5 साल के बच्चे की भविष्यवाणी – बताई मोदी की मौत की तारीख… सच जानकर प्रधानमंत्री के उड़ गए होश फिर…

“रहस्य का संकेत: एक बच्चा, एक भविष्य, एक प्रधानमंत्री”

दिल्ली की ठंडी सुबह थी। आसमान हल्का-सा धुंधला, हवाओं में सिहरन थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चों के अस्पताल के दौरे पर आए थे। उनके चेहरे पर हमेशा की तरह मुस्कान थी, आंखों में स्नेह और दिल में देश के भविष्य को संवारने की उम्मीद। अस्पताल के वार्ड में दर्जनों मासूम चेहरे खिलखिला रहे थे, मोदी जी उनके सिर पर हाथ फेरते, उन्हें आशीर्वाद देते और खुद भी बच्चों की मासूमियत में खो जाते।

लेकिन उसी भीड़ में एक कोने में खड़ा था एक दस साल का दुबला-पतला बच्चा – आरव। बाकी बच्चे मोदी जी की ओर दौड़ रहे थे, लेकिन आरव बस चुपचाप खड़ा था। उसकी आंखें गहरी थीं, जैसे उनमें सदियों का राज छुपा हो। मोदी जी उसकी ओर बढ़े, मुस्कुराकर बोले, “क्या नाम है बेटा?”

आरव ने बहुत धीरे से कहा, “आरव।”

मोदी जी ने फिर मुस्कुराकर पूछा, “तुम बाकी बच्चों के साथ मिलने क्यों नहीं आए?”

आरव ने उनकी आंखों में सीधे देखा और बोला, “मेरे पास सिर्फ मिलने का समय नहीं है। मेरे पास आपको बताने के लिए एक बहुत बड़ी बात है।”

मोदी जी हल्का सा हंसे, मानो किसी मासूम की बात को हल्के में टालना चाह रहे हों। लेकिन उसी पल आरव फिर बोला, “मुझे पता है आपकी मौत कब होगी।”

यह सुनकर पूरे अस्पताल का माहौल एकदम जम गया। मोदी जी पहले तो हंसी में टाल देते हैं, लेकिन जब आरव का गंभीर चेहरा देखते हैं तो उनकी मुस्कान गायब हो जाती है। आरव शांत आवाज में कहता है, “मैं मजाक नहीं कर रहा। मैं यहां इसलिए आया हूं ताकि आपको मौत से पहले होने वाली उस बड़ी घटना के लिए तैयार कर सकूं।”

मोदी जी के दिल में जैसे किसी ने बर्फ का टुकड़ा रख दिया हो। उन्होंने बहुत धीमी आवाज में पूछा, “तुम्हें यह सब कैसे पता?”

आरव की आंखें जरा भी नहीं झपकीं। उसकी आवाज में ना कोई डर था, ना कोई हिचक। उसने शांत स्वर में कहा, “नहीं, यह मैंने किसी से सुना नहीं है। यह मैंने देखा है अपने सपनों में नहीं, अपने पिछले जन्म में।”

यह सुनते ही मोदी जी के पैरों तले जमीन खिसक गई। एक तरफ वह प्रधानमंत्री थे, जिनका दिमाग हमेशा तर्क और हकीकत पर चलता है। दूसरी तरफ उनके सामने एक दस साल का बच्चा खड़ा था, जो ऐसी ठोस और साफ बात कर रहा था कि उसमें झूठ की जरा भी गंध नहीं थी।

मोदी जी ने गहरी सांस ली और गंभीर स्वर में बोले, “पिछला जन्म? इसका क्या मतलब है बेटा?”

आरव ने बिना झिझक कहा, “इसका मतलब है कि मैं पहले भी इस दुनिया में रह चुका हूं। लेकिन एक हादसे में मेरी मौत हो गई थी। मरने के बाद मैंने बहुत कुछ देखा, कुछ ऐसा जो आने वाला था। और जब मैं इस जन्म में वापस आया तो मुझे सब याद रहा। मैं जानता हूं कि आगे क्या होगा। और खासकर आपके साथ।”

मोदी जी के माथे पर पसीना छलक आया। उनके आसपास सुरक्षा एजेंसियों की पूरी फौज थी, लेकिन ऐसा रहस्य किसी भी रिपोर्ट में नहीं मिल सकता था।

मोदी जी ने गहरी नजर से आरव को देखा और पूछा, “अगर तुम्हें सब याद है तो मुझे बताओ, वो बड़ी घटना क्या है?”

