सड़क पर पड़ा हुआ मिला पति,उसकी तलाकशुदा पत्नी ने बचाई जान.. फिर जो हुआ |

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एक नई शुरुआत

भाग 1: अतीत की छाया

दिल्ली के राजौरी गार्डन में सरिता शर्मा अपने कंप्यूटर इंस्टिट्यूट की मालकिन थी। 35 साल की उम्र में, उसने अपने दम पर एक सफल बिजनेस खड़ा किया था। वह पहले एक घरेलू महिला थी, लेकिन जब उसके पति विकास ने उसे छोड़ दिया, तो उसने अपने पैरों पर खड़े होने का फैसला किया। सरिता ने न केवल अपने लिए एक नई जिंदगी बनाई, बल्कि 50 से ज्यादा बच्चों को कंप्यूटर सिखाने का काम भी किया। उसकी मेहनत का फल था कि आज उसका इंस्टिट्यूट पूरे इलाके में मशहूर था।

एक दिन, बारिश के मौसम में, जब सरिता अपने स्टूडेंट्स के रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही थी, अचानक बाहर से तेज आवाज आई। “मैडम, जल्दी आइए! कोई एक्सीडेंट हो गया है!” सरिता ने तुरंत बाहर भागकर देखा। सड़क पर एक आदमी बेहोश पड़ा था, और उसके सिर से खून बह रहा था। जैसे ही सरिता ने उस आदमी का चेहरा देखा, उसकी सांसें रुक गईं। वह विकास था, उसका तलाकशुदा पति।

भाग 2: भावनाओं का तूफान

सरिता के मन में अतीत की यादें ताजा हो गईं। विकास का चेहरा, उसकी बातें, और वह समय जब वे खुश थे, सब उसकी आंखों के सामने घूमने लगे। लेकिन वह जानती थी कि अब भावनाओं का नहीं, बल्कि फैसले का समय है। उसने तुरंत एंबुलेंस बुलाने के लिए फोन किया और विकास की मदद करने का फैसला किया। भीड़ में से कोई भी आगे नहीं आ रहा था, और सरिता ने अपनी दुकान से तौलिया लाकर विकास के सिर पर पट्टी बांधने की कोशिश की।

जब एंबुलेंस आई, तो सरिता ने विकास को अस्पताल ले जाने में मदद की। अस्पताल में डॉक्टर ने बताया कि विकास के सिर में चोट आई है, लेकिन उसकी जान को खतरा नहीं है। सरिता ने सोचा कि वह सिर्फ यह सुनकर चली जाएगी कि विकास ठीक है, लेकिन कुछ ऐसा था जो उसे वही रोक रहा था। शायद उस औरत के अंदर अभी भी भावनाएं छिपी हुई थीं।

भाग 3: पुनर्मिलन की शुरुआत

तीन दिन बाद, विकास की आंखें खुलीं। जब उसने सरिता को देखा, तो वह हैरान रह गया। “सरिता, तुम यहाँ?” विकास ने पूछा। सरिता ने बिना कुछ कहे पानी का गिलास आगे बढ़ाया। विकास ने पानी पिया और फिर सरिता की आंखों में देखते हुए कहा, “तुमने मेरी मदद की?” सरिता चुप रही। वह नहीं जानती थी कि वह क्या कहे।

डॉक्टर ने विकास से पूछा, “क्या तुम्हारा कोई है जिसे बुलाना हो?” विकास ने उदास होकर कहा, “कोई नहीं है, मैं अकेला हूँ।” सरिता ने यह सब सुनकर महसूस किया कि विकास अब भी अकेला है, और उसकी मदद करना उसकी जिम्मेदारी थी।

सड़क पर पड़ा हुआ मिला पति,उसकी तलाकशुदा पत्नी ने बचाई जान.. फिर जो हुआ |  Emotional story

