5 साल के बच्चे ने कहा – मेरे पापा बेकसूर हैं! और जो सबूत दिखाया… जज के होश उड़ गए

“सच का रोबोट”

गर्मियों की दोपहर थी। कोर्ट रूम में एक हाई-प्रोफाइल मर्डर केस की सुनवाई चल रही थी। जज विनोद शर्मा ने जैसे ही सजा सुनाने के लिए हथौड़ा उठाया, तभी एक मासूम और दर्द भरी आवाज गूंजी—

“जज साहब, रुकिए…रुकिए!”

सिर्फ 5 साल का छोटा बच्चा, जिसकी आंखों में आंसू और आवाज में दर्द था, जज की मेज के पास आकर खड़ा हो गया। उसके छोटे हाथों में एक पुराना खिलौना—एक टूटा हुआ रोबोट था, जिस पर खून के धब्बे थे। कोर्ट में मौजूद लोग हंसने लगे, “अरे यार, बच्चा है! क्या समझेगा न्याय के बारे में?” एक वकील बोला, “पापा को बचाने आया है छोटा वकील!” लेकिन जब बच्चे ने अपना खिलौना हवा में लहराया, तो जज के होश उड़ गए। वह रोबोट…वह तो नहीं…यह कैसे संभव है?

25 साल की ज्यूडिशियल सर्विस में जज साहब ने हजारों केस देखे थे, लेकिन आज जो देख रहे थे, वह उनकी सारी समझ को हिला देने वाला था।

“मेरे पापा बेकसूर हैं। उन्होंने कुछ नहीं किया है। प्लीज उन्हें छोड़ दीजिए।” बच्चा रोते हुए बोला। आरोपी विकास गुप्ता को बिजनेस टायकून राजेश मल्होत्रा की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई जा रही थी। सबूत इतने मजबूत थे कि डिफेंस लॉयर भी हार मान चुका था—विकास के फिंगरप्रिंट मर्डर वेपन पर थे, सीसीटीवी फुटेज में विकास को मल्होत्रा के घर जाते देखा गया था, मृतक के नाखूनों के नीचे से विकास की स्किन मिली थी और सबसे बड़ा सबूत था विकास का डीएनए मर्डर सीन पर।

लेकिन अब यह छोटा सा बच्चा अपने हाथ में एक ऐसा सबूत लेकर आया था, जो पूरे केस को उल्टा कर सकता था।

“ऑर्डर! ऑर्डर!” जज ने हैमर मारते हुए कहा। सिक्योरिटी इस बच्चे को यहां से… लेकिन बच्चे ने जो कहा, वह सुनकर जज का वाक्य अधूरा रह गया।

“जज साहब, यह रोबोट अंकल मल्होत्रा का है। उन्होंने मुझे दिया था। देखिए इसमें कैमरा भी है।” बच्चे ने रोबोट आगे बढ़ाया।

पूरा कोर्ट रूम सन्नाटे में था। जज विनोद शर्मा की सांसें तेज हो गईं। यदि यह सच है, तो…यदि इस रोबोट में कैमरा है और मर्डर के टाइम की रिकॉर्डिंग है, तो कांस्टेबल, इस एविडेंस को फॉरेंसिक लैब भेजो!

जज का आदेश सुनकर प्रोसीक्यूशन लॉयर परेशान हो गया। “माय लॉर्ड, यह तो एक बच्चे का खेल है। इसका कोई लीगल वैल्यू नहीं है।”
“ऑब्जेक्शन ओवररूल्ड!” जज ने सख्ती से कहा। कोर्ट की सुनवाई आज के लिए स्थगित कर दी गई। विकास गुप्ता को वापस जेल भेजा गया।

विकास गुप्ता, जो अभी तक सिर झुकाए खड़ा था, अचानक अपने बेटे को देखकर रो पड़ा। “अर्जुन, तूने यह कहां से लाया?”
“पापा, अंकल मल्होत्रा ने दिया था। जब आप हॉस्पिटल में थे। उन्होंने कहा था यह स्पेशल कैमरा वाला रोबोट है।” अर्जुन ने मासूमियत से कहा।