आरव कुछ पल चुप रहा। उसका चेहरा ऐसा था मानो भीतर कोई तूफान चल रहा हो। फिर उसने धीरे से कहा, “मैं सब कुछ नहीं बता सकता। अगर मैंने सब कह दिया तो किस्मत बदल सकती है और मौत भी बदल सकती है। लेकिन इतना जान लीजिए कि वह घटना आपके किसी बहुत करीबी इंसान से जुड़ी होगी और उसका असर पूरे देश पर पड़ेगा।”

मोदी जी के दिल की धड़कनें और तेज हो गईं। उन्होंने तय किया कि इस बच्चे और इसके परिवार के बारे में और जानना जरूरी है। उन्होंने अपने एक अधिकारी को इशारा किया, “इसके माता-पिता को तुरंत यहां लाओ।”

कुछ ही देर बाद आरव के माता-पिता को वहां लाया गया। साधारण मध्यमवर्गीय परिवार था – पिता सरकारी दफ्तर में क्लर्क, मां गृहिणी। उनके चेहरे पर प्रधानमंत्री के सामने होने की झिझक भी थी और हल्का सा डर भी।

मोदी जी ने उन्हें सांत्वना देते हुए पूछा, “आपका बेटा आरव जो कह रहा है, उसके बारे में आप क्या जानते हैं?”

मां की आंखों में डर और आवाज में कंपन था। “सर, यह जन्म से ही थोड़ा अलग है। यह जो सपने देखता है, वह सच हो जाते हैं। पहले हमें लगा संयोग है। लेकिन धीरे-धीरे हमें यकीन हो गया कि इसके पास कुछ ऐसा है जिसे हम समझ नहीं सकते।”

पिता ने कहा, “जब यह तीन साल का था, तब एक दिन खेलते-खेलते बोला कि पास के पुल पर आज बड़ा हादसा होगा। हम हंस दिए। लेकिन उसी शाम खबर आई कि वही पुल टूट गया और कई लोग घायल हो गए। तब से हमें लगा कि इसके भीतर कुछ रहस्य है।”

मोदी जी की आंखें अब और भी गहरी हो गईं। उनके लिए यह बच्चा अब कोई साधारण लड़का नहीं था, बल्कि किसी रहस्यमयी किताब का ऐसा पन्ना था जिसमें भविष्य की इबारतें लिखी थीं।

मां ने कांपती आवाज में कहा, “लेकिन सर, पिछले कुछ महीनों से यह बार-बार सिर्फ एक ही बात कह रहा है – आपके बारे में। यह कहता है कि आपको एक बहुत बड़ा फैसला लेने से पहले सावधान रहना होगा, वरना…” मां की आंखों में डर और गहरा गया।

मोदी जी ने गंभीर होकर पूछा, “वरना क्या?”

मां ने कांपते होठों से कहा, “वरना आप नहीं रहेंगे।”

कमरे का माहौल इतना भारी हो गया कि जैसे हवा का बहना भी रुक गया हो। मोदी जी ने गहरी नजर से आरव को देखा। आरव उसी शांति से उन्हें घूर रहा था, जैसे उनकी आत्मा तक को पढ़ रहा हो।

कमरे में सन्नाटा गहरा चुका था। मोदी जी की नजरें बार-बार उस दस साल के आरव पर टिक रही थीं, जैसे उसकी आंखों से कोई अदृश्य सच टपक रहा हो। उनकी सोच बिखर चुकी थी और तभी बाहर से तेज कदमों की आहट सुनाई दी। उनके सबसे भरोसेमंद सुरक्षा अधिकारी राजीव थे – चेहरा गंभीर, आंखों में बेचैनी, आवाज में वह कंपन जो सिर्फ तब आता है जब किसी के पास बताने को बहुत बड़ा राज हो।

