16 साल बाद वापसी | मेरा पति ज़िंदा है

शादी, जुदाई और इंसाफ की जंग – एसपी आराध्या शर्मा की कहानी

शादी का माहौल था। हर तरफ रोशनियां, गानों की धुन और खुशियों की गूंज। एसपी आराध्या शर्मा अपने पति रोहन के साथ एक रिश्तेदार की शादी में जा रही थी। गाड़ी तेज रफ्तार में चल रही थी, रात का समय था और सड़क बिल्कुल सुनसान।

अचानक एक जोर की आवाज आई। गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया। रोहन ने गाड़ी साइड में लगाई और टायर बदलने लगा। आराध्या खिड़की से बाहर देख रही थी। उसे अंधेरे में कुछ साए हिलते नजर आए। उसने तुरंत रोहन को आवाज दी, “जल्दी करो, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा।”

रोहन ने जल्दी-जल्दी काम खत्म करना चाहा, लेकिन तभी चारों तरफ से कुछ आदमी हथियार लेकर आ गए। उन्होंने बिना देर किए फायरिंग शुरू कर दी। आराध्या चीखती रही, रोहन का नाम पुकारती रही, लेकिन गोलियों की आवाज में उसकी चीख दब गई। रोहन जमीन पर गिर गया, खून के धारे बहने लगे। आराध्या ने देखा, उसके पति की सांसें रुक गई थीं। उस रात आराध्या की जिंदगी बिखर गई। उसे लगा, उसने सब कुछ खो दिया।

सोलह साल की जुदाई

सोलह साल गुजर गए। आराध्या अपनी ड्यूटी, अपनी बेटी सिया और जिम्मेदारियों में खुद को दफन कर चुकी थी। लेकिन दिल के किसी कोने में रोहन की यादें जिंदा थीं। हर रात वह उसकी तस्वीर को देखती, आंसू बहाती और खुद को संभालती।

एक दिन, जब वह एक बड़े गैंगस्टर पाटिल के खिलाफ ऑपरेशन चलाने निकली, उसे एक छुपा हुआ अड्डा मिला। ऑपरेशन के दौरान जब उसने एक आदमी का चेहरा देखा, उसके पैर तले जमीन खिसक गई। सामने खड़ा आदमी उसका पति रोहन था, जो सोलह साल पहले उसकी आंखों के सामने मारा गया था।

आराध्या की सांसें रुक गईं। उसे लगा, शायद उसकी आंखें धोखा दे रही हैं। लेकिन वह रोहन ही था, बिल्कुल जिंदा, बिल्कुल सामने। रोहन की आंखों में भी आंसू थे। उसने धीरे से कहा, “आराध्या, मैंने तुम्हें और अपनी बेटी को बचाने के लिए अपनी मौत का नाटक किया था। पाटिल मुझे मारना चाहता था और अगर मैं उस वक्त जिंदा दिखता, तो तुम दोनों भी उसके निशाने पर होते।”

आराध्या का दिल टूटे हुए कांच की तरह बिखर गया। एक तरफ पति के जिंदा होने की खुशी थी, दूसरी तरफ सोलह साल की बेरहमी भरी जुदाई का गम। उसने थरथराती आवाज में कहा, “रोहन, तुमने मुझे इतने साल कैसे अंधेरे में रखा? तुम्हें अंदाजा भी है, मैंने कैसे दिन गुजारे? मैं हर रात तुम्हारी तस्वीर को देखकर रोती थी।”

रोहन ने उसके आंसू पोंछने की कोशिश की, लेकिन उसके हाथ कपकपा रहे थे। “आराध्या, मुझे अफसोस है, लेकिन मैं मजबूर था। पाटिल का जाल ऐसा था कि मुझे छुपकर उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा करने पड़े। अब वक्त आ गया है उसे गिरफ्तार करने का। तुम मेरी मदद करो, वरना यह जंग हमारी बेटी तक को जला देगी।”

माफी, गुस्सा और नया संघर्ष

आराध्या के दिल में एक तूफान उठ रहा था। क्या वह रोहन को माफ कर पाएगी? क्या वह सोलह साल पुरानी सच्चाई से लड़ पाएगी? उसने रोहन की आंखों में देखा, वहां पछतावा था, दर्द था। उसने कहा, “अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा था, तो तुम मुझे बता सकते थे। हम दोनों मिलकर पाटिल का सामना कर सकते थे। लेकिन तुमने मुझे अंधेरे में रखा, मुझे और मेरी बेटी को बिना सहारे के जीने पर मजबूर कर दिया।”

रोहन के आंसू बहने लगे। उसने हाथ जोड़कर कहा, “मैं तुम्हारा गुनहगार हूं, आराध्या। तुम्हारी सजा मंजूर है, लेकिन अब मुझे तुम्हारी मदद चाहिए। पाटिल के खिलाफ सबूत मेरे पास हैं, लेकिन उन्हें सामने लाना सिर्फ तुम कर सकती हो। तुम्हारी एक आवाज, तुम्हारी एक रेड उस शैतान को झुका देगी।”

आराध्या ने अपने दिल के तूफान को दबाकर प्रोफेशनल सोचना शुरू किया। उसने कहा, “ठीक है रोहन, अगर तुम सच कह रहे हो, तो मुझे सबूत दो। लेकिन याद रखना, मैं अब सिर्फ तुम्हारी पत्नी नहीं, एक पुलिस ऑफिसर भी हूं। अगर तुम्हारा सच झूठ निकला, तो मैं तुम्हें भी नहीं बख्शूंगी।”

रोहन ने अपनी जेब से एक छोटा सा पेनड्राइव निकाला। उसमें वीडियो रिकॉर्डिंग्स, ऑडियो टेप्स और डॉक्यूमेंट्स थे, जिसमें पाटिल के सारे गैरकानूनी कारोबार के राज थे – ड्रग्स, स्मगलिंग, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, इललीगल वेपन्स, सब कुछ।

पाटिल का खौफ और खतरा

आराध्या ने वह पेनड्राइव अपनी जेब में रखी और ठंडी सी आवाज में कहा, “इस बार पाटिल बचेगा नहीं।” उस रात आराध्या अपनी बेटी सिया के कमरे में गई। सिया सो रही थी। आराध्या ने उसके बालों पर हाथ फेरते हुए सोचा – अगर सिया को पता चले कि उसके पापा जिंदा हैं, तो उसकी दुनिया बदल जाएगी। लेकिन क्या मैं अभी उसे सच बता सकती हूं या फिर वक्त सही नहीं है?

अगली सुबह आराध्या ऑफिस गई और अपनी ट्रस्टेड टीम को बुलाया। उसने सब कुछ नहीं बताया, सिर्फ इतना कहा, “हमें पाटिल के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाना है। इस बार कोई गलती नहीं होनी चाहिए। मुझे उसे जिंदा पकड़ना है।”

दूसरी तरफ पाटिल अपने अड्डे में बैठा था। उसके आदमियों ने उसे खबर दी कि पुलिस उसके पीछे लगी है। पाटिल ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा, “पुलिस मेरी दुश्मन नहीं, खिलौना है। लेकिन जिसने मुझे धोखा दिया, उस रोहन को मैं जिंदा नहीं छोड़ूंगा। और अगर आराध्या ने भी बीच में आने की कोशिश की, तो उसकी बेटी मेरे निशाने पर होगी।”

घर पर हमला – सिया खतरे में

रात के सन्नाटे में जब सब सो रहे थे, एक सफेद गाड़ी आराध्या के घर के बाहर रुकी। उसमें से दो आदमी निकले, हाथ में साइलेंसर वाली पिस्तौल। उनका निशाना सिया थी। आराध्या को इस खतरे का अंदाजा नहीं था। लेकिन उस रात एक ऐसा हादसा होने वाला था, जो उसकी जिंदगी का रुख हमेशा के लिए बदल देगा।

सिया अपने कमरे में गहरी नींद में थी। मासूम, बेपरवाह, बिना किसी फिक्र के। पर उस रात हवा में कुछ तेज थी, एक अजीब सी खामोशी। जब पहला आदमी धीरे से खिड़की खोलकर अंदर घुसने लगा, उसका पैर सिया के फेवरेट स्टफ्ड टॉय को छू गया। आवाज छुपी सी थी, मगर घर में लगे सुरक्षा कैमरे का मोशन सेंसर एक्टिव हो गया।

चाचा जी, जो दरवाजे के पास बैठे थे, उन्होंने उस ब्लिंक को देखा। उन्होंने जोर से चिल्लाया, उनकी आवाज ने पूरे घर को जगा दिया। आराध्या जो थोड़ी दूर बैठी कुछ कागजों में खोई हुई थी, उसकी नींद उड़ गई। उसने तुरंत अपने हथियार की तरफ देखा, पर उससे फायदा नहीं था। उसने धीरे से कमरे से निकलकर कॉरिडोर की तरफ चलना शुरू किया। उसकी सांसे तेज थीं, दिल धड़क रहा था।

उसने फोन पर अपने ट्रस्टेड सब इंस्पेक्टर सुमन को मैसेज भेजा – “कोड रेड, घर पर ब्रीच, सिया सेफ रूम में है, तुरंत आ जाओ।” सुमन तुरंत आई। रोहन ने पीछे से छुपकर देखा, उसने एक खंभा उठाया। आराध्या ने निशान दिया – “सुमन को पीछे से घेरो, मैं फ्रंट से जाऊंगी।”

पहला आदमी जब अंदर घुसा, तो उसने देखा, कमरे में एक फोटो फ्रेम गिर गया है। उसने चेहरा मोड़कर गाड़ी की तरफ भागना चाहा, पर वहां सुमन और दो पुलिसमैन खड़े थे। दूसरा आदमी बैकयार्ड से आना चाहा, उसे भी वहीं पकड़ लिया गया।

दोनों को पकड़ लिया गया। आराध्या ने कड़क आवाज में बोला, “हाथ ऊपर रखो, एक भी हरकत की तो अंजाम बुरा होगा।” रोहन ने दूसरे आदमी के हाथ से बंदूक छीन ली। थोड़ी सी लड़ाई थी, मगर जल्दी सब खत्म हो गया। सिया सेफ थी, पर उसका दिल तेज धड़क रहा था। जब उसने देखा, मम्मी और डैडी दोनों उसके कमरे के दरवाजे पर खड़े हैं, तो उसकी आंखों में आंसू आ गए।

आराध्या ने सिया को गले लगाया, सिया रोती रही – डर और राहत दोनों के बीच। लेकिन अब भी एक बड़ी मुसीबत खड़ी थी। दोनों अरेस्ट हुए आदमी पाटिल के गुंडे थे। इनके जरिए पाटिल को खबर मिल चुकी थी कि पुलिस अब उसके पीछे है।

महान ऑपरेशन की तैयारी

अगली सुबह आराध्या ने अपनी टीम को बुलाया, “यह मामला सिर्फ पुलिस का नहीं, पर्सनल भी है। रोहन, तुम घर पर सिया के साथ रहो। मैं ऑपरेशन को लीड करूंगी।” रोहन अब सिर्फ बचाने वाला नहीं, बदला लेने वाला भी था। दोनों जानते थे कि इस रास्ते पर चलना आसान नहीं होगा।

पाटिल के खिलाफ जो सबूत रोहन ने दिए थे, उन्हें कोर्ट में लाने के लिए तैयार करना था। पर सबसे बड़ी चुनौती थी – रोहन की लीगल आइडेंटिटी। सोलह साल से मृत आदमी को कैसे जिंदा साबित किया जाए? इसके बिना कोर्ट में सबूत का कोई मतलब नहीं होगा।

आराध्या समझ गई थी, यह सिर्फ पुलिस ऑपरेशन नहीं, कानूनी और जज्बाती जंग है जिसमें हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा। रात के अंधेरे में जब दोनों घर के अंदर आगे की योजना बना रहे थे, रोहन ने धीरे से कहा, “आराध्या, मुझे डर लगता है। अगर मैं तुम्हारे साथ चलूं, तो तुम्हें और सिया को नुकसान हो सकता है।”

आराध्या ने उसका हाथ पकड़ा, “तुमने जो किया, उसका भर हम दोनों साथ मिलकर करेंगे। तुम मेरे हो, मैं तुम्हें वापस लेने से पहले कुछ भी नहीं छोड़ूंगी।” उनकी आंखों में एक नई कसम जागी – पाटिल को गिरफ्तार करने की।

अंतिम जंग – इंसाफ और परिवार

शाम होते ही ऑपरेशन शुरू हुआ। पाटिल के अड्डे को घेरने के लिए दो तरफ से टीम्स भेजी गईं। आराध्या फ्रंट से लीड कर रही थी, रोहन पीछे से लाइव सर्वेलेंस देख रहा था। उसके हाथ कांप रहे थे, लेकिन उसका दिल बस एक ही बात कह रहा था – अब खतम।

अंदर जाते ही फायरिंग शुरू हो गई। गोलियों की आवाज से हवा कांप रही थी। आराध्या ने बिना डरे आगे बढ़कर अपनी टीम को शील्ड दिया और एक के बाद एक गुंडों को नीचे गिरा दिया। हर गोली के साथ उसके दिल में बस एक तस्वीर थी – सिया की मासूम मुस्कान और उसकी खौफ से भरी आंखें।

पाटिल अपने स्ट्रांग रूम में छुपा हुआ था। उसने माइक पर चीख कर कहा, “आराध्या, अगर तू एक कदम और आगे आई, तो मैं तेरी बेटी को जिंदा नहीं छोड़ूंगा।” यह सुनकर आराध्या का दिल एक पल के लिए रुक गया, लेकिन अगले ही सेकंड उसके अंदर बिजली सी दौड़ गई। उसने तुरंत रोहन से कहा, “सिया के पास जाओ अभी।”

रोहन भागा और सिया को घर के सेफ रूम से निकालकर पुलिस वैन तक ले गया। सिया उसके गले लगकर रोने लगी, “पापा, मुझे लगता था आप कभी वापस नहीं आएंगे।” रोहन के आंसू भी रुक नहीं पाए।

उधर, आराध्या ने पाटिल के स्ट्रांग रूम का दरवाजा तोड़ दिया। अंदर का मंजर देखकर उसके दिल में आग लग गई। पाटिल के आसपास फाइल्स, डॉलर्स के बंडल्स और वेपन्स थे। पाटिल ने पिस्तौल उठाई और सीधा आराध्या पर निशाना किया। लेकिन आराध्या की तेज नजर और रिफ्लेक्स ने उसे मौका नहीं दिया। उसने गोली चलाई, पाटिल के हाथ से पिस्तौल छूट गई।

आराध्या ने उसकी गर्दन पकड़ कर बोला, “तू समझता था, तू हमेशा बचा लेगा। पर अब कानून और एक मां दोनों तेरी गर्दन तक आ गई हैं।” पाटिल चीखता रहा, धमकियां देता रहा, लेकिन उस दिन उसके झूठ, पैसे का जादू और उसका खौफ सब खत्म हो गया। पुलिस उसे घसीटकर बाहर ले गई।

नया सवेरा – परिवार की जीत

दो दिन बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में आराध्या और उसकी टीम को सल्यूट किया गया। सामने सिया अपने पापा के कंधे पर बैठी थी। रिपोर्टर्स ने पूछा, “एसपी मैडम, आपके लिए यह सब पर्सनल था, फिर भी आपने कानून को पहले रखा। आपको कैसा लग रहा है?”

आराध्या ने हल्की मुस्कान दी और कहा, “मुझे सिर्फ इतना कहना है – कानून से बड़ा कोई नहीं और एक मां से मजबूत कोई नहीं।” सभी तालियां बजाने लगे, फ्लैश चमकने लगे।

उस रात घर पर जब सब थक कर सो रहे थे, सिया बीच में मां-पापा के साथ सोई। उसने अपना छोटा सा हाथ आराध्या के हाथ में रखा और दूसरा रोहन के। धीरे से बोली, “अब ना आप दोनों मुझे कभी अकेला छोड़ना।” आराध्या और रोहन की आंखों से आंसू निकल आए। दोनों ने एक ही साथ कहा, “कभी नहीं सिया।”

उस पल उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी जंग खत्म हो गई थी। ना सिर्फ पाटिल से बल्कि उस दर्द से जो सोलह साल से उनके दिल में छुपा था। अब वो एक नई जिंदगी शुरू कर रहे थे – जिसमें डर नहीं था, बस एक परिवार का प्यार और एक मां का जज्बा था।

कहानी खत्म हुई, लेकिन एक सच रह गया – एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर और एक मां की शक्ति के आगे दुनिया का सबसे बड़ा गुनहगार भी हमेशा झुकता है।

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