विकास के वकील रमेश खन्ना का चेहरा पीला पड़ गया। 6 महीने से चले इस केस में यह पहली बार था जब कोई ऐसी चीज सामने आई थी, जो विकास के पक्ष में हो सकती थी।

कोर्ट से बाहर निकलते समय अर्जुन ने अपनी मां सुनीता से पूछा, “मम्मा, पापा घर कब आएंगे?” सुनीता की आंखों से आंसू बह रहे थे। पिछले 6 महीने से वह हर रोज कोर्ट आती थी, हर रोज उम्मीद लेकर, हर रोज निराशा लेकर लौटती थी। आज पहली बार लगा कि शायद कुछ बदल सकता है।

“अर्जुन, तुमने यह रोबोट कब से छुपा कर रखा था?”
“मैंने नहीं छुपाया था मम्मा। यह मेरे टॉय बॉक्स में था। आज स्कूल से आकर खेल रहा था तो इसमें रेड लाइट दिखी। फिर मुझे याद आया कि अंकल मल्होत्रा ने कहा था कि अगर कभी रेड लाइट दिखे तो जज साहब को दे देना।”

सुनीता की रोंगटे खड़े हो गए। क्या राजेश मल्होत्रा को पता था कि उसकी हत्या होने वाली है? क्या यह रोबोट विशेष रूप से रिकॉर्डिंग के लिए डिजाइन किया गया था? और सबसे बड़ा सवाल—अगर इस रोबोट में मर्डर की रिकॉर्डिंग है, तो क्या विकास सच में बेकसूर है?

फॉरेंसिक लैब में…

डीसीपी सिन्हा और फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. मेहरा रोबोट को एग्जामिन कर रहे थे।
“इसमें हाई डेफिनेशन कैमरा है और मेमोरी कार्ड भी है। लेकिन…”
“क्या?”
“यह रोबोट प्रोफेशनली मॉडिफाइड है। इसमें मोशन सेंसर भी है। यानी जब भी कोई मूवमेंट होती है, यह ऑटोमेटिकली रिकॉर्डिंग शुरू कर देता है।”
“तो मतलब…हत्या के समय यह रिकॉर्डिंग कर रहा होगा?”
“बिल्कुल। लेकिन एक समस्या है—इसकी मेमोरी करप्ट हो गई है। डाटा रिकवर करना होगा।”

डॉक्टर मेहरा ने कंप्यूटर स्क्रीन पर करप्टेड फाइल्स दिखाई। डीसीपी सिन्हा का दिमाग तेजी से काम कर रहा था। अगर यह रिकॉर्डिंग ठीक हो जाए, तो एक इनोसेंट आदमी की जान बच सकती है। लेकिन अगर रिकॉर्डिंग में विकास का गिल्ट प्रूव हो जाए, तो एक बच्चे के सपने टूट जाएंगे।

अगली सुबह कोर्ट में…

डॉक्टर मेहरा अपनी रिपोर्ट लेकर आया। सबके चेहरे तनाव से भरे थे।
“डॉक्टर मेहरा, आप अपनी फाइंडिंग्स प्रेजेंट कर सकते हैं।”
“माय लॉर्ड, हमें रोबोट के मेमोरी कार्ड से पार्शियल डाटा रिकवर करने में सफलता मिली है। हमें 20 मिनट की रिकॉर्डिंग मिली है—मर्डर के एग्जैक्ट टाइम की।”

पूरे कोर्ट रूम में पिन ड्रॉप साइलेंस था। प्रोसीक्यूशन लॉयर नर्वसली अपनी फाइल्स शफल कर रहा था। डिफेंस लॉयर की सांसे तेज हो रही थी। विकास गुप्ता अपने हाथों को कसकर पकड़े बैठा था।

