा और सिद्धार्थ की बातें उसे सुनाई नहीं दे रही थी। लेकिन साफ था कि पूजा काफी परेशान थी।
थोड़ी देर बाद पूजा वहां से चली गई और सिद्धार्थ भी उठकर चला गया। नितिन तुरंत घर पहुंचा और पूजा के लौटने का इंतजार करने लगा। जब पूजा घर आई तो उसने सामान्य व्यवहार किया। नितिन ने फैसला किया कि अब वह खुलकर सवाल पूछेगा। रात को डिनर के बाद नितिन ने कहा, “पूजा, मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है।” पूजा ने चौंकते हुए पूछा, “हां, बोलो।” नितिन ने सीधे पूछा, “तुम्हारी सिद्धार्थ से क्या दोस्ती है?” पूजा एकदम घबरा गई। उसने हड़बड़ा कर कहा, “कौन सिद्धार्थ?” “जिसके साथ आज तुम कॉफी शॉप में मिली थी,” नितिन ने गुस्से में कहा।
पूजा ने कुछ देर चुप रहने के बाद कहा, “नितिन, मैं तुम्हें सब बताना चाहती थी लेकिन सही वक्त का इंतजार कर रही थी। सिद्धार्थ मेरा कॉलेज का दोस्त है, वो हाल ही में शहर आया है।” “लेकिन तुमने यह बात मुझसे छुपाई क्यों?” नितिन का गुस्सा साफ नजर आ रहा था। पूजा की आंखों में आंसू आ गए, “क्योंकि मुझे डर था कि तुम गलत समझोगे। हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं, उससे ज्यादा कुछ नहीं।” नितिन ने नाराजगी से कहा, “अगर सिर्फ दोस्त हो तो मैसेज में मिलने की बातें क्यों छुपाई?”
पूजा ने कहा, “वो कुछ परेशानी में है। बस मैं उसकी मदद कर रही हूं, लेकिन मैं तुम्हें सच नहीं बता सकती थी क्योंकि मुझे डर था कि कहीं यह बात तुम गलत समझो।” नितिन के मन में असमंजस था। उसे पूजा की बात पर पूरी तरह विश्वास नहीं हो पा रहा था। उसने शांत होकर कहा, “अगर तुम सच कह रही हो, तो मुझे उससे मिलवाओ। मैं खुद देखना चाहता हूं कि वह क्या चाहता है।” पूजा ने एक पल की हिचकिचाहट के बाद कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें उससे मिलवाऊंगी। फिर तुम खुद फैसला कर लेना।”
नितिन सहमत हो गया। लेकिन मन के अंदर गहराई तक उसका शक अभी भी बना हुआ था। आने वाले दिनों में क्या होने वाला था, यह शायद अभी कोई नहीं जानता था। नितिन ने पूजा को मौका दिया और इंतजार किया कि वह उसे सिद्धार्थ से मिलवाए।
अगले दिन पूजा ने सिद्धार्थ को घर बुला लिया। सिद्धार्थ घर आया और बड़े ही सम्मान से नितिन से मिला। सिद्धार्थ बेहद शांत और विनम्र व्यक्ति था। नितिन ने सीधे पूछा, “सिद्धार्थ, क्या तुम्हें नहीं लगता कि किसी शादीशुदा महिला से अकेले में मिलना ठीक नहीं है?” सिद्धार्थ ने झिझकते हुए कहा, “सर, मेरी और पूजा की दोस्ती कॉलेज टाइम से है। मैं उसकी बेहद इज्जत करता हूं। हम बस अच्छे दोस्त हैं और कुछ नहीं।”
नितिन ने कहा, “लेकिन फिर यह छुपकर मिलने की क्या जरूरत थी?” सिद्धार्थ कुछ देर चुप रहने के बाद बोला, “दरअसल पूजा ने मुझसे कुछ बातें शेयर की थी जो वो आपसे कहने में डर रही थी।” नितिन चौंका, “ऐसी कौन सी बातें?” पूजा बीच में बोल पड़ी, “सिद्धार्थ प्लीज अभी मत बताओ। मैं बाद में खुद बताऊंगी।” सिद्धार्थ ने सिर झुका लिया और वहां से चला गया।
