सऊदी अरब के रेगिस्तान में भारतीय लड़के को मिली 3 खूबसूरत अरबी लड़कियां | फिर लड़के के साथ जो हुआ..

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बिहार के एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम राहुल था। उसका परिवार आर्थिक रूप से बहुत कमजोर था। घर का खर्च चलाना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा था। राहुल के माता-पिता मेहनत करते थे, लेकिन कमाई इतनी नहीं थी कि परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें। राहुल पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन गांव में अच्छे स्कूल और कॉलेज की सुविधा न होने के कारण उसकी पढ़ाई बीच में ही रुक गई थी। वह दिन-रात सोचता रहता कि कैसे अपने परिवार की मदद कर सके।

एक दिन गांव में एक एजेंट आया, जो लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने का वादा करता था। उसने कहा कि वह सऊदी अरब में आरामदायक ऑफिस की नौकरी दिलवा सकता है, जहां मेहनत कम होगी और पैसे अच्छे मिलेंगे। राहुल को यह सुनकर बहुत खुशी हुई। उसने सोचा कि यही उसका मौका है अपनी और अपने परिवार की जिंदगी बदलने का। उसने गांव के लोगों से उधार लेकर एजेंट को मोटी रकम दे दी। कुछ ही दिनों में उसका पासपोर्ट और वीजा बन गया।

राहुल ने सऊदी अरब जाने का फैसला किया। जब वह वहां पहुंचा, तो उसकी उम्मीदें आसमान छू रही थीं। लेकिन जल्द ही उसे पता चला कि एजेंट ने उसे धोखा दिया था। नौकरी ऑफिस की नहीं, बल्कि कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी की थी। वह दिन-रात कड़ी मेहनत करता, पर पैसे कम थे और हालात खराब थे। उसने कई जगह नौकरी की कोशिश की, लेकिन कहीं भी उसे सही काम नहीं मिला। छह महीने ऐसे ही बीत गए, जिसमें वह कभी मजदूरी करता, कभी जानवरों की देखभाल।

एक दिन तीन महिलाएं उससे मिलीं। उन्होंने कहा कि वे उसे एक रात के लिए 1500 रिहाल (करीब 35,000 भारतीय रुपए) देंगी, अगर वह उनके साथ काम करेगा। राहुल ने सोचा कि यह एक अच्छा मौका है पैसे कमाने का। उसने हिचकिचाए बिना हां कह दी। वह जानता था कि इस पैसे से वह अपने परिवार की मदद कर सकेगा। तीनों महिलाएं साधारण कपड़ों में थीं, उनका चेहरा खुला था। उन्होंने कहा कि राहुल तंदुरुस्त और मजबूत है, इसलिए वे उसे अपना काम सौंपना चाहती हैं।

वे उसे जंगल के बीच एक सुंदर घर लेकर गईं। वहां राहुल ने देखा कि घर बहुत बड़ा और खूबसूरत था, लेकिन आसपास कोई नहीं था। वह हैरान था, लेकिन मजबूर भी। महिलाओं ने उसे खाना दिया और आराम करने को कहा। फिर वे तहखाने में ले गईं, जहां तीन लड़के बैठे थे। राहुल को देखकर वे डर गए, पर महिलाएं उसे समझाने लगीं कि वह उनका सहारा बने।

दरअसल, वे तीन लड़के गंभीर बीमारी से ग्रसित थे, जिनके शरीर पर घाव और फोड़े थे। डॉक्टरों ने कहा था कि यह बीमारी छूत की है, इसलिए उनकी माताएं उनसे दूर रहती थीं। महिलाएं उन बच्चों की देखभाल के लिए एक भरोसेमंद इंसान की तलाश में थीं, जो उनकी मदद कर सके। राहुल ने मास्क, ग्लव्स और बॉडी कवच पहनकर बच्चों की देखभाल करनी शुरू की। वह उनके घावों पर मरहम लगाता, पट्टियां बदलता और उन्हें हंसाने की कोशिश करता।

धीरे-धीरे बच्चों की हालत में सुधार आने लगा। तीन महीने बाद वे लगभग ठीक हो गए। बच्चों की माताओं की आंखों में आंसू थे, जो राहत और खुशी के थे। राहुल ने अपने परिवार को भी पहली बार पैसे भेजे, जिससे घर में खुशहाली आई। मां का इलाज शुरू हुआ, भाई-बहनों की पढ़ाई में मदद मिली।

राहुल के दिल में एक जज्बा जागा कि वह इन बच्चों और महिलाओं की जिम्मेदारी निभाएगा। उसने महिलाओं से उनकी कहानी पूछी। उन्होंने बताया कि वे तीन बहनें हैं, जिनकी शादी तीन भाइयों से हुई थी। एक दिन उनके पति एक दुर्घटना में मारे गए। वे विधवा हो गईं, और उनके तीन बेटे इस बीमारी से ग्रसित हो गए। डॉक्टरों ने हार मान ली थी, लेकिन वे हार नहीं मानीं।

राहुल ने अपनी मजबूरी को ताक पर रखकर इन बच्चों की देखभाल की। वह उनके लिए पिता की तरह बन गया। जब उसने कहा कि अब वह भारत लौटना चाहता है, तो महिलाएं रो पड़ीं और उसे अपने पति के रूप में स्वीकार करने की बात कहीं। राहुल ने अपनी मां से बात की, जिसने कहा कि उसने अच्छा काम किया है और उसे अपना वादा निभाना चाहिए।

राहुल ने तीनों महिलाओं से शादी कर ली। अब वह एक परिवार का मुखिया था, जिसने पराई धरती पर न केवल अपनी किस्मत बदली, बल्कि तीन बच्चों की जिंदगी भी बचाई। वह हर साल भारत आता है, अपने परिवार से मिलता है और कभी-कभी अपनी सऊदी फैमिली को भी भारत लाता है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, अगर हम दिल से नेक हों और हिम्मत न हारें, तो कठिन से कठिन हालात में भी रास्ता निकल आता है। राहुल की कहानी प्रेरणा देती है कि संघर्ष और समर्पण से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।