“रिकॉर्डिंग प्ले करें।”
जज का आदेश सुनकर डॉक्टर मेहरा ने प्रोजेक्टर ऑन किया।

स्क्रीन पर राजेश मल्होत्रा का ड्राइंग रूम दिखाई दिया। समय था रात के 11:47।
रिकॉर्डिंग में साफ दिखाई दे रहा था कि कोई व्यक्ति घर में घुसा है, लेकिन वह ब्लैक मास्क पहने हुए था। उसके हाथ में नाइफ था। अचानक राजेश मल्होत्रा दिखाई दिया।
“कौन है तू? तुझे किसने भेजा है?”
मल्होत्रा घबरा कर बोला।
ब्लैक मास्क वाले ने कुछ जवाब नहीं दिया और नाइफ से अटैक कर दिया। मल्होत्रा ने बचने की कोशिश की, लेकिन किलर बहुत तेज था। फाइट के दौरान किलर का मास्क हल्का सा हट गया। कैमरा एंगल से क्लियरली दिखाई नहीं दे रहा था कि वह कौन है। लेकिन जो दिखा, वो देखकर सबके होश उड़ गए।

रिकॉर्डिंग में जो दिखा, उसे देखकर पूरे कोर्ट रूम में सिर्फ सन्नाटा था। ब्लैक मास्क वाले किलर के हाथ पर एक डिस्टिंक्टिव टैटू था—एक ड्रैगन का, जो सिर्फ विकास गुप्ता के हाथ पर था।

प्रोसीक्यूशन लॉयर मुस्कुराने लगा, “माय लॉर्ड, यह क्लियर एविडेंस है कि अक्यूज़्ड विकास गुप्ता ही मर्डरर है। ड्रैगन टैटू क्लियरली विज़िबल है।”

लेकिन डिफेंस लॉयर रमेश खन्ना खड़ा हुआ, “माय लॉर्ड, परमिशन टू क्रॉस एग्जामिन द एविडेंस। मुझे कुछ सस्पिशियस लग रहा है।”

जज ने परमिशन दे दी।

“डॉक्टर मेहरा, क्या आपने इस रिकॉर्डिंग की ऑथेंटिसिटी वेरीफाई की है?”
“जी हां सर। यह जेन्युइन रिकॉर्डिंग है। टाइम स्टैंप भी मैच कर रहा है।”

लेकिन तभी 5 साल के अर्जुन ने फिर आवाज लगाई, “अंकल जी झूठ बोल रहे हैं!”

पूरा कोर्ट हैरान हो गया। एक छोटा सा बच्चा फॉरेंसिक एक्सपर्ट को झूठा कह रहा था।

“ऑर्डर! ऑर्डर!” जज ने हैमर मारा।
“बच्चा, तुम क्या कह रहे हो?”
“जज साहब, मेरे पापा के हाथ पर ड्रैगन टैटू नहीं है। उनके हाथ पर तो बटरफ्लाई का टैटू है। मैंने खुद देखा है।”

अर्जुन की बात सुनकर सबके होश उड़ गए। विकास गुप्ता ने तुरंत अपनी स्लीव ऊपर की। उसके हाथ पर बटरफ्लाई का टैटू था, ड्रैगन का नहीं।

कोर्ट में हड़कंप मच गया। प्रोसीक्यूशन लॉयर का चेहरा पीला पड़ गया। डॉक्टर मेहरा पसीना पोंछने लगा।
“यह कैसे हो सकता है? रिकॉर्डिंग में क्लियरली ड्रैगन टैटू दिख रहा था।”

जज विनोद शर्मा कंफ्यूज्ड था। तभी अर्जुन ने एक और बम फोड़ा—
“जज साहब, मेरे पास एक और सीक्रेट है।”
वो अपने स्कूल बैग से एक डायरी निकालकर लाया।
“यह अंकल मल्होत्रा की डायरी है। उन्होंने मुझे दी थी और कहा था कि अगर उन्हें कुछ हो जाए तो जज साहब को दे देना।”

जज ने डायरी ली और पढ़ना शुरू किया। जैसे-जैसे वह पेजेस टर्न कर रहे थे, उनका चेहरा गंभीर होता जा रहा था। डायरी में लिखा था कि राजेश मल्होत्रा को किसी की तरफ से डेथ थ्रेट्स आ रहे थे। उसे डर था कि कोई उसे फ्रेम करने की कोशिश कर रहा है। सबसे शॉकिंग बात यह थी कि डायरी के लास्ट पेज पर लिखा था—अगर मुझे कुछ होता है तो विकास बेकसूर है। मर्डरर कोई और है, जो मुझे बिजनेस डील के चक्कर में फंसाना चाहता है।