नितिन का शक और गहरा हो गया। उसने पूजा से सख्ती से पूछा, “पूजा, अब तुम मुझसे सच बोलोगी या मैं तुम्हारे घर वालों को बुलाऊं?” पूजा रो पड़ी। “नितिन, सच यह है कि सिद्धार्थ मेरा कॉलेज का दोस्त ही नहीं, मेरा पहला प्यार भी था। हमने शादी का वादा भी किया था। लेकिन परिवार की मर्जी के कारण हमारी शादी नहीं हुई। उसके बाद तुम मेरी जिंदगी में आए। मैंने कभी भी शादी के बाद सिद्धार्थ से बात नहीं की। लेकिन कुछ दिन पहले वह अचानक वापस मेरी जिंदगी में आया।”
नितिन का चेहरा उतर गया। “क्यों आई वो तुम्हारी जिंदगी में वापस?” पूजा ने आंसुओं के साथ कहा, “क्योंकि उसने अचानक से मेरे सामने एक राज खोल दिया कि हमारी एक बेटी है जिसका जन्म तब हुआ था जब हम कॉलेज में साथ थे। उसने कहा कि उसने उस बच्ची को अकेले ही पाला है।” नितिन यह सुनकर दंग रह गया। उसे यकीन नहीं हुआ कि पूजा के अतीत में ऐसा कुछ हो सकता है।
“क्या तुम सच कह रही हो?” पूजा ने कांपती आवाज में कहा, “हां, सिद्धार्थ चाहता था कि मैं एक बार उस बच्ची से मिल लूं। लेकिन मुझे डर था कि यह जानने के बाद तुम मुझे कभी माफ नहीं करोगे।” नितिन को सदमा लगा था। लेकिन उसने खुद को शांत किया और पूछा, “तो अब क्या करना चाहती हो तुम?” पूजा ने कहा, “मैं बस उस बच्ची को एक बार देखना चाहती हूं। उसके बाद फैसला तुम्हारा है।”
नितिन ने फैसला किया कि वह खुद उस बच्ची से मिलेगा। लेकिन उसे अंदाजा नहीं था कि यह एक मुलाकात उसे एक बड़ी साजिश के जाल में फंसा देगी। पूजा के खुलासे के बाद नितिन का जीवन जैसे अचानक उलझ सा गया। अगले कुछ दिन दोनों के बीच एक तनाव भरी चुप्पी रही। नितिन अंदर ही अंदर इस सच को स्वीकार करने के लिए जूझ रहा था कि उसकी पत्नी का एक ऐसा अतीत है जिससे वह अब तक अनजान था। पूजा भी पश्चाताप के बोझ तले दब चुकी थी।
एक सुबह पूजा ने नितिन से कहा, “मैं उस बच्ची से सिर्फ एक बार मिलना चाहती हूं। बस एक बार।” नितिन ने हिचकते हुए कहा, “ठीक है, मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा।” दोनों अगले दिन सिद्धार्थ के बताए पते पर पहुंचे। दरवाजा सिद्धार्थ ने ही खोला। घर में घुसते ही एक छोटी बच्ची खेलती हुई दिखी जो लगभग 7 साल की थी। बच्ची की शक्ल पूजा से बेहद मिलती थी। पूजा उसे देखकर अपने आंसू नहीं रोक पाई। बच्ची का नाम अनन्या था। सिद्धार्थ ने कहा, “पूजा, यह हमारी बेटी है। मैंने इसे तुम्हारे बिना ही पालकर बड़ा किया है। लेकिन अब मुझे लगता है कि इसे तुम्हारी जरूरत है।”
पूजा ने भावुक होकर बच्ची को गले लगा लिया। नितिन दूर खड़ा चुपचाप देख रहा था। उसका मन दुविधा से भरा था। घर लौटते समय पूजा ने कहा, “क्या हम इसे अपने साथ रख सकते हैं?” नितिन ने गुस्से में जवाब दिया, “तुम्हें क्या लगता है? यह इतना आसान है। पहले तुमने इतना बड़ा सच छुपाया। अब इस बच्ची को घर लाने की बात कर रही हो। मेरे परिवार और हमारे बेटे आर्यन को हम क्या जवाब देंगे?” पूजा की आंखें फिर से छलक उठी। उसने धीरे से कहा, “मैं जानती हूं कि मुझसे गलती हुई है। लेकिन बच्ची की क्या गलती है? वह हमारी वजह से क्यों भुगते?”