राजीव तेजी से मोदी जी के पास पहुंचे और धीमे स्वर में बोले, “सर, हमें इस बच्चे के बारे में कुछ अजीब जानकारी मिली है।”

“क्या मतलब?” मोदी जी ने भौंहें चढ़ाई।

राजीव ने हाथ में पकड़ी मोटी फाइल मोदी जी की तरफ बढ़ा दी। फाइल के ऊपर मोटे अक्षरों में लिखा था – ऑपरेशन नीलवर।

मोदी जी का दिल एक धड़कन के लिए रुक गया। उन्होंने तुरंत फाइल खोली। राजीव ने धीमे स्वर में कहा, “सर, यह फाइल 15 साल पुरानी है। इसमें एक अजीब दुर्घटना दर्ज है। हादसे में एक बच्चा मरा था – नाम था आरव, उम्र सिर्फ 5 साल। रिपोर्ट में लिखा है कि उस बच्चे ने अपनी मौत से कुछ घंटे पहले अपने पिता से कहा था – आज मैं मरने वाला हूं लेकिन फिर लौट कर आऊंगा क्योंकि मेरा काम अभी अधूरा है।”

यह सुनते ही मोदी जी के हाथ से फाइल लगभग छूट ही गई। वो दस साल का बच्चा जो अभी उनके सामने खड़ा है – वही नाम, वही उम्र का मेल, और अब से 15 साल पहले भी उसी नाम का बच्चा ठीक ऐसे ही रहस्यमय ढंग से मरा।

राजीव ने गंभीरता से आगे कहा, “सर, मेडिकल रिकॉर्ड, जन्मतिथि और यहां तक कि चेहरे की बनावट तक सब कुछ अजीब तरह से जुड़ा हुआ है। और सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि मरने से पहले उस पुराने बच्चे ने एक और नाम लिया था – और वह नाम आपका था।”

नरेंद्र मोदी जैसे सख्त और दृढ़ इंसान के दिल में भी उस पल एक ठंडी लहर दौड़ गई। एक बच्चा जो 15 साल पहले भी उनके बारे में जानता था और वही बच्चा आज फिर उनके सामने खड़ा था।

मोदी जी की आंखें उस दस साल के आरव पर टिक गईं। वो अब भी शांत था, जैसे उसके लिए यह सब नया ना हो। जैसे वह जानता हो कि यह सब होना ही था।

मोदी जी के दिल में अब एक ही सवाल गूंज रहा था – क्या यह बच्चा सचमुच वही आत्मा है जो 15 साल पहले वापस आने का वादा करके गई थी?

मोदी जी ने फाइल को बंद किया। उनके चेहरे पर चिंता की गहरी लकीरें उभर आईं। उनके लिए अब यह खेल सिर्फ एक बच्चे की बातों का नहीं था, यह कुछ और ही गहरी साजिश, गहरा रहस्य था।

और तभी आरव ने उनकी तरफ देखा और बहुत धीरे से कहा, “मैंने आपको पहले ही कहा था – आपके सबसे करीब दिखने वाले लोग ही आपके सबसे बड़े दुश्मन हो सकते हैं।”

मोदी जी के दिल की धड़कनें और तेज हो गईं। अब सवाल सिर्फ इतना था – कौन है वह शख्स? और यह हमला कहां और कब होने वाला है?

उस रात प्रधानमंत्री आवास की हवा अलग ही थी। हर तरफ खामोशी का जाल बिछा हुआ था। लेकिन उस खामोशी में भी एक अदृश्य डर की गूंज सुनाई दे रही थी। नरेंद्र मोदी के चेहरे पर अब वह सामान्य मुस्कान नहीं थी, बल्कि एक दृढ़ता और चिंता का अजीब सा संगम था।

आरव की बात उनके कानों में हथौड़े की तरह गूंज रही थी – “आपके सबसे पास दिखने वाले लोग ही आपके सबसे दूर हैं।”

मोदी जी ने फैसला कर लिया। अब सच्चाई सिर्फ बातों से सामने नहीं आएगी, बल्कि एक खेल खेलकर निकालनी होगी। उन्होंने उसी रात अपने सबसे भरोसेमंद खुफिया प्रमुख अनिल को बुलाया।