भाग 4: पुरानी यादें और नए विचार

जब सरिता घर गई, तो उसने अपने अतीत को याद किया। शादी के पहले दो साल कितने खुश थे, लेकिन फिर विकास ने शराब पीना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनका रिश्ता टूटने लगा। एक दिन विकास ने कहा, “मुझे फ्रीडम चाहिए।” और फिर उसने किसी और से शादी कर ली। सरिता की जिंदगी उस दिन बिखर गई, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।

अब विकास को इस हालत में देखकर, सरिता की पुरानी यादें फिर से ताजा हो गईं। लेकिन वह अब वही कमजोर औरत नहीं थी। वह एक मजबूत महिला बन चुकी थी, जिसने अपने दम पर जिंदगी जीना सीखा था।

भाग 5: माफी और बदलाव

अगले दिन, सरिता फिर अस्पताल गई। विकास बेड पर बैठा था, और उसके चेहरे पर शर्म और पछतावा साफ दिख रहा था। “सरिता, मैं जानता हूँ कि मैंने तुम्हारे साथ गलत किया। मैं माफी मांगना चाहता हूँ,” विकास ने कहा। सरिता ने उसकी आंखों में देखा और कहा, “माफी से क्या होगा, विकास? जो हो गया, हो गया। अब मैं आगे बढ़ चुकी हूँ।”

लेकिन विकास ने कहा, “मैं बदल चुका हूँ। मैंने शराब छोड़ दी है। अब मैं एक फैक्ट्री में काम करता हूँ।” सरिता ने उसकी आंखों में सच्चाई देखी, लेकिन फिर भी उसका मन कंफ्यूज था। क्या सच में कोई इंसान इतना बदल सकता है?

भाग 6: एक नया रास्ता

सरिता ने अस्पताल से बाहर निकलते हुए सोचा कि क्या वह विकास को फिर से मौका दे सकती है। रातभर सोचते-सोचते, उसने निर्णय लिया कि वह विकास की मदद करेगी, लेकिन केवल एक इंसान के नाते।

अगले दिन, सरिता ने विकास का बिल भरा। विकास ने कहा, “मैं तुम्हें यह पैसे वापस कर दूंगा,” लेकिन सरिता ने कहा, “कोई जरूरत नहीं।” वह जानती थी कि विकास की स्थिति ठीक नहीं थी और उसे मदद की जरूरत थी।

भाग 7: नई शुरुआत

कुछ हफ्तों बाद, विकास सरिता के इंस्टिट्यूट के सामने खड़ा दिखा। उसने पैसे लौटाने चाहे, लेकिन सरिता ने कहा, “रख लो, मुझे इसकी जरूरत नहीं।” धीरे-धीरे विकास और सरिता के बीच बातचीत बढ़ने लगी। विकास ने सरिता को बताया कि उसकी दूसरी शादी भी टूट गई है और उसे एहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी गलती की थी।

एक दिन, दिवाली का त्यौहार आया। सरिता अपने बच्चों के साथ सेलिब्रेशन कर रही थी, और विकास भी वहां आया। बच्चों के साथ खेलते हुए, विकास ने सरिता को देखा और कहा, “अगर मैडम इजाजत दे तो मैं यहाँ काम कर सकता हूँ।”

सरिता ने कहा, “तुम चाहो तो यहाँ कुछ काम कर सकते हो।” विकास ने खुशी से कहा, “मैं तुम्हें इंसान बनने का मौका दे रहा हूँ।”

भाग 8: विश्वास की बहाली

अब विकास रोज़ शाम को इंस्टिट्यूट आने लगा। वह बच्चों के साथ खेलता और उन्हें पढ़ाता। सरिता ने देखा कि विकास सच में बदल गया है। एक दिन, विकास ने सरिता से कहा, “क्या हम फिर से एक साथ रह सकते हैं?” सरिता ने कहा, “मुझे वक्त दो, यह फैसला इतना आसान नहीं है।”

