भूंख से तडफ रहा अनाथ बच्चा करोड़पति के घर में रोटी मांगने पहुंचा, फिर आगे जो हुआ..
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कहानी: “अंधेरे से उजाले की ओर”
भारत के एक छोटे से गाँव में, जहां हरियाली थी और लोग सरल जीवन जीते थे, वहाँ एक लड़का रहता था जिसका नाम था अर्जुन। अर्जुन का परिवार बहुत गरीब था। उसके पिता मजदूर थे और माँ गृहिणी। बचपन से ही अर्जुन ने गरीबी देखी थी, लेकिन उसके सपने आसमान छूने वाले थे।
अर्जुन पढ़ाई में बहुत होशियार था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह स्कूल जाना छोड़ चुका था। उसके माता-पिता चाहते थे कि वह पढ़ाई जारी रखे, लेकिन रोज़मर्रा की ज़िंदगी की चुनौतियाँ इतनी बड़ी थीं कि वे उसे स्कूल भेजना मुश्किल समझते थे।
एक दिन गाँव में एक नई शिक्षक आईं, जिनका नाम था सीमा। सीमा जी ने गाँव के बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया था। उन्होंने देखा कि अर्जुन में अद्भुत प्रतिभा है, लेकिन वह स्कूल नहीं आता। सीमा जी ने अर्जुन के माता-पिता से बात की और उन्हें समझाया कि शिक्षा ही बच्चों का भविष्य संवार सकती है।
अर्जुन के माता-पिता ने सीमा जी की बात मानी और अर्जुन को फिर से स्कूल भेजने का फैसला किया। शुरुआत में अर्जुन को बहुत मुश्किलें आईं। पुराने दोस्तों ने उसका मज़ाक उड़ाया क्योंकि वह कुछ दिनों के लिए स्कूल से दूर था। पर अर्जुन ने हार नहीं मानी। उसने दिन-रात मेहनत की।
समय के साथ अर्जुन की मेहनत रंग लाई। वह स्कूल में टॉप करने लगा और अपनी कक्षा का सबसे होशियार छात्र बन गया। सीमा जी भी उसकी प्रगति देखकर बहुत खुश थीं।
लेकिन जीवन में हमेशा सब कुछ आसान नहीं होता। एक दिन अर्जुन के पिता अचानक बीमार पड़ गए। परिवार की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई। अर्जुन को अपनी पढ़ाई छोड़कर काम करना पड़ा ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके।
अर्जुन ने कई तरह के छोटे-मोटे काम किए। कभी खेतों में मजदूरी, कभी दुकानों पर सामान बेचने का काम। लेकिन उसके मन में पढ़ाई का जुनून कभी कम नहीं हुआ। वह रात को काम के बाद टॉर्च की रोशनी में पढ़ाई करता।
गाँव के लोग अर्जुन की मेहनत देखकर उसकी मदद करने लगे। कुछ लोगों ने उसे किताबें और स्टेशनरी दीं, तो कुछ ने स्कूल की फीस में मदद की। धीरे-धीरे अर्जुन का नाम पूरे इलाके में मशहूर हो गया।
अर्जुन ने अपनी मेहनत और लगन से एक दिन एक बड़ा स्कॉलरशिप हासिल किया और शहर के एक बड़े कॉलेज में दाखिला लिया। शहर की ज़िंदगी गाँव से बहुत अलग थी। वहाँ के लोग अमीर और पढ़े-लिखे थे। अर्जुन को शुरुआत में बहुत संघर्ष करना पड़ा। लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी।
कॉलेज में अर्जुन ने कई बार अपने गाँव और गरीब बच्चों के लिए अभियान चलाए। उसने शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाने का सपना देखा। वह जानता था कि शिक्षा ही गरीबी को मिटा सकती है।
समय के साथ अर्जुन ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक सफल इंजीनियर बन गया। उसने अपनी कंपनी शुरू की, जिसमें उसने गाँव के कई युवाओं को नौकरी दी। उसने गाँव में स्कूल और अस्पताल भी बनवाए।
अर्जुन की कहानी गाँव से लेकर शहर तक एक प्रेरणा बन गई। उसने साबित किया कि अगर इंसान में सच्ची लगन और मेहनत हो तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती।
अर्जुन ने अपने जीवन से यह संदेश दिया कि शिक्षा और मानवता ही असली धन है। उसकी कहानी ने कई लोगों के जीवन को बदल दिया और आज भी वह गाँव के बच्चों के लिए एक मिसाल है।
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