घर लौटकर नितिन पूरी रात सोचता रहा। वो समझ नहीं पा रहा था कि उसे क्या करना चाहिए। अगले दिन अचानक एक अनजान नंबर से नितिन के फोन पर मैसेज आया – “सिद्धार्थ पर भरोसा मत करो। वह जो दिख रहा है वैसा बिल्कुल नहीं है।” यह मैसेज देखकर नितिन घबरा गया। उसे लगा कि इस मामले में अभी और भी रहस्य छिपे हुए हैं। उसने उसी नंबर पर कॉल किया लेकिन फोन बंद आ रहा था।
अगले दिन ऑफिस से लौटते हुए उसे महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। शाम को फिर वही अनजान नंबर से मैसेज आया – “तुम्हारी जिंदगी खतरे में है। पूजा और सिद्धार्थ की कहानी अब भी अधूरी है।” नितिन का शक अब यकीन में बदलने लगा कि सिद्धार्थ की कहानी के पीछे बहुत बड़ा सच छिपा हुआ था। जिसे जानना अब बेहद जरूरी हो चुका था।
उस अज्ञात मैसेज के बाद नितिन का मन पूरी तरह बेचैन था। उसने पूजा को उस मैसेज के बारे में कुछ नहीं बताया। परंतु मन ही मन सिद्धार्थ की सच्चाई जानने का फैसला कर लिया। अगले दिन नितिन सीधे सिद्धार्थ के ऑफिस पहुंच गया। रिसेप्शनिस्ट से पूछने पर पता चला कि सिद्धार्थ पिछले तीन महीनों से ऑफिस आया ही नहीं था। यह बात सुनते ही नितिन के मन में शक और गहरा हो गया। उसने सिद्धार्थ का पता लेकर उसके घर की ओर रुख किया। घर पर ताला लगा था। पड़ोसियों से पूछने पर पता चला कि सिद्धार्थ कई दिनों से घर पर नहीं आया।
नितिन हैरान था। आखिर सिद्धार्थ कहां गायब हो गया था? उसी शाम घर लौटते समय नितिन की गाड़ी के सामने अचानक एक व्यक्ति आया। नितिन ने गाड़ी रोकी और बाहर निकला। व्यक्ति ने धीरे से कहा, “मैं वहीं हूं जिसने तुम्हें मैसेज भेजे थे। मेरा नाम विक्रम है। मुझे सिद्धार्थ ने बर्बाद कर दिया था।” नितिन ने चौंक कर पूछा, “क्या मतलब?” विक्रम ने गंभीरता से कहा, “सिद्धार्थ एक प्रोफेशनल ठग है। वह भोली-भाली लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करता है। तुम्हारी पत्नी पूजा उसकी पहली शिकार नहीं है।”
नितिन का गला सूख गया। “लेकिन पूजा तो कह रही है कि सिद्धार्थ उसका कॉलेज का दोस्त था।” विक्रम ने कहा, “हां, वह कॉलेज में भी ऐसा ही था। पूजा उसकी असलियत नहीं जानती। सिद्धार्थ ने पूजा को झूठ बोला है कि वह उसकी बेटी है। असलियत में वह बच्ची किसी और की है जिसका इस्तेमाल सिद्धार्थ अपने प्लान में करता है।” यह सुनते ही नितिन के पैरों तले जमीन खिसक गई।
विक्रम ने आगे कहा, “सिद्धार्थ पूजा से पैसे ऐंठने की कोशिश करेगा और जब उसका काम पूरा हो जाएगा, वह किसी और शहर में गायब हो जाएगा।” नितिन तुरंत घर पहुंचा और सारी बात पूजा को बताई। पूजा यह सब सुनकर घबरा गई, “मुझे सच में विश्वास नहीं हो रहा है कि सिद्धार्थ ऐसा कर सकता है।” अचानक पूजा के फोन पर सिद्धार्थ का मैसेज आया, “अनन्या की तबीयत बहुत खराब है। जल्दी पैसे भेजो।”
नितिन ने समझ लिया कि विक्रम बिल्कुल सही कह रहा था। उसने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और जल्द ही सिद्धार्थ की असलियत सामने आ गई। सिद्धार्थ कई मामलों में फरार अपराधी था। पुलिस ने पूजा की मदद से उसे पकड़ने के लिए एक योजना बनाई। पूजा ने सिद्धार्थ को पैसे देने के बहाने बुलाया। जैसे ही सिद्धार्थ पैसे लेने आया, पुलिस ने उसे हाथों पकड़ लिया। लेकिन गिरफ्तारी के दौरान सिद्धार्थ ने नितिन पर हमला करने की कोशिश की, जिसमें नितिन गंभीर रूप से घायल हो गया।
मामला अब बेहद गंभीर हो चुका था। पुलिस ने सिद्धार्थ को हिरासत में ले लिया। लेकिन नितिन की हालत नाजुक थी। पूजा अस्पताल में नितिन के ठीक होने की दुआएं कर रही थी। नितिन जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था। इस घटना ने परिवार को पूरी तरह तोड़ कर रख दिया था। क्या नितिन बच पाएगा? क्या सिद्धार्थ को उसकी असली सजा मिलेगी?
