गरीब की झोपड़ी में आग लगाकर जवान बेटी को उठा ले गए, फिर बाप ने जो किया…
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बाहर गांव के एक छोर पर, मिट्टी की एक छोटी झोपड़ी में रामेश्वर अपनी जवान बेटी सुनीता और बूढ़ी पत्नी के साथ रहता था। उसके पास गांव की सबसे उपजाऊ जमीन थी, जो उसके पूर्वजों की निशानी थी। रामेश्वर के लिए वह जमीन सिर्फ मिट्टी नहीं, उसकी अस्मिता थी। मगर उसी गांव में धर्मवीर मलिक नामक एक बड़ा बिजनेसमैन आलीशान बंगले में रहता था। उसकी नजरें कब से रामेश्वर की जमीन पर थीं। वह चाहता था कि रामेश्वर अपनी जमीन बेच दे ताकि वहां उसकी कंपनी का नया शॉपिंग मॉल बन सके।
धर्मवीर ने कई बार पैसे का लालच दिया, धमकाया, मगर रामेश्वर हर बार एक ही जवाब देता—”जमीन मेरे बाप-दादाओं की निशानी है, इसे बेचने का मतलब है उनके सपनों को बेचना। मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा।” धर्मवीर के अहंकार को ये बात नागवार गुजरी। उसने आंखों में गुस्सा लिए कहा, “गरीब आदमी, तेरी औकात ही क्या है? यह जमीन मुझे चाहिए और मैं इसे खरीद कर ही दम लूंगा!”
एक रात जब पूरा गांव गहरी नींद में था, रामेश्वर की झोपड़ी के बाहर मोटरसाइकिलों का शोर गूंजा। काले कपड़े पहने कुछ गुंडे आए और झोपड़ी पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। रामेश्वर और उसकी पत्नी किसी तरह बाहर निकल आए, लेकिन उनकी बेटी सुनीता अंदर फंस गई। जैसे ही वह बाहर भागने की कोशिश करती, दो गुंडों ने उसे पकड़ लिया। सुनीता चीखती रही, “बाबा, बचाओ मुझे!” गुंडे उसे घसीटते हुए गाड़ी में डाल कर ले गए। रामेश्वर की आंखों के सामने उसकी बेटी का अपहरण हो गया। वह बिलकुल टूट चुका था, लेकिन हार मानना उसकी फितरत नहीं थी।
सुनीता को धर्मवीर के फार्महाउस पर ले जाया गया। वहां उसके कपड़े फाड़े गए, उसे बांध दिया गया और धमकाया गया—”अगर अपनी बेटी को सलामत देखना है तो जमीन के कागजों पर साइन कर दे।” सुनीता रोती रही, कांपती रही, पर उसकी आंखों में डर से ज्यादा उम्मीद थी। “मेरे बाबा मुझे बचाने जरूर आएंगे।”

रामेश्वर जानता था कि अकेले वह गुंडों और धर्मवीर से नहीं लड़ सकता। उसने अपने पुराने फोन में एक नंबर डायल किया—अपने मुंह बोले बेटे अजय सिंह का, जो अब शहर में ईमानदार पुलिस अफसर था। कांपती आवाज में रामेश्वर ने कहा, “बेटा, मेरी सुनीता को उठा ले गए और मेरी झोपड़ी जला दी।” फोन के उस पार अजय की आंखों में आग भर गई। उसने कहा, “बाबा, मैं आ रहा हूं। अब इनकी औकात दिखानी पड़ेगी।”
अजय उसी रात अपनी टीम और कुछ मीडिया वालों के साथ गांव पहुंचा। उसने रामेश्वर से पूरी कहानी सुनी और तुरंत एक योजना बनाई। “अगर हमें इन्हें एक्सपोज करना है तो हमें सबूत चाहिए और सबूत वहीं मिलेगा जहां सुनीता है।” अजय और उसकी टीम ने धर्मवीर के फार्महाउस पर नजर रखी। अंदर से हंसी-ठिठोली की आवाजें आ रही थीं और बीच-बीच में सुनीता की चीखें। अजय ने छिपा हुआ कैमरा ऑन किया और रिपोर्टर से कहा, “हर एक पल रिकॉर्ड करना, कल यह खबर पूरे देश में जाएगी।”
अजय ने दरवाजा तोड़कर अंदर प्रवेश किया। गुंडे चौंक गए। सुनीता कुर्सी से बंधी थी, कपड़े फटे हुए थे, चेहरा आंसुओं से भरा था। धर्मवीर मलिक घमंड से बोला, “कौन हो तुम? जानते हो मैं कौन हूं? यहां से चले जाओ वरना तुम्हारी वर्दी उतरवा दूंगा!” अजय ने ठंडे लहजे में कहा, “औकात दिखाना मेरा काम है, और आज तुझे तेरी औकात दिखाऊंगा।” गुंडे अजय पर टूट पड़े, लेकिन अजय ने अकेले ही सबको काबू में कर लिया। रिपोर्टर ने सब कुछ कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया—बेटी के फटे कपड़े, उसके आंसू और धर्मवीर की धमकियां।
अजय ने कैमरे की ओर देखा और कहा, “यही है असली चेहरा उन लोगों का जो गरीबों की जमीन हड़पते हैं। अब ये जेल में ही सांस लेंगे।” अगली सुबह टीवी चैनलों पर यही खबर थी—बिजनेसमैन ने गरीब किसान की बेटी का अपहरण किया। पुलिस अफसर ने किया बड़ा खुलासा। पूरा शहर सड़कों पर था। धर्मवीर मलिक की इमेज चकनाचूर हो गई। उसके सभी प्रोजेक्ट कैंसिल कर दिए गए। सुनीता रोते हुए अपने पिता के गले लग गई। रामेश्वर की आंखों में आंसू थे, लेकिन इस बार ये खुशी के आंसू थे।
रामेश्वर ने अजय का हाथ पकड़कर कहा, “बेटा, तूने आज गरीब बाप की इज्जत बचाई है। भगवान तुझे सलामत रखे।” अजय ने झुककर कहा, “बाबा, यह तो मेरा फर्ज था। जब तक ऐसे लोग जिंदा हैं, मैं गरीबों की ढाल बनकर खड़ा रहूंगा।” धर्मवीर मलिक और उसके गुंडों को जेल में डाल दिया गया। गांव वालों ने मिलकर रामेश्वर की झोपड़ी फिर से बनाई। रामेश्वर ने गांव के सामने खड़े होकर कहा, “गरीब होना गुनाह नहीं है। गुनाह है गरीब की मजबूरी का फायदा उठाना। आज मेरी बेटी वापस आई है सिर्फ इसलिए क्योंकि एक ईमानदार अफसर ने अपना फर्ज निभाया। गरीब की चुप्पी को कमजोरी मत समझो। कभी-कभी उनके पास ऐसा हथियार होता है जो बड़े से बड़े अमीर की भी हेकड़ी तोड़ देता है और वह हथियार है सच और ईमानदारी।”
यह कहानी बताती है कि गरीबी कमजोरी नहीं है। सच्चाई और ईमानदारी सबसे बड़ा हथियार है। जब समाज एकजुट होता है, तो बुराई की ताकतें टूट जाती हैं। रामेश्वर की बेटी सुनीता की हिम्मत, अजय की ईमानदारी और गांव वालों की एकता ने दिखा दिया कि न्याय हमेशा जीतता है।
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