तलाकशुदा पत्नी थी बैंक मैनेजर ; फिर अपने ही पति को बहार निकाला , फिर आगे जो हुआ …..

रवि की कहानी शुरू होती है एक छोटे से कस्बे से, जहाँ उसका बचपन बीता था। साधारण परिवार से होने के बावजूद उसमें बड़े सपने थे। वह हमेशा मानता था कि मेहनत और ईमानदारी इंसान को किसी भी ऊँचाई तक पहुँचा सकती है। लेकिन किस्मत का खेल देखिए, उसके जीवन में सबसे बड़ी चुनौती उसके अपने ही रिश्ते से आई।

साक्षी, रवि की पत्नी, शुरू से ही महत्वाकांक्षी और दिखावे की शौकीन थी। उसे हमेशा लगता कि रवि कभी उसकी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाएगा। जहाँ रवि ईमानदारी और संघर्ष में विश्वास करता था, वहीं साक्षी को शॉर्टकट और ऐशो-आराम की जिंदगी चाहिए थी। धीरे-धीरे यह खटास इतनी बढ़ी कि एक दिन उसने रवि से साफ कह दिया—”तुम मेरे लिए कुछ नहीं कर सकते, तुम्हारे साथ रहना मेरी सबसे बड़ी गलती थी।” यह शब्द रवि के दिल पर गहरे जख्म छोड़ गए।

साक्षी ने रवि को छोड़ दिया। उस समय रवि के पास न पैसा था, न ताकत। लेकिन उसके पास था—अपना आत्मविश्वास और खुद पर भरोसा। उसने ठान लिया कि वह अपनी जिंदगी की दिशा बदलेगा और एक दिन दुनिया को दिखाएगा कि वह किसी से कम नहीं।

दिन-रात मेहनत, संघर्ष और त्याग के बीच रवि ने अपनी राह बनाई। उसने छोटे-छोटे कामों से शुरुआत की, असफलताओं से जूझा, लेकिन हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी। व्यापार में उसका नाम चमकने लगा, लोग उसकी ईमानदारी और लगन की मिसाल देने लगे। कुछ ही वर्षों में उसने इतना मुकाम हासिल कर लिया कि जो लोग उसे कभी कम आँकते थे, वही अब उसकी तारीफ करने लगे।

उधर, साक्षी की जिंदगी वैसी नहीं चली जैसी उसने सोची थी। ऐशो-आराम और सपनों की दुनिया की तलाश में उसने कई फैसले किए, लेकिन धीरे-धीरे उसे अहसास हुआ कि उसने जो खोया, वह किसी भी दौलत से पूरा नहीं हो सकता। वह अकेली पड़ गई, और पछतावे की आग में जलने लगी।

एक दिन, शहर के एक बड़े कार्यक्रम में, जब रवि को उसकी मेहनत और सफलता के लिए सम्मानित किया गया, तो साक्षी भी वहीं मौजूद थी। मंच पर खड़े रवि को देखकर उसकी आँखों से आँसू बह निकले। वही रवि, जिसे उसने कभी ठुकरा दिया था, आज हजारों लोगों की तालियों और सम्मान से घिरा हुआ था।

साक्षी ने सोचा—“काश, मैंने उस दिन उसका साथ नहीं छोड़ा होता। काश, मैंने उस पर भरोसा किया होता।” लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। रवि ने अपनी नई जिंदगी बना ली थी, और साक्षी बस उसकी दूर से चमकती हुई सफलता को देखती रह गई।

रवि ने शायद उस पल साक्षी की ओर देखा भी, लेकिन उसकी निगाहों में अब कोई शिकायत नहीं थी—सिर्फ आत्मविश्वास और दृढ़ता का प्रकाश था। उसने अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सबक सीख लिया था—जो लोग आपका साथ छोड़ जाते हैं, उन्हें समय और सफलता सबसे बड़ा जवाब देती है।

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