IPS मैडम की भाभी सड़क पर जूते पॉलिश करती हुई मिली… फिर जो हुआ…..

ननद की जिद: आईपीएस अंशिका ने अपनी भाभी को फिर से परिवार से मिलाया
1. बाजार में एक दर्दनाक मुलाकात
एक सुबह, जिले की आईपीएस ऑफिसर अंशिका वर्मा अपने भाई अशोक के साथ बाजार जा रही थी। अचानक उसकी नजर सड़क के दूसरी तरफ बैठी एक महिला पर पड़ी, जो जूते पॉलिश कर रही थी। अंशिका को पहचानने में देर नहीं लगी—वो उसकी तलाकशुदा भाभी सरिता देवी थी।
“भैया, देखिए… यही मेरी भाभी हैं, है ना?”
अशोक घबरा गया, “नहीं बहन, तुम्हारी भाभी तो एक अच्छी खासी औरत थीं। ये तो मोची है, जूते पॉलिश कर रही है।”
अंशिका जिद पर अड़ गई, “मुझे पता है, आप झूठ बोल रहे हैं। यही मेरी भाभी हैं। प्लीज, इन्हें घर लेकर चलिए। देखिए इनकी हालत कितनी खराब है।”
सरिता की नजर भी अशोक पर पड़ी। उसने शर्म से सिर झुका लिया।
अशोक ने अंशिका को खींचते हुए वहां से ले जाना चाहा, “ये तुम्हारी भाभी नहीं है। तुझे गलतफहमी हो गई है। चल घर चल।”
लेकिन अंशिका ने हाथ छुड़ाते हुए कहा, “नहीं भैया, भाभी को घर लेकर चलो। भले ही आप दोनों का तलाक हो चुका है, लेकिन वो मेरी भाभी हैं। मैं उन्हें इस हालत में नहीं छोड़ सकती।”
अशोक गुस्से में चिल्लाया, “अगर तुम उसे घर लेकर आओगी तो मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगा। ज्यादा जिद मत कर।”
अंशिका मजबूरी में भाई के साथ घर लौट आई।
2. भाभी की हालत और अंशिका का दर्द
सरिता सब देख रही थी। उसके मन में यही ख्याल था, “मेरी ननद कितनी बड़ी हो गई है। काश वो मेरे पास होती तो शायद मेरी हालत ऐसी ना होती।”
वह सोचती रही, “गलती मेरी ही है, इसलिए आज मैं इस हाल में जी रही हूँ।”
घर जाकर अंशिका ने भाई से पूछा, “भैया, आप झूठ क्यों बोल रहे हैं? वही मेरी भाभी हैं। आप उन्हें घर क्यों नहीं लाना चाहते?”
अशोक चुप रहा, “बहन, ये बात इतनी गहरी है कि तुम्हें समझा नहीं सकता।”
अंशिका सोचने लगी, “आखिर इतनी बड़ी बात क्या हो गई कि भैया आज तक नहीं मान रहे हैं? क्या मेरी भाभी इतनी बुरी औरत थी?”
3. भाभी से मुलाकात और सच्चाई की तलाश
दूसरे दिन अंशिका चुपके से सरिता से मिलने बाजार चली गई।
वह पास जाकर बोली, “आपका नाम क्या है?”
सरिता बोली, “मेरा नाम सरिता है।”
“आप रहती कहां हैं?”
“मेरा कोई घर नहीं है। मैं यहीं सड़क पर रहती हूँ। मेरा कोई नहीं है।”
अंशिका की आंखों में आंसू आ गए। “आप मुझे पहचानती हैं?”
सरिता ने सिर झुकाते हुए कहा, “नहीं, मैं आपको नहीं जानती।”
अंशिका बोली, “मैं अंशिका हूँ, आपकी ननद। मुझे पता है कि आप मेरी भाभी हैं।”
सरिता बोली, “नहीं बेटी, मैंने तुम्हें कहीं नहीं देखा।”
अंशिका समझ गई कि भाभी सब छुपा रही हैं।
वह बोली, “आप मेरी भाभी हैं और मैं आपको फिर से घर लेकर जाऊंगी।”
4. तलाक की वजह जानने की कोशिश
अंशिका ने भाई से पूछा, “भैया, आपके कोई दोस्त या सहेली हैं?”