अस्पताल में पूजा लगातार भगवान से नितिन की जिंदगी के लिए प्रार्थना कर रही थी। उसका मन अपराध बोध से भरा था। डॉक्टरों की टीम नितिन को बचाने की हर संभव कोशिश कर रही थी। आखिरकार कई घंटों के बाद डॉक्टरों ने बताया कि नितिन अब खतरे से बाहर है। यह सुनकर पूजा के आंसू नहीं रुके। उसे लगा जैसे उसकी सांसे फिर से चल पड़ी।
कुछ दिनों बाद नितिन को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। पुलिस ने सिद्धार्थ पर लगे सभी आरोपों के साथ चार्ज शीट दाखिल कर दी। कोर्ट में सुनवाई की तारीख तय हो गई। नितिन और पूजा ने मिलकर फैसला किया कि वे इस लड़ाई को अंत तक लड़ेंगे ताकि फिर कोई और सिद्धार्थ की साजिश का शिकार ना बने।
कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई। सिद्धार्थ बेहद आत्मविश्वास के साथ पेश हुआ। उसने कोर्ट में कहा, “मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। यह सब एक गलतफहमी है। पूजा और मेरी दोस्ती को गलत रूप दिया जा रहा है।” लेकिन पुलिस ने जो सबूत कोर्ट में पेश किए, उसने सिद्धार्थ की सारी सच्चाई उजागर कर दी। पुलिस ने बताया कि सिद्धार्थ एक पुराना अपराधी था जिसने कई लोगों को इसी तरह ब्लैकमेल किया था। सिद्धार्थ का असली नाम राहुल वर्मा था और उसने अलग-अलग शहरों में कई लड़कियों को अपना शिकार बनाया था। कोर्ट में विक्रम की गवाही ने केस को और मजबूत बना दिया।
सुनवाई के दौरान सिद्धार्थ के चेहरे पर चिंता साफ दिखाई देने लगी। वह समझ चुका था कि अब उसके झूठ का पर्दा उठ चुका है। आखिरकार जज ने अपना फैसला सुनाते हुए सिद्धार्थ को दोषी पाया और उसे कड़ी सजा सुनाई गई।
कोर्ट से बाहर निकलते वक्त सिद्धार्थ ने पूजा और नितिन की ओर देखते हुए पछतावे से कहा, “मुझे माफ कर दो। मेरी वजह से तुम्हारी जिंदगी में इतना बड़ा तूफान आया।” नितिन ने उसकी तरफ देखा और दृढ़ता से कहा, “तुम्हारी वजह से नहीं बल्कि मेरी खुद की असुरक्षा और शक की वजह से हमारी जिंदगी में तूफान आया था। तुम्हें सजा कानून देगा लेकिन मैं भी अपने आप से एक सबक जरूर सीख चुका हूं।”
घर लौटकर नितिन ने पूजा से माफी मांगी और कहा, “पूजा, मुझे तुम्हारे ऊपर शक नहीं करना चाहिए था। शायद यह सारी मुसीबत मेरी गलतफहमी से ही शुरू हुई थी।” पूजा ने भी भावुक होकर कहा, “नहीं नितिन, मुझे भी अपनी जिंदगी से जुड़े हर सच को तुम्हें पहले ही बता देना चाहिए था।” दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया।
धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से सामान्य होने लगी। उन्होंने फैसला किया कि अब वे कभी एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाएंगे। आर्यन के साथ उनका परिवार फिर से खुशहाल हो गया।
कहानी के अंत में एक गहरी सीख निकल कर आई – रिश्तों में शक और गलतफहमियां कितनी खतरनाक होती हैं। किसी भी परिस्थिति में एक दूसरे से खुलकर बात करना और भरोसा बनाए रखना जरूरी होता है।
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