जज ने डॉक्टर मेहरा को आदेश दिया कि रिकॉर्डिंग को दोबारा एनालाइज करें—इस बार माइक्रोस्कोपिक लेवल पर।

2 घंटे बाद…

डॉक्टर मेहरा वापस आया, लेकिन उसका चेहरा परेशान था।
“माय लॉर्ड, मुझे बहुत शर्म के साथ एडमिट करना पड़ रहा है कि यह रिकॉर्डिंग डिजिटली मैनिपुलेटेड है। ड्रैगन टैटू आर्टिफिशियली ऐड किया गया है। ओरिजिनल में बटरफ्लाई टैटू था, जिसे चेंज कर दिया गया है।”

यह सुनकर पूरे कोर्ट रूम में जोर की आवाजें आने लगीं।
“ऑर्डर! ऑर्डर!” जज चिल्लाया।
“डॉक्टर मेहरा, आपको यह पहले क्यों नहीं पता चला?”
“माय लॉर्ड, मैनिपुलेशन इतनी प्रोफेशनली की गई थी कि पहली बार में डिटेक्ट नहीं हो सकी। लेकिन जब हमने टैटू को स्पेसिफिकली एनालाइज किया तो पता चला।”

अब सवाल था—रिकॉर्डिंग को मैनिपुलेट किसने किया था?

जज ने तुरंत सीबीआई इन्वेस्टिगेशन का आदेश दिया, “इस केस में कुछ तो गड़बड़ है। मैं सीबीआई को आदेश देता हूं कि वे इस मैटर की जांच करें।”

लेकिन तभी प्रोसीक्यूशन लॉयर एडवोकेट शर्मा खड़ा हुआ, “माय लॉर्ड, मुझे लगता है हमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। हो सकता है यह सब प्लांड हो।”

डिफेंस लॉयर रमेश गुस्सा हुआ, “आप क्या कह रहे हैं? एक 5 साल का बच्चा प्लानिंग कर सकता है?”
“हो सकता है कोई उसे सिखाया हो।” शर्मा ने जवाब दिया।

यह सुनकर विकास गुप्ता बहुत गुस्सा हुआ, “आप मेरे बेटे पर आरोप लगा रहे हैं? वह सिर्फ 5 साल का है!”

जज ने दोनों को शांत होने को कहा। तभी कोर्ट के बाहर से कुछ आवाजें आईं। सिक्योरिटी गार्ड अंदर आकर बोला, “सर, कोई व्यक्ति कोर्ट बिल्डिंग से भागने की कोशिश कर रहा है। पुलिस ने उसे कैच किया है।”

जज ने आदेश दिया कि उस व्यक्ति को कोर्ट में लाया जाए।

10 मिनट बाद पुलिस एक आदमी को लेकर आई, जो बहुत घबराया हुआ था। वह कोई और नहीं, बल्कि फॉरेंसिक लैब का टेक्निकल असिस्टेंट रामू था।

“रामू, तुम यहां से क्यों भाग रहे थे?”
“सर, मैंने कुछ नहीं किया है। मुझे डर लग रहा था।”
“किस बात का डर?”
“साहब, मुझे पैसे दिए गए थे रिकॉर्डिंग में चेंजेस करने के लिए।”

रामू का कंफेशन सुनकर सबके होश उड़ गए।

“किसने पैसे दिए थे?”
रामू की आंखें कोर्ट रूम में सबको देख रही थीं।
“सर, वह…वह यहीं कोर्ट में बैठा है।”
रामू ने अपनी उंगली से प्रोसीक्यूशन लॉयर एडवोकेट शर्मा की तरफ इशारा किया।

पूरे कोर्ट रूम में जोर की आवाज आई। एडवोकेट शर्मा का चेहरा सफेद हो गया।
“यह झूठ है! मैंने कुछ नहीं किया है!”
लेकिन रामू ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला, “सर, मेरे पास इसकी वॉइस रिकॉर्डिंग है। इसने मुझसे कहा था कि बटरफ्लाई टैटू को ड्रैगन टैटू में चेंज कर दूं।”

जज ने वॉइस रिकॉर्डिंग सुनने का आदेश दिया। मोबाइल स्पीकर से एडवोकेट शर्मा की क्लियर आवाज आई—
“रामू, ₹100000 ले लो और टैटू चेंज कर दो। बटरफ्लाई को ड्रैगन बना दो। किसी को पता नहीं चलना चाहिए।”

यह सुनकर जज का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया—
“एडवोकेट शर्मा, आपने एविडेंस टैंपरिंग की है। यह कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट है!”

लेकिन शर्मा हार मानने को तैयार नहीं था, “माय लॉर्ड, यह सब प्लान है। मुझे फ्रेम किया जा रहा है।”

तभी सीबीआई ऑफिसर अर्जुन सिंह कोर्ट में आया, “माय लॉर्ड, हमने एडवोकेट शर्मा के बैंक अकाउंट चेक किए हैं। उसे मर्डर से दो दिन पहले ₹1 लाख ट्रांसफर हुए हैं। सेंडर का नाम राजेश मल्होत्रा के बिजनेस राइवल कंपनी का है।”

अब सारी कहानी साफ हो रही थी।
राजेश मल्होत्रा का बिजनेस राइवल कंपनी उसे हटाना चाहती थी। उन्होंने एडवोकेट शर्मा को हायर किया था। प्लान यह था कि मल्होत्रा की हत्या करके विकास को फ्रेम कर दिया जाए—क्योंकि विकास और मल्होत्रा के बीच प्रॉपर्टी डिस्प्यूट चल रहा था। एडवोकेट शर्मा ने प्रोफेशनल किलर हायर किया था। किलर ने अपने हाथ पर टेम्परेरी ड्रैगन टैटू बनवाया था। मर्डर के बाद रिकॉर्डिंग को मैनिपुलेट करके बटरफ्लाई को ड्रैगन में बदल दिया गया था।

लेकिन उन्हें नहीं पता था कि राजेश मल्होत्रा को इस प्लॉट के बारे में थोड़ा सा शक था। इसीलिए उसने रोबोट में हिडन कैमरा लगाकर रखा था और अपनी डायरी में ट्रुथ लिख दिया था।

एडवोकेट शर्मा को अब कुछ कहने को नहीं बचा था। जज ने तुरंत विकास गुप्ता को सभी चार्जेस से बरी कर दिया,
“विकास गुप्ता, आप फ्री हैं। कोर्ट आपसे माफी मांगता है।”

विकास की आंखों से खुशी के आंसू निकल रहे थे। वह दौड़कर अपने बेटे अर्जुन को गले लगाया,
“मेरा बेटा, तूने अपने पापा को बचा लिया।”

अर्जुन मुस्कुराकर बोला,
“पापा, मैंने तो बस सच बोला था। अंकल मल्होत्रा ने कहा था कि हमेशा सच बोलना चाहिए।”

एडवोकेट शर्मा को अरेस्ट कर लिया गया। उसके साथ-साथ रामू को भी एविडेंस टैंपरिंग के लिए अरेस्ट किया गया। सीबीआई ने बताया कि वे हायर्ड किलर को भी जल्द पकड़ लेंगे।

कोर्ट से बाहर निकलते समय मीडिया ने विकास से पूछा,
“सर, आपको कैसा लग रहा है?”
“सिर्फ यही कहूंगा कि ट्रुथ हमेशा जीतता है और मेरा बेटा मेरा हीरो है।”

छोटे अर्जुन को सब ने हीरो बोला, लेकिन वह अभी भी अपना टूटा हुआ रोबोट पकड़े हुए था।
“पापा, अब अंकल मल्होत्रा कहां है?” अर्जुन ने मासूमियत से पूछा।

विकास की आंखों में आंसू आ गए। उसने अर्जुन को गले लगाकर कहा,
“बेटा, अंकल मल्होत्रा अब भगवान के पास हैं। लेकिन उन्होंने तुझे जो सिखाया है, वह हमेशा याद रखना—हमेशा सच बोलना।”