अशोक ने बताया, “हां, मेरे दोस्त और सहेलियां हैं।”
अगले दिन अशोक की सहेली ललिता घर आई।
अंशिका ने उसका नंबर लिया और बाद में उससे मिलने गई।
ललिता से अंशिका ने पूछा, “आंटी, मेरे भैया और भाभी का तलाक क्यों हुआ? भाभी की हालत इतनी खराब क्यों हो गई?”
ललिता ने सच्चाई बताई—
“शादी के बाद सब ठीक था। फिर तुम्हारी भाभी का अफेयर कंपनी के एक लड़के से हो गया। दो साल तक वो रिश्ता चला। उस लड़के ने भाभी के पैसे और संपत्ति ले ली। तुम्हारे भैया को कुछ पता नहीं था। जब तुम्हारी उम्र चार साल थी, तब सच्चाई सामने आई। फिर दोनों के बीच नफरत बढ़ गई और तलाक हो गया। भाभी की हालत उनके अपने कर्मों की वजह से है।”
अंशिका रो पड़ी, “आंटी, मुझे अपनी भाभी को घर लाना है। क्या आप मेरी मदद करेंगी?”
ललिता बोली, “हां, मैं कोशिश करूंगी, लेकिन तुम्हारे भैया बहुत नाराज हैं।”
5. भाभी को घर लाने की जिद
अंशिका और ललिता बाजार गईं।
ललिता बोली, “सरिता जी, अपनी ननद के लिए तो आप घर जा सकती हैं। देखिए, आपकी ननद आपसे मिलने के लिए तड़प रही है।”
अंशिका बोली, “भाभी, आपको घर जाना ही पड़ेगा। मैं आईपीएस हूं, मुझे यह शोभा नहीं देता कि मेरी भाभी सड़क पर जूते पॉलिश करे।”
सरिता बोली, “नहीं बेटी, मैं तुम्हारे घर नहीं जाऊंगी। वह मेरा घर नहीं है।”
अंशिका ने झूठ बोल दिया, “भैया ने आपको बुलाया है। सब राजी हैं। हम लोग फिर से नई जिंदगी शुरू करेंगे।”
सरिता मान गई और तीनों घर चले गए।
6. घर में टकराव और मिलन
घर पहुंचते ही अशोक ने गुस्से में पूछा, “ये कौन है बहन? किसे घर लेकर आ गई?”
सरिता वापस जाने लगी, लेकिन अंशिका ने रोक लिया, “भाभी, ये घर मेरा है। आप कहीं नहीं जाएंगी।”
ललिता ने समझाया, “अशोक, अपनी बहन की वजह से तुम लोग मिल सकते हो। तुम्हारी बहन के लिए उसकी भाभी बहुत जरूरी है।”
अंशिका रोते हुए बोली, “भैया, मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं। आप दोनों मिल जाइए। अगर आप दोनों मिल जाएंगे तो वही मेरी सबसे बड़ी खुशी होगी।”
अंशिका के आंसू देखकर सरिता की आंखों में भी नमी आ गई और अशोक भी रो पड़ा।
अशोक ने धीरे-धीरे सरिता का हाथ पकड़ लिया। दोनों गले लग गए।
7. ननद की हिम्मत और परिवार का मिलन
इस तरह आईपीएस अंशिका ने अपनी हिम्मत और समझदारी से अपने भैया-भाभी को फिर से एक साथ कर दिया।
उसने अपनी भाभी को वापस पा लिया और परिवार को जोड़ दिया।
सीख:
कभी-कभी रिश्तों की डोर टूट जाती है, लेकिन एक सच्चे दिल और मजबूत इरादे से उसे फिर से जोड़ा जा सकता है।
अंशिका की तरह अगर हर कोई अपने परिवार के लिए आगे बढ़े, तो हर टूटे हुए रिश्ते में फिर से खुशियां लौट सकती हैं।
समाप्त
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