सरिता ने विकास को एक मौका देने का फैसला किया, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। पहली शर्त थी कि यदि विकास ने दोबारा शराब पी, तो वह हमेशा के लिए चली जाएगी। दूसरी शर्त थी कि विकास को उसके काम में दखल नहीं देना होगा। तीसरी शर्त थी कि विकास को पहले की तरह मुझ पर चिल्लाना या हाथ उठाना नहीं होगा।

भाग 9: एक नई जिंदगी

एक महीने बाद, सरिता और विकास ने कोर्ट मैरिज की। सरिता ने विकास को एक नया मौका दिया, और विकास ने अपनी फैक्ट्री की नौकरी छोड़ दी और इंस्टिट्यूट में फुल टाइम काम करने लगा। दोनों ने मिलकर बिजनेस को और बढ़ाने का फैसला किया।

छह महीने बाद, उनके इंस्टिट्यूट में 150 बच्चे पढ़ रहे थे। विकास ने स्पोर्ट्स की क्लासेस भी शुरू कीं। एक शाम, सरिता ने कहा, “आज बहुत अच्छा लग रहा है। लगता है हमने सही फैसला किया।” विकास ने सरिता का हाथ पकड़ा और कहा, “तुमने मुझे जो मौका दिया है, मैं जिंदगी भर तुम्हारा आभारी रहूंगा।”

भाग 10: खुशहाल जिंदगी

आज दो साल बाद, सरिता और विकास एक खुशहाल जोड़ा हैं। उनका इंस्टिट्यूट पूरे इलाके में प्रसिद्ध है। विकास ने शराब नहीं छोड़ी और हर सुबह योग करता है और मंदिर जाता है।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर कोई इंसान सच्चे दिल से बदलना चाहे, तो वह बदल सकता है। लेकिन दूसरा मौका देना भी बहुत हिम्मत का काम है। सरिता ने विकास को मौका दिया क्योंकि उसने उसमें सच्चा पछतावा देखा।

समापन

इस कहानी में हमने देखा कि कैसे एक टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ा जा सकता है, अगर दोनों पक्ष सच्चे दिल से प्रयास करें। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि प्यार और विश्वास की ताकत से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।

भाग 11: नए रिश्तों की शुरुआत

सरिता और विकास की नई जिंदगी अब खुशियों से भरी हुई थी। उनके इंस्टिट्यूट में बच्चे न केवल पढ़ाई कर रहे थे, बल्कि खेलकूद और अन्य गतिविधियों में भी भाग ले रहे थे। विकास बच्चों के साथ समय बिताने में बहुत खुश था। उसे यह महसूस हुआ कि बच्चों के साथ समय बिताना उसे मानसिक शांति देता है।

एक दिन, सरिता ने विकास से कहा, “तुम्हें बच्चों के लिए एक स्पेशल प्रोग्राम शुरू करना चाहिए। इससे उन्हें और भी मजा आएगा।” विकास ने तुरंत सहमति जताई और उसने बच्चों के लिए स्पोर्ट्स डे का आयोजन करने का फैसला किया।

भाग 12: स्पोर्ट्स डे

स्पोर्ट्स डे का दिन आया, और सभी बच्चे उत्साहित थे। विकास ने सभी खेलों का आयोजन किया, जिसमें दौड़, कबड्डी, और कई अन्य खेल शामिल थे। सरिता ने बच्चों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की।

जब खेल शुरू हुए, तो विकास ने देखा कि बच्चे कितने खुश हैं। उनकी हंसी और उत्साह ने उसके दिल को छू लिया। सरिता ने विकास को देखकर कहा, “तुम सच में बच्चों के लिए एक प्रेरणा हो।” विकास ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने बहुत कुछ खोया है, लेकिन अब मैं इसे पाने के लिए हर संभव कोशिश करूंगा।”

