जज को रेलवे स्टेशन पर झाड़ू लगाते मिला अपना खोया हुआ बेटा | दिल छू लेने वाली कहानी Emotional Story
.
.
“जज को रेलवे स्टेशन पर झाड़ू लगाते मिला अपना खोया हुआ बेटा”
कानपुर रेलवे स्टेशन की एक खास सुबह
कहते हैं कि कानून की आंखों पर काली पट्टी बंधी होती है ताकि वह भावनाओं के बजाय केवल तथ्यों और सबूतों के आधार पर न्याय कर सके। लेकिन कभी-कभी किस्मत और वक्त इंसान को ऐसी स्थिति में डाल देते हैं, जहां उसके सामने सच किसी तूफान की तरह आ खड़ा होता है।
यह कहानी है कानपुर के जिला सत्र न्यायालय के सबसे सख्त और उसूलों के पक्के माने जाने वाले जज हरिशंकर देशमुख की। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिनकी कलम से कई अपराधियों की किस्मत का फैसला होता था। लेकिन वह खुद अपनी तकदीर के आगे हार चुके थे।
उस दिन कानपुर रेलवे स्टेशन पर कुछ ऐसा हुआ, जिसने न केवल हरिशंकर की जिंदगी बदल दी, बल्कि उनके दिल में दबी एक पुरानी टीस को हमेशा के लिए खत्म कर दिया।
सात साल पुराना दर्द
हरिशंकर देशमुख एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनका जीवन अनुशासन और कठोरता का प्रतीक था। लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा खालीपन था, जो उनकी आंखों की थकान और चेहरे की उदासी में झलकता था। सात साल पहले, एक मेले में उनका पांच साल का बेटा अनंत उनसे बिछड़ गया था।
उन्होंने उसे ढूंढने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पुलिस, पैसा, रसूख—हर संभव कोशिश की। लेकिन अनंत का कोई पता नहीं चला। उस हादसे के बाद, हरिशंकर ने खुद को एक पत्थर की तरह बना लिया। उन्होंने अपने दिल के दर्द को अपने काम की कठोरता में छुपा दिया। लेकिन एक पिता का दिल कभी हार नहीं मानता। हर बच्चे में वह आज भी अपने अनंत की झलक ढूंढते थे।
प्लेटफॉर्म नंबर चार पर एक अजनबी लड़का
उस दिन लखनऊ हाई कोर्ट में एक जरूरी सुनवाई के लिए जाते समय उनकी सरकारी गाड़ी बीच रास्ते में खराब हो गई। मजबूरन उन्हें ट्रेन पकड़नी पड़ी।
कानपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर चार पर यात्रियों की भीड़, चाय वालों की आवाजें, और ट्रेन की सीटी का शोर गूंज रहा था। हरिशंकर अपने काले कोट को हाथ में थामे, सफेद शर्ट और काली पतलून में पसीने से तर-बतर एक बेंच पर बैठे थे।
तभी उनकी नजर पटरियों के पास झाड़ू लगाते एक दुबले-पतले लड़के पर पड़ी। वह 11-12 साल का होगा। उसका शरीर इतना कमजोर था कि उसकी पसलियां गिनी जा सकती थीं। चेहरे पर धूल और कालिख थी, और बदन पर फटे पुराने कपड़े थे।
हरिशंकर ने उसे नजरअंदाज करने की कोशिश की। उन्होंने सोचा, यह तो रोज का नजारा है। भारत के हर स्टेशन पर ऐसे बच्चे मिलते हैं। लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ, जिसने उनका ध्यान खींच लिया।
एक पिता की पहचान
स्टेशन का सफाई ठेकेदार वहां आया और लड़के को जोर से डांटने लगा। “अबे ओए, जल्दी हाथ चला! गाड़ी आने वाली है। अगर साहब लोगों के आने से पहले सफाई नहीं हुई, तो आज का खाना नहीं मिलेगा तुझे!”
इतना कहते हुए ठेकेदार ने लड़के के सिर पर थप्पड़ मार दिया। लड़का रोया नहीं। उसने अपनी मैली-कुचैली आस्तीन से अपना माथा पोंछा और फिर से काम में जुट गया।
हरिशंकर की नजर लड़के के माथा पोंछने के तरीके पर अटक गई। वह अपनी कलाई को उल्टा करके पसीना पोंछ रहा था, ठीक वैसे ही जैसे उनकी पत्नी सुमित्रा तनाव में होने पर करती थीं।
एक अजीब सी बिजली हरिशंकर के शरीर में दौड़ गई। वह अपनी जगह से उठे और उस लड़के की ओर बढ़े। उनका दिमाग कह रहा था कि यह महज एक संयोग है। लेकिन उनका पिता वाला दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
पहचान का निशान
जैसे ही हरिशंकर उस लड़के के करीब पहुंचे, लड़का डर के मारे पीछे हट गया। उसने हाथ जोड़कर कहा, “साहब, माफ कर दो। मैं अभी साफ कर देता हूं। मुझे पुलिस के पास मत ले जाना। ठेकेदार मुझे बहुत मारेगा।”
जब उसने हाथ जोड़े, तो हरिशंकर की नजर उसकी कलाई पर गई। वहां एक काला धागा बंधा हुआ था और उसके नीचे एक गहरा जले का निशान था।
हरिशंकर का दिल धक से रह गया। यह वही निशान था, जो अनंत को बचपन में दिवाली के दिए से जलने पर मिला था।
“यह तो मेरा अनंत है!” हरिशंकर के कदम प्लेटफॉर्म पर जम गए। उनकी आंखों से आंसू बहने लगे।

पिता और बेटे का सामना
