12 साल के लडके ने कर दिया कारनामा/पुलिस प्रशासन के होश उड़ गए/

इटावा के गडरिया – इंसाफ की जंग
आज की घटना है उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के अहेरीपुर गांव की। यहां रहते थे रूपलाल, जो पेशे से गडरिया थे। उनके पास 25-30 बकरियां थीं और यही उनका कारोबार था। परिवार में पत्नी शारधा देवी, छोटी बहन निर्मला और एक बेटा अंकुश था, जो छठी कक्षा में पढ़ता था। परिवार खुशहाल था, लेकिन किस्मत कब बदल जाए, कोई नहीं जानता।
शुरुआत: एक आम सुबह
6 अक्टूबर 2025 की सुबह, अंकुश स्कूल चला गया था। रूपलाल को तेज बुखार था, इसलिए वह बकरियां चराने नहीं जा सके। पत्नी शारधा दवाई लेने गई, रास्ते में गांव के जमींदार नकुल की नजर उस पर पड़ी। नकुल की नियत खराब हो गई। उसने शारधा को तंग करने की कोशिश की, लेकिन शारधा ने बिना डरे उसके मुंह पर थप्पड़ जड़ दिया। नकुल ने धमकी दी – “इसका बदला जरूर लूंगा!”
शारधा ने यह घटना घरवालों को नहीं बताई, यही उसकी बड़ी गलती थी।
अगला दिन: खतरे की आहट
7 अक्टूबर को रूपलाल की तबीयत ठीक नहीं थी। शारधा ने बकरियां चराने का जिम्मा उठाया। खेत में नकुल और उसका दोस्त जगदीश (सस्पेंडेड पुलिस दरोगा) शराब पी रहे थे। दोनों ने मिलकर शारधा को अकेला पाकर उसे बहुत परेशान किया और उसके साथ गलत व्यवहार किया। धमकी दी कि अगर किसी को बताया तो पूरे परिवार को फंसा देंगे। डर के मारे शारधा ने भी यह बात किसी को नहीं बताई।
कुछ दिनों बाद: निर्मला के साथ भी वही
26 अक्टूबर को रूपलाल कपड़ों की खरीदारी के लिए पत्नी शारधा के साथ बाजार गया। घर पर निर्मला अकेली थी। नकुल और जगदीश ने फिर वही किया – घर में घुसकर निर्मला के साथ भी गलत काम किया और धमकी देकर चले गए। निर्मला भी डर के मारे चुप रही।
बदलाव की शुरुआत: पड़ोसी की नजर
20 नवंबर को फिर से दोनों ने निर्मला को अकेला पाकर वही गंदी हरकत की। इस बार पड़ोसी राधेश्याम ने देखा कि जमींदार और दरोगा बार-बार निर्मला के घर आ रहे हैं। उसे शक हुआ। उसने अंकुश से बात की, “तुम्हारे घर में कुछ गलत हो रहा है।”
अंकुश ने घर जाकर बुआ से पूछा, लेकिन निर्मला चुप रही। अंकुश ने पिता रूपलाल को फोन कर सब बताया। रूपलाल घर आया, बहन से सब सच उगलवाया। पत्नी शारधा ने भी अपनी आपबीती सुनाई।
इंसाफ की जंग: रूपलाल और अंकुश का फैसला
रूपलाल और अंकुश का खून खौल उठा। दोनों ने हथियार उठाए – गंडासी और चाकू। दोनों जमींदार की बैठक पहुंचे, जहां नकुल और जगदीश शराब पीकर सो रहे थे। रूपलाल ने गंडासी से नकुल की गर्दन काट दी, अंकुश ने जगदीश के पेट में चाकू घोंप दिया। दोनों को मारकर नीम के पेड़ पर लटका दिया।
गांव में सनसनी फैल गई। पुलिस आई, शवों को उतारा, पोस्टमार्टम कराया। बाप-बेटे फरार हो गए, लेकिन एक दिन में पकड़ लिए गए। पुलिस ने पूछताछ की, रूपलाल ने पूरे परिवार की कहानी बताई। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया – “कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए था।”
सोचने की बात
अब सवाल है – क्या रूपलाल और अंकुश ने जो किया, वह सही था या गलत? क्या ऐसे हालात में कानून खुद लेना जायज है? या उन्हें पुलिस-प्रशासन को बताना चाहिए था?
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मिलते हैं अगली कहानी के साथ।
जय हिंद!
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