अनिल कमरे में आया – हाथ में मोटी फाइलें, चेहरे पर वही गंभीरता जो केवल तब दिखती है जब हालात किसी बड़े तूफान का इशारा कर रहे हों।

मोदी जी ने सीधी और ठंडी नजर से कहा, “अनिल, मुझे अपने आसपास के हर इंसान की जांच चाहिए – मंत्री, सलाहकार, सुरक्षा अधिकारी, कोई भी अपवाद नहीं होगा। और याद रखो, इस बार किसी पर भरोसा मत करना – यहां तक कि मुझ पर भी नहीं।”

देश का प्रधानमंत्री खुद अपने सबसे करीबी लोगों पर शक कर रहा था। और शक भी क्यों ना हो – अब मामला सिर्फ उसकी जान का नहीं, बल्कि पूरे देश की आत्मा का था।

अगले 72 घंटे प्रधानमंत्री कार्यालय के भीतर किसी अदृश्य तूफान की तरह गुजरे। फाइलें खंगाली गईं, कॉल रिकॉर्ड्स की जांच हुई, ईमेल्स पर नजर रखी गई। लेकिन सच जैसे धुंध की तरह और भी गहरा होता जा रहा था।

और तभी मोदी जी ने एक योजना बनाई। उन्होंने अनिल और अपने सबसे भरोसेमंद सुरक्षा अधिकारी राजीव – हां, वही राजीव जो उनकी परछाई की तरह पिछले 15 सालों से उनके साथ था – दोनों को एक गुप्त कमरे में बुलाया। वहां मोदी जी ने दोनों के सामने एक रिपोर्ट रखी।

रिपोर्ट में लिखा था कि प्रधानमंत्री अगले हफ्ते कश्मीर में एक बेहद गुप्त बैठक के लिए जाने वाले हैं। असलियत में ऐसी कोई मीटिंग थी ही नहीं – यह रिपोर्ट पूरी तरह नकली थी। लेकिन मोदी जी ने इसे ऐसे पेश किया जैसे यह बिल्कुल सच्ची और गुप्त हो। उन्होंने यह बात केवल अनिल और राजीव इन दो लोगों को बताई।

यह जाल था – एक ऐसा जाल जिसमें दुश्मन को खुद आकर फंसना था।

अगले ही दिन से खुफिया एजेंसियों ने हर फोन कॉल, हर ईमेल और हर छोटी से छोटी हलचल पर नजर रखना शुरू कर दिया। और फिर दो दिन बाद वो कॉल आ ही गया। दिल्ली से एक विदेशी नंबर पर कॉल किया गया, जिसमें कश्मीर वाली उस नकली मीटिंग की पूरी जानकारी दी गई थी। जब लोकेशन ट्रेस की गई तो सब हैरान रह गए – वह कॉल प्रधानमंत्री आवास के भीतर से ही किया गया था और उस समय उस कमरे में सिर्फ राजीव मौजूद था।

अनिल ने यह खबर मोदी जी को दी। उनके चेहरे पर कोई हैरानी नहीं थी। शायद वह कहीं ना कहीं इसके लिए तैयार थे। लेकिन असली सवाल अब भी वही था – क्या राजीव वाकई गद्दार था? या कोई और उसे मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा था?

और तभी उसी रात आरव चुपचाप मोदी जी के कमरे में आया। उसकी गहरी आंखें अंधेरे में भी चमक रही थीं। उसने धीरे से कहा, “अगर आपने इस शख्स को पहचानने में देर की तो हमला आपकी आंखों के सामने होगा। और आप कुछ नहीं कर पाएंगे।”

मोदी जी की धड़कनें और तेज हो गईं। अब उनके पास वक्त बहुत कम था और शक बढ़ता ही जा रहा था।

अब खेल अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुका था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जानते थे कि सच सामने लाने के लिए उन्हें खुद मैदान में उतरना होगा। लेकिन यह लड़ाई सीधी नहीं थी – यह एक ऐसा जाल था जिसमें दुश्मन को खुद अपनी चाल चलनी थी।

रात का समय था। प्रधानमंत्री आवास का गुप्त कमरा। वहां मोदी जी, अनिल और राजीव मौजूद थे। मोदी जी ने दोनों के सामने बैठकर कहा, “कल मैं एक सार्वजनिक कार्यक्रम में जा रहा हूं। भीड़ होगी, मंच होगा और वहां हमलावर को जरूर मौका मिलेगा।”