भाग 13: रिश्ते की मजबूती

स्पोर्ट्स डे के बाद, सरिता और विकास के रिश्ते में और मजबूती आई। दोनों ने एक-दूसरे के साथ समय बिताना शुरू किया और अपने अतीत के बारे में खुलकर बात की। विकास ने सरिता से कहा, “मैं जानता हूँ कि मैंने तुम्हें बहुत दुख दिया है, लेकिन अब मैं पूरी कोशिश करूंगा कि तुम्हें कभी दुख न पहुंचाऊं।”

सरिता ने कहा, “मैंने तुम्हें एक मौका दिया है, लेकिन यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम इसे कैसे निभाते हो।” विकास ने कहा, “मैं तुम्हें कभी निराश नहीं करूंगा।”

भाग 14: एक नया सपना

कुछ महीनों बाद, सरिता और विकास ने एक नया सपना देखा। उन्होंने तय किया कि वे अपने इंस्टिट्यूट को और बड़ा करेंगे और अधिक बच्चों को शिक्षा देंगे। उन्होंने एक नई जगह पर एक बड़ा इंस्टिट्यूट खोलने का निर्णय लिया।

यह निर्णय उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन दोनों ने मिलकर काम करने का फैसला किया। सरिता ने अपनी योजनाएं बनानी शुरू कीं, जबकि विकास ने आर्थिक प्रबंधन का जिम्मा लिया।

भाग 15: नई शुरुआत

नया इंस्टिट्यूट खुलने के बाद, सरिता और विकास ने एक समारोह आयोजित किया। सभी बच्चों, उनके माता-पिता और दोस्तों को आमंत्रित किया गया। समारोह में विकास ने कहा, “यह सिर्फ एक इंस्टिट्यूट नहीं है, बल्कि यह एक परिवार है। हम सभी मिलकर इस परिवार को मजबूत बनाएंगे।”

सरिता ने भी अपने विचार साझा किए। उसने कहा, “हम यहां केवल शिक्षा नहीं देंगे, बल्कि हम बच्चों को एक नई दिशा भी देंगे। हम उन्हें सिखाएंगे कि कैसे अपने सपनों को पूरा करें।”

भाग 16: खुशियों का सफर

समय बीतता गया, और उनका नया इंस्टिट्यूट तेजी से लोकप्रिय हो गया। बच्चों की संख्या बढ़ने लगी, और विकास और सरिता ने मिलकर सभी बच्चों के साथ एक बड़ा परिवार बना लिया।

दोनों ने मिलकर बच्चों के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए, जैसे कि सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद प्रतियोगिताएं, और शैक्षिक शिविर। बच्चों की खुशियों में सरिता और विकास की खुशियाँ भी शामिल हो गईं।

भाग 17: एक नई पहचान

कुछ सालों बाद, सरिता और विकास ने अपने इंस्टिट्यूट को एक नई पहचान दिलाई। उन्होंने इसे एक ब्रांड बना दिया, और उनकी मेहनत का फल उन्हें हर जगह मिला।

उनकी कहानी अब लोगों के लिए प्रेरणा बन गई थी। सरिता और विकास ने साबित कर दिया कि प्यार, मेहनत, और विश्वास से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।

भाग 18: समापन

आज सरिता और विकास एक खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। उनका इंस्टिट्यूट बच्चों के लिए शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। दोनों ने अपने अतीत को पीछे छोड़कर एक नई शुरुआत की है, और अब वे एक-दूसरे के साथ हर कदम पर खड़े हैं।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर कोई इंसान सच्चे दिल से बदलना चाहे, तो वह बदल सकता है। लेकिन दूसरा मौका देना भी बहुत हिम्मत का काम है। सरिता ने विकास को मौका दिया क्योंकि उसने उसमें सच्चा पछतावा देखा।

आपको क्या लगता है? क्या आप भी किसी को दूसरा मौका दे सकते हैं?

समापन विचार

इस कहानी में हमने देखा कि कैसे एक टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ा जा सकता है, अगर दोनों पक्ष सच्चे दिल से प्रयास करें। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि प्यार और विश्वास की ताकत से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।