हरिशंकर ने लड़के का हाथ पकड़ा। उनकी पकड़ में एक पिता की ममता और दर्द था। लेकिन लड़का डर के मारे कांपने लगा।
“साहब, मैंने कुछ नहीं किया। मुझे माफ कर दो।”
हरिशंकर ने कहा, “बेटा, मेरा नाम हरिशंकर है। मैं तुम्हारा बाबा हूं। याद करो, वो झूला, वो खिलौने। मैं तुम्हें घर ले जाने आया हूं।”
लड़के ने सहमते हुए कहा, “मेरा कोई बाप नहीं है। मैं तो अनाथ हूं।”
हरिशंकर का दिल टूट गया। सात साल की प्रताड़ना ने अनंत के मन से हर उम्मीद छीन ली थी।
गजराज का पर्दाफाश
तभी ठेकेदार गजराज वहां आ गया। उसने लड़के को हरिशंकर से छुड़ाया और कहा, “यह लड़का मेरा है। मैंने इसे पाला है। आप इसे मुझसे नहीं ले जा सकते।”
गजराज ने भीड़ को अपनी ओर करने की कोशिश की। उसने कहा, “ये बड़े लोग गरीबों को सताते हैं। यह लड़का मेरे साथ पांच साल से है। मैंने इसे भूख से बचाया।”
भीड़ ने गजराज का साथ देना शुरू कर दिया।
लेकिन हरिशंकर ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी पहचान बताई और पुलिस को बुलाया।
न्याय की गूंज
पुलिस ने गजराज और उसके गुंडों को गिरफ्तार कर लिया। हरिशंकर ने अनंत और उसकी छोटी बहन मुन्नी को बचा लिया।
उन्होंने इंस्पेक्टर यादव को आदेश दिया कि वह गोदाम में बंद सभी बच्चों को रेस्क्यू करें।
घर की खुशियां लौट आईं
कुछ महीनों बाद, हरिशंकर का घर फिर से बच्चों की हंसी से गूंजने लगा। अनंत और मुन्नी ने एक नई जिंदगी शुरू की।
अनंत अब अच्छे कपड़े पहनता था, स्कूल जाता था, और अपने पिता जैसा जज बनने का सपना देखता था।
मुन्नी को कानूनी तौर पर गोद ले लिया गया। वह अब परिवार की जान बन चुकी थी।
एक नई सुबह
उस दिन जब पूरा परिवार नाश्ते की मेज पर बैठा, अनंत ने अपनी थाली से एक रोटी अलग रख दी।
“यह क्या कर रहे हो, बेटा?” सुमित्रा ने पूछा।
अनंत ने मासूमियत से कहा, “मां, मैं अब कभी खाना बर्बाद नहीं करूंगा। और जब बड़ा हो जाऊंगा, तो पापा जैसा जज बनूंगा, ताकि कोई और बच्चा इस तरह खो न जाए।”
हरिशंकर की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने महसूस किया कि उनका बेटा सिर्फ उनका बेटा नहीं था। वह एक ऐसा इंसान बन रहा था, जिसकी इस दुनिया को सख्त जरूरत थी।
न्याय की देवी की पट्टी हट गई
कहते हैं कि न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है। लेकिन उस दिन, कानपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर चार पर, एक पिता की खुली आंखों ने जो न्याय किया, उसकी गूंज अब हमेशा के लिए उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी थी।
“सच कभी छुपता नहीं। वक्त आने पर वह सामने आ ही जाता है।”
.
News
2000’de jandarma konvoyu kayboldu — 14 yıl sonra DRONE’un kaydettiği SIR herkesi dondurdu!
2000’de jandarma konvoyu kayboldu — 14 yıl sonra DRONE’un kaydettiği SIR herkesi dondurdu! . . “2000’de Kaybolan Jandarma Konvoyu: 14…
İşsiz adam Ferrari’yi görmek için atölyeye girdi… Ve tesadüfen sahibinin arabasını tamir etti.
İşsiz adam Ferrari’yi görmek için atölyeye girdi… Ve tesadüfen sahibinin arabasını tamir etti. . . İşsiz Adam Ferrari’yi Görmek İçin…
Alman Genera.. Atatürk’ün ‘DELİCE’ Gece Manevrasını Hafife Aldı — Sabah Olduğunda Tüm Planları Çöktü
Alman Genera.. Atatürk’ün ‘DELİCE’ Gece Manevrasını Hafife Aldı — Sabah Olduğunda Tüm Planları Çöktü . . “Atatürk’ün Delice Gece Manevrası:…
İki savaş pilotu 1987’te kayboldu — 31 yıl sonra radar verileri gerçeği gösterdi…
İki savaş pilotu 1987’te kayboldu — 31 yıl sonra radar verileri gerçeği gösterdi… . “1987’de Kaybolan İki Savaş Pilotu: 31…
O Yarbay, Kadın Generali Aşağıladı – Herkesin Önünde Yediği O Tokatla Gelen İtiraf
O Yarbay, Kadın Generali Aşağıladı – Herkesin Önünde Yediği O Tokatla Gelen İtiraf . . “Kadından Paşa Olur mu?” –…
Derin Denizde MiG-17 Restorasyonu — Midye Kabuklarıyla Kaplı Bir Enkazı Yüksek Teknolojili Bir Savaş Uçağına Dönüştürmek!”
Derin Denizde MiG-17 Restorasyonu — Midye Kabuklarıyla Kaplı Bir Enkazı Yüksek Teknolojili Bir Savaş Uçağına Dönüştürmek!” . . Derin Denizde…
End of content
No more pages to load