देश का प्रधानमंत्री खुद को दांव पर लगाने जा रहा था। सिर्फ इसलिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

अनिल ने घबराकर कहा, “सर, यह बहुत खतरनाक है।”

लेकिन मोदी जी का स्वर दृढ़ था, “देश की सच्चाई जानने के लिए कभी-कभी जान भी दांव पर लगानी पड़ती है।”

अगले दिन मंच पर मोदी जी खड़े थे। चारों तरफ लोगों की भीड़, तालियों की गड़गड़ाहट, कैमरों की फ्लैश। लेकिन उनकी आंखें सिर्फ अपने सुरक्षा दल की हरकतें देख रही थीं। कान में वॉकी टॉकी की आवाज गूंज रही थी – “सर, सावधान रहिए, कुछ गड़बड़ है।”

और तभी भीड़ के बीच से एक हल्की सी चमक दिखी – एक साइलेंसर लगी पिस्तौल उठी और अगले ही पल गोली चल पड़ी।

वो पल जैसे थम गया। गोली सीधी मोदी जी की तरफ बढ़ रही थी, लेकिन उसी पल राजीव ने छलांग लगाई और मोदी जी को जोर से धक्का देकर गिरा दिया। गोली उसके कंधे को चीरती हुई निकल गई।

भीड़ में भगदड़ मच गई। सुरक्षा बल हरकत में आ गए और हमलावर को मौके पर ही पकड़ लिया गया। जब उससे पूछताछ हुई तो सच्चाई किसी फिल्म के क्लाइमेक्स जैसी निकली। असल गद्दार कोई और था, जिसने राजीव को फंसाने के लिए नकली सबूत छोड़े थे।

राजीव, जिसे मोदी जी ने शक की निगाह से देखा था, वही आज अपनी जान पर खेलकर उनकी रक्षा कर रहा था।

मोदी जी ने घायल राजीव का हाथ थाम लिया। आंखों में पश्चाताप और भावनाएं उमड़ आईं। उन्होंने कांपती आवाज में कहा, “मुझे माफ कर दो दोस्त। मैं तुम पर शक कर बैठा था।”

राजीव ने हल्की मुस्कान दी और बोला, “सर, आपका बचना ही मेरी सबसे बड़ी जीत है।”

उसी वक्त आरव चुपचाप मंच के पास आया। उसकी आंखों में संतोष था, जैसे उसने अपना अधूरा काम पूरा कर लिया हो। वह मोदी जी के पास खड़ा होकर धीरे से बोला, “मैंने आपको बचा दिया। अब मैं जा सकता हूं।”

मोदी जी चौके, “कहां जाओगे बेटा?”

आरव ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “वही जहां से मैं आया था।”

अगले ही दिन आरव और उसका परिवार दिल्ली से गायब हो गया। ना कोई पता, ना कोई निशान। बस पीछे छोड़ गया तो केवल एक रहस्य और एक गहरी सीख।

मोदी जी उस घटना को कभी नहीं भूल पाए। उन्होंने समझ लिया कि जिंदगी में सबसे बड़ा हथियार भरोसा है और सबसे बड़ा खतरा है बेवजह का शक। कभी-कभी जिस इंसान को हम अपना दुश्मन मानते हैं, वही हमारी ढाल बनकर खड़ा हो जाता है।

और आरव – वो रहस्यमय बच्चा अपने पीछे यह सबक छोड़ गया कि सही वक्त पर लिया गया सही फैसला ना सिर्फ जिंदगी बल्कि पूरे देश को बचा सकता है।

सीख:
रिश्तों में शक और भरोसे की जंग सबसे खतरनाक होती है।
कभी-कभी किस्मत हमें चेतावनी देती है, बस पहचानना हमारा काम है।
भरोसा, समझदारी और सही निर्णय – यही असली नेतृत्व है।

आपका क्या मानना है? क्या पिछले जन्म की बातें सच हो सकती हैं? क्या किस्मत हमें सच में संकेत देती है? अपनी राय जरूर बताइए